Hundru Waterfall Jharkhand, हुंडरू जलप्रपात की संपूर्ण कहानी
कहते हैं प्रकृति ने झारखंड के धरती को बड़े फुर्सत से संवारा है. गिरिडीह स्थित झारखंड की सबसे ऊंची चोटी पारसनाथ की बात करें, या चतरा स्थित मनोरम छटा को बिखेरती तमासिन जलप्रपात की या फिर कोडरमा स्थित चंचाल पहाड़ की खूबसूरत वादियों में बसा चंचालनी धाम की. इस तरह के सैकड़ों मनोरमा स्थलों ने झारखंड की धरती को अनुपम भेट दी है. यही वजह है कि हर साल यहां देश और विदेश से लाखों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं. आज हम ऐसे ही एक बेहद आकर्षक मनमोहक जलप्रपात की कहानी बताने जा रहे हैं. जो झारखंड का दूसरा सबसे ऊंचा वाटरफॉल है. यह है झारखंड की राजधानी रांची से 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित Hundru Waterfall. जो अपनी खूबसूरती के लिए झारखंड ही नहीं देश भर में प्रसिद्ध है.
महत्व
Hundru Waterfall स्वर्ण रेखा नदी पर स्थित बेहद खूबसूरत जलप्रपात है. स्वर्णरेखा दामोदर नदी के बाद झारखंड की दूसरी सबसे लंबी नदी है. यह झारखंड का दूसरा सबसे ऊंचा वाटरफॉल है. इसकी ऊंचाई 98 मीटर (321 फीट) है. बीहड़ जंगलों के बीच स्थित यह जलप्रपात देखने में बहुत ही मनोरम लगता है. इसके आसपास स्थित छोटे-छोटे पहाड़ियां इसे बेहद खूबसूरत बनाते हैं. यहां सीढ़ियों के सहारे जलप्रपात के एकदम निकट पहुंचा जा सकता है.
झारखंड का सबसे ऊंचा जलप्रपात कौन है???
जैसा कि आपको ज्ञात है झारखंड का सबसे ऊंचा वॉटरफॉल लातेहार में स्थित बुढ़ा घाघ जलप्रपात है. जिसे लोधा जलप्रपात के नाम से भी जाना जाता है. जो 137 मीटर 450 फीट ऊंचा है. यह जलप्रपात लातेहार जिले में उत्तरी कोयल नदी पर स्थित है.
प्रवेश शुल्क
Hundru Waterfall पर्यटक स्थल की देखरेख की जिम्मेवारी झारखंड टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड, रांची (JTDC) द्वारा किया जा रहा है. अतः इस पर्यटक स्थल के विकास हेतु, रखरखाव के खर्च के लिए प्रत्येक 5 साल के ऊपर के व्यक्तियों से मात्र 5 रू का प्रवेश शुल्क लिया जाता है.
सुविधाएं
कार पार्किंग
• मोटरसाइकिल तथा कार पार्किंग के लिए 25 रू का शुल्क निर्धारित किया गया है. छह पहिए वाहनों के लिए ₹100 का शुल्क निर्धारित किया गया है. जो प्रवेश द्वार पर टिकट काउंटर से लेना पड़ता है. इससे यहां आने वाले पर्यटकों के वाहन सुरक्षित रहते हैं.
खाने-पीने की व्यवस्था
• हुंडरू फॉल के आसपास खाने-पीने की पूरी सुविधाएं रखी गई है. यहां पर कई ऐसी दुकानें हैं जहां से पानी की बोतलें या अन्य खाद्य सामग्री आप खरीद सकते हैं.
सीढ़ियां
• पर्यटकों को सुविधा हेतु हुंडरू फॉल के नजदीक 740 सीढ़ियां बनाई गई है. जिसके सहारे पर्यटक आसानी से हुंडरू फॉल का विहंगम दृश्य का आनंद ले सकते हैं.
लकड़ी से बने स्थानीय खिलौने
• इन्हीं सीढ़ियों के पास जगह-जगह छोटे-छोटे दुकान लगे हुए. जहां कारीगर लकड़ी से बने कई प्रकार के खिलौनों को तैयार करते हैं और बिक्री हेतु सजाकर रखते है. जो भी पर्यटक यहां आते हैं इन खिलौनों को बड़े चाव से खरीदते हैं. और इसे खरीदकर अपने घर ले जाते हैं. इससे यहां के छोटे-मोटे कारीगरों का पेट चलता है उनका रोजगार बढ़ता है.
डस्टबिन का प्रयोग
• पूरे क्षेत्र को स्वच्छ और सुरक्षित रखने के लिए जगह-जगह पर डस्टबिन रखे गए हैं. ताकि कूड़े-करकट को ‘डस्टबिन’ में डाला जा सके.
रोप-वे (Lip Line)
हुंडरू जलप्रपात को ऊपर से देखने के लिए एक रोप-वे (Lip Line) बनाया गया है. जिसके सहारे व्यक्ति ऊपर से हुंडरू फॉल के अद्भुत दृश्य को देख सकते हैं. इसके लिए प्रति व्यक्ति शुल्क ₹300 रखा गया है. इसका उपयोग खतरनाक हो सकता है. इसलिए इसके उपयोग हेतु कुछ दिशानिर्देश का पालन करना होता है. और कुछ गंभीर बीमारी से ग्रस्त लोग भी इसका उपयोग नहीं कर सकते.
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इसे भी देखें
? जैन तीर्थ स्थल पारसनाथ पहाड़ी
? हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म का संगम स्थली इटखोरी भद्रकाली
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यात्रा का सबसे उचित मौसम
इस पर्यटक स्थल पर वर्षा ऋतु को छोड़कर सालों भर यात्रा की जा सकती है. परंतु सबसे उपयुक्त मौसम अक्टूबर से मार्च महीने के बीच होता है. क्योंकि इन महीनों में बरसात और गर्मी की समस्या नहीं रहती. जिससे ना बाढ़ की समस्या रहती है. और ना अधिक गर्मी की. अत: पूरा दृश्य अद्भुत और मनोरम लगता है.
हुंडरू जलप्रपात देखने का समय
हुंडरू फॉल देखने हेतु 8:00 सुबह से 4:30 शाम तक का समय निर्धारित किया गया है. इसी बीच गेट खुला रहता है. उसके बाद प्रवेश द्वार को बंद कर दिया जाता है. 5:00 बजे शाम तक सभी को हुंडरू फॉल से निकल जाना होता है.
हुंडरू वाटरफॉल का अद्भुत नजारा
सीढ़ियों के सहारे Hundru Waterfall के बेहद करीब पहुंचा जा सकता है. नीचे उतरने के लिए यहां पर 740 से अधिक सिढ़ियां बनाई गई है. लगभग 98 मीटर की ऊंचाई से गिरते पानी को देखना किसी सपने के सच होने के जैसा है. यह अद्भुत नजारा मन को मोह लेता है. यहां आकर लगता है मानो हम कहीं खो गए हैं. ऊपर से गिरती नदी की लहरों की फुहारे जब बदन पर पड़ती है, तब एक सुखद अनुभूति होती है. लगता है जैसे हम स्वर्ग की सैर कर रहे हो. लगभग 100 मीटर गहरी खाई से घाटी का नजारा मंत्रमुग्ध करने वाला होता है. कलकल बहती नदी की धारा हमें यह बताती है कि हम से बढ़कर कोई संगीतकार नहीं, और ऊंचाई से गिरती पानी की धारा हमें बताती है कि प्रकृति से बढ़कर कोई कलाकार नहीं. इस अद्भुत छटा को जो भी देखा वो भाव विभोर हो गया और जो ना देख पाया वो अफसोस करता रह गया. तो अब देर किस बात की मन में ठानिए, इरादा बनाइए और पहुंच जाइए परिवार संग हुंडरू वाटरफॉल.
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कैसे पहुंचे हुंडरू वाटरफॉल
Hundru Waterfall सड़क मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है. यहाँ से निकटतम रेलवे स्टेशन रांची, रामगढ़ कैंट और मुरी की दूरी लगभग 42 किलोमीटर है.
संडक मार्ग
• ओरमांझी:- 24km
• रामगढ़:- 42km.
• रांची:- 47km.
रांची से दो मार्ग पहला टाटीसिलवे से होते हुए दूसरा ओरमांझी से होते हुए
• हजारीबाग:- 94km.
NH-33 से ओरमांझी, ओरमांझी से हुंडरू जलप्रपात
• चतरा:- 154km.
चतरा से हजारीबाग, हजारीबाग से NH-33 के सहारे ओरमांझी, ओरमांझी से हुंडरू जलप्रपात
• धनबाद:- 115km.
• गिरिडीह:- 144km.
गिरिडीह से डुमरी, डुमरी से नावाडीह, सुसरो, पटवार, गोला होते हुए हुंडरू जलप्रपात
• गया:- 239km.
• पटना:- 325km.
• कोलकाता:- 373k.
• दिल्ली:- 1264km.
• मुंबई:- 1771km.
• चेन्नई:- 1669km.
निकटतम रेलवे जंक्शन
यदि आप झारखंड से बाहर के हैं और रेलवे से आना चाहते हैं तो सबसे बेस्ट रांची जंक्शन आना होगा. क्योंकि रांची जंक्शन पर ढेर सारी रेलगाड़ियां देश के विभिन्न भागों से आती है.
रांची:- 42 kn.
मुरी:- 42 km.
रामगढ़ कैंट:- 44km.
बरकाकाना:- 49km.
धनबाद:- 114km.
हजारीबाग:- 91km.
निकटतम हवाई पत्तन
हुंडरू जलप्रपात से सबसे निकटतम वायु पतन रांची स्थित बिरसा मुंडा एयरपोर्ट है. जो 49 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
• रांची:- 49km.
• पटना:- 331km.
• कोलकाता:- 374km.
ठहरने का स्थान
हुंडरू वॉटरफॉल देखने वाले पर्यटकों के लिए रांची सबसे अच्छा ठहरने का स्थान है. झारखंड की राजधानी भी है. इसलिए यहां पर्यटकों के लिए हर एक प्रकार की सुविधाएं मिल सकती है.
हुंडरू वाटरफॉल से निकटतम पर्यटन स्थल
• जॉन्हा /गौतम धारा जलप्रपात:- 23km.
• रजरप्पा शक्ति पीठ मंदिर और रजरप्पा वॉटरफॉल:- 29km.
• भगवान बिरसा जैविक उद्यान, ओरमांझी रांची:- 31km.
• दशम फॉलफॉल:- 62km.
• पंचघाघ जलप्रपात:- 96km.
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इसे भी जानें
? मां भद्रकाली इटखोरी, पुरा इतिहास
? तमासिन जलप्रपात, चतरा
? झारखंड की सबसे ऊंची चोटी पारसनाथ की पहाड़ी
? झारखंड के नेशनल पार्क और अभयारण्य
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प्रस्तुति
www.gyantarang.com
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संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी
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Very imformative clips.. All informations are include.