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D.el.ed. Syllabus in khortha, खोरठा डीएलएड सिलेबस प्रथम वर्ष

On: December 11, 2021 12:52 PM
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खोरठा डीएलएड सिलेबस प्रथम वर्ष, D.el.ed. Syllabus in khortha,

खोरठा डीएलएड सिलेबस प्रथम वर्ष के अंतर्गत खोरठा से संबंधित पाठ्यक्रम अथवा सिलेबस के बारे में जानेंगे। D.el.ed. अर्थात् Diploma in Elementary Education कहते है। इसे हिन्दी में प्राथमिक शिक्षा में उपाधि पत्र या प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा कहा जाता है। विद्यार्थी इस डिप्लोमा का कोर्स इंटर पास करने के बाद कर सकते है। झारखण्ड में D.EL.ED. जैक बोर्ड के माध्यम से महाविद्यालयों से किया जाता है। प्राथमिक शिक्षा में डिप्लोमा की मान्यता NCTE भुवनेश्वर द्वारा प्रदान की जाती है। d.el.ed का कोर्स वहीं से करना चाहिए जो महाविद्यालय ncte भुवनेश्वर से संबद्ध है।

झारखण्ड में इस डिप्लोमा कोर्स में क्षेत्रीय एवं जनजातीय भाषा को भी शामिल किया गया है। उनमें से खोरठा विषय भी शामिल है। यह एक क्षेत्रीय भाषा है। जिसे झारखण्ड के तकरीबन 16 जिलों में बोला जाता है। इस पोस्ट में D.el.ed. Syllabus in khortha भाषा को देखने जा रहे हैं। आगे इसी बेबसाइट पर संपूर्ण सिलेबस को उत्तर सहित (व्याख्या) शामिल किया जाएगा। इस लिए आप सब इस बेबसाइट को सब्सक्राइब कर घंटी दबा देगें तो अगली पोस्ट की सूचना आपको मोबाइल पर मिल जाएगी।

D.el.ed. Syllabus in khortha

कोर्स:- D.el.ed.
वर्ष:- प्रथम वर्ष
पत्र:- सप्तम पत्र
विषय:- खोरठा
टाॅपिक:- Syllabus (पाठ्यक्रम)

खोरठा भाषा शिक्षण: विषयवस्तु सह शिक्षण विधि

इकाई 1: खोरठा भाषा का अर्थ एवं स्वरूप

• भाषा का अर्थ, परिभाषा, स्वरूप एवं महत्व
• बोली और भाषा में अंतर
• खोरठा भाषा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
• मानक खोरठा भाषा के माध्यम से संक्षेपण
• खोरठा भाषा की विशेषताएं
• खोरठा भाषा और उसके क्षेत्रीय भेद

इकाई 2: खोरठा भाषा का अर्थ एवं परिभाषा

• मातृभाषा का अर्थ, परिभाषा, महत्व
• राष्ट्र के विकास में मातृभाषा की उपयोगिता
• मातृभाषा शिक्षण के उद्देश्य
• झारखंड की प्रमुख भाषाएं – संथाली, कुरुख, मुंडारी, नागपुरी, खड़िया, हो, खोरठा, पंचपड़गानिया, कुड़माली का सामान्य परिचय एवं खोरठा की आदिवासी एवं सदानी भाषाओं से संबंध।

इकाई 3: खोरठा पद्य-गद्य शिक्षण

• पद्य शिक्षण –  परिचय, पद शिक्षण की विधि, सस्वर वाचन, गीत विधि, व्याख्या विधि, अर्थबोध विधि, भाव बोध, अनुकरण विधि।
• गद्य शिक्षण – परिचय, गद्य शिक्षण की विधि, आदर्श वाचन, अनुकरण वाचन, मौन वाचन, कथा, कहानी, प्रश्नोत्तर विधि, घटना वर्णन, दृश्य वर्णन, अभिनय विधि।

इकाई 4: खोरठा व्याकरण

• खोरठा ध्वनि की विशेषता
• खोरठा के स्वर, व्यंजन तथा उनका वर्गीकरण
• खोरठा शब्द भण्डार (1) ठेठ शब्द (2) दूसरी भाषाओं के शब्द
• संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण, क्रिया विशेषण, लिंग, वचन, कारक, काल, वाच्य

इकाई 5: खोरठा भाषा शिक्षण विधि

• पाठ्यपुस्तक विधि, प्रश्नोत्तर विधि, व्याख्या विधि, अनुवाद विधि, खेल विधि, देखो और कहो, सुनो और बोलो, चित्र विधि, कहानी विधि।

क्रियाकलाप:

• कहानी, कविता, निबंध एवं नृत्य – गीत प्रतियोगिता में स्वभागिता।
• पत्र लेखन, आवेदन पत्र लेखन, संक्षेपण लेखन में भाग लेना।
• खोरठा भाषा पर अन्य सदानी एवं आदिवासी भाषाओं के प्रभाव डालने वाले शब्द/वाक्य की सूची तैयार करना।
• स्थानीय परिवेश में प्रचलित लोकोक्तियों एवं मुहावरों का संकलन करना।
• सूक्तियों एवं सुभाषितों,पहेलियों का संकलन एवं लेखन।
• मेला, पर्व-त्यौहार, अखड़ा, संस्कार, खेल-कूद, नाच-गान एवं सांस्कृतिक कार्यों में सहभागिता।
• पाठ योजना एवं शिक्षण सामग्री का निर्माण करना।
• शुद्ध उच्चारण से संबंधित ऑडियो कैसेट बनाना।

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प्रस्तुतीकरण
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Sindhu

अगर सही मार्ग पर चला जाए तो सफलता निश्चित है। अभ्यास सफलता की कुंजी मानी जाती है, और यह अभ्यास यदि सही दिशा में हो तो मंजिल मिलने में देर नहीं लगती। इस लिए कहा भी गया है:- " करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।।"

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