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कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई: अमर शहीदों को नमन्

On: July 26, 2020 3:08 PM
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कारगिल विजय दिवस 26 जुलाई: अमर शहीदों को नमन्

  1. आज से 21 वर्ष पूर्व इसी दिन पाकिस्तानी सेना की घुसपैठ से भारतीय सैनिकों ने कारगिल की चोटियों को मुक्त कराया था। इसी की याद में प्रति वर्ष “26 जुलाई” को “कारगिल विजय दिवस” के रूप में मनाया जाता है। यह उन वीर सपूतों को नमन् करने का दिन है। जिसने मातृभूमि की रक्षा के लिए हंसते-हंसते शहीद हो गए।

कारगिल युद्ध की पृष्ठभूमि

3 मई 1999 को एक चरवाहे ने भारतीय सेना को कारगिल में पाकिस्तानी सेना के घुसपैठ की जानकारी दी। इसके बाद 5 मई को जानकारी लेने के लिए पांच भारतीय सेना की पेट्रोलिंग दल कारगिल पहुंची। वहां पाकिस्तानी घुसपैठियों ने पांचों भारतीय सैनिकों की हत्या कर दी। 9 मई को पाकिस्तानी सैनिकों की गोलीबारी में कारगिल में रखें भारतीय सेना के गोला-बारूद बर्वाद हो गए। अंततः भारतीय सेना एक्शन में आई और 26 मई को कार्रवाई के लिए आदेश दिया। वायु सेना और थल सेना ने मिलकर “ऑपरेशन विजय” की शुरुआत की। लगभग 60 दिनों के पश्चात “26 जुलाई” को पाकिस्तानी सेना से कारगिल को मुक्त किया गया।

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कारगिल विजय के वीर सेनानी

कारगिल युद्ध में हमारे वीर सेनानियों ने अदम्य साहस और वीरता का प्रदर्शन किया। तकरीबन 60 दिनों में ही कारगिल के दुर्गम चोटियों पर भारत के वीर बांकुरों ने विजय हासिल की। इस विजय अभियान में 500 से अधिक भारतीय वीर सैनिक शहीद हुए। जबकि 13 सौ से अधिक घायल हुए। वहीं हमारे रण-बांकुरों ने पाकिस्तान के 2700 सौ से अधिक सैनिकों को ढेर कर दिया। इसी वीरता को सम्मान स्वरूप 4 वीर सैनिकों को परमवीर चक्र प्रदान किया गया। साथ ही कई अन्य वीर सपूतों को विभिन्न प्रकार के वीरता पदकों से सम्मानित किया गया।

कारगिल विजय के दौरान प्राप्त करने वाले परमवीर चक्र विजेता

लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पाण्डेय:-

11वीं गोरखा राइफल्स के लेफ्टिनेंट मनोज कुमार पाण्डेय ने कारगिल युद्ध में असाधारण वीरता का प्रदर्शन किया। कारगिल के खालूबार में उन्होंने दुश्मनों से जूझते हुए फतह हासिल की। 3 जुलाई 1999 को वे हुए शहीद हो गए। 24 वर्षीय इस वीर सपूत को मरनोपरांत देश का सर्वोच्च वीरता पुरस्कार “परमवीर चक्र” से सम्मानित किया गया। मनोज कुमार पाण्डेय के जीवन पर 2003 में “एलओसी कारगिल” बनी थी। जिसमें “अजय देवगन” ने मनोज कुमार पांडे की भूमिका निभाई थी।

● ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव:-

18वीं ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव ने कारगिल युद्ध के दौरान गले और कंधे में 3 गोली लगने के बावजूद, 1000 फीट की ऊंचाई पर तीन बंकरों को नष्ट किया। कई पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया और टाइगर हिल्स पर 4 जुलाई को कब्जा जमाया। उनके इस अदम्य साहस और वीरता के लिए भारत सरकार ने उन्हें “परमवीर चक्र” से सम्मानित किया। 2003 में बनी हिंदी फिल्म “एलओसी कारगिल” में “मनोज वाजपेयी” ने उनकी भूमिका निभाई थी।

रोचक जानकारी

शुरुआत में उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र देने की घोषणा की गई थी। परन्तु जल्द ही अस्पताल से उनके स्वस्थ में सुधार की सूचना मिली।

● राइफलमैन संजय कुमार:-

13वीं बटालियन जम्मू कश्मीर राइफल्स के संजय कुमार ने कारगिल युद्ध में “एरिया फ्लैट टॉप” पर कब्जा करने में मुख्य भूमिका निभाई थी। 11 साथियों की टुकड़ी में आठ के गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी दुश्मनों पर वे टुट पड़े। लहूलुहान संजय कुमार ने दुश्मनों के ही मशीनगनों से उसी का सफाया कर दिया। अंततः कारगिल के “एरिया फ्लैट टॉप” पर कब्जा करने में सफलता पाई। दूसरी भारतीय टुकड़ी ने उन्हें अस्पताल पहुंचाया।

वीरता और अदम्य साहस के लिए उन्हें सर्वोच्च सैन्य सम्मान “परमवीर चक्र” से सम्मानित किया गया। वर्तमान में वे सूबेदार के रैंक पर कार्यरत हैं। 2003 में बनी “एलओसी कारगिल” फिल्म में सुनील शेट्टी ने उनका किरदार निभाया था।

● कैप्टन विक्रम बत्रा:-

13वीं बटालियन जम्मू कश्मीर राइफल के “कैप्टन विक्रम बत्रा” भारतीय सेना के एक अधिकारी के पद पर कार्यरत थे। वे कारगिल युद्ध में अदम्य वीरता का परिचय देते हुए शहीद हुए। कैप्टन बत्रा ने 5140 चोटी और 4875 चोटी पर फतह हासिल करने के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए। मरनोपरांत इस वीर सपूत को भारत सरकार ने सर्वोच्च सैन्य सम्मान “परमवीर चक्र” से सम्मानित किया। 2003 में बनी “एलओसी कारगिल” फिल्म में उनकी भूमिका अभिषेक बच्चन ने निभाई थी।

कारगिल युद्ध के अन्य वीर सेनानी:-

कारगिल युद्ध में कई अन्य वीर सैनिकों ने भी अदम्य साहस और वीरता का परिचय दिया। उनमें से कैप्टन अनुज नायर, मेजर पद्मपाणि, कैप्टन सौरभ, स्क्वाड्रन लीडर अजय अहूजा आदि शामिल थे।

 


 

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परमवीर चक्र:-

यह भारत का सर्वोच्च शौर्य पुरस्कार है। यह पुरस्कार दुश्मनों की उपस्थिति में उच्च कोटि की शूर- वीरता एवं त्याग के लिए प्रदान किया जाता है। इस पुरस्कार की स्थापना 26 जनवरी 1950 ई• को की गई थी। इसे देश के सर्वोच्च सम्मान “भारत रत्न” के बाद सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार समझा जाता है। आजादी के पूर्व जब भारतीय सेना ब्रिटिश सेना के अधीन कार्य करती थी। तब सेना का सर्वोच्च सम्मान “विक्टोरिया क्रास” हुआ करता था। अब तक कुल 21 वीर सैनिकों को परमवीर चक्र से सम्मानित किया जा चुका है। जिनमें से 14 वीर सपूतों को मरणोपरांत यह पुरस्कार दिया गया।


 

कारगिल विजय दिवस से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य

• कारगिल विजय दिवस प्रतिवर्ष 26 जुलाई के दिन को मनाया जाता है.

• यह दिवस 1999 ई• को पाकिस्तान के साथ युद्ध में शहीद हुए भारतीय जवानों के सम्मान में आयोजित किया जाता है.

• आज से 21 वर्ष पहले इसी दिन जम्मू-कश्मीर में स्थित लगभग 18 हजार मीटर ऊंचे कारगिल की चोटियों को पाकिस्तानी सेना से मुक्त कराया गया था.

• लगभग 60 दिन चले इस युद्ध में देश ने 527 से ज्यादा वीर सपूतों को खोया था, वहीं 13 हजार से ज्यादा घायल हुए थे.

• इस युद्ध में 27 हजार पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे.

• 3 मई 1999 ई• को चरवाहों से सूचना मिली कि तकरीबन 5000 पाकिस्तानी सैनिक कारगिल की ऊंची चोटी पर कब्जा जमा लिया है.

• 26 मई को भारतीय सेना ने कारगिल मुक्त करने के लिए ऑपरेशन विजय की शुरुआत की.

• तकरीबन 60 दिनों पश्चात 26 जुलाई को पाकिस्तानी सेना से कारगिल की चोटियों को मुक्त करा लिया गया.

• तब से प्रतिवर्ष 26 जुलाई को कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है.

• कारगिल युद्ध में भारत की विजय में “बोफोर्स तोप” की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी.

• उस समय भारत में अटल बिहारी बाजपेई प्रधानमंत्री थे और पाकिस्तान में नवाज शरीफ का शासन था.

• वहीं भारत में वेद प्रकाश मलिक सेना प्रमुख थे.

• जबकि परवेज मुशर्रफ पाकिस्तान सेना नायक थे.

• कारगिल के पीछे परवेज मुशर्रफ का हाथ माना जाता है.

• कारगिल विजय से संबंधित एलओसी कारगिल, लक्ष्य जैसे पिक्चरें बन चुकी है

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Sindhu

अगर सही मार्ग पर चला जाए तो सफलता निश्चित है। अभ्यास सफलता की कुंजी मानी जाती है, और यह अभ्यास यदि सही दिशा में हो तो मंजिल मिलने में देर नहीं लगती। इस लिए कहा भी गया है:- " करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।।"

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