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भारतीय अंतरिक्ष के जनक डॉ• विक्रम साराभाई का जीवन परिचय

On: October 7, 2020 9:20 PM
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भारतीय अंतरिक्ष के जनक डॉ• विक्रम साराभाई का जीवन परिचय

अंतरिक्ष की दुनिया में भारत आज जिस मुकाम पर है। उसका बहुत बड़ा श्रेय डॉ• विक्रम साराभाई को जाता है। उनके ही प्रयास से भारत में सबसे पहले अंतरिक्ष केंद्र की स्थापना हुई। आज भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी “इसरो” विश्व की चुनिंदा देशों में शामिल है। आइए जानते हैं इस पोस्ट में भारतीय अंतरिक्ष के जनक डॉ• विक्रम साराभाई का जीवन परिचय।

प्रारंभिक जीवन

• डॉ• विक्रम अंबालाल साराभाई का जन्म 12 अगस्त 1919 ई•  में अहमदाबाद के गुजरात में हुआ था।
• उनके पिता का नाम अंबालाल और माता का नाम सरला देवी था।
• विक्रम साराभाई बाल्यकाल से ही प्रतिभावान थे।
•  जब उनकी आयु मात्र 12 वर्ष थी तब कवि रविंद्र नाथ टैगोर ने भविष्यवाणी की थी कि यह बालक बड़ा होकर जग का नाम रौशन करेगा।
• उनकी ये बातें सत्य हुई विक्रम साराभाई को आज भारत ही नहीं विश्व के महान वैज्ञानिकों में गिना जाता है।

शिक्षा

• डॉ• विक्रम साराभाई की प्रारंभिक शिक्षा एक निजी स्कूल में हुए।
• 1935 ई• में उन्होंने मैट्रिक के परीक्षा पास की।
1935- 37 ई• सत्र के दौरान वे गुजरात कॉलेज अहमदाबाद में इंटरमीडिएट प्रवेश किया।
• इंटरमीडिएट में अध्ययन के दौरान ही वे आगे की पढ़ाई के लिए कैंब्रिज चले गए।
• वर्ष 1940 ई• में उन्होंने प्रकृति विज्ञान में सेंट जॉन कॉलेज से “ट्रिपोस”की परीक्षा पास कर ली।
• द्वितीय विश्व युद्ध शुरू होने पर वे स्वदेश लौट आए।
• और उन्होंने यहां पर लौट भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु में सर सी वी रमन के अधीन रहकर शोध कार्य किया।
• उन्होंने 1947 ई• में अंतरिक्ष से आने वाली कॉस्मिक किरणों पर अनुसंधान से संबंधित कैंब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की डिग्री हासिल की।

विज्ञान के क्षेत्र में उपलब्धि

• भारत आज अंतरिक्ष के जिस मुकाम पर है उसका बहुत सारा श्रेय “डॉ• विक्रम साराभाई” को जाता है।
• 1961 ई• में परमाणु ऊर्जा आयोग के वे सदस्य बने।
• 1966 ई• में डॉ होमी जहांगीर भाभा की मृत्यु के बाद परमाणु ऊर्जा संस्थाओं का भार भी विक्रम साराभाई को सौंप दिया गया।
• साराभाई ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र का गठन किया और वे इसके पहले अध्यक्ष बने।
• उन्होंने 1962 ई• में केरल के तिरुवंतपुरम में “थुंबा भूमध्य रेखीय राकेट प्रक्षेपण केंद्र” की स्थापना की थी। जिसे अब विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के नाम से जाना जाता है।
• यह भारत का सबसे महत्वपूर्ण अंतरिक्ष केंद्र है।
• उनके प्रयासों के फलस्वरूप ही भारत अपना पहला उपग्रह “आर्यभट्ट” अंतरिक्ष में भेजने में सफल हो सका था।
• हाल ही में चंद्रमा पर भेजा गया मिशन chandrayaan-2 में शामिल विक्रम लैंडर का नाम इन्हीं के नाम पर रखा गया था।

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साराभाई द्वारा स्थापित कुछ प्रमुख भारतीय संस्थान

विक्रम साराभाई ने 86 वैज्ञानिक शोध पत्र लिखें तथा देश भर में 40 संस्थान खोलें, उनमें से कुछ प्रमुख हैं-

• भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला, अहमदाबाद 1947 ई• में
• भारतीय प्रबंधन संस्थान, अहमदाबाद (IIM) 1961 ई• में
• कम्युनिटी साइंस सेंटर अहमदाबाद
•  थुंबा भूमध्य रेखीय रॉकेट प्रक्षेपण केंद्र, तिरुवंतपुरम 1962 ई• में जिसे अब विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के नाम से जाना जाता है।
• अंतरिक्ष उपयोग केंद्र, अहमदाबाद
• फास्टर बिल्डर टेस्ट रिएक्टर, कलपक्कम ( तमिल नाडु)
• परिवर्ती उर्जा साइक्लोट्रॉन परियोजना, कोलकाता
• भारतीय इलेक्ट्रॉनिक निगम लिमिटेड, हैदराबाद 1967 ई• में
• भारतीय यूरेनियम निगम लिमिटेड, जादूगोड़ा (झारखंड)

पुरस्कार एवं सम्मान

डॉ• विक्रम साराभाई को कई पुरस्कार मिले उनमें से “शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार” 1962 ई• में, “पद्म भूषण सम्मान” 1966 ई• में, भारत का द्वितीय बड़ा नागरिक सम्मान “पद्म विभूषण” 1972 ई• में मरणोपरांत दिया गया।

निधन

साराभाई 30 दिसंबर 1971 ई• को थुंबा में रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन में निरीक्षण हेतु गए थे। वहीं एक होटल के कमरे में हृदय गति रुक जाने से उनका असामयिक निधन हो गया।

ऐसे महान हस्ती को हमारा शत्-शत् नमन्! ???

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Sindhu

अगर सही मार्ग पर चला जाए तो सफलता निश्चित है। अभ्यास सफलता की कुंजी मानी जाती है, और यह अभ्यास यदि सही दिशा में हो तो मंजिल मिलने में देर नहीं लगती। इस लिए कहा भी गया है:- " करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।।"

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