राष्ट्रीय आंदोलन में महिलाओं का योगदान
Women’s Contribution to the National Movement
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भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में पुरुषों के साथ-साथ महिलाओं ने भी कंधे से कंधा मिलाकर अपना योगदान दिया है। यहां केवल भारतीय महिलाऐं ही नहीं, बल्कि विदेशी महिलाओं ने भी भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। उनमें से एनी बेसेंट और सिस्टर निवेदिता के नाम उल्लेखनीय हैं। साथ ही साथ मीरा बेन, नेली सेनगुप्ता और मार्गरेट कर्जिस जैसी विदेशी महिलाओं ने भी भारतीय स्वाधीनता और मुक्ति के विचारों को आगे बढ़ाने में उल्लेखनीय कार्य किया है। आइए Women’s Contribution to the National Movement के अंतर्गत भारतीय और विदेशी महिलाओं के बारे में जानते हैं।
? रानी लक्ष्मीबाई:-
जन्म:- 19 नवंबर 1828, ई• वाराणसी
मृत्यु:- 18 जून 1858, ई• ग्वालियर
झांसी की रानी लक्ष्मीबाई स्वाधीनता संग्राम में महिलाओं ही नहीं बल्कि पुरुषों के लिए भी एक प्रेरणा स्रोत रही है। रानी लक्ष्मी बाई के पति के मरने के बाद अंग्रेजों ने झांसी को अपने राज्य में मिला लिया। जिसके बाद रानी ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। 23 वर्षीय झांसी की रानी लक्ष्मीबाई ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। कहा भी जाता है:- “खूब लड़ी मर्दानी वो तो झांसी वाली रानी थी”।
? झलकारी बाई
जन्म:- 22 नवंबर 1830 ई• झांसी
मृत्यु:- 4 अप्रैल 1857 ई• झांसी
1857 की क्रांति में जहां हजारों क्रांतिवीरों ने अपने प्राणों की आहुति दी। वहीं अनेक वीर वीरांगनाओं ने भी स्वाधीनता संग्राम में अपने प्राणों की बलि चढ़ा दी। उन्हीं वीरांगनाओं में से एक थी झलकारी बाई। रानी लक्ष्मीबाई के सेना में वे महिला शाखा में दुर्गा दल की सेनापति थी। झलकारी बाई रानी लक्ष्मीबाई की वेष में अंग्रेजों के विरुद्ध जमकर लड़ाई लड़ी अंत में वे पकड़ी गई।और रानी को किले से भागने में मदद मिली। झलकारी बाई की गाथा आज बुंदेलखंड के लोक कथाओं और लोकगीतों के रूप में सुनी जा सकती हैं।
? बेगम हजरत महल
जन्म:- 1820 ई• फैजाबाद (अवध)
मृत्यु:- 7 अप्रैल 1879 ई• काठमांडू (नेपाल)
हजरत महल अवध के नवाब वाजिद अली शाह की दुसरी बेगम थी। 1856 में अंग्रेजों द्वारा उनके पति को गद्दी से उतार दिया गया। और वाजिद अली शाह को कोलकाता में निर्वासन में भेजा गया। इसके बाद बेगम ने अंग्रेजों के खिलाफ विद्रोह कर दिया। जब देश में 1857 की क्रांति हुई तो लखनऊ में बेगम हजरत महल ने क्रांति का नेतृत्व किया। अंत में बेगम हजरत महल ने नेपाल में शरण ली। जहाँ उनकी मृत्यु 1879 ई• में हुई और उन्हें काठमांडू के एक अज्ञात कब्रगाह में दफना दिया गया।
? सरोजिनी नायडू
जन्म:- 13 फरवरी 1871 ई• हैदराबाद
मृत्यु:- 2 मार्च 1949 ई• इलाहाबाद
मूल रूप से बंगाली पृष्ठभूमि की महिला सरोजिनी नायडू एक अच्छी कवियत्री भी थी। जिस कारण इन्हें स्वर कोकिला भी कहा गया। गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर वे भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में कूद पड़ी और कई आंदोलनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सरोजनी नायडू अपनी लोकप्रियता और प्रतिभा के बल पर 1925 में कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गई। 1932 में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए वे दक्षिण अफ्रीका गयी। तथा उन्हें आजादी के बाद देश की पहली महिला राज्यपाल (उत्तर प्रदेश) बनने का गौरव हासिल हुआ।
? मैडम भीकाजी रूस्तम कामा ( मैडम कामा)
जन्म:- 24 सितंबर 1861 ई•
मृत्यु:- 13 अगस्त 1936 ई•
मैडम कामा के नाम से मशहूर भीकाजी रुस्तम कामा मूलतः पारसी नागरिक थी। उन्होंने लंदन, जर्मनी तथा अमेरिका की यात्रा कर भारत की स्वाधीनता की बात लोगों तक पहुंचाई। वे जर्मनी के शहर स्टटगार्ट में 1907 में कांग्रेस के अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन में भारत का प्रथम तिरंगा ध्वज फहराया था। हालांकि उस समय तिरंगे का डिजाइन आज से अलग था। उन्होंने फ्रांस की राजधानी पेरिस में वंदेमातरम नामक पत्र भी प्रकाशित करवाया। यह पत्र प्रवासी भारतीयों में काफी लोकप्रिय भी हुआ। मैडम कामा लंदन में दादाभाई नौरोजी की प्राइवेट सेक्रेटरी भी रही। इन्हें क्रांति की मां के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने नारा दिया था:- “आगे बढ़ो, हम भारत के लिए हैं, और भारत वासियों के लिए हैं”।
? अरूणा आसफ अली अली
जन्म:- 16 जुलाई 1909 ई•
मृत्यु:- 29 जुलाई 1996 ई•
अरुणा आसफ अली का मूल नाम अरुणा गांगुली था। उनका विवाह 19 वर्ष की आयु में आसफ अली से हुआ। उस समय आसफ अली अमेरिका में भारत के प्रथम राजदूत थे। अरूणा आसफ अली 1932 में सविनय अवज्ञा आंदोलन तथा 1942 में व्यक्तिगत सत्याग्रह के दौरान जेल गयी। 1942 में अगस्त क्रांति के दौरान अब्दुल कलाम आजाद की गिरफ्तारी के बाद उन्होंने तिरंगे झंडे को को अपने कंधों पर लिया और ध्वज फहराया। 1964 में उन्हें राष्ट्रों के बीच शांति के प्रयासों के लिए लेनिन शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
? ऐनी बेसेन्ट
जन्म:- 1 अक्टूबर 1847 ई•
मृत्यु:- 20 सितंबर 1933 ई•
एनी बेसेंट एक आयरिश महिला थी। कर्नल ओल्काट के मृत्यु के बाद 1893 ई• में थियोसोफिकल सोसायटी की अध्यक्ष बनकर भारत भारत आए। उन्होंने सेंट्रल हिंदू कॉलेज की स्थापना की जो बाद में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय बना। एनी बेसेंट ने गीता का अंग्रेजी में अनुवाद “लोटस सोंग्स” के नाम से किया था। भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान के कारण उन्हें 1917 में कांग्रेस की पहली महिला अध्यक्ष के रूप में चुनी गई। इन्होंने बाल गंगाधर तिलक के साथ मिलकर भारत में होमरूल लीग आंदोलन चलाया। महात्मा गांधी के 1920 के असहयोग आंदोलन के वे खिलाफ थी, उनका मानना था कि माण्टेग्यु-चेम्सफोर्ड सुधारों से भारत को स्वतंत्रता मिलेगी।
? दुर्गाबाई देशमुख
जन्म:- 15 जुलाई 1909 ई• में, राजामुन्द्री, आंध्रप्रदेश
मृत्यु:- 9 मई 1981ई•
दुर्गाबाई देशमुख एक निडर प्रखर स्वतंत्र सेनानी थी। उन्हें लोह महिला के रूप में भी जाना जाता है। दक्षिण भारत में ए•के• प्रकाशम और नागेश्वर राव के साथ मिलकर मद्रास में स्वाधीनता आंदोलन का संचालन किया। उन्होने आंध्र महिला नामक पत्रिका का संपादन भी किया। आंध्र महिला सभा, विश्व विद्यालय महिला संघ, नारी निकेतन जैसी कई संस्थाओं के द्वारा उन्होंने महिलाओं के उत्थान के लिए कई प्रयास किए। दुर्गाबाई देशमुख ने समाज में शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए आंध्र शिक्षा समिति की स्थापना की। उनके इन्ही योगदान के लिए “पाल हाफमैन पुरस्कार” से भी सम्मानित किया गया।
? नलिनी सेनगुप्ता
जन्म:- 1886 ई•
मृत्यु:- 1973 ई•
नलिनी सेनगुप्ता एक अंग्रेज महिला थी। जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इनका जन्म 1886 में कैंब्रिज इंग्लैंड में हुआ था। 1909 में भारत के क्रांतिकारी नेता यतींद्र मोहन सेनगुप्ता से विवाह किया। 1921 में स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया। 1933 में नलिनी सेनगुप्ता को कोलकाता अधिवेशन में अध्यक्षता करने का मौका दिया गया। उस समय की यह तीसरी महिला थी जिन्हें कांग्रेस के अधिवेशन में अध्यक्षता का मौका मिला था।
? मदेलिने सलादे (मीरा बेन)
जन्म:- 22 नवंबर 1892 ई•
मृत्यु:- 20 जुलाई 1982 ई•
मीरा बहन जिनका मूल जिनका मदेलिने सलादे (Madeleine Slade) था। वे एक ब्रिटिश सैन्य अधिकारी की बेटी थी। गांधी जी के व्यक्तित्व से प्रभावित होकर वे हिंदुस्तान आ गई और सदा के लिए यहीं के होकर रह गई। वह गांधी जी के साथ कई स्वाधीनता संग्राम में साथ-साथ रही।
? डॉ विजया लक्ष्मी पंडित
जन्म:- 18 अगस्त 1900 ई•
मृत्यु:- 1 दिसंबर 1990 ई•
डॉ विजया लक्ष्मी पंडित भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की बहन थी। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अपना अमूल्य योगदान दिया। गांधी जी से प्रेरित होकर वे स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़ी और जेल भी गयी। स्वतंत्रता पश्चात कैबिनेट मंत्री बनने वाली भारत की वे पहली महिला थी। 1953 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष बनने वाली विश्व की पहली महिला बनी। डॉक्टर विजय लक्ष्मी पंडित भारत के राज्यपाल तथा राजदूत जैसे कई महत्वपूर्ण पदों पर आसीन हुई।
? पंडित रमाबाई
जन्म:- 23 अप्रैल 1858 ई•
मृत्यु:- 5 अप्रैल 1922 ई•
रमाबाई को भारतीय समाज में एक शिक्षक, नारीवादी, विद्वान तथा समाज सुधारक के रूप में जाना जाता है। विधवा होने के कारण उनके मन में महिलाओं तथा विधवाओं के प्रति विशेष सम्मान था। उन्होंने पुणे में विधवाओं के लिए एक विधवा आश्रम (Widow House) की स्थापना की। हिंदू धर्म में कुरीतियों, अंधविश्वास, रूढ़ीवादी प्रवृत्तियों से तंग आकर उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया था।
? कस्तूरबा गांधी
जन्म:- 11 अप्रैल 1869 ई•
मृत्यु:- 22 फरवरी 1944 ई•
कस्तूरबा गांधी जिन्हें गांधी जी प्यार से “बा” के उपनाम से पुकारते थे। कस्तूरबा का विवाह गांधी जी के साथ मात्र 13 वर्ष की आयु में हो गया था। कस्तूरबा गांधीजी से छह माह बड़ी थी। कस्तूरबा ने गांधी जी के सत्याग्रह और आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। गांधी जी के जेल जाने पर वे कई बार उस आंदोलनों को आगे बढ़ाई। कस्तूरबा पहली महिला थी, जिन्हें ब्रिटिश सरकार ने ट्रांसवाल जेल में कैद कर रखा था। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने विशेष योगदान दिया। वह बापू के धार्मिक एवं देश सेवा के महा कार्यों में हमेशा उनके साथ रही।
? कादंबिनी गांगुली
जन्म:- 18 जूलाई 1861 ई•
मृत्यु:- 3 अक्टूबर 1923 ई•
कादम्बिनी गांगुली भारत की पहली महिला स्नातक तथा पहली महिला फिजिशियन थी। भारत में कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में सबसे पहली महिला भाषण देने के रूप में भी कादम्बिनी गांगुली को ही जाना जाता है। बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय की रचनाओं का उन पर बहुत अधिक प्रभाव था।
? ज्योतिर्मयी गांगुली
जन्म:- 1889 ई•
मृत्यु:- 1945 ई•
वीर शहीद ज्योतिर्मय गांगुली भारतीय स्वाधीनता सेनानियों में से एक हैं। गांधीजी के सविनय अवज्ञा आंदोलन के आह्वान पर उन्होंने सरकारी नौकरी छोड़ दी और आंदोलन में कूद पड़ी। कादंबिनी गांगुली कोलकाता में 1945 में एक शोक सभा का नेतृत्व करते हुए ब्रिटिश फौज द्वारा किए गए दमन में शहीद हो गई।
? कल्पना दत्त
जन्म:- 27 जुलाई 1913 ई•
मृत्यु:- 8 फरवरी 1995 ई•
कल्पना दत्त लड़के के भेष में अंग्रेजों से लड़ने वाली भारतीय क्रांतिकारी महिला थी। सूर्य सेन की विचारों से प्रभावित होकर वे स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़ी। वे चटगांव शस्त्रागार लूट कांड में शामिल थी। उन्हें एक विद्रोह की योजना बनाने के पहले ही गिरफ्तार कर लिया गया । तत्पश्चात आजीवन काले पानी की सजा देकर अंडमान निकोबार द्वीप भेज दिया गया। 1936 में रिहा होने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी में वे शामिल हो गई।
? वेगम साफिया अब्दुल वाजित
जन्म:- 1905 ई• में एटा, उत्तर प्रदेश
बेगम साफिया अब्दुल वाजित इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर डिग्री हासिल की। इसके बाद वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुई। वेगम साफिया 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में कूद पड़ी। 1952 से 1957 बीच उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुनी भी गई।
? राजकुमारी अमृत कौर
जन्म:- 2 फरवरी 1889 ई• में लखनऊ उत्तर प्रदेश
मृत्यु:- 2 अक्टूबर 1964
राजकुमारी अमृत कौर गांधी जी के विचारों से प्रभावित होकर, 1919 में कांग्रेस की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेना शुरू कर दिया। वे कई स्वाधीनता आंदोलनों में शामिल हुई। स्वतंत्र भारत में वे स्वास्थ्य मंत्री के पद पर आसीन हुई। भारतीय रेड क्रॉस सोसाइटी के विकास में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
? नानी बाला देवी
जन्म:- 1888 ई• हावड़ा, प• बंगाल
मृत्यु:- 1967 ई•
नाना बाला देवी भारतीय क्रांतिकारी महिला थी। ये जुगांतर पार्टी में शामिल होकर स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़ी। यह पहली भारतीय महिला थी जिन्हें पुलिस द्वारा 1818 की धारा 3 के अंतर्गत प्रताड़ित किया गया था।
? प्रीति लता वाडेकर
जन्म:- 5 मई 1911 ई• में चटगांव, तत्कालीन बांग्लादेश
मृत्यु:- 23 सितंबर 1932 को
प्रीति लता वाडेकर भारतीय स्वाधीनता संग्राम की एक महान क्रांतिकारी, मेधावी छात्रा और निडर लेखिका थी। यह बहुत ही कम आयु में महान क्रांतिकारी सूर्यसेन की शिष्या बन गई। 24 सितंबर 1932 को चटगांव में पहाड़ी मली यूरोपियन क्लब पर आक्रमण उनके प्रमुख क्रांतिकारी गतिविधियों में से एक था। इस आक्रमण में सिपाहियों से घिरे जाने के बाद वे पोटेशियम साइनाइड खाकर शहीद हो गई।
? लक्ष्मी सहगल
जन्म:- 24 अक्टूबर 1914
मृत्यु:- 23 जुलाई 2012
लक्ष्मी सहगल भारत की महान स्वतंत्रता सेनानियों में से एक थी। आजाद हिंद फौज और आजाद हिंद सरकार में लक्ष्मी सहगल को महिला मामलों की मंत्री की जिम्मेदारी दी गयी थी। आजाद हिंद फौज में वे रानी लक्ष्मी रेजीमेंट की कमांडर भी थी। हाल ही में वे राष्ट्रपति अब्दुल कलाम के विरुद्ध राष्ट्रपति के चुनाव में खड़ी हुई थी। पर उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।
? उषा मेहता
जन्म:- 25 मार्च 1920, गुजरात
मृत्यु:- 11 अगस्त 2000
उषा मेहता भारत की एक प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी थी। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने भूमिगत होकर कांग्रेस रेडियो का संचालन किया था।
? रेहाना तेय्यबजी
जन्म:- 26 जनवरी 1900, बडौदा गुजरात
रेहाना तैय्यबजी का जन्म बड़ौदा के संपन्न परिवार में हुआ था। वे गांधी जी के विचारों से प्रेरित होकर वे गांधी जी द्वारा चलाए गए आंदोलनों में कूद पड़ी। रेहाना तैय्यबजी साबरमती आश्रम का जीवन शैली को आत्मसात कर लिया था। कांग्रेस के राष्ट्रीय अधिवेशन में वंदे मातरम गाने वाली वे पहली भारतीय महिला थी। रेहाना तैय्यबजी को कांग्रेस के युवा लीग का अध्यक्ष बनाया गया था। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में उन्होंने भाग लिया तथा उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था।
? सुमित मोराजी
जन्म:- 13 मार्च 1909 ई• मुंबई
मृत्यु:- 27 जून 1998 ई• मुंबई
सुमित मोराजी भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया और आंदोलनकारियों को सहयोग किया। इन्हें 1971 में भारत का द्वितीय सर्वोच्च पुरस्कार पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
? बीना दास
जन्म:- 24 अगस्त 1911 ई•
मृत्यु:- 26 दिसंबर 1986 ई•
बिना दास भारत के महत्वपूर्ण महिला क्रांतिकारियों में से एक थी। इन्होंने 1932 के एक दीक्षांत समारोह में अंग्रेज गवर्नर स्टनली जंक्शन को गोली मारकर हत्या करने का प्रयास किया था। इसके लिए बिना दास को 10 वर्ष की कारावास की सजा मिली। बिना दास रिहा होने के बाद 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्हें फिर से जेल की यात्रा करनी पड़ी।
? इंदिरा गांधी
जन्म:- 19 नवंबर 1917 ई• इलाहाबाद
मृत्यु:- 31 अक्टूबर 1984 ई• नई दिल्ली
इंदिरा गांधी भारत की प्रथम और अब तक की एकमात्र महिला रही है। स्वाधीनता संग्राम में इंदिरा गांधी ने युवा लड़के-लड़कियों की फौज बनाई थी। जिसे वानर सेना का नाम दिया गया था। ये वानर सेना आजादी के लिए लड़ रहे स्वतंत्रता सेनानियों तक प्रतिबंधित सामग्रियों को पहुंचाने में मदद की थी। यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में छोटी ही सही लेकिन महत्वपूर्ण कार्य था। इंदिरा गांधी भारत की लंबे समय तक प्रधानमंत्री भी रही। साथ ही वे विदेश मंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, वित्त मंत्री जैसे पदों को भी सुशोभित किया।
? सुचेता कृपलानी
जन्म:- 25 जून 1908 ई•
मृत्यु:- 1 दिसंबर 1947 ई•
सुचेता कृपलानी भारत की प्रथम महिला मुख्यमंत्री थी। इन्हें स्वाधीनता आंदोलन में महत्वपूर्ण योगदान के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा। ये आजादी के आंदोलन के दौरान कई बार जेल गई। सुचिता कृपलानी महात्मा गांधी के करीबी महिलाओं में से एक थी। हिंदू मुस्लिम के बीच भड़के दंगों के दौरान वे नोआखली में भी महात्मा गांधी के साथ गई थी। वे संविधान सभा के सदस्य रही। साथ ही 1958 से 1960 के बीच वे कांग्रेस की महासचिव भी रही।
? कनकलता बरूआ
जन्म:- 22 दिसंबर 1924 ई•
मृत्यु:- 20 सितंबर 1942 ई•
असम प्रांत की साहसी, वीरांगना कनकलता बरूआ 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लिया था। उन्हें अंग्रेजों ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान ही गोली मार दी थी।
? अनसूया बाई काले
जन्म:- 1896 ई•
मृत्यु:- 1958 ई•
अनुसुइया बाई काले भारत की क्रांतिकारी और राष्ट्रवादी महिला थी। उन्होनें 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 7 गोंड जिन्हें फांसी की सजा हुई थी, उन्हें बचाया।
? रानी गौडिनल्यू
रानी गौडिनल्यू नागालैंड की एक वीर बाला रानी के रूप में जाना जाता है। 13 वर्ष की अल्पायु में ही उन्होंने गांधीजी के आह्वान पर ब्रिटिश शासन के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। इन्हें नागालैंड की “जॉन ऑफ आर्क” भी कहा जाता है।
? रानी चेन्नम्मा
जन्म:- 23 अक्टूबर 1778 ई•
मृत्यु:- 21 फरवरी 1829 ई•
रानी चेन्नम्मा दक्षिण भारत कर्नाटक के कित्तूर राज्य की रानी थी। अपने पति के मृत्यु के पश्चात सौतेले पुत्र का राज्याभिषेक करवाया। अंग्रेजों की हड़प नीति ने इसे स्वीकार नहीं किया। अंतत: रानी ने 1824 में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। उन्होंने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए। हालांकि उन्हें हार का सामना करना पड़ा और उन्हें बंदी बना लिया गया।
? चारुशीला देवी
जन्म:- 1883 ई•
1905 ई• में बंग-भंग आंदोलन के कारण स्वदेशी आंदोलन उग्र रूप में था। चारूशीला देवी ने खुदीराम बोस को खून का तिलक लगाकर उसे स्वदेशी का मंत्र पढ़ाया। 1921 में उन्होंने महिला समितियों का गठन कर स्वतंत्रता आंदोलन के लिए प्रशिक्षण देकर प्रेरणा भरी थी। 1930 के नमक सत्याग्रह में भी चारूशीला देवी ने बढ़-चढ़कर भाग लिया। ये कई बार जेल भी गई तथा उन्हें कठिन यातनाएं भी झेलनी पड़ी।
? अवंतिका बाई लोधी
जन्म:- 16 अगस्त 1831 ई• मध्य प्रदेश
मृत्यु:- 20 मार्च 1858 ई•
अवंतिका बाई लोधी 1857 के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली प्रथम महिला शहीद वीरांगना थी। उन्होंने ब्रिटिश सेना को दो बार पराजित किया। तीसरी बार उन्हें हार का सामना करना पड़ा। रानी जंगलों में छिपकर गुरिल्ला लड़ाई लड़ती रही। जब रानी को लगा कि अंग्रेजी सेना से घिर वे चुकी है। तब उन्होंने अपने साथी से तलवार लेकर अपना ही सीना छलनी कर दिया। और वीर भूमि के लिए शहीद हो गई।
? प्रकाशवती पाल
जन्म:- 31 जनवरी 1914
प्रकाशवती पाल भारत की उन क्रांतिकारी महिलाओं में से एक थी। जिन्होंने हमेशा भारत के स्वतंत्रता के लिए अपना हर क्षण समर्पित कर दिया था। उन्होंने बम बनाने वाली फैक्ट्री में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। प्रकाशवती पाल ने आजादी की लड़ाई में अपना सर्वस्व निछावर कर दिया।
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