khortha paper magazine | खोरठा भासाक विकासें पत्र-पत्रिकाक योगदान
Q. खोरठा भासा साहितेक बिकासें पत्र-पत्रिका, आकाशवाणी, दूरदर्शन आर सोशल मिडयाक जोगदान हे, बखान करा?
खोरठा आइज झारखंडेक एगो समरिध छेतरिये भासा रूपें जानल जा हे. झारखंडेक 15 ले बेसी जिलाञ खोरठा मायकोरवा (‘मात्रृभाषा‘) भासा रूपें बोलल-बचकल जा हे. खोरठा आइज समरिध भासा रूपें जानल जा हे तेकर पेछु पतर पतरिकाक जोगदान बेजोड़ हे. आजादिक पेछु 1957 बछरें खोरठाक पहिल पतरिका “मात्रृभाषा” रूपें बहराइल हलई. तकर पेछु तितकी, इंजोर, लुआठी, परासफूल आरो-आरो पतरिकाञ खोरठाक कहनी, नाटक, कबिता, उपनिआस, जातरा बिरतांत समय-समय पर छपते रहल हे. आकाशवाणी और दूरदर्शनों बाटले खोरठा भासा कर रचना परसारित होवत गेल रहे. खोरठा भासाक जइर ले फुनगी तइक पहुंचावें लुआठी, तितकी, इंजोर, परासफूल जइसन khortha paper magazine के बड़का जोगदान हे. हिंआ खोरठा साहितेक विकासें पतर-पतरिकाक, आकाशवाणी, दूरदर्शन आर सोशल मिडयाक जोगदान कर बखान करल जा रहल हे.
विषय सूची
☆ पतर – पतरिकाक जोगदान
☆ आकाशवाणी कर जोगदान
☆ दूरदर्शन कर जोगदान
☆ सोशल मिडयाक जोगदान
☆ पतर – पतरिकाक जोगदान
मात्रृभाषा खोरठा पतरिका
खोरठा भासाञ छपे वाला ‘मात्रृभाषा‘ खोरठाक पहिल पतरिका हले. जेकर संपादक खोरठा कर धुरंधर बिदवान श्रीनिवास पानुरी जी हला. उ घरी खोरठा भासाञ पत्रिका छपना एगो चमत्कार से कम नाञ हल. ई पतरिका खोरठा भासाञ कहनी, एकांकी, कबिता, लेख आरो-आरो छपलइ हल. ई पतरिकाक बहराइल के 12 बछर पेछु 1970 बाटले एगो दुसर खोरठा पत्रिका ” खोरठा” नाम से छपेलका. जेकर सहसंपादक नरेश नीलकमल आर परकासक नारायण महतो हला. इ दुइओ पतरिका खोरठा साहितेक विकासें ढेइर मदद करलका.
तितकी खोरठा पतरिका
तितकी पतरिका पहिल बार 1977 बछरें कतरास, धनबाद से छपल हल. जेकर संपादक विश्वनाथ दसोंधी ‘राज’ हला. उ घरि श्रीनिवास पानुरी जीक मार्गदर्शनें छपेवाला इ ‘तितकी‘ पतरिका खोरठा साहितेक एगो बडका आर दमदार मंच हलइ. इ पतरिका खोरठा कर भिनु-भिनु विधाञ रचना छपलइ. एक दरजन ले बेसी खोरठा उखरवइया (लेखक) तितकी पतरिका से जुड़ल हला. ओकरें मुइख संपादक विश्वनाथ दसोंधी ‘राज’, आर आरो उखरवइआ जइसे- नरेश नीलकमल, गौरी शंकर लाल, प्रभाष चंद महथा, असद अली खां, विनोद कुमार तिवारी, कांशीनाथ सिंह मणि, परीक्षित सिंह चौधरी, नारायण महतो आरो- आरो. मकिन कुछ अंक परकासन बादे ई पतरिकाक परकासन बंद भेइ गेलइ.
1983 बछरें रामगढ़ेक कोठार ले एक बेरा फिर तितकी नाम से पतरिका बहराइल सुरू भेल. जेकर संपादक डाॅ. ए के झा (डाॅ. अजीत कुमार झा) हला. ई पत्रिकाञ डाॅ. ए के झा, गोविन्द महतो ‘जंगली’, जीतू महतो, प्रोफेसर शिवदयाल सिंह ‘शिवदीप’, फुतेश्वर करमाली, डाॅ. बी एन ओहदार जइसन बेजोड़ रचनाकारेक खोरठा रचना छपल हल.
कोठार, रामगढ़ ले तितकी पतरिकाक परकासन बंद भेल के पेछु शांति भारत आर दिनेश दिनमणि जीक संपादनें 1997 बछरें एक बेरा फिर बोकारो से तितकी पतरिकाक परकासन सुरू भेलइ. मकिन चाइर अंक बाद ई पत्रिका बंद भेइ गेलइ. फिर से 2017 आर 2018 बछरें तितकी पतरिका बहराइल. तितकी पतरिका खोरठा साहित कर विकासें एगो बढ़िआं माधिअम साबित भेल हे.
इंजोर खोरठा पतरिका
1995 बछरें इंजोर पतरिका खोरठा आर हिंदी भासाञ मधुपुर, देवघर ले बहराइ रह हे. एकर संपादक घनंजय प्रसाद हे. डाॅ ए के झा आर मनमोहन पाठक इ पतरिकाक संरछक हला. बरतमान समइ डाॅ बी एन ओहदार ई पतरिकाक संरछक हे. “नोबल पुरस्कृत” किताप ‘गीतांजलि‘ आर ‘भगवत गीता‘ कर खोरठा आनुवाद पहिल बेरा “इंजोर” पतरिकाञ छपल हलइ. इ पतरिका खोरठा गीत, लघु कथा, कहनी, नाटक, गजल, व्यंग्य, आलेख, संस्कृति, स्मृति, बाल साहित्य, कबिता बिसेसांक रूपें छपल हे.
लुआठी खोरठा पतरिका
लुआठी खोरठा भासा साहितेक बढ़ावें एगो बोड़ परिआस कर रहल हे. 1999 बछर से लगातार बोकारो से लुआठी पतरिका बहराइ रहल हे. जेकर संपादक गिरधारी गोस्वामी (अकाश खुंटी) हथ. 2009 बछरें “पंजीकरण” बादें लुआठी पतरिका मासिक रूपें छपो लगलइ, जे अभीओ तक छप रहल हे. खोरठा भासा साहितें लुआठी पतरिकाक बेजोड़ जोगदान रहल हे. इ पतरिका नावा आर पुरना खोरठा उखरवइयाक एके मंच पर खड़ा कर देलकइ. संपादक गिरधारी गोस्वामी के अलावा पंचम महतो, जनार्दन गोस्वामी ‘व्यथित’, महेंद्र नाथ गोस्वामी ‘सुधाकर’, मनपुरन गोस्वामी, मो. सिराजुद्दीन अंसारी ‘सिराज’ कर खोरठा रचना इ पतरिकाञ छपते रहल हे.
दुलरोउति बहिन ‘बाल खोरठा पतरिका’
2007 ले 2012 तइक बाल खोरठा पतरिका दुलरोउति बहिन बहराइल हले. जेकर संपादक गिरधारी गोस्वामी (अकाश खुंटी) हला. इ पतरिकाक सुरूआत करेक “श्रेय” ओडिशाक ‘विजय कुमार महापात्रा’ के मानल जा हे.
परासफूल खोरठा पतरिका
धनबाद जिला से ‘वार्षिक पतरिका’ रूपें “परासफूल” पतरिका 2008 बछर से बहरा रहल हे. जेकर संपादक महेंद्र प्रबुद्ध जी हथ. परासफूल पतरिकाञ डाॅ मुकुंद रविदास, खोरठा गीतकार के नाम से मसहूर विनय तिवारी, महेंद्र नाथ गोस्वामी ‘सुधाकर’, पुनीत साव, श्याम सुंदर केवट ‘रवि’, बहादुर पाण्डेय ‘झिंगफुलिया’, अनिता महतो, हुबलाल राम ‘अल्काहा’ जीक खोरठा रचना छप रहे हे.
प्रभात खबर “मांय माटी अंक”
हिंदी दैनिक पतरिका प्रभात खबर कर सप्ताहिक अंक “मांय माटी” में खोरठा रचना छपो रहल हे. प्रभात खबरें इ अंक शुक्रवार कर छपो हे. इ अंकें दिनेश कुमार ‘दिनमणि’, सुकुमार, दीपक सवाल, खोरठा गीतकार विनय तिवारी, डाॅ मुकुंद रविदास, श्याम देव मंडल, पुनीत साव आरो-आरोक खोरठा रचना परकासित हवो रहल हे.
इ सब के अलावा सहीदान, सहिया, धरतीथान, करील, अखड़ा, आदिवासी, झार न्यूज़, खोरठा टाइम्स आरो-आरो पतरिकाञ खोरठा रचना परकासित होत रहल हे.
इ तरी कहल जाइ पारे की मात्रृभाषा, तितकी, इंजोर, लुआठी, दुलरोउति बहिन, परासफूल, प्रभात खबर, सहीदान, सहिया, धरतीथान, करील, आदिवासी, अखड़ा, झार न्यूज, खोरठा टाइम्स जइसन आरो-आरो पतरिकाञ खोरठा कबिता, कहनी, गीत, नाटक, लघुकथा आरो-आरो रचनाञ समय-समय पर परकासित भेल हे. इ सब पतरिकाक खोरठा साहितेक बिकासें बेजोड़ जोगदान कहल जाइ पारे.
☆ आकाशवाणी कर जोगदान
1957 बछरें ‘आकाशवाणी रांची केन्द्र‘ कर स्थापना भेलइ, आर तकर संगे झारखंडी भासाक साहितकार – कलाकार कर मौका मिले लागलइ. कबिता पाठ, लोकगीत, लोक कथा, रेडियो बारता रूपें परसारित भेल हई.
◇ कबिता पाठ:- खोरठा भासाञ पहिल कबिता पाठ करेक मौका पइला धनबादेक नारायण महतो जी 1957 बछरें. तकर पेंछु श्रीनिवास पानुरी, विश्वनाथ दसोंधी ‘राज’, विश्वनाथ नागर, नीलकमल जी करलका.
◇ लोक गीत:- आकाशवाणी कर स्थापना घरि से आइज तइक लोकगीत गावें भिन्नु-भिन्नु कलाकार आपन जोगदान देले हथ.
◇ लोक कथा:- लोक कथाक परमपरा खोरठा भासाञ ढेइर पुरना हे. सइ ले आकाशवाणी पर भिन्नु-भिन्नु विधाञ् आर बिसइ उपरें अखन तइक ढइरें लोक कथा परसारित भेल हे.
◇ रेडियो बारता:- समाजेक भिन्नु-भिन्नु बिसई के लेइके खोरठा भासाञ भिन्नु-भिन्नु बिदवान गुला आकाशवाणी से रेडियो बारता बा भेट बारता परकासित भइ रहल हे.
◇ रेडियो नाटक:- आकाशवाणी से लोक गीतेक पेंछु खोरठा भासाञ सबले बेसी कोन्हों दूसर विधा कर परकासित हवो हे तो ऊ हे नाटक. ई नाटक गांव परिबेस उपरें आधारित हवो हे. सइ ले रेडियो नाटक गांवेक लोकें खुब लोकप्रिय हे. ई नाटकें आकाश खूंटी, डा. गजाधर महतो ‘प्रभाकर’, सुकुमार जी बोड़ जोगदान देलका हे.
◇ कहनी आर धारावाहिक:- आकाशवाणी से खोरठा भासाञ कइगो कहनी आर धारावाहिक परसारित भेल हे.
☆ दूरदर्शन कर जोगदान:-
• पहिल बेर 9 जून 1987 बछरें रांची दूरदर्शन से छेतरिअ भासाक कबि सम्मेलन कर परसारन भेलइ. जकरें सबसे पहिल खोरठाक कबि रूपें प्रो. विनोद कुमार जी आपन कबिता सुनेलका. तकर पेंछु उनखरे संचालने नागपुरी, कुरमाली आर पंचपरगनियां के कबि कबिता पाठ करला.
• शिवनाथ प्रमाणिक, दिगम सिंह, हिरालाल सोरेन, प्रेमचंद मांझी सबेक टीम कर लोकगीत कइ बेर परसारित भेल.
• आखरा नामेक दूरदर्शन पत्रिकाञ कइ बेर खोरठा कबि कलाकार सबेक डाकल गेलइ.
☆ सोसल मिडयाक जोगदान:-
बरतमान समइ सोसल मिडियाक जुइग हे. यूट्यूब, बेबसाइट, फेसबुक जइसन सोसल मिडिया आइज खोरठा भासा आर साहितेक बढ़ावें बोड़ जोगदान दे रहल हे.
◇ यूट्यूब:- यूट्यूब आइज एसन पलेटफारम बन गेल हे जेकर हर कोई दिबाना हे. आइज कुछेक चीजेक जानेक खातिर लोग यूट्यूब उपरें खोजो हथ. सभे समसियाक समाधान यूट्यूबे मिल्हो हे. खोरठाक नामजइजका बिदवान डाॅ. बी एन ओहदार, डाॅ. गजाधर महतो ‘प्रभाकर’, प्रो. दिनेश कुमार ‘दिनमणि’ आरो-आरो यूट्यूबें विडियोक माधिअमें ले खोरठा भासा आर साहितेक बढावें आपन जोगदान दे रहल हथ. हिंआ यूट्यूब चैनल कर नाम लिखल जा रहल हे जे खोरठा भासा आर साहितेक बढावें जोगदान दे रहल हे.
■ यूट्यूब चैनल:-
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• jharkhand warrior आरो- आरो सेकड़ो यूट्यूब चैनल हो.
■ यूट्यूब पर खोरठा गीत:- खोरठाक गीत जे यूट्यूब पर अपलोड हे, एहो खोरठाक भासा आर संसकिरति बढ़ावें एगो बोड़ जोगदान दे रहल हे. एकर में खोरठा गीतकार विनय तिवारी जीक भागीरथ परिआस मानल जाइ पारे. उनखर उखरावल सो ले बेसी खोरठा गीत यूट्यूब पर भेंटा हे. मनोज देहाती, सतीश दास, रोबिन रंगीला, आजाद खान जइसन गवाइआ खोरठाक भासा आर संसकिरती बढ़ावें जोगदान दे रहल हे.
◇ बेबसाइट:- यूट्यूब के जइसन बेबसाइटो खोरठा भासा आर साहितेक बिकासें जोगदान दे रहल हे. हिंआ बेबसाइट के नाम उखरावल जा रहल हे जे खोरठा भासा आर साहितेक बिकासें जोगदान दे रहल हे.
• gyantarang.com
• sarkarilibray
• okworldguru
• anandlink
• gyanadda
• research gate
• jssc fighters
• jharkhand gyan
• jagran डाट काम
◇ फेसबुक:- फेसबुकेक माधिअमें से भी खोरठा भासा आर साहितेक बढ़ावें जोगदान दे रहल हे.
• लुआठी फेसबुक पेज
• खोरठा साहित परिषद फेसबुक
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स्रोत:-
• खोरठा भासा – साहितेक विकासें पत्र-पत्रिकाक जोगदान- दिनेश कुमार (दिनमणि)
• खोरठा पत्रिका “लुआठी” फेसबुक पेज
• तितकी खोरठा पत्रिका
• इंजोर खोरठा – हिंदी पत्रिका
• प्रभात खबर “मांय माटी” अंक
• आदिवासी पत्रिका
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लेखक
महेंद्र प्रसाद दांगी
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