भारतीय स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी की 130 वीं जयंती आज

भारतीय स्वतंत्रता सेनानी गणेश शंकर विद्यार्थी की 130 वीं जयंती आज

26 अक्टूबर 2020: भारतीय क्रांतिकारी गणेश शंकर विद्यार्थी का 130 वीं जयंती आज

भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी क्रांतिकारियों में से एक गणेश शंकर विद्यार्थी। उन्होंने अपनी कलम की लेखनी के माध्यम से अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला कर रख दी। 20 वीं शताब्दी की शुरुआत में किसानों पर हो रहे अत्याचारों को उन्होंने अपनी आवाज दी और किसानों की दर्द और व्यथा को आंदोलन का रूप दिया। वे हिंदू मुस्लिम एकता के प्रबल समर्थक थे।

प्रारंभिक जीवन

• उनका जन्म आज ही के दिन 26 अक्टूबर 1890 को प्रयागराज (इलाहाबाद) में हुआ था।
• उनके पिता जयनारायण एक शिक्षक थे, इससे उन्हें शिक्षित परिवारिक माहौल मिला।

पत्रिका का संपादन

• आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी की पत्रिका ‘सरस्वती‘ में उन्होंने सहायक संपादन का कार्य प्रारंभ किया।
• सरस्वती पत्रिका के बाद उन्होंने ‘अभ्युदय‘ में सहायक संपादन का कार्य शुरू किया।
• तत्पश्चात  1913 में उन्होंने स्वंय सप्ताहिक पत्रिका प्रताप की शुरुआत की थी। तब उनकी उम्र मात्र 23 वर्ष थी।
• शुरुआती दिनों में ही इस पत्रिका की पहचान किसानों की हमदर्द पत्रिका के रूप में हो गयी थी। इस कारण किसान गणेश शंकर विद्यार्थी को सम्मान स्वरूप “प्रताप बाबा” कहकर पुकारने लगे थे।
• 1920 में उन्होंने ‘प्रभा’ पत्रिका भी निकाली।
• गणेश शंकर विद्यार्थी ने अपनी लेखनी से अंग्रेजी साम्राज्य की नींव हिला कर रख दी।
• ‘प्रताप’ पत्रिका भारत की आजादी की लड़ाई का मुखपत्र साबित हुआ। रामप्रसाद बिस्मिल की आत्मकथा प्रताप में छपी थी।
• क्रांतिकारियों के विचार और लेख ‘प्रताप’ में लगातार छपते रहे थे।
• 1918 में प्रताप में प्रकाशित नानक जी की “सौदा ए वतन” नामक कविता से नाराज होकर अंग्रेजों ने विद्यार्थी जी पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया तथा प्रताप का प्रकाशन बंद करवा दिया।

स्वतंत्र आंदोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना

• 1916 में उनकी मुलाकात महात्मा गांधी से हुई। इसके बाद उन्होंने अपना सर्वस्व जीवन स्वाधीनता आंदोलन में समर्पित कर दिया।
• हालांकि महात्मा गांधी के अहिंसक आंदोलन से गणेश शंकर विद्यार्थी सहमत नहीं थे।
1917-18 में होमरूल आंदोलन में उन्होंने अग्रणी भूमिका निभाई।
• विद्यार्थी  जी ने कपड़ा मिल मजदूरों की पहली हड़ताल का नेतृत्व किया था।
• वे स्वतंत्रता संग्राम तथा किसानों की आवाज उठाने के लिए कई बार जेल गए।

प्रमुख रचनाएं

गणेश शंकर विद्यार्थी एक क्रांतिकारी के साथ-साथ राजनीतिज्ञ और बेहतरीन साहित्य रचनाकार भी थे। उन्होंने किसानों की व्यथा स्वतंत्रता संग्राम और महापुरुषों की जीवनी और अन्य विविध प्रकार की रचनाएँ की। यहां कुछ प्रमुख रचनाएं लिखी जा रही हैं।

• कर्मवीर महाराणा प्रताप
• महर्षि दादा भाई नौरोजी
• लेनिन
• कर्मवीर गांधी
• लोकमान की विजय
• आत्मोत्सर्ग
• प्रताप की नीति
• ऊंचे पहाड़ों के अंचल में
• कुली प्रथा: शैतान बपतिस्मा ले रहा है
• चलिए गांव की ओर
• जातीय होली
• जोश में ना आइये
• नवयुग का संदेश
• मैक्सिम गोर्
• की मां के आंचल में
• धर्म की आड़
• समुद्र मंथन
• हमारे जातीय जीवन के दोष
• हाथी की फांसी
• जेल जीवन की झलक
• जेल डायरी
• राष्ट्र का निर्माण
• युवकों का विद्रोह
• भाषा और साहित्य
• जोश में ना आइए
• प्रतीक्षा और प्रार्थना
• वज्रपात
• स्वर्गीय महात्मा गोखले
• हिंदू मुस्लिम विद्वेष और भारत सरकार इत्यादि

दंगे के हाथ चढ़ा एक महान क्रांतिकारी

• 23 मार्च 1931 में भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव के फांसी के दो दिनों बाद ही कानपुर में दंगे शुरू हुए, जिसमें हजारों लोग मारे गए।
• इस दंगे में गणेश शंकर विद्यार्थी ने हजारों लोगों की जानें बचाई। इसी दौरान दुर्भाग्य से आतंकियों के बीच वे फंस गए। और हिंसक भीड़ ने 25 मार्च 1931 को उनकी बेरहमी से हत्या कर दी।
• एक ऐसा मसीहा जिसने हिंदू-मुस्लिम एकता के लिए महत्वपूर्ण कार्य किए। हजारों लोगों की जानें बचाई। लेकिन खुद धार्मिक उन्माद की भेंट चढ़ गए।
• उन्हें शत-शत नमन।

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Writer
M P Dangi
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