महात्मा राजहंस का जीवन परिचय
Life style of Mahatma Hansraj
महात्मा हंसराज का योगदान भारतीय समाज में अमूल्य है। इन्होंने शिक्षा और दर्शन के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए हैं। डीएवी शिक्षण संस्थान ने देशभर में एक अलग पहचान बनाई है इसका पूरा श्रेय महात्मा हंसराज को जाता है। शिक्षा और समाज में किए गए उनके कार्य आने वाली पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत है। इस पोस्ट में महात्मा हंसराज का जीवन परिचय Life style of Mahatma Hansraj देखने जा रहे हैं।
☆ महात्मा हंसराज का बचपन
• महात्मा हंसराज का जन्म 19 अप्रैल 1864 ई• को पंजाब प्रांत के होशियारपुर के बजवाड़ा गांव में एक साधारण परिवार हुआ था।
• माता का नाम श्रीमती गणेश देवी था।
• 12 वर्ष की आयु में उनके पिता चुन्नीलाल के निधन के पश्चात उनका लालन-पालन बड़े भाई मुल्कराज ने की थी।
• विलक्षण प्रतिभा के धनी लाला हंसराज की आरंभिक शिक्षा गांव बजवाड़ा के स्थानीय विद्यालय में हुई थी।
• तत्पश्चात राजकीय कॉलेज “लाहौर” से उन्होंने बैचलर ऑफ आर्ट्स की परीक्षा अच्छे अंकों से पास की थी।
☆ महात्मा हंसराज पर स्वामी दयानंद का प्रभाव
वर्षा 1885 ई• में जब वे अपने बड़े भाई मुल्क राज के यहां रहकर शिक्षा ग्रहण कर रहे थे। तब उन्हीं दिनों लाहौर में स्वामी दयानंद सरस्वती से जुड़ी सत्संग में भाग लेने का मौका मिला। उस सत्संग के दौरान लाला हंसराज के जीवन पर स्वामी दयानंद के विचारों का गहरा प्रभाव पड़ा। तत्पश्चात युवा लाला हंसराज ने अपना जीवन सदा के लिए समाज सेवा में समर्पित करने का फैसला किया।
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☆ महात्मा हंसराज द्वारा किए गए महत्वपूर्ण कार्य
• महात्मा हंसराज ने 1885 ई• में एंग्लो दयानंद वैदिक (DAV) कॉलेज ट्रस्ट एवं मैनेजमेंट सोसायटी की स्थापना की।
• उन्होंने एक जून 1886 ई• को लाहौर में पहला डीएवी महाविद्यालय की स्थापना किया।
• राजस्थान के बीकानेर में वर्ष 1895 ई• में आए भीषण अकाल में उन्होंने लोगों की मदद की तथा ईसाई मिशनरियों के द्वारा धर्म परिवर्तन को भी रोकने में सफलता पाई।
• वे जोधपुर में भी आये अकाल में लोगों की सहायता की तथा हजारों अनाथ बच्चों को आर्य समाज के आश्रम में लाकर पालन पोषण का जिम्मा लिया।
• तत्पश्चात उन्होंने 1905 ई• में गुजरात के कांगड़ा में 1935 ई• में तत्कालीन पाकिस्तान के क्वेटा तथा 1934 ई• में बिहार में पीड़ितों की सेवा और सहायता में अपना सर्वस्व निछावर कर दिया।
• इस प्रकार महात्मा हंसराज ने अपने जीवन काल में प्राकृतिक आपदाओं जैसे:- आकाल, प्लेग, मलेरिया, भूकंप, बाढ़ आदि के क्षेत्रों में पीड़ितों की सेवा करते रहे।
☆ महात्मा हंसराज के डीएवी के लिए किए गए कार्य
• महात्मा हंसराज पंजाब ही नहीं देश के प्रसिद्ध आर्य समाज के अग्रणी नेता, समाज सुधारक तथा शिक्षा शास्त्री के रूप में जाने जाते हैं।
• आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती के विचारों से महात्मा हंसराज काफी प्रभावित हुए थे।
• इस कारण 1883 ई• में स्वामी दयानंद सरस्वती के निधन के पश्चात उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर श्रद्धांजलि स्वरुप 1985 ई• में दयानंद एंग्लो वैदिक कॉलेज ट्रस्ट एंड मैनेजमेंट सोसायटी की स्थापना की।
• तत्पश्चात डीएवी सोसाइटी ने 1 जून 1886 ई• को लाहौर में डीएवी महाविद्यालय की स्थापना किया।
• 22 वर्ष के युवा लाला हंसराज ने पहले हेडमास्टर के रूप में कार्य प्रारंभ किया।
• लगभग 25 वर्षों, अर्थात् 2011 तक वे इस पद पर बिना वेतन के कार्य करते रहे।
• 1913 ई• में उन्हें डीएवी कॉलेज कमेटी का प्रधान चुना गया।
• उनके इन्हीं समर्पण के लिए लाला हंसराज को महात्मा हंसराज के नाम से जाना गया।
• उन्हीं के प्रयासों से आज देशभर में 750 से अधिक डीएवी विद्यालय तथा महाविद्यालयों द्वारा गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान की जा रही है।
• हमारे स्मृतियों में हमेशा रहने वाले महात्मा हंसराज 15 नवंबर 1938 ई• को चिरनिंद्रा में लीन हो गए।
☆ महात्मा राजहंस का जीवन परिचय
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☆ महात्मा राजहंस का जीवन परिचय
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शोध एवं आलेख
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महेंद्र प्रसाद दांगी
शिक्षक
प्रस्तुतकर्ता
www.gyantarang.com
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