तुलना के लिए औसत आय और अन्य मापदंड का प्रयोग करना
class :- 10th.
Subject:- Economics
Chapter:- Development (विकास)
Topic:- तुलना के लिए औसत आय और अन्य मापदंड का प्रयोग करना
☆ इस सत्र का महत्वपूर्ण बिंदु
• विभिन्न देशों या राज्यों की तुलना कैसे की जाए
• राज्यों या देशों की तुलना के लिए औसत आय का प्रयोग
• औसत आय के प्रयोग की सीमाएं
• विकास मापने के लिए आय के अतिरिक्त अन्य मापदण्ड का प्रयोग करना
☆ इस सत्र का उद्देश्य
1• छात्र-छात्राओं को तुलना के लिए औसत के प्रयोग को समझाना
2• छात्र-छात्राओं को औसत की सीमाओं से भी अवगत कराना
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विभिन्न देशों या राज्यों की तुलना कैसे की जाए
पिछले सत्र में आपने देखा था कि प्रत्येक व्यक्ति के लिए विकास का लक्ष्य भिन्न होता है। किसी के लिए मोटरसाइकिल लेना विकास का लक्ष्य था तो किसी के लिए कार लेना। अब प्रश्न उठता है कि जब प्रत्येक व्यक्ति या देश के लिए विकास का लक्ष्य भिन्न है! तो फिर कुछ देशों को विकसित और कुछ को अविकसित कैसे कहा जा सकता है। इससे पहले कि इस विषय पर हम चर्चा करें उससे पहले एक अन्य प्रश्न के बारे में सोचते हैं।
जब हम भिन्न-भिन्न चीजों की तुलना करते हैं तो उसमें समानताएं और अंतर दोनों हो सकते हैं। जब मैं स्कूल में विद्यार्थियों की तुलना करते हैं तब उनमें ऊंचाई, स्वास्थ्य, प्रतिभा और रूचि के अनुसार अंतर करते हैं। इस प्रकार के अंतर में हो सकता है कि सबसे स्वस्थ विद्यार्थी सबसे पढ़ाकू विद्यार्थी ना हो, सबसे बुद्धिमान विद्यार्थी हो सकता है सब से मित्रता न रखता हो। तो ऐसे में प्रश्न उठता है कि हम विद्यार्थियों की तुलना कैसे करें!
सामान्यतः हमें लोगों की एक या एक से अधिक महत्वपूर्ण विशिष्टताओं को लेकर उनके आधार पर तुलना करना ज्यादा बेहतर हो सकता है।
यही बातें विकास पर भी लागू होती है। देशों की तुलना करने के लिए उनकी आय सबसे महत्वपूर्ण विशिष्टता समझी जाती है। जिन देशों की आय अधिक है उन्हें कम आय वाले देशों से अधिक विकसित समझा जाता है। ऐसा माना जाता है कि यदि आय अधिक है तो व्यक्ति आवश्यकताओं की वस्तुओं को खरीद सकने में सक्षम है। परंतु देशों के बीच तुलना करने के लिए देश की कुल आय उपयुक्त माप नहीं है। क्योंकि देशों की जनसंख्या अलग-अलग होती है चीन और भारत जैसे देश जिसकी जनसंख्या अरबों में है। वहीं वेटिकन सिटी तुवालू जैसे देशों की जनसंख्या हजारों तक ही सीमित है। ऐसे में देश की कुल आय तुलना के लिए उपयुक्त माप नहीं है। इसलिए राज्यों या देशों के बीच प्रति व्यक्ति औसत आय को तुलना हेतु मापदंड माना गया है।
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राज्यों या देशों की तुलना के लिए औसत आय का प्रयोग
राज्य या देशों की तुलना के लिए औसत आय एक महत्वपूर्ण तरीका माना जाता है। औसत आय देश की कुल आय को कुल जनसंख्या से भाग देकर निकाली जाती है।
माना कि देश A की कुल आय 1000 अरब रुपये है। और इस देश की कुल जनसंख्या 50 है। तो इससे निम्न सूत्र से हल किया जा सकता है।
इस प्रकार देश A की औसत आय 20 अरब रुपया हुआ इसे प्रति व्यक्ति आय भी कर सकते हैं।
विश्व बैंक द्वारा विकास मापने के लिए औसत आय को ही मापदंड माना है। वर्ष 2017 में जारी विश्व बैंक की विश्व विकास रिपोर्ट के अनुसार वे राष्ट्र समृद्ध या विकसित माने गए हैं! जिनकी प्रति व्यक्ति आय अमेरिकी डॉलर (US $) के अनुसार प्रतिवर्ष 12,056 है। तथा वे देश जिनकी आय प्रति व्यक्ति 995 अमेरिकी डॉलर (US $) प्रति वर्ष से कम है। उन्हें निम्न आय अथवा अविकसित देश के रूप में माना गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार भारत मध्यम आय वर्ग के देशों में आता है। क्योंकि भारत की प्रति व्यक्ति आय 1820 अमेरिकी डालर (US $) प्रति वर्ष है।
इसलिए अमेरिका, इंग्लैंड, नॉर्वे, फ्रांस, इटली, कनाडा, जापान जैसे देश विकसित देश के रूप में जाने जाते हैं। जबकि भारत, चीन, ब्राजील, दक्षिण अफ्रीका जैसे देश विकासशील देश के रूप में जाने जाते हैं। वहीं जिंबाब्वे कांगो, मेडागास्कर, हैती, सियरा लियोन जिसे देश निम्न आय वर्ग के अंतर्गत आते हैं।
इस प्रकार राज्यों और देशों की तुलना के लिए औसत आय का प्रयोग किया जाता है।
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औसत आय के प्रयोग की सीमाएं
राज्यों और देशों के बीच तुलना के लिए औसत आय एक महत्वपूर्ण मापदंड माना जाता है। यहां तक कि विश्व बैंक भी देशों की तुलना के लिए औसत आय का ही प्रयोग करता है। परंतु औसत आय की भी कुछ सीमाएं हैं और औसत आय की क्या सीमाएं हैं। इसे अर्थशास्त्र पुस्तक के विकास चैप्टर के एक उदाहरण से समझने का प्रयास करते हैं।
तालिका 1.2 में दो काल्पनिक देशों और ‘क’ और ‘ख’ का उदाहरण दिया गया है। जिसमें देश ‘क’ और ‘ख’ के तहत वर्ष 2012 के अनुसार पांच नागरिकों की मासिक आय को दर्शाया गया है। इस तालिका में देश ‘क’ के अंतर्गत पहले नागरिक की मासिक आय 9,500 रूपये है। जबकि दूसरे नागरिक की 10,500 रूपये, तीसरे नागरिक की 9,800 रू•, चौथे नागरिक की 10,000 रू• तथा पांचवें नागरिक की 10,200 है। इस प्रकार कुल आय 50,000 हुआ तथा देश ‘क’ की औसत आय 50,000 भागा 5 अर्थात 10,000 रू• होता है। ये 10000 देश ‘क’ की औसत आय है जिसे प्रति व्यक्ति आय भी कर सकते हैं।
अब देश ‘ख’ में पहले नागरिक से चौथे नागरिक तक मासिक आय 500 रूपये है। जबकि पांचवें नागरिक की मासिक आय 48,000 रूपये है। इस प्रकार देश ‘ख’ की कुल मासिक आय देश ‘क’ के मासिक आय 50,000 जीतना ही है। अर्थात 50,000 भागा 5 बराबर 10,000 होता है। यह औसत आय देश ‘क’ के औसत आय के बराबर है।
इस प्रकार देखा जाए तो दोनों देशों की औसत आय एक ही हैं 10,000रू । पर औसत आय से हम देश ‘क’ और देश ‘ख’ के नागरिकों की आर्थिक स्थिति का सही गणना नहीं कर सकते हैं।
देश ‘क’ का प्रति व्यक्ति औसत आय तो लगभग-लगभग ठीक है। परंतु देश ख की औसत आय या प्रति व्यक्ति आय प्रत्येक नागरिक के मासिक आय से बहुत अंतर है। देश ख में देखेंगे कि जहां चार नागरिकों की मासिक आय मात्र 500 रूपये है। वहीं पांचवे व्यक्ति की आय बहुत अधिक 48,000 रूपये है। जब की औसत आय 10,000 है।
इस प्रकार हम कह सकते हैं कि जिस देश के नागरिकों में मासिक आय में काफी अंतर हो वहां और औसत आय विकास मापने में कारगर नहीं है।
अतः औसत आय के प्रयोग की भी सीमाएं हैं।
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विकास मापने के लिए आय के अतिरिक्त अन्य मापदंड का प्रयोग
विकास मापने का सबसे आसान तरीका और औसत आय को माना गया है। विश्व बैंक भी औसत आय के आधार पर देशों को विकसित, विकासशील तथा निम्न आय वर्ग में रखता है। विश्व बैंक के विश्व विकास रिपोर्ट वर्ष 2017 के अनुसार 12,056 अमेरिकी डॉलर (US $) प्रति वर्ष या इससे अधिक औसत आय वाले विकसित देश कहलाते हैं। तथा 995 अमेरिकी डॉलर (US $) प्रति वर्ष या इससे कम आय वाले निम्न आय वाले देश के अंतर्गत आते हैं। भारत 1820 अमेरिकी डॉलर (US $) प्रति वर्ष के साथ मध्यम आय वाले देश (विकासशील) की श्रेणी में है।
इस प्रकार हम देखते हैं कि औसत आय देशों या राज्यों की तुलना के लिए एक मापदंड है। परंतु जैसा पिछले टॉपिक के उदाहरण देश “क”और देश “ख” के उदाहरण में हमें देखा की औसत आय की भी एक सीमा होती है।
इसलिए विकास मापने के लिए केवल औसत आय को आधार न बनाकर कुछ और कारकों जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, को भी मापदण्ञड में शामिल किया जाता रहा है
UNDP ( संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम) भी औसत आय के अतिरिक्त स्वास्थ्य, साक्षरता जैसे कारकों को शामिल कर देशों के विकास का रैंकिंग जारी करता है।
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☆ कुछ महत्वपूर्ण शब्दावली
• शिशु मृत्यु दर:- किसी दिए गए वर्ष में पैदा हुए 1000 जीवित बच्चों में से एक वर्ष की आयु से पहले मर जाने वाले बच्चों की संख्या को शिशु मृत्यु दर कहा जाता है।
• साक्षरता:- 7 वर्ष या उससे अधिक आयु के लोगों में किसी भी भाषा में बोलने, समझने, लिखने के ज्ञान को साक्षरता कहा जाता है।
☆ गृह कार्य
1• विकास मापने का यूएनडीपी का मापदंड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदंड से अलग है?
2• हम औसत का प्रयोग क्यों करते हैं? औसत की क्या सीमाएं है? एक उदाहरण देकर स्पष्ट करें?
तुलना के लिए औसत आय और अन्य मापदंड का प्रयोग करना
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