NSA Ajit Doval राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल

NSA Ajit Doval राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल

अजीत डोभाल पाकिस्तान में 7 साल तक मुसलमान बनकर भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया सूचनाएं जुटाई। पंजाब, जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में खुफिया जासूस के तौर पर कार्य किया और कई अहम ऑपरेशनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आइए इस पोस्ट में NSA Ajit Doval के जीवन के अनछुए पहलुओं को जानते हैं।

जीवन परिचय

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विलक्षण प्रतिभा के धनी अजीत डोभाल का जन्म 20 जनवरी 1945 में उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में हुआ था। इनके पिता इंडियन आर्मी में थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा राजस्थान के अजमेर में एक सैनिक स्कूल में हुई। तत्कालीन आगरा विश्वविद्यालय से इन्होंने अर्थशास्त्र में एम• ए• किया। उसके बाद भारत के सर्वोच्च प्रशासनिक सेवा भारतीय पुलिस सेवा की तैयारी में लग गए। डोभाल ने कठिन मेहनत, लगन और परिश्रम के बल पर 1968 मैं केरल कैडर से आईपीएस के लिए चुन लिए गए।

महत्वपूर्ण उपलब्धि

अजीत डोभाल का जीवन उपलब्धियों भरा रहा है। 1968 में केरल बैच के आईपीएस अफसर के रूप में अजीत डोभाल की नियुक्ति हुई। नियुक्ति के 4 वर्ष पश्चात ही 1972 में इंटेलिजेंस ब्यूरो से जुड़ गए। और वे लगातार कई वर्षों तक भारतीय सुरक्षा एजेंसियों के लिए महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी जुटाई।

ऑपरेशन ब्लू स्टार (जून, 1984)

जून 1984 में भारतीय सेना ने अमृतसर स्थित हरमंदिर साहिब परिसर को खालिस्तानी आतंकवादियों से मुक्त कराया था। इस ऑपरेशन में खालिस्तानी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले को मार गिराया गया। इस ऑपरेशन में अजीत डोभाल ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

ऑपरेशन ब्लैक थंडर (मई, 1988)

1988 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से खालिस्तानी आतंकवादियों को निकालने हेतु “ऑपरेशन ब्लैक थंडर” के सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। ऐसा माना जाता है कि अजित डोभाल एक रिक्शा चालक के तौर पर ISIS के एजेंट के रूप में खालिस्तानी आतंकियों के बीच अपनी पैठ बढ़ाई और स्वर्ण मंदिर के अंदर आतंकवादियों के पोजीशन तथा संख्या के बारे में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों को बताई। जिससे ऑपरेशन ब्लैक थंडर में सफलता पाई जा सकी।

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Golden Temple

कंधार विमान अपहरण समझौता

24 दिसंबर 1999 को इंडियन एयरलाइंस का विमान नेपाल के काठमांडू से पाकिस्तानी आतंकवादियों ने अपहरण कर लिया था। इस विमान को अपहरण कर आतंकवादियों ने अफगानिस्तान के कंधार ले गए थे। उस समय अफगानिस्तान पर तालिबान नामक आतंकी संगठन का वर्चस्व था। आतंकवादियों ने भारत सरकार से यात्रियों की सुरक्षित रिहाई के बदले भारतीय जेलों में बंद 35 आतंकियों की रिहाई तथा 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर नगद देने की मांग रखी थी। अंततः 7 दिनों की लंबी वार्ता के बाद 31 दिसंबर 1999 को तीन आतंकियों को छोड़ने पर अपहरणकर्ता राजी हो गए। यह आतंकी थे मौलाना मसूद अजहर, अहमद उमर सईद शेख और मुस्ताक अहमद जरगर। अपहृत यात्रियों को सुरक्षित भारत लाने में अजीत डोभाल की भूमिकाएं महत्वपूर्ण रही थी।

भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार

30 मई 1914 को मोदी सरकार ने अजीत डोभाल को भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया। यह देश के पांचवे राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किए गए। 1998 में देश में पहली बार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार का पद सृजित किया गया था। जब मोदी सरकार दोबारा 2019 में सत्ता में आई तो फिर से इन्हें भारत का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया।

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भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ओं की सूची

सर्जिकल स्ट्राइक (सितम्बर, 2016)

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सितम्बर, 2016 मैं हुए उरी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक तथा फरवरी, 2019 में हुए पुलवामा हमले के बाद एयर स्ट्राइक में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका मानी जाती है।

देश में सुरक्षा और शांति में योगदान

देश में सुरक्षा शांति में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। अगस्त 2019 में जम्मू कश्मीर से 370 धारा समाप्त होने के बाद शांति के लिए किए जा रहे प्रयासों में अजीत डोभाल ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

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जम्मू कश्मीर

इन सबके अलावा अजीत डोभाल ने जम्मू कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत में सक्रिय आतंकवादी संगठनों को शांत करने तथा उनके आत्मसमर्पण में भी महत्वपूर्ण भूमिकाएं निभाई है।

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जय हिंद, जय भारत।

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