Frist Moon Mission in hindi अपोलो 11 अंतरिक्ष मिशन

F.Frist Moon Mission in hindi अपोलो 11 अंतरिक्ष मिशन

आज ही के दिन 51 वर्ष पहले नील आर्मस्ट्रांग ने चांद की धरती पर रखा पहला कदम

Frist moon mission in hindi, चन्द्र मिशन,
Moon Mission

सैकड़ों वर्षों से चांद के प्रति इंसानों में एक गजब का उत्साह देखा गया है। चांद को देखते ही हजारों-हजार सवाल हमारे मस्तिष्क में कौंधने लगते हैं।सैकड़ों वर्षों से चांद के प्रति इंसानों में एक गजब का उत्साह देखा गया है। चांद को देखते ही हजारों सवाल हमारे मस्तिष्क में कौंधने लगते हैं। यही वजह है कि मानव कई वर्षों से चांद पर पहुंचने की कोशिश करता रहा है। जैसे-जैसे नीत नए  वैज्ञानिक आविष्कार होते गए, वैसे-वैसे चांद के रहस्य उजागर होते गए।

प्रारंभ में वैज्ञानिकों को असफलता और निराशा का भी सामना करना पड़ा। लेकिन वर्षो की कड़ी मेहनत रंग लाई और आखिरकार सफलता मिल ही गई जब 21 जुलाई 1969 को नील आर्म्सट्रांग ने पहली बार चंद्रमा की सतह पर कदम रखा तो दुनिया में इतिहास का एक नया अध्याय जुड़ गया।

Moon Mission की शुरुआत

चांद के रहस्यों को सुलझाने के लिए विश्व के वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष एजेंसियां वर्षों से उत्सुक रही है। चांद को नजदीक से देखने-समझने और उसके रहस्यों की गुत्थी को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक हमेशा से तत्पर रहें। 1950 के दशक में रूस के वैज्ञानिक तथा अंतरिक्ष एजेंसियां चांद को खंगालने के लिए आगे बढ़ चली थी। जब रूस ने 1957 ई• में स्पुतनिक-1 नामक  कृत्रिम उपग्रह को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया। यह मानव द्वारा विश्व में निर्मित प्रथम कृत्रिम उपग्रह था। जिसे सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया।

चांद पर मानव निर्मित यान भेजने के लिए रूस और अमेरिका ने 1958 ई• से 1959 ई• के बीच 10 प्रयास किए जो असफल रहे। अंततः 11 प्रयास सफल रहा और 1959 ई• में ही रूसी अंतरिक्ष यान लूना -2 चंद्रमा की सतह पर उतरा। लूना-2 विश्व का पहला अंतरिक्ष यान था जिसने चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की थी।

12 अप्रैल 1961 ई• का वह यादगार पल आया जब वोस्टोक-1 अंतरिक्ष यान से रूस के अंतरिक्ष यात्री यूरी गागरिन अंतरिक्ष में कदम रख मानव जाति के लिए इतिहास लिख दिया। उनके इस साहसिक कदम ने इंसानों के लिए अंतरिक्ष का दरवाजा खोल दिया। यूरी गागरिन दुनियां के वे पहले व्यक्ति हैं जिन्होंने अंतरिक्ष में कदम रखा। इसके पश्चात 1966 ई• में रूस ने लूना-9 को चंद्रमा की धरती पर सॉफ्ट लैंडिंग करवायी।

चांद पर मानव भेजने की तैयारी में रूस ने लूना यान से कई सफल और असफल अभियान किये। 1966 ई• में सोवियत रूस चांद पर मानव भेजने के काफी करीब पहुंच गया था पर कुछ तकनीकी गड़बड़ियों के कारण उसके सपने पूरे ना हो सके।


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अमेरिका का Moon Mission

अमेरिका ने अपोलो -11 की सफलता के लिए कई अभियान भेजे। जिनमें कुछ में सफलता हाथ लगी और कुछ में असफलता। उनमें से सर्वेयर और चंद्र ऑर्बिट के भी कई अभियान शामिल हैं।  सर्वेयर के कई अभियानों ने चंद्रमा की सतह पर पहुंचकर महत्वपूर्ण आंकड़े इकट्ठे किए। वहीं चंद्र ऑर्बिट के कई अभियानों ने चंद्रमा के ऑर्बिट में रहकर चंद्रमा से जुड़ी कई जानकारियां जुटाई। अपोलो- 10 अंतरिक्ष यान को 26 मई 1969 को ड्रेस रिहर्सल के तौर पर चन्द्रमा के ऑर्बिट में भेजा गया था।

आखिरकार अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के कठिन प्रयास और मेहनत रंग लाई और अंतत: 20 जुलाई 1969 को युनिवर्सल टाइम 20:17 मिनट पर अपोलो-11 अंतरिक्ष यान चंद्रमा की सतह पर उतरा। और लगभग 6 घंटों के पश्चात युनिवर्सल टाइम 2:46 पर 21 जुलाई का वह दिन आया जब अंतरिक्ष यान अपोलो 11 से उतर कर नील आर्म्सट्रांग ने चांद की धरती पर पहला कदम रख इतिहास रच दिया।

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चांद पर नील आर्मस्ट्रांग का पहला कदम

चांद पर अंतरिक्ष यान अपोलो-11

• 20 जुलाई 1969 को युनिवर्सल टाइम 20:17 पर चांद पर अपोलो-11 ईगल लैंडर लैंड किया।
• लगभग 6 घंटों पश्चात 21 जुलाई को युनिवर्सल टाइम 2:46 पर नील आर्म्सट्रांग ने चांद की सतह पर कदम रखा।
• चांद की धरती पर पहला कदम रखने वाले व्यक्ति नील आर्मस्ट्रांग थे।
• नील आर्मस्ट्रांग के चांद की सतह पर कदम रखने के लगभग आधे घंटे बाद दूसरे यात्री बज एल्ड्रिन भी चांद की सतह पर उतरा।
• नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन ने चांद पर तकरीबन सवा 2 घंटे का समय बिताया।
• वे दोनों वहां से लगभग 20 किलोग्राम चांद के चट्टान एवं खनिज लेकर पृथ्वी तक आये।
• जबकि इस अभियान से जुड़े तीसरा व्यक्ति माइकल कॉलिंस चांद के ऑर्बिट में घूम रहे अंतरिक्ष यान को नियंत्रित किए हुए थे।
• 24 जुलाई 1969 को प्रशांत महासागर में तीनों अंतरिक्ष यात्री वापस उतरे।

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नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन
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तीनों अंतरिक्ष यात्री

चांद पर जाने का यह सिलसिला यहीं नहीं थमा। बल्कि नासा ने 1969 में अपोलो -12, 1971 में अपोलो-14 और अपोलो -15 तथा 1972 में अपोलो-16 अंतरिक्ष  यानों के जरिये इंसानों को उतारा और कई महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई। अंतिम बार अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी, नासा ने 1972 में अपोलो- 17 अंतरिक्ष यान के जरिए चांद पर दो मानव को भेजा। इस अभियान में यूजीन सेरनन और हैरिसन श्मिट को चांद पर उतारा।

यूजीन सेरनन चांद पर पैरों के निशान छोड़ने वाले अंतिम यात्री थे। इसके बाद अब तक कोई भी व्यक्ति चांद के सतह पर नहीं उतरा है।


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चांद पर कदम रखने वाले यात्रियों की सूची

1• नील आर्मस्ट्रांग, 21 जुलाई 1969 ई• अपोलो -11
2• बज एल्डिन, 21 जुलाई 1969 ई• अपोलो -11
3• पेटे कानराड, नवम्बर 1969 ई• अपोलो-12
4• एलन बीन,  नवम्बर 1969 ई• अपोलो-12
5• एलन शेफर्ड, फरवरी 1971 ई• अपोलो-14
6• एडगर मिशेल, फरवरी 1971 ई• अपोलो-14
7• डेविड स्काॅट, अगस्त 1971 ई• अपोलो-15
8• जेम्स इरविन, अगस्त 1971 ई• अपोलो-15
9• जान यंग, अप्रैल 1972 ई• अपोलो-16
10• चार्ल्स ड्यूक, अप्रैल 1972 ई• अपोलो-16
11• यूजीन सेरनन, दिसम्बर 1972 ई• अपोलो-17
12• हैरिसन श्मिट, दिसम्बर 1972 ई• अपोलो-17

1972 के बाद भी चांद पर मानव रहित कई अंतरिक्ष यान पहुंचे। जिसने चांद के बारे में कई रहस्य उजागर किए हैं। विश्व के 8 देशों के 130 से अधिक चंद्र ज्ञान अभी तक हो चुका है। जिनमें से लगभग आधे अभियान असफल हुए। हालांकि भारत उन गिने चुने देशों में शामिल है। जिनका Moon Mission chandrayaan-1 पहले  प्रयास में ही सफल रहा है।

भारत का Moon Mission

भारत की गिनती अंतरिक्ष क्षेत्र में गिने चुने देशों में किया जाता है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन-इसरो (ISRO) ने अंतरिक्ष के क्षेत्र में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं। चाहे 104 उपग्रह एक साथ प्रक्षेपित करने की बात हो या फिर पहले ही प्रयास में Moon Mission की सफलता की सफलता की बात हो। इसरो ने नित नए रिकॉर्ड स्थापित किया।

चन्द्रयान-1

भारत ने अपना पहला मून मिशन 2008 में शुरू किया गया। जब चंद्रयान-1 को 22 अक्टूबर 2008 को चंद्रमा के लिए भेजा गया था। चांद के ऑर्बिट में सफलतापूर्वक पहुंचकर चंद्रयान-1 ने काफी महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाई। जिनमें चंद्रमा पर पानी के संकेत की जानकारी सबसे महत्वपूर्ण थी। यह अंतरिक्ष अभियान 30 अगस्त 2009 तक सक्रिय रहा।

चन्द्रयान-2

Chandrayaan-2 को 22 जुलाई 2019 को प्रक्षेपित किया गया। यह यान 6 सितंबर 2019 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हुआ। चंद्रयान-1 की अपेक्षा chandrayaan-2 की क्रियाविधि थोड़ी अलग थी। जहां चंद्रयान-1 को चंद्रमा की कक्षा में स्थापित करके चंद्रमा के बारे में जानकारियां जुटाना था! वहीं chandrayaan-2 का उद्देश्य चंद्रमा की कक्षा में स्थापित कर चंद्रमा पर विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग करवानी थी। इससे चांद की धरती पर भारत का भी लैंडर उतर सके। तत्पश्चात प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से निकलकर चांद की सतह की जांच करता।

Chandrayaan-2 का भारतीय वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के ऑर्बिट में तो सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। परंतु चंद्रमा पर लैंडिंग के समय चंद्रमा के सतह से  लगभग 2.1 km. दूरी पर विक्रम लैंडर का संपर्क chandrayaan-2 से टूट गया और फिर कभी संपर्क स्थापित नहीं हो पाया। यदि विक्रम लैंडर का सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक हो जाता तो भारत रूस, अमेरिका और चीन के बाद चौथा देश बन जाता जिसने चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करवायी।

भले ही चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग सफलतापूर्वक पूरा न किया जा सका हो। परंतु chandrayaan-2 अभी भी चंद्रमा के ऑर्बिट में चक्कर लगा रहा है। और चांद से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारियां जुटाने में लगा है।

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प्रस्तुतकर्ता
www.gyantarang.com

संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी
शिक्षक

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