महेंद्र प्रबुद्ध खोरठा के साहित्यकार की जीवनी | Mahendra Prabudh
विलक्षण प्रतिभा के धनी महेंद्र प्रबुद्ध खोरठा के एक रचनाकार हैं। खोरठा की हर विधाओं में उनकी रचनाएं देखने को मिलती है। उन्होंने खोरठा समाज के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। झारखंड की संस्कृति और सभ्यता को बचाने के लिए वे लगातार संघर्ष करते रहे हैं। खोरठा भाषा को बढ़ावा देने के लिए वे परास फूल वार्षिक खोरठा पत्रिका का संपादन भी कर रहे हैं। खोरठा के अलावे उनकी रचनाएं हिंदी भाषा में भी मिलती है। इस पोस्ट में महेंद्र प्रबुद्ध खोरठा के साहित्यकार की जीवनी जानेंगें।
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☆ पारिवारिक जीवन
☆ शिक्षा
☆ खोरठा के क्षेत्र में योगदान
• रचनाएं
• पत्रिका का संपादन
• पाठ्य-पुस्तक में रचनाएं शामिल
• खोरठा स्लोगन
☆ सम्मान/पुरस्कार
☆ पारिवारिक जीवन
जन्म:- 05 अगस्त 1956 ई.
पता:- नागनगर, धनबाद (झारखण्ड)
महेंद्र प्रबुद्ध का जन्म 5 अगस्त 1956 ई. को झारखंड के गिरिडीह जिला के ‘लोहेडीह’ (निमियाघाट) गांव में हुआ था। उनका वास्तविक नाम ‘महेंद्र राम’ है। प्रबुद्ध उनका साहित्यक नाम है। इस प्रकार महेंद्र प्रबुद्ध का उपनाम ‘प्रबुद्ध’ है। इस लिए वे लोगों के बीच महेंद्र प्रबुद्ध के नाम से जाने जाते हैं। उनके पिता का नाम सुदन राम और माता का नाम बुंदली देवी है। उनकी जीवन संगनी उषा देवी एक गृहणी है। उनके दो पुत्र और दो पुत्रियां हैं। जैनेन्द्र कुमार और शैलेन्द्र कुमार उनके पुत्र हैं जबकि ईशा रवि और निशा देवी उनकी पुत्री के नाम हैं। प्रबुद्ध जी 1976 ई. में रेलवे की नौकरी प्राप्त की और वर्ष 2016 ई. में वे रेलवे से वरिष्ठ कार्यालय अधीक्षक पद से सेवानिवृत्त हुए।
☆ शिक्षा
कुशाग्र बुद्धि के महेंद्र प्रबुद्ध ने पहली से पांचवी की पढाई रेलवे के एटीपी विद्यालय, धनबाद से पुरी की। छठी से दसवीं की पढाई डीएवी उच्च विद्यालय, धनबाद से की। इंटर की पढ़ाई उन्होंने गुरुनानक महाविद्यालय, धनबाद से की। उन्होंने इसी महाविद्यालय से इतिहास विषय से स्नातक में प्रतिष्ठा की डिग्री भी हासिल की। वे प्रथम और द्वितीय वर्ष L. L. B. (लाॅ) की भी पढ़ाई की, परन्तु 1976 ई. में रेलवे में नौकरी मिलने के बाद L.L.B. की पढ़ाई पूरी न कर सके। इसी प्रकार वे इसी महाविद्यालय से एम. ए. प्रथम वर्ष की पढ़ाई की परन्तु रेलवे में नौकरी प्राप्त करने के बाद वे एम ए की भी पढ़ाई पूरी नहीं कर सके।
☆ खोरठा के क्षेत्र में योगदान
खोरठा भाषा की आज झारखंड में एक अलग पहचान है। जेपीएससी, जेएसएससी, सीजीएल तथा अन्य परीक्षाओं में स्थानीय भाषा के रूप में खोरठा भाषा विद्यार्थियों के बीच पहली पसंद है। खोरठा भाषा को बढ़ावा देने में साहित्यकार महेंद्र प्रबुद्ध का बड़ा हाथ रहा है। उन्होंने खोरठा भाषा की विभिन्न विधाओं जैसे- कविता, कहानी, नाटक, उपन्यास इत्यादि में रचनाएं की है। वे खोरठा भाषा आंदोलन से लगातार जुड़े रहे हैं।

रचनाएं :- महेंद्र प्रबुद्ध को विद्यालयी जीवन से ही लेखन के प्रति रूची थी। प्रारंभ में उन्हें हिंदी भाषा में कविता एवं नाटक का लेखन तथा नाटकों के मंचन में दिलचस्पी जगी। डी.ए.वी. उच्च विद्यालय, धनबाद में शिक्षा प्राप्ति के दौरान वार्षिक उत्सव में आमंत्रित कवियों द्वारा आकर्षक कविता पाठ ने उन्हें काफी प्रभावित किया। उस उत्सव में रामनारायण पाण्डेय, जानकी वल्लभ शास्त्री, गोपाल दास नीरज, सुभद्रा कुमारी चौहान, हंस कुमार तिवारी जैसे ख्याति प्राप्त हिन्दी के प्रसिद्ध कविगण वार्षिक उत्सव और तुलसी जयंती के अवसर पर प्रत्येक वर्ष आया करते थे। इनके अलावे क्षेत्रीय कवि विकल शास्त्री तथा खोरठा के धुरंधर विद्वान कवि श्रीनिवास पानुरी जी भी इस कवि सम्मेलन में शामिल रहते थे। इन सबसे से प्रबुद्ध जी काफी प्रभावित हुए। संयोग से उसी स्कूल में प्रकाशित होने वाली वार्षिक पत्रिका ‘ऋषि संदेश‘ ने भी उन्हें काफी प्रभावित किया। जिसमें प्रबुद्ध जी की पहली रचना “कंजूसी का परिणाम” छपी थी।
इन सब की प्रेरणा से प्रेरित होकर महेंद्र प्रबुद्ध के मन में लेखन के प्रति रूची जगी। शुरूआत में वे हिन्दी भाषा में लिखा करते थे। बाद के वर्षों में प्रबुद्ध जी की मुलाकात खोरठा के जाने-माने रचनाकार श्याम सुंदर महतो से हुई। उनसे प्रेरित होकर वर्ष 2004 ई. से वे खोरठा भाषा लेखन के तरफ उन्मुख हुए। जो आज तक लगातार समर्पित भाव से प्रयत्नशील है। उनकी प्रसिद्ध रचनाएं यहां प्रस्तुत की जा रही है।

खोरठा रचनाएं:- खोरठा भाषा की विभिन्न विधाओं में उनकी रचनाएं मिलती है। जिसे यहां देखा जा सकता है।
रचना — प्रकाशित खोरठा रचनाएं
1. परास के फूल (कविता संग्रह – 2006)
2. तीन काठ धान (सामाजिक नाटक – 2007)
3. चंदुलाल चोकिदार (ग्रामीण नाटक – 2008)
4. लाल बुझक्कड़ (लोक कथा – 2008)
5. बुबु गाछ कहनी (संकलन – 2009)
6. मानुसेक कद (कविता संग्रह – 2010)
7. झुमरी तिलैयाक (चंपा उपन्यास – 2011)
8. सेमियां टेलीफिल्म्स (पटकथा – 2013)
9. बुधम सरनम गछामि (एतिहासिक नाटक – 2016)
10. बीर एकलव्य (महाभारत कालिन नाटक – 2017)
11. मकड़जाल (सामाजिक नाटक – 2018)
12. शकुंतला क सत (महाभारतकालिन नाटक – 2019)
13. जाग मोसाफिर बिहान भेल (सामाजिक नाटक – प्रेस में)
14. बिन पानी सब सून (नाटक – अप्रकाशित)
हिंदी में प्रकाशित रचनाएं:
• बादल तुमसे पुछूं एक सवाल (बाल कविता संग्रह) – 2001
• पेड़ बनता आदमी (सामायिक कविता संग्रह) – 2003
• अमूल्य भारत (देश भक्ति कविता संग्रह) – 2009
• समय-चक्र (सामयिक कविताएं) – 2012
• मत पी हाला (खंडकाव्य) – 2016
• प्रीत के बिंब (प्रेम मुलक कविताएं) – 2017
• डा० बाबा साहेब आंबेडकर (खंडकाव्य) – 2021
पत्रिका का संपादन :- खोरठा भाषा के विकास के लिए महेंद्र प्रबुद्ध ने 2008 ई. से खोरठा पत्रिका “परास फूल” का संपादन शुरू किया। यह एक वार्षिक पत्रिका है। जिसका प्रकाशन धनबाद से होता है। इस पत्रिका ने खोरठा भाषा के विकास और भाषा आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।




पाठ्यपुस्तक में रचनाएं शामिल:- महेंद्र प्रबुद्ध द्वारा लिखे गये कविता और नाटक झारखण्ड में विद्यालय एवं महाविद्यालय के पाठ्यपुस्तक में शामिल है।
नवमीं कक्षा के खोरठा पाठ्यपुस्तक “दु डाइर परास फूल” में प्रबुद्ध जी की एक कविता
शामिल है। कविता का शीर्षक है – लुआठी।
स्नातक सेमेस्टर – 5 में खोरठा के एक नाटक किताब “तीन काठ धान” शामिल है।
खोरठा स्लोगन:- खोरठा के साहित्यिकार महेंद्र प्रबुद्ध ने खोरठा भाषा को बढ़ावा देने के लिए खोरठा भाषा में खोरठा स्लोगन की रचना की है। जिसे यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।
खोरठा क दीया बरइत रेहे
दुनियांइक आलो करइत रेहे
चाइरो दिक झकझक इंजोर
साभिन मिल जगजगवा जोर
झारखंडी भासाक हो विकास
खोरठा क दीया बरे आकास
खोरठा हिञाक बोली भासा
सफल होवे हामनिक आसा।।
शोध कार्य:- महेन्द्र प्रबुद्ध जी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर थानेश्वर महतो नामक शोधार्थी छात्र रांची से शोध कार्य रहे है। यह अपने आप में महत्व रखता है।
☆ सम्मान/पुरस्कार
खोरठा भाषा के रचनाकार महेंद्र प्रबुद्ध द्वारा खोरठा भाषा के विकास के लिए किए गए कार्यों को देखते हुए, कई संस्थाओं द्वारा इन्हें कई सम्मान/पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। जिनका यहां वर्णन किया जा रहा है।
1. 20 म ई 2008 ई. बोकारो के महाधिवेशन में खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद मधुडीह, बोकारो द्वारा “श्री निवास पानुरी स्मृति सम्मान” दिया गया।
2. कसमार प्रखंड सिंहपुर इंटर कॉलेज के अधिवेशन 29 अगस्त 2011 ई. में “खोरठा रत्न” से सम्मानित किया गया।
3. फ़रवरी 2016 ई. में उमा फिल्म प्रोडक्शन कतरास द्वारा “श्री निवास पानुरी स्मृति सम्मान” मिला।
4. राष्ट्रीय कवि संगम धनबाद के द्वारा 19 जून 2016 में सारस्वत सम्मान मिला
5. रिषीकेश स्मारक सेवा समिति के द्वारा 21 फरवरी 2019 ई. को “खोरठा श्री सम्मान” दिया गया।
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महेंद्र प्रबुद्ध खोरठा के साहित्यकार की जीवनी
प्रस्तुतीकरण
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संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी, शिक्षक
एम ए भूगोल, एम ए खोरठा
Note:-
• 11th & 12th. Geography and History • Class 9th. & 10th का सामाजिक विज्ञान से संबंधित अभ्यास के प्रश्नों का उत्तर,
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