Class:-10 th. Geography
भारत में संसाधन नियोजन
Resource Planning in India
क्षेत्रफल के दृष्टिकोण से भारत एक विशाल देश है. भारत में संसाधनों का वितरण असमान है. पठारी भूमि में जहाँ खनिज संसाधन पाए जाते हैं. तो वहीं जल संसाधनों का अभाव पाया जाता है. इस प्रकार मैदानी क्षेत्रों में जहाँ भूमि संसाधन तथा जल संसाधन विद्यमान है तो वहां खनिज संसाधनों का अभाव है. इस कारण संसाधन नियोजन आवश्यक है.
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संसाधन नियोजन एक जटिल प्रक्रिया है। संसाधनों के उपयोग या उपभोग के लिए संसाधनों का उचित प्रबंधन तथा उचित तकनीकी ज्ञान को ही संसाधन नियोजन कहते हैं। संसाधन नियोजन तीन प्रक्रियाओं के तहत होती है। ये प्रक्रिया निम्नलिखित है।
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• प्रथम प्रक्रिया
1st. Process
संसाधन नियोजन के तहत पहली प्रक्रिया के अन्तर्गत देश के सभी प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उनकी तालिका बनाना. इसके लिए संसाधनों का क्षेत्रीय सर्वेक्षण एवं मानचित्रण करना और संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान लगाना और उसका मापन करना है।
• द्वितीय प्रक्रिया
2nd. Process
भारत में संसाधन नियोजन के लिए दुसरी प्रक्रिया के तहत संसाधन विकास योजनाएं लागू करने के लिए उपयुक्त प्रौद्योगिकी कौशल और संस्थागत नियोजन ढांचा तैयार करना है। अर्थात् कल-कारखाने बनाना इत्यादि।
• तीसरी प्रक्रिया
3rd. Process
संसाधन नियोजन के तीसरी प्रक्रिया के अंतर्गत संसाधन विकास योजनाओं और राष्ट्रीय विकास योजनाओं के साथ समन्वय स्थापित करना है।
इस प्रकार तीन प्रक्रियाओं के तहत संसाधन नियोजन का कार्य किया जाता है. भारत में संसाधन नियोजन की प्रक्रिया आजादी के बाद 1952 से पंचवर्षीय योजना के लागू होने के साथ शुरू हुई थी.
संसाधन नियोजन की आवश्यकता
Need of Resource Planning
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• अधिकतर संसाधनों की मात्रा सीमित है। इन्हें बनने में लाखों हजारों साल लग जाते हैं। जैसे:- खनिज, पेट्रोलियम इत्यादि।
• पूरे देश में संसाधन असमान रूप से वितरित है। जैसे:- उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में भूमि और जल संसाधन प्रचुर मात्रा में है तो वहीं भूमि संसाधनों का अभाव है।
• संसाधनों का नियोजन देश की आत्मनिर्भरता के लिए आवश्यक है।
• देश का संपूर्ण विकास संसाधनों के सही उपयोग पर निर्भर करता है।
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