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जम्मू कश्मीर का इतिहास और वर्तमान का भूगोल

On: August 5, 2020 10:16 PM
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 जम्मू कश्मीर का इतिहास और वर्तमान का भूगोल

आज ही के दिन एक साल पहले 5 अगस्त 2019 को जम्मू कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 35A और धारा 370 को समाप्त करने का प्रस्ताव संसद में पेश किया गया। उसके बाद जम्मू कश्मीर भारत का राज्य नहीं बल्कि केंद्र शासित प्रदेश के रूप में जाना गया। आइए इस पोस्ट में जानते हैं जम्मू कश्मीर का इतिहास और वर्तमान का भूगोल

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019

भारतीय संसद में 5 अगस्त 2019 को गृहमंत्री अमीत साह ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 विधेयक पेश किया। इससे पहले राज्यसभा में 5 अगस्त को पेश किया गया और उसी दिन इसे पास भी कर दिया गया। अगले दिन 6 अगस्त को लोकसभा में पेश किया गया और लोकसभा से भी उसी दिन पास कर लिया गया। 9 अगस्त को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह विधेयक कानून बन गया। जो 31 अक्टूबर 2019 से प्रभावी हो गया।

जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम-2019 की कुछ मुख्य बातें:-

• इसके साथ ही जम्मू कश्मीर से संबंधित अनुच्छेद 35A और धारा 370 स्वत: समाप्त हो गया।
• 9 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही यह विधेयक कानून बन गया।
• इस अधिनियम के अनुसार जम्मू और कश्मीर 2 केंद्र शासित प्रदेश पहला जम्मू और कश्मीर तथा दुसरा लद्दाख के रूप में बना।
• जम्मू कश्मीर के पुनर्गठन के बाद से भारतीय संविधान की सभी शर्तें यहां लागू होने लगे जिससे इस क्षेत्र का विकास बेहतर तरीके से किया जा सकता है।
• इससे पहले जम्मू-कश्मीर में एक अपना संविधान और अपना कानून था।

• भारत का नियंत्रण कुछ सिमित क्षेत्रों तक ही था.
• यहां तक कि जम्मू कश्मीर का अपना झंडा भी था।
• जम्मू कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पारित होते ही यह प्रदेश भारत का अभिन्न अंग बन गया।
• 1985 बैच के आईएएस अधिकारी “गिरीश चंद्र मुर्मू” को जम्मू और कश्मीर में उपराज्यपाल के रूप में नियुक्त किए गए हैं।
• वहीं 1977 बैच के सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी “राधाकृष्ण माथुर” को लद्दाख का उपराज्यपाल बनाया गया है।


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इस अधिनियम में जम्मू और कश्मीर राज्य को 2 केंद्र शासित प्रदेश के रूप में पुनर्गठित किया गया।
1• जम्मू और कश्मीर
2• लद्दाख

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सम्पूर्ण जम्मू और कश्मीर तथा लद्दाख

1• जम्मू और कश्मीर:-

जम्मू और कश्मीर की राजधानी श्रीनगर (ग्रीष्म) जम्मू (शीतकाल) में है। जम्मू और कश्मीर केंद्रशासित प्रदेश है। पर यहां आंशिक रूप से राज्य का दर्जा देते हुए दिल्ली जैसी विधानसभा की स्थापना की गई। इस राज्य के प्रमुख उपराज्यपाल है। जम्मू और कश्मीर में विधानसभा की 83 सीटें हैं, जबकि लोकसभा की 5 सीटें। जम्मू और कश्मीर में 20 जिले शामिल है। जो निम्नलिखित है।

जम्मू क्षेत्र के जिले

1• डोडा
2• जम्मू
3• कठुआ
4• किश्तवाड़
5• पुंछ
6• राजोरी
7• रामबन
8• रियासी
9• सांबा और
10• उधमपुर

कश्मीर क्षेत्र के जिले

1• अनंतनाग
2• बांदीपोरा
3• बारामुला
4• बड़गांव
5• गांदरबल
6• कुलगाम
7•  कुपवाड़ा
8• पुलवामा
9• शोंपियां और
10• श्रीनगर

2• लद्दाख

लद्दाख की राजधानी “लेह” है। यह क्षेत्रफल में जम्मू और कश्मीर से बड़ा है। परंतु पर्वतीय क्षेत्र का ज्यादा विस्तार के कारण यहां का जनसंख्या घनत्व जम्मू और कश्मीर से कम है। यह भी एक केंद्रशासित प्रदेश है। परंतु जम्मू और कश्मीर के जैसा यहां विधानसभा की व्यवस्था नहीं दी गई। यहां के प्रमुख उपराज्यपाल हैं। यहां लोकसभा की “एक” सीटें हैं। इस केंद्र शासित प्रदेश के अंतर्गत 2 जिले सम्मिलित किए गए हैं। ये जिले निम्नलिखित हैं।

लद्दाख के जिले

1• कारगिल
2• लेह


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जम्मू और कश्मीर का तिथिगत इतिहास

जम्मू और कश्मीर प्रकृति की गोद में बसा है। वहां की खूबसूरत प्राकृतिक वादियां बरबस ही लोगों को अपनी ओर आकर्षित करती है। महात्मा गांधी ने कश्मीर को पृथ्वी का स्वर्ग कहा था। परंतु पृथ्वी का यह स्वर्ग नर्क में बदल गया। 1980 ई• के दशक में इस्लाम समर्थित आतंकवादियों ने इस हसीन वादियों में अपनी पांव पसारनी शुरू की। 1989 और 90 में हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडित मारे गए, और औरतों पर जुल्म किये गये। आतंकवादियों के कहर के कारण आठ लाख से अधिक कश्मीरी पंडितों को कश्मीर से पलायन करना पड़ा। वर्ष 2019 में जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के माध्यम से पुनः बसाने का कार्य किया जा रहा है। आइए देखते हैं जम्मू-कश्मीर का कैसा रहा है इतिहास-

● वर्ष-1846 ई•

आज से 174 वर्ष पहले 1846 ई• में महाराजा गुलाब सिंह ने जम्मू और कश्मीर की नींव रखी थी।

● वर्ष-1947-48 ई•

आजादी के समय भारत और पाकिस्तान दो स्वतंत्र देश बने। इस बंटवारे के बाद पाकिस्तान समर्थित कबाइली सेना ने कश्मीर पर हमला बोल दिया। इसके बाद महाराजा हरि सिंह ने भारत के साथ कश्मीर के विलय की संधि पर हस्ताक्षर किए। जिसके बाद भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया।

इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई 1948 ई• में भारत ने कश्मीर का मुद्दा संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में उठाया। पाकिस्तान कश्मीर से अपनी सेना हटाने से इंकार कर दिया अंततः कश्मीर को दो हिस्सों में मैं बट गया। जहां तक पाकिस्तान के कब्जे में कश्मीर था, वहां पाकिस्तान अधीनस्थ कश्मीर नाम पड़ा। और जहां तक भारतीय सेना का अधिकार था, वहां से भारतीय अधीनस्थ कश्मीर के नाम से जाना गया।

● वर्ष- 1951 ई•

1951 में भारतीय कश्मीर में चुनाव हुए। इस चुनाव में भारतीय कश्मीर ने भारत में विलय का समर्थन किया। भारत ने कहा अब जनमत संग्रह की आवश्यकता नहीं है। परंतु पाकिस्तान जनमत संग्रह पर अड़ा रहा।

● वर्ष- 1953 ई•

1953 में जनमत संग्रह के प्रबल समर्थक कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्लाह को गिरफ्तार कर लिया गया। इसके बाद नई सरकार ने कश्मीर के भारत में विलय पर मुहर लगा दी।

● वर्ष- 1957 ई•

1957 में भारतीय संविधान में जम्मू और कश्मीर को भारत का अभिन्न अंग के रूप में परिभाषित किया गया।

● वर्ष- 1962-63 ई•

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जम्मू कश्मीर का अक्साई चिन और काराकोरम

1962 में भारत और चीन के बीच युद्ध हुआ जिसमें भारत की हार हुई। इस हार के साथ हैं लद्दाख क्षेत्र का अक्साई चिन वाला हिस्सा चीन के नियंत्रण में चला गया। इसके ठीक अगले वर्ष पाकिस्तान ने “काराकोरम” वाला क्षेत्र भी चीन को दे दिया।

● वर्ष- 1965 ई•

1965 में भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर मुद्दे को लेकर पुन: यद्ध हुआ। भारत विजय रहा, परंतु दोनों देश अपने पुराने स्थिति में ही रहे। सीमा क्षेत्र में कोई बदलाव नहीं हुआ।

● वर्ष- 1971-72 ई•

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जम्मू कश्मीर नियंत्रण रेखा

1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच पुनः युद्ध हुआ। इस युद्ध में पाकिस्तान की हार हुई। बांग्लादेश पाकिस्तान से अलग होकर स्वतंत्र राष्ट्र बना। इस युद्ध के बाद 1972 में शिमला समझौता हुआ। जिस रेखा पर युद्धविराम हुआ था। उसी रेखा को “नियंत्रण रेखा” मान लिया गया और आगे बातचीत के माध्यम से विवाद सुलझाने की बात कही गई।

● वर्ष- 1984 ई•

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सियाचिन ग्लेशियर क्षेत्र

1984 में भारत ने सियाचिन ग्लेशियर पर कब्जा कर लिया। जिसे पाकिस्तान पाने के लिए कई बार कोशिश की, पर सफल ना हो सका। सियाचिन विश्व का सबसे ऊंचा युद्ध क्षेत्र भी है।

● वर्ष-1987 ई•

भारत प्रशासित कश्मीर में विवादित चुनाव के बाद कश्मीर आजाद समर्थक अलगाववादियों का आंदोलन शुरू हुआ। पाकिस्तान का अप्रत्यक्ष रूप से समर्थन प्राप्त कर अलगाववादी हिंसा पर उतारू हो गए। “जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट” जैसे आतंकवादी संगठन अपने पांव पसारने शुरू कर दिए।

● वर्ष- 1989-90 ई•

सितम्बर 1989 आते-आते जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के आतंकवादियों के हमले से पुरा कश्मीर दहल उठा। हत्या और बलात्कार की घटनाओं में काफी वृद्धि हुई। जिससे कश्मीरी पंड़ित कश्मीर से पलायन करने को बाध्य हुए। 19 जनवरी 1990 को आतंकवादियों ने मस्जिदों के लाउडस्पीकर से कश्मीरी पंडितों को कश्मीर छोड़ने का फरमान जारी किया। उन्हें कहा गया यहां से भाग जाओ अपनी औरतों को छोड़ जाओ। इसके बाद कश्मीर में आतंक का खेल शुरू हुआ। हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडित मारे गए। और जधन्य तरीके से महिलाओं का रेप/हत्या की गई। 8 लाख से अधिक लोग पलायन किए। तत्पश्चात कश्मीर में सेना को विशेष अधिकार प्रदान करने वाला “अफ्सपा” कानून लगा दिया गया।

● वर्ष- 2019 ई•

अगस्त 2019 कश्मीर के इतिहास में एक सुनहरा दिन आया! जब भारतीय संसद में “जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम” पारित किया गया। 5 अगस्त 2019 को राज्यसभा में गृह मंत्री ने जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक पेश किया। इसी दिन राजसभा ने इसे पास भी कर दिया। अगले दिन 6 अगस्त को लोकसभा में इस विधेयक को पेश किया गया, जिसे लोकसभा ने भी पास कर दिया। 9 अगस्त 2019 को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के साथ ही “जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक” अधिनियम बन गया। 31 अक्टूबर 2019 से जम्मू कश्मीर में पूरे प्रावधान लागू हो गए। जम्मू और कश्मीर 2 केंद्र शासित प्रदेश पहला “जम्मू और कश्मीर” दूसरा “लद्दाख” के रूप में अलग हुआ। अब इस क्षेत्र में भारत की हरेक योजनाएं, हरेक नियम लागू हो सकता है।


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धन्यवाद!

Sindhu

अगर सही मार्ग पर चला जाए तो सफलता निश्चित है। अभ्यास सफलता की कुंजी मानी जाती है, और यह अभ्यास यदि सही दिशा में हो तो मंजिल मिलने में देर नहीं लगती। इस लिए कहा भी गया है:- " करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।।"

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