फसलों के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियां

फसलों के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियां (Geographical conditions) भिन्न-भिन्न होती है। चावल, चाय, जूट जैसे फसलों के उत्पादन में अधिक तापमान तो गेहूं, जौ, सरसों, जैसे फसलों के उत्पादन में कम तापमान की आवश्यकता होगी है। उसी तरह कहवा, रबड़ जैसे फसलों के लिए अधिक पानी की आवश्यकता पड़ती है तो रागी, चना जैसे फसलों के लिए कम पानी की जरूरत पड़ती है। आज के इस पोस्ट में फसलों के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियां को देखेंगे।

  • चावल
  • गेहूं
  • मक्का
  • चाय
  • काॅफी
  • गन्ना
  • रबड़
  • कपास
  • जूट
  • ज्वार-बाजरा
  • रागी
  • मुंगफली
  • दालें
  • तिलहन

चावल भारत की प्रमुख खाद्य फसल है। देश की जनसंख्या का बहुत बड़ा भाग चावल पर निर्भर है।‌ भारत चीन के बाद चावल का दुसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियां:-
चावल एक खरीफ फसल है जिसे गर्म और आद्र जलवायु की आवश्यकता होती है।
तापमान:- 25°c या इससे अधिक तापमान की आवश्यकता होती है।
वर्षा:- 100cm या इससे अधिक वर्षा की आवश्यकता।
मृदा:- जलोढ़ मृदा सबसे उपयुक्त
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक की आवश्यकता होती है।
उत्पादक क्षेत्र:- पश्चिमी बंगाल, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, असम प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

गेहूं भारत की दुसरी महत्वपूर्ण खाद्यान्न फसल है। यह एक रबी फसल है। जिसे शीत ऋतु में उगाया जाता है। गेहूं के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएं निम्न हैं।
तापमान:- बोते समय 15°c से 20°c और पकते समय 25°c तापमान की आवश्यकता होती है।
वर्षा:- 50cm से 75cm वर्षा की आवश्यकता। कम वर्षा होने पर सिंचाई की आवश्यकता।
मृदा:- जलोढ़ और काली मृदा सबसे उपयुक्त है।
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक की आवश्यकता होती है।
उत्पादक क्षेत्र:- पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, बिहार और राजस्थान के कुछ भाग में गेहूं उत्पादन किया जाता है।

मक्का खाद्यान्न और चारा दोनों रूपों में प्रयोग में लायी जाती है। यह एक खरीफ फसल है जो फाइबर का अच्छा स्रोत के लिए जाना जाता है। इसके उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियां निम्न हैं।
तापमान:- 21°c से 27°c
वर्षा:- 100cm या इससे अधिक
मृदा:- जलोढ़ मृदा
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक की आवश्यकता होती है।
उत्पादक क्षेत्र:- कर्नाटक, मध्यप्रदेश, उत्तर प्रदेश, बिहार, आंध्रप्रदेश और तेलंगाना मुख्य उत्पादक राज्य है

चाय एक महत्वपूर्ण पेय फसल है। यह रोपण कृषि का एक उदाहरण है। चाय का पौधा उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में उगाया जाता है। इसके उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएं निम्न हैं –
तापमान:- 30°c
वर्षा:- 200cm
मृदा:- पर्वतीय ढालु मृदा
श्रम:- सस्ते एवं‌ कुशल श्रमिक
उत्पादक क्षेत्र:- असम, पश्चिमी बंगाल, तमिलनाडु के पर्वतीय भाग प्रमुख उत्पादक राज्य हैं। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, आंध्रप्रदेश और त्रिपुरा। पं. बंगाल के दार्जिलिंग की उत्पादित चाय विश्व में प्रसिद्ध है।

भारत में काॅफी चाय के बाद पीया जाने वाला दुसरा महत्वपूर्ण पेय फसल है। भारतीय काॅफी अपनी गुणवत्ता के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। भारत में काॅफी की शुरुआत कर्नाटक के बाबा बूदन की पहाड़ियों से हुई थी। काॅफी के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियां निम्न हैं –
तापमान:- 25°c से 35°c
वर्षा:- 200cm से 250cm
मृदा:- ढाल युक्त पर्वतीय मृदा
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक
उत्पादक क्षेत्र:- बाबा बूदन की पहाड़ियों तथा नीलगिर की पहाड़ियों में स्थित कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में उत्पादित किया जाता है।

गन्ना एक उष्ण और उपोष्ण कटिबंधीय फसल है। गन्ना से चीनी, गुड़, खांडसारी और शीरा बनाने का काम किया जाता है। गन्ना के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियां निम्न हैं –
तापमान:- 21°c से 27°c तापमान की जरूरत होती है।
वर्षा:- 75cm से 100cm कम वर्षा की स्थिति में सिंचाई की आवश्यकता।
मृदा:- जलोढ़ और काली मृदा सबसे उपयुक्त है।
श्रम:- बुआई से लेकर कटाई तक काफी शारिरिक श्रम की आवश्यकता पड़ती है।
उत्पादक क्षेत्र:- ब्राजील के बाद भारत दुसरा बड़ा उत्पादक देश है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, तेलंगाना, बिहार और हरियाणा गन्ना के मुख्य उत्पादक राज्य है।

रबड़ भूमध्यरेखीय क्षेत्र की फसल है परन्तु इसे विशेष परिस्थितियों में उष्ण तथा उपोष्ण क्षेत्रों में भी उगाई जाती है। रबड़ के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक परिस्थितियां निम्न हैं –
तापमान:- 25°c या इससे अधिक तापमान की जरूरत होती है।
वर्षा:- 200cm या इससे अधिक की आवश्यकता होती है।
मृदा:- लैटराइट मृदा सबसे उर्पयुक्त मानी जाती है।
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक की आवश्यकता होती है।
उत्पादक क्षेत्र:– केरल, तमिलनाडु, कर्नाटक, अंडमान निकोबार द्वीपसमूह और मेघालय में गारो पहाड़ियों में उगाया जाता है।

कपास एक महत्वपूर्ण रेशेदार व्यापारिक फसल है। यह सूती कपड़ा का प्रमुख कच्चा माल है। भारत को कपास के पौधे का मूल स्थान माना जाता है। कपास उत्पादन के लिए साल में लगभग 210 दिन साफ आकाश अर्थात खिला धूप होना चाहिए। कपास के उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएं निम्न हैं –
तापमान:- 25°c या अधिक तापमान की आवश्यकता होती है।
वर्षा:- 75cm से 100cm कम वर्षा की स्थिति में सिंचाई की आवश्यकता। कम होने पर सिंचाई की आवश्यकता होती है।
मृदा:- काली मृदा सबसे उपयुक्त मानी जाती है, परन्तु जलोढ़ मिट्टी में भी सफलता से उगाया जाता है।
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक की जरूरत होती है।
उत्पादक क्षेत्र:- कपास मुख्यतः दक्कन पठार में उपजाया जाता है। जिसके अंतर्गत महाराष्ट्र, गुजरात, मध्यप्रदेश, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश राज्य शामिल हैं।

जूट भी एक प्रमुख रेशेदार व्यापारिक फसल है। इसे सुनहरा रेशा कहा जाता है। यह उष्ण तथा उपोष्ण कटिबंधीय जलवायु में उगाया जाता है। इसके उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएं निम्न हैं –
तापमान:- 25°c से 30°c तापमान की आवश्यकता होती है।
वर्षा:- 150cm से 200cm वर्षा
मृदा:- जुट का फसल बाढ़ के मैदानोंमें जल निकास वाली उर्वरक मिट्टी (जलोढ़ मृदा) में उगाया जाता है।
श्रम:- जुट की फसल के लिए अधिक मानवीय श्रम की आवश्यकता होती है। इस लिए सस्ते एवं कुशल श्रमिक की जरूरत पड़ती है।
उत्पादक क्षेत्र:- पश्चिमी बंगाल, बिहार, असम, ओड़िशा तथा मेघालय में जुट का उत्पादन किया जाता है।

ज्वार और बाजरा मोटे अनाज की प्रमुख फसल है। यह गरीबों की खाद्यान्न के साथ – साथ चारे की भी प्रमुख फसल है। यह फाइबर का प्रमुख स्रोत माना जाता है। ज्वार – बाजरा शुष्क और कोष्ण जलवायु में उगाया जाता है। इसके उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएं निम्न हैं –
तापमान:- 20°c से 25°c
वर्षा:- 30cm से 60cm
मृदा:- बलुआ और उथली काली मृदा में उगाया जाता है।
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक
उत्पादक क्षेत्र:- ज्वार के उत्पादन में महाराष्ट्र और बाजरे के उत्पादन में राजस्थान सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इसके अतिरिक्त कर्नाटक, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश ज्वार का जबकि उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा बाजरा के उत्पादन में प्रमुख है।

रागी अर्थात मडुआ मोटे अनाज का प्रमुख फसलों में से एक है। यह फाइबर का भी प्रमुख स्रोत है। रागी एक खरीफ फसल है। इसे शुष्क और कोष्ण जलवायु में उगाया जाता है। इसके उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएं निम्न हैं –
तापमान:- 20°c से 25°c
वर्षा:- 30cm से 60cm
मृदा:- लाल एवं पीली, बलुआ, काली, उथली काली मृदा में उगाया जाता है।
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक
उत्पादक क्षेत्र:- कर्नाटक रागी का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इसके अलावा तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, सिक्किम, झारखंड, अरूणाचल प्रदेश भी रागी के उत्पादक राज्य है।

मूंगफली एक खरीफ फसल है। यह भारत की एक प्रमुख तेलहन फसल भी है। मूंगफली उष्णकटिबंधीय फसल है जो प्रायद्वीपीय भारत में प्रमुखता से उगाया जाता है। इसके उत्पादन के लिए आवश्यक भौगोलिक दशाएं निम्न हैं –
तापमान:- 22°c से 28°c
वर्षा:- 50cm से 75cm
मृदा:- बलुआ काली मृदा एवं उथली जलोढ़ मृदा
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक
उत्पादक क्षेत्र:- भारत विश्व में मुंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। भारत में आंध्रप्रदेश मूंगफली का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य है। इसके बाद तमिलनाडु, कर्नाटक, गुजरात और महाराष्ट्र प्रमुख उत्पादक राज्य है।

दाल शाकाहारी खाने में प्रोटीन का प्रमुख स्रोत है। तुर (अरहर), उड़द, मूंग, मंसूर, मटर और चना भारत की प्रमुख दलहनी फसलें हैं। अरहर को छोड़कर सभी दलहनी फसलें वायु से नाइट्रोजन लेकर मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखती है। इस कारण इसे आमतौर पर अन्य फसलों के आवर्तन (Rotating) में बोया जाता है। दालें शुष्क जलवायु का फसल है। इसे कम वर्षा की आवश्यकता पड़ती है।
तापमान:- 20°c
वर्षा:- 30cm से 50cm
मृदा:- बलुआ काली मृदा एवं उथली जलोढ़ मृदा
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक
उत्पादक क्षेत्र:- मध्यप्रदेश, राजस्थान, महाराष्ट्र, उत्तरप्रदेश और कर्नाटक प्रमुख उत्पादक राज्य हैं।

भारत विश्व में सबसे बड़ा तिलहन उत्पादक देश है। मूंगफली, सरसों, नारियल, तिल, सोयाबीन, अरंडी, असली, तोरिया, बिलौना (कपास के बीज), सूरजमुखी प्रमुख तेलहन फसलें हैं। खरीफ और रबी दोनों रूपों में उगाया जाता है। तिलहन शुष्क जलवायु का फसल है
तापमान:- 20°c
वर्षा:- 30cm से 50cm4
मृदा:- बलुआ काली, जलोढ़, लाल मृदा
श्रम:- सस्ते एवं कुशल श्रमिक
उत्पादक क्षेत्र:- मध्यप्रदेश, राजस्थान, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, तमिलनाडु, गुजरात, महाराष्ट्र, बिहार, पर. बंगाल उत्पादक राज्य हैं।


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