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भारत में हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन का जीवन परिचय

On: August 7, 2020 2:59 PM
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भारत में हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन का जीवन परिचय

भारत महापुरुषों की जन्मभूमि रही है। भारत की धरती ने बुद्, महावीर, अंबेडकर, गांधी, भाभा, राम और कलाम जैसे महापुरुषों को जन्म दिया है। उन्ही महापुरुषों में एक नाम है डॉक्टर एम एस स्वामीनाथन का। कृषि के क्षेत्र में इन्होंने भारत में क्रांति ला दी। इनके प्रयासों से ही भारत में खाद्यान्न के उत्पादन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई। अनाज की कमी झेल रहा भारत आज खद्यान्न के उत्पादन में आत्मनिर्भर बना है। इसका सारा श्रेय डॉ• एम एस स्वामीनाथन को जाता है। भारत में हरित क्रांति के जनक स्वामीनाथन को समर्पित है यह पोस्टपोस्ट-

☆ जीवन परिचय

भारत में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का जन्म 07 अगस्त 1925 में तमिलनाडु के कुंभकोणम शहर में हुआ था। एम एस स्वामीनाथन का पुरा नाम मोनकोम्बू साम्बशिवन स्वामीनाथन था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय शहर से ही हुआ। जबकि उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन चले गए। जहां 1952 ई• में उन्होंने कैंब्रिज से “स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर” में “पीएचडी” की डिग्री हासिल की।

☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि

• एमएस स्वामीनाथन ने 1966 ई• में मेक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उत्पादकता वाले (HYV बीज) गेहूं के संकर बीज विकसित किए।
• HYV बीज का विस्तार High Yielding Verity (उच्च उन्नत किस्म के बीज)
• उनके इस प्रयास के कारण भारत में गेहूं की उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई।
• स्वामीनाथन ने गेहूं के अलावा चावल आलू और अन्य चीजों पर भी अपना शोध किया जो सफल रहा।

☆ पुरस्कार एवं सम्मान

•‌ उनके इसी सफलतम प्रयास के कारण भारत सरकार द्वारा 1967 में पद्मश्री, 1972 में पद्म भूषण और 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
• इसके अलावा उन्हें देश और विदेश कई पुरस्कार प्राप्त हुए।
• इसके अलावा 1971 में रेमन मैग्सेसे, 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड सांइस,1987 में विश्व खाद्य, 1999 में युनेस्को गांधी स्वर्ण पदक जैसे कई पुरस्कार और सम्मान इन्हें प्राप्त हुआ।


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