प्रसिद्ध वैज्ञानिक मेघनाद साहा की 127वीं जयंती आज, जानें जीवन परिचय

प्रसिद्ध वैज्ञानिक मेघनाद साहा की 127वीं जयंती आज, जानें जीवन परिचय

मेघनाद साहा एक महान वैज्ञानिक थे। उन्होंने एस्ट्रोफिजिक्स के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। वे एक वैज्ञानिक के साथ साथ स्वतंत्रा सेनानी और लोकसभा के सदस्य भी रहे। अल्बर्ट आइंस्टीन के सापेक्षता और क्वांटम सिद्धांत का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद करने वाले पहले वैज्ञानिक थे। उनका तारों में भौतिक और रासायनिक स्थिति की व्याख्या करने वाला “साहा समीकरण” विश्व में प्रसिद्ध है। इस कड़ी में प्रसिद्ध वैज्ञानिक मेघनाद साहा की 127वीं जयंती आज, जानें जीवन परिचय।

प्रारंभिक जीवन

भारत के प्रसिद्ध खगोल वैज्ञानिक मेघनाद साहा का जन्म आज ही के दिन 6 अक्टूबर 1893 को अखंड भारत के ढाका से सटे गांव सायोराताली में हुआ था। गरीबी के कारण साहा को आगे बढ़ने के लिए बहुत ही संघर्ष करना पड़ा। मेघनाद साहा पिता जगन्नाथ साहा और माता भुनेश्वरी देवी के पांचवी संतान थे। उनके पिता की गांव में एक छोटी सी दुकान थी। पिता चाहते थे कि बेटा थोड़ा-मोड़ा पढ़कर दुकान संभाले, परंतु साहा की रुचि तो शिक्षा में थी।

शिक्षा

कुशाग्र बुद्धि के मेघनाद साहा की रुचि पढ़ाई में थी, परंतु उनके पिता के पास उन्हें पढ़ाने के लिए पैसे नहीं थे। जब यह बात उनके पड़ोसी डाक्टर को मालूम चली तो उन्होंने मेघनाद साहा की विद्वता की परीक्षा ली और उसमें वे पास हो गए। इसके बाद उनकी पढ़ाई का सारा जिम्मा उन्होंने उठाया। इसके बाद उन्हे प्रारंभिक शिक्षा के लिए ढाका के कॉलेजिएट स्कूल में प्रवेश लिया। जबकि उच्च शिक्षा कोलकाता के प्रेसिडेंसी कॉलेज से हुए। यहां इन्होंने एस एन बॉस और पीसी महालनोबिस के साथ शिक्षा ग्रहण की। उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षकों में जेसी बोस और प्रफुल्ल चंद्र राय जैसे सुविख्यात वैज्ञानिक शिक्षक थे।

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विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धि एवं सम्मान

• शाह को वर्ष 1918 में डीएससी की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया।
• 1919 में उन्होंने जर्मनी के अलावा कई देशों की यात्राएं कर जानकारियां हासिल की।
• 1920 में सूर्य से संबंधित चार लेखों का प्रकाशन फिलासाफिकल मैगजीन में होने के कारण पूरी दुनिया का ध्यान उनकी ओर गया।
• उन्होंने 1923 से 1938 तक इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक का कार्य किया।
• 1927 में उन्हें रॉयल सोसाइटी का सदस्य मनोनीत किया गया
• उन्हें कोलकाता विश्वविद्यालय ने जीवन भर के लिए विज्ञान फैकेल्टी का प्राध्यापक एवं डीन नियुक्त किया।
• 1934 में हुए विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए।
• 1942 में उन्होंने कोलकाता में “इंस्टिट्यूट ऑफ हाइड्रोलिक एंड रिवर ऑफ़ बंगाल” की स्थापना की।

• मेघनाद साहा बंगाल की शोक कही जाने वाली दामोदर नदी से होने वाले बाढ़ के दुष्प्रभाव का अध्ययन किया तथा समाधान हेतु कई लेख लिखे।
• साहा ने चट्टानों की आयु मापने के अलावा रेडियो तरंगों के बारे में भी खोज कार्य किया।
• सन् 1940 में ऑटोहान के परमाणु बम शोध कार्य पर अणु विखंडन विधि का भी शोध कार्य किया।
• 1948 में उन्होंने इंस्टीट्यूट आफ न्यूक्लियर फिजिक्स की स्थापना की।
• 1950 में उन्होंने विदेशी साइक्लोट्रॉन नामक यंत्र को अपने संस्थान में लगवाया। यह संयंत्र भारत में पहली बार स्थापित किया गया था जिसकी सराहना सभी ने की।
• उन्होंने एक पत्रिका “साइंस एंड कल्चर” का भी संपादन किया। जिसमें विज्ञान एवं साहित्य सामग्री प्रकाशित की जाती थी।
• आजादी के बाद भारत में जब पहला चुनाव 1952 में हुआ, तब वे कोलकाता से लोकसभा सांसद के रूप में चुने गए।
• उनका सबसे बड़ा योगदान खगोल विज्ञान के क्षेत्र में रहा है।
• तारों में भौतिक और रासायनिक स्थिति की व्याख्या करने वाला “साहा समीकरण” विश्व में प्रसिद्ध है।

रोचक बातें

जिन दिनों जर्मन वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टाइन का सापेक्षतावाद और क्वांटम सिद्धांत प्रकाशित हुआ था। यह मूल रूप से वह जर्मन भाषा में था। इस कारण पश्चिम के वैज्ञानिक उसे कुछ समझ नहीं पा रहे थे। सबसे पहले मेघनाद साहा और सत्यन बोस ने इन सिद्धांतों का जर्मनी भाषा से अंग्रेजी में अनुवाद किया था। तब जाकर आइंस्टाइन के इस विख्यात सिद्धांत से लोग परिचित हुए हैं। यह केवल अनुवाद की बात न थी बल्कि उन नवीन सिद्धांतों को नजदीकी से समझने की भी बात थी।

स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

• मेघनाद साहा ने देश की आजादी में भी अपना अहम योगदान दिया।
• 1905 में उन्होंने बंगाल विभाजन का पुरजोर विरोध किया था।
• 12-13 वर्ष के बालक साहा उस समय ढाका स्थित कॉलेजिएट स्कूल में पढ़ रहे थे। उन्होंने अपने साथियों के साथ मिलकर स्कूल के भ्रमण पर आए अंग्रेज ऑफिसर “बैम्फिल्डे फुलर” का विरोध किया जिस कारण उनकी छात्रवृत्ति रोक दी गई तथा उन्हें स्कूल से बाहर कर दिया गया।
• मेघनाद साहा का संपर्क सुभाष चंद्र बोस से भी था।

निधन

• 16 फरवरी 1956 को 62 वर्ष की उम्र में ह्रदयगति रूक जानें के कारण उनका निधन हो गया।
• हमारी ओर से उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि।
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