आज विश्व नारियल दिवस है जानिए इसके उपयोग और महत्व के बारे में
“2 सितम्बर:- विश्व नारियल दिवस”
विश्व आज पॉलिथीन के कहर से जूझ रहा है ऐसे में नारियल एक अच्छा विकल्प हो सकता है। नारियल भूमध्य रेखीय क्षेत्रों में मुख्य तौर पर उगाया जाता है। नारियल का हरेक भाग उपयोगी है। इसका प्रयोग गद्दे, थैले, रस्सियां, खाद्य पदार्थ बनाने इत्यादि में किया जाता है। यह कई बीमारियों में लाभकारी भी है। नारियल के इन्हीं सब महत्व के कारण प्रति वर्ष 2 सितंबर को “विश्व नारियल दिवस” में मनाया जाता है।
उद्देश्य
नारियल दिवस मनाने का उद्देश्य नारियल की कृषि तथा उत्पादकता को बढ़ावा देना, नारियल से बने वस्तुओं को प्रोत्साहित करना तथा रोजगार उपलब्धता पर ध्यान देना है। नारियल दिवस “एशिया प्रशांत नारियल समुदाय” (APCC) की स्थापना को याद में मनाया जाता है।
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उत्पादक देश
पृथ्वी पर विषुवत रेखा के आसपास बसे समुद्री देशों जैसे इंडोनेशिया, किरीबाती, मलेशिया, पापुआ न्यू गिनी, आइलैंड, श्रीलंका, थाईलैंड, वियतनाम, टोंगा, ब्राजील फिलिपिंस, म्यांमार, फिजी, वियतनाम, भारत तथा कैरेबियाई जैसे देशों में इसका मुख्य रूप से उत्पादन किया जाता है।
भारत में केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में इसका मुख्य तौर पर उत्पादन किया जाता है। भारत में तकरीबन एक करोड़ लोगों की रोजगार नारियल पर निर्भर करता है। नारियल से बनी वस्तुओं के निर्यात से भारत को बड़ी मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है।
उपयोग एवं महत्व
नारियल बहु वर्षी एवं एक बीजपत्री पौधा है। भूमध्य रेखा क्षेत्र में नमकीन मिट्टी में समुद्र किनारे उगाया जाने वाला यह फल काफी उपयोगी है। नारियल का उपयोग गद्दे, थैले, रस्सी बनाने में किया जाता है। इसके अलावा खाद्य तेल, खाद्य सामग्री जैसे लड्डू, बाल तेल आदि के रूप में किया जाता है। नारियल कई बीमारियों में लाभकारी भी है।
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नारियल का धार्मिक महत्व
नारियल का पेड़ कल्पवृक्ष के रूप में भी जाना जाता है। इसमें तीन देवता ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास माना जाता है। नारियल के फल में पाये जाने वाले तीन आंखों की तुलना शिव के त्रिनेत्र से की जाती है। ज्योतिष विज्ञान में भी नारियल के फल को समृद्धि, शुभ, उन्नति और सम्मान का सूचक माना जाता है। हिंदू धर्म में नारियल को पवित्र माना गया है। पूजा-पाठ में इसका उपयोग किया जाता है। हिंदू धर्म में किसी भी शुभ कार्य में नारियल फोड़ने की परंपराएं। धार्मिक महत्व और औषधीय गुणों के कारण नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है।
कई बीमारियों में लाभकारी है नारियल
नारियल में प्रोटीन और मिनरल्स के अलावा सभी पोषक तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह विटामिन, पोटेशियम, फाइबर, कैल्शियम, मैग्नीशियम और खनिज तत्व का प्रचुर भंडार है।
• नारियल का पानी पीने से डेंगू, डायरिया, चिकनगुनिया जैसी बीमारियों में राहत मिलती है।
• नारियल प्लेटलेट्स बढ़ाने, उच्च उच्च रक्तचाप कम करने, तथा दिल की बीमारियों के लिए भी लाभकारी है।
• इसका तेल शरीर और बालों के रूखेपन को दूर करता है।
• नारियल में वसा और कोलेस्ट्रॉल नहीं होता, इस कारण नारियल मोटापे को कम करने में मदद करता है।
• नारियल दिमाग बढ़ाने में कारगर सिद्ध होता है।
• नारियल का पानी हाथ पैर सुन्न होने की समस्या को दूर करता है।
• नारियल के तेल में नींबू का रस अथवा ग्लिसरीन मिलाकर चेहरे पर लेप करने से कील-मुंहासे, दाग-धब्बे दूर होते हैं।
• अनिद्रा की स्थिति में नारियल के पानी का रात में सेवन से अच्छी नींद आती है।
• नारियल तेल में बादाम को बारीक पीसकर लेप करने से सिर दर्द में आराम मिलता।
• नारियल में फाइबर होने के कारण यह कब्ज को दूर करता है।
• नारियल का पानी किडनी एवं मूत्र संबंधी बीमारी में लाभकारी है।
• नारियल में पाए जाने वाला आयोडीन थायराइड को बढ़ने से रोकता है।
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