Test tube baby in hindi; विश्व की प्रथम टेस्ट ट्यूब बेबी
“आज ही के दिन 42 वर्ष पहले दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी का हुआ था जन्म”
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आज का दिन मेडिकल इतिहास में क्रांतिकारी दिन के रूप में जाना जाता है। क्योंकि आज ही के दिन 25 जुलाई 1978 को इंग्लैंड के ऑल्डहैम शहर में दुनिया का पहला टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म हुआ था। यह तकनीक दुनिया भर में नि:संतान दंपतियों के लिए एक वरदान साबित हुआ। टेस्ट ट्यूब बेबी के जनक “रॉबर्ट एडवर्ड” को 2010 में चिकित्सा विज्ञान का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत ने भी विश्व के पहले बच्चे के जन्म के लगभग 70 दिनों बाद ही यह उपलब्धि हासिल की थी।
दुनिया के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी ( परखनली शिशु) के जन्म की कहानी
• IVF ( परखनली शिशु) तकनीक से जन्म लेने वाली दुनिया की पहली शिशु का नाम “लुइस जाय ब्राउन” थी।
• आज वे 42 वां जन्मदिन मना रही है।
• इस तकनीक का प्रयोग करने वाले ब्रिटेन के वैज्ञानिक “रॉबर्ट एडवर्ड” और “पैट्रिक स्टेपटो” विश्व के पहले वैज्ञानिक थे।
• इनके इन्हीं महान कार्यों के लिए 2010 में एकमात्र जीवित “रॉबर्ट एडवर्ड” को मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
• यह एक बच्ची थी जिसके जन्म के समय वजन लगभग 2.6 किलोग्राम था।
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IVF (In Vitro Fertillization) तकनीक
IVF (टेस्ट ट्यूब बेबी) :- यह निषेचन की एक कृतिम प्रक्रिया है, जिसमें किसी महिला के अंडाशय से अंडे निकालकर उसका संपर्क द्रव माध्यम में शुक्राणुओं से शरीर के बाहर किसी अन्य पात्र में कराया जाता है। उसे
IVF तकनीक कहा जाता है। परखनली में निषेचन के कारण इसे परखनली शिशु ( टेस्ट ट्यूब बेबी) के नाम से भी जाना जाता है।
भारत में टेस्ट ट्यूब बेबी का जन्म

• भारत ने भी दुनिया के पहले परखनली शिशु के जन्म के 70 दिन बाद यह सफलता पाई।
• जब 3 अक्टूबर 1978 को “दुर्गा” नामक बच्ची का जन्म हुआ।
• यह दुनिया की दूसरी टेस्ट ट्यूब बेबी थी।
• इसका जन्म दुर्गा पूजा के दिन हुआ था इस कारण लोगों ने इसे दुर्गा नाम दिया।
• इनका वास्तविक नाम “कनुप्रिया अग्रवाल” है।
• भारत के “डॉ• सुभाष मुखोपाध्याय” ने यह करिश्मा कर दिखाया था।

• हालांकि शुरुआत में उनको इसका श्रेय नहीं मिली।
• उनके दावे को बंगाल सरकार और मेडिकल अधिकारियों ने नहीं माना।
• उनके इस कार्य को झुठा दावा कहा गया।
• यहाँ तक कि डॉ• मुखोपाध्याय का तबादला कर उन्हें दंडित भी किया गया।
• इन सब का उन पर विपरीत प्रभाव पड़ा और वे डिप्रेशन में रहने लगे।
• अंततः 19 जून 1981ई• को उन्होंने अपने जीवन से हार मानकर आत्महत्या कर ली।

भारत के दूसरे टेस्ट ट्यूब बेबी हर्षा का जन्म
• डॉ• मुखोपाध्याय के मौत के 5 साल बाद 1986 में मुंबई में IVF (टेस्ट ट्यूब बेबी) तकनीक से हर्षा नामक बच्ची का जन्म हुआ।
• इसका सारा श्रेय “डॉ• टी एन आनंद कुमार” और उसकी टीम को जाता है।
• शुरुआत में यह माना गया कि “हर्षा” भारत की “पहली टेस्ट ट्यूब बेबी” है।
• पर यह सही नहीं था।
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जद्दोजहद के बाद मिली डॉ• मुखोपाध्याय को भारत के पहली परखनली शिशु के जन्म का श्रेय
• 1997 ई• में डॉ• टी एन कुमार विज्ञान कांग्रेस में भाग लेने कोलकाता गये।
• जहां उन्हें डॉ• मुखोपाध्याय का रिसर्च पेपर और डायरी देखने को मिला।
• इस रिसर्च और डायरी में डॉ• आनंद ने पाया कि मुखोपाध्याय का दावा सही था! और वही भारत के पहले परखनली शिशु जनक हैं।
• डॉ आनंद कुमार ने इसे डॉ• मुखोपाध्याय के रिसर्च को मान्यता दिलाने में पहल की।
• डॉ आनंद के प्रयास के कारण ही 2003 में आईसीएमआर ने डॉ सुभाष मुखोपाध्याय के कार्य को मान्यता दी।
• अंततः 2007 में विश्व स्तर पर मान्यता मिली जब उनकी उपलब्धियों को “डिक्शनरी ऑफ मेडिकल बायोग्राफी” में शामिल किया गया।
• इसमें दुनिया भर के 1100 प्रमुख चिकित्सकों के योगदान को शामिल किया गया था।
• इतिहास ने नई लाइन लिख दी थी।
• अब डॉ सुभाष मुखोपाध्याय भारत के पहले टेस्ट ट्यूब बेबी के जनक थे।
• पर गौरव के क्षण को महसूस करने के लिए वे अब इस दुनिया में नहीं थे।
डॉ• मुखोपाध्याय का संबंध झारखंड से
• डॉ सुभाष मुखोपाध्याय का जन्म झारखंड के हजारीबाग में 16 जनवरी 1931 को हुआ था।
• उनकी प्रारंभिक शिक्षा भी यही संपन्न हुई।
• उच्च शिक्षा के लिए वे कोलकाता चले गए।
• इसके बाद उन्होंने वहां से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की।
• इसके बाद वे कोलकाता में ही बस गए।
• भारत के ऐसे लाल को हमारी ओर से शत्-शत् नमन!
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धन्यवाद















