झारखंड के रचनाकारों का राष्ट्रीय परिदृश्य में स्थान Jharkhand ke writer

जोहार, झारखंड जैसे अनुपम प्रदेश जहाँ हिंदी और जनजातीय एवं सदानी भाषाओं पर लेखन कार्य कई सालों से होता आ रहा है वहां झारखंड के रचनाकारों की कमी नहीं है। यहां एक से बढ़कर एक मूर्धन्य रचनाकारों ने अपनी लेखनी के बल पर झारखण्ड ही नहीं बल्कि सम्पूर्ण देश के राष्ट्रीय फलक पर अपना नाम उजागर किया है।

इसके लिए मैं क्रमानुसार झारखण्ड साहित्य के प्रमुख भाषाओं पर आप सबका ध्यान केंद्रित कराना चाहूँगी।लेखिका -डॉ. ममता बनर्जी “मंजरी”

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खोरठा रचनाकार
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खोरठा के प्रसिद्ध रचनाकार

एक -एक कर के नाम गिनाऊँ तो सूची लम्बी होती जाएगी मगर कई मशहूर रचनाकारों के बिना जिक्र किए बात पूरी नहीं हो सकती वे हैं- तितकी राय, हाडी राम, भवप्रीता नंद, विश्वनाथ राज दोसंधि, श्याम सुंदर महतो, रामसुंदर महथा, दिनेश दिनमणि, विनय तिवारी खोरठा गीतकार, गिरिधारी गोस्वामी (आकाखुंटी), डॉ महेंद्रनाथ गोस्वामी “सुधाकर”, डा बिनोद कुमार, महेंद्र प्रबुद्ध, वंशीलाल बंशी, सुकुमार, शांतिभारत, शिवनाथ प्रामाणिक, भोगनाथ ओहदार (बीएन ओहदार), डॉ आनंद किशोर दांगी, कमलेश सिंह, भोलाराम महतो, नरेश नीलकमल, मो. प्यारे हुसैन, सर्यूराम प्रजापति, अकलू महतो, दुरजोधन पिंगले, अर्जुन पानुरी, गीता वर्मा, प्रह्लाद चन्द्र दास, पुनीत साव, राम कुमार तिवारी, संदीप कुमार महतो, अनन्त ज्ञान, महेंद्र प्रसाद दांगी, मो.इस्माइल आदि।

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खोरठा भाषा के बेहतरीन रचनाकार


नागपुरी साहित्यकारों में रघुनाथ नृपति, हनुमान सिंह, बरजुराम, सोबरन, जयगोविंद, घांसी राम, हगपाल, वी.पी.केशरी, जगनिवास नारायण तिवारी, मृत्युंजय नाथ शर्मा, प्रफुल्ल कुमार राय, नईमुद्दीन मिरदाहा, धनीराम बक्शी, ईश्वरी प्रसाद सिंह, लाल रणविजय नाथ शाहदेव, महावीर नायक, मुकुंद नायक आदि प्रमुख हैं।

इसके रचनाकारों में विनंदिया (विनोद सिंह ), उपेंद्र सिंह, गौरांग सिंह, सोबरन और दीना से शुरू करके आज के रचनाकार ज्योतिलाल महादानी, रामकिष्टो, विपिन बिहारी, राजकिशोर सिंह, सृष्टिधर महतो, खगेन्द्र महतो, शक्तिधर अधिकारी, निरंजन सिंह, दुर्गा प्रसाद आदि प्रमुख हैं।

इसमें खुदीराम महतो, देवकी नन्दन प्रसाद, बुधु महतो, निरंजन महतो, राजेन्द्र प्रसाद महतो, रामेश्वर महतो, डॉ. नंद किशोर सिंह, सृष्टिधर सिंह केटियार आदि रचनाकार सुप्रसिद्ध हैं।

इसके रचनाकारों में सर्वप्रथम बिरसा भगवान का नाम लिया जाए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। इसके अलावे जगदीश त्रिगुणायत, सुखदेव बरदियार, स्वर्णलता प्रसाद, मनिंद्र भूषण भादुड़ी, डॉ. रामदयाल मुंडा, दुलाय चन्द्र मुंडा, डॉ. मनमसीह मुंडू, बलदेव मुंडा आदि से कौन परिचित नहीं है भला।

इसमें जिन रचनाकारों ने झारखंड में अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज करवाया उनमें प्रमुख हैं-
जुझार सोरेन, पंचानन मरांडी, शारदा प्रसाद किस्कू, चैतन्य हेम्ब्रम, रघुनाथ मुर्मू, श्री रूपनारायण श्याम, निर्मला पुतुल।
हालाँकि कई संथाली पुस्तकों की लिपि बांग्ला है।

हो साहित्य के रचनाकारों की बात करें तो सतीश कुमार कोडाह, सतीश रुमुल, शिवचरण वीरूआ, करूपाकर तिरिया, डॉ. दुर्गा पूर्ती, सोनिया कुमार लियु, प्रधान गगराई, रसानंद चातर, जे.सी.हैंसा, मोती लाल वीरूआ, योगेंद्र मुनि, बी.एल.तमसोय, मुनि चक्रधर आदि रचनाकारों की कई पुस्तकें प्रकाशित हुई ।


इसके रचनाकार प्यारे केरकेट्टा, सरोज केरकेट्टा, रोज केरकेट्टा, ग्लोरिया सोरोंग, पुष्पा टेटे, वन्दना टेटे, डॉ. आर.पी.साहू प्रमुख हैं।

इसके रचनाकारों में बिहारी लकड़ा का नाम उल्लेखनीय है जिन्हें सन 2005 में “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से नवाजा गया। इसके अलावे दवले कुजूर, तेजू भगत, श्री थोथे उराँव, श्री जमुना भगत, आयता लकड़ा, जुएल लकड़ा आदि प्रमुख है।
आज के दौर में महादेव टोप्पो जैसे कई कुड़ुख रचनाकार सक्रिय लेखन कार्य से जुड़े हैं।

यह बात तय है कि अब तक सैकड़ों रचनाकारों का नाम झारखण्ड की रचनाकारों की सूची में दर्ज करा चुके हैं।
प्रत्येक का नाम लेना संभव नहीं है! फिर भी कईयों के नाम का उल्लेख करना जरूरी है। जैसे-जयंनन्दन ककलता, रमा सिंह, नारायण सिंह, वासुदेव सिंह, रतन वर्मा, विपिन बिहारी, ललन तिवारी, दिलीप तेतरवे, वाल्टर भेंगरा, तरुण, पूर्णिमा केडिया, पी.एन. विद्यार्थी, राम कुमार तिवारी, शैल सहाय, अनिता रश्मि, ध्रुव तनवानी, प्रियदर्शन, अनिन्दिता, महुआ मांजी, द्वारिका प्रसाद सिन्हा, गुरुवचन सिंह, श्रवण कुमार गोस्वामी, ऋता शुक्ल, श्याम बिहारी श्यामल, अवधेश शर्मा, राधाकृष्ण, अमरनाथ चौधरी, डॉ बालेंदु शेखर तिवारी, श्रीमती मंजुश्री शर्मा, शैलप्रिया,माधुरी नाथ, स्नेहलता,माया प्रसाद, नीरा परमान, महेंद्र किशोर, सच्चिदानंद सिंह, जगदीश शैलेश, शिवशंकर मिश्र, कुमार विजेंद्र, मेहरुन्निसा अब्दाली, अशोक चंचल, नरेश कुमार बंका, विनय तिवारी, प्रभाशंकर विद्यार्थी, रविभूषण, युवा साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे गए साहित्यकार अनुज लुगुन जी जमीन से जुड़े रचनाकार हैं।

इसी तरह निर्मला पुतुल, डॉ. महुआ माजी, जसिंता केरकेट्टा की लेखनी से सभी परिचित हैं। साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजे गए प्रतिष्ठित कविज ज्ञानेन्द्रपति, प्रसिद्ध समालोचक और विचारक डॉ खगेन्द्र ठाकुर, रणेन्द्र जी और “साहित्य अकादमी पुरस्कार” से नवाजे गए भोखला सोरेन सुप्रसिद्ध हस्ती हैं।

अभी एक पक्ष पहले झारखंड के प्रसिद्ध साहित्यकार डॉ. श्रीरंजन सुरीदेव को राष्ट्रपति द्वारा विवेकानंद पुरस्कार प्रदान किया गया। फादर कामिल बुल्के को कौन नहीं जानता जिसने एक विदेशी नागरिक होते हुए भी झारखंड को अपनी कर्मस्थली बनाई। इसी तरह बिहार निवासी डॉ० ऋता शुक्ल झारखंड में कार्यरत रहकर सैकड़ों रचनाएँ लिखीं।

श्री एस.एच. बिहारी, चंद्रशेखर मिश्र, प.भवभूति मिश्र, भारत यायावर, पंकज मित्र, राहुल राजेश, विनय सौरभ, नारायण सिंह, अभिषेक कश्यप, शिरोमणि महतो, अनिता रश्मि, जैसे न जाने कितने स्वनामधन्य रचनाकारों से सुशोभित है झारखंड की धरती।

झारखंड के ऐसे हजारों रचनाकार नियमित अपनी लेखनी चलाकर साहित्य के क्षेत्र में अपना उल्लेखनीय योगदान दे रहे हैं। कोई रचनाकार जल्द ही अपनी परचम लहराने में सफल हो रहे हैं तो कोई अब तक इस क्षेत्र में संघर्षरत हैं।
प्लेटफार्म जिन्हें मिल गया उन रचनाकारों का स्थान राष्ट्रीय परिदृश्य में उल्लेखित है और जो रचनाकार हाशिए में रह गए! भविष्य में उनको राष्ट्रीय परिदृश्य में स्थान अवश्य मिलेगा।
अस्तु !

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डॉ ममता बनर्जी और विनय तिवारी

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