Types of plains in the world | मैदान के प्रकार
धरातल पर मैदान तृतीय स्थलाकृति के रूप में जाना जाता है। विश्व के 41% और भारत के 43% भूभाग पर मैदान का विस्तार है। मैदान आर्थिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि मैदान कृषि, उद्योग, परिवहन, संचार इत्यादि आर्थिक क्रियाकलापों के लिए सुगम होते हैं। यही कारण है कि प्राचीन काल से ही मानव की बस्तियां मैदानों में बस्ती रही है। हड़प्पा की सभ्यता सिंधु नदीघाटी के मैदान में, मिस्र की सभ्यता नील नदी के मैदान में, चीन की सभ्यता ह्वांगहो नदी के मैदान में, ईरान-इराक की सभ्यता दजला-फरात नदी के मैदान में विकसित हुई थी। आज भी मैदान मानव बसाव के लिए आकर्षक का केंद्र है। संरचनात्मक, अपरदनात्मक, निक्षेपात्मक मैदान के प्रकार है।
इस पोस्ट के अंतर्गत देखने जा रहे हैं-
• मैदान किसे कहते है
• मैदान निर्माण की कहानी
• मैदान के प्रकार
• विश्व के प्रमुख मैदान
• मैदान किसे कहते है
समतल और अपेक्षाकृत निम्नभूमि को मैदान कहा जाता है, जिसमें स्थानीय ढाल बहुत ही कम (4° से भी कम) होती है। कुछ मैदान समुद्रतल से 25-50 मीटर ऊँचे होते हैं, तो कुछ सैकड़ों और हजारों मीटर ऊँचाई प्राप्त कर लेते हैं। यूरोप के नीदरलैंड्स में समुद्रतल से भी नीचा मैदान पाया जाता है। मैदानों के निर्माण में बड़ी भिन्नता पायी जाती है।
• मैदान निर्माण की कहानी
मैदानों के निर्माण और विकास की अजीब कहानी हैं। छिछले सागर में तलछटी जमाव हुआ और वह ऊपर उठकर मैदान बन गया। सागर कहीं पीछे हटा तो भी मैदान बन गया। तटीय भाग कहीं सागर में समा गया (अवतलित हो चला) तो उसपर निक्षेपण होते ही वह मैदान के रूप में बन जाता है। भारत में गंगा का मैदान, कच्छ का मैदान और कर्नाटक का मैदान इसके उदाहरण हैं। इतना ही नहीं, उच्चभूमि पर दीर्घकालीन अपरदन हुआ तो वह भी मैदान बनने को तैयार। कहीं भूव्यापी आंदोलन (भूसंचलन) छिड़ा तो जलमग्न स्थलखंड ऊपर आकर मैदान के रूप में बन जाता है। मैदानी भागों के उद्भव और विकास पर मानव भी आँखें गड़ाये रहता है क्योंकि उसका सर्वाधिक निवास यहीं होता है।
उत्तर भारत के मैदान का निर्माण
उत्तर भारत के मैदान का निर्माण मुख्यतः गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु तथा इसकी सहायक नदियों से हुआ है। ये नदियां हिमालय क्षेत्र से मिट्टी को काटकर मैदानी क्षेत्रों में जमा कर दी है। जिससे उत्तर भारत के मैदान का निर्माण हुआ है। उत्तर भारत का मैदान सघन जनसंख्या बसाव वाला क्षेत्र है।
• मैदान के प्रकार
? निर्माणविधि या उत्पत्ति के अनुसार (mode of origin)
मैदानों को तीन भागों में बांटा जा सकता है-
(i) संरचनात्मक मैदान (Structural Plains) या भूसंचलन से बने मैदान (Diastrophic Plains)
(ii) अपरदनात्मक मैदान (Erosional Plains)
(iii) निक्षेपात्मक मैदान (Depositional Plains)
(i) संरचनात्मक मैदान या भूसंचलन से बने मैदान :-
लम्बवत् या ऊर्ध्वाधर भूसंचलन (vertical earth movement) के कारण महाद्वीपीय मग्नतट (continental shelves) का कुछ भाग समुद्र से ऊपर उठकर तटीय मैदान (coastal plain) बन जाता है। उदाहरणार्थ, प्रायद्वीपीय भारत का पूर्वतटीय मैदान। U.S.A. का गल्फतटीय मैदान या अटलांटिक तटीय मैदान भी इसी प्रकार बना है। यह मैदान समुद्र की ओर धीमी ढाल बनाता है। साथ ही, इसमें चट्टानें क्षैतिज अवस्था में पड़ी हुई मिलती हैं।
महाद्वीपों के आंतरिक भागों में भी जहाँ छिछले सागर थे, ऊर्ध्वाधर भूसंचलन के फलस्वरुप क्षैतिज अवस्था में पड़ी तलछटी चट्टानों ने ऊपर उठकर मैदानों की रचना की है। U.S A. का मध्यवर्ती मैदान तथा सोवियत रूस का रूसी प्लैटफार्म समुंद्र के उत्थापन (uplift) से ही बना है। अपनी स्थिति के कारण यह आन्तरिक मैदान (Interior plains) कहे जा सकते हैं।
यदि महाद्वीपों के मैदानी भाग पटेल-निरूपण या भूसंचालन के कारण चट्टानों की क्षैतिज अवस्था में विशेष असंगति या व्यवधान डाले बिना ऊपर उठकर मैदानी रूप बनाए रखे तो वे उच्च मैदान (High plains) कहलाते हैं। ये सभी (तटीय, आंतरिक तथा उच्च मैदान) संरचनात्मक प्रकार के मैदान हैं।
(ii) अपरदनात्मक मैदान (Erosional Plains) :-
मैदान के निर्माण में अपदन से संबंधित कारकों का बड़ा हाथ होता है। नदियां, हिमनदें और पवनों ने कई उच्च भूमि को काटकर चौरस बनाकर मैदान में परिवर्तित कर दिया है। अपरदन से बने इन मैदानों को कई भागों में बांटा जा सकता है।
(A) समतलप्राय मैदान (Peneplains):-
ये वे निम्न भाग होते हैं जो अपक्षय और नदियों के सम्मिलित कार्य से कटकर आधार ताल तक पहुंच जाते हैं। इस प्रकार के मैदान में धरातल समतल ना हो कर के हल्की ढाल वाला हो सकता है। उस पर जहां-तहां अत्यंत कड़ी चट्टानें टीलों के रूप में खड़ी नजर आती है। इन टीलों को मोनैडनाॅक (Monadnocks) के नाम से जाना जाता है। वर्तमान में इस प्रकार के मैदानों की संख्या कम है। भारत में चंबल घाटी और स्वर्णरेखा घाटी, अमेरिका में मिसीसीपी घाटी और दक्षिण अफ्रीका में समतलप्राय मैदान के कुछ क्षेत्र देखे जा सकते हैं।
(B) हिमानीघर्षित मैदान (Glacial Plains):-
हिमनद या बर्फ से ढके क्षेत्रों में जब हिमानी की घर्षण क्रिया के परिणाम स्वरुप भूमि चौरस होकर मैदान का रूप ले लेती है, तो उसे हिमानीघर्षित या हिमप्रवाही मैदान कहते हैं। इस प्रकार के मैदान में मिट्टी की गहराई बहुत कम होती है, साथ ही ऐसे मैदानों में गोलाकार चट्टानी टीलें (sheep rocks, मेष शिलाएं) और छोटी-बड़ी झीलें मिला करती हैं। फिनलैंड, स्वीडन और कनाडा में इसके उदाहरण देखे जा सकते हैं। भारत में कश्मीर हिमालय के दक्षिण-पूर्वी भाग में लद्दाख मैदान (श्याक नदी के पूर्व तथा चांग चेन्मो नदी के उतर) में भी हिमानीघर्षित मैदान देखे जा सकते हैं।
(C) मरुस्थलीय मैदान (Pediiplains or Desert plains)
शुष्क तथा अर्ध शुष्क क्षेत्रों में वनस्पति के अभाव के कारण पवन के अपरदन कार्य में तेजी से मरुस्थलीय मैदानों का निर्माण होता है। मरुस्थली क्षेत्रों में उच्च भूमि हवा के वेग से कट-छटकर निम्न और समतल हो जाता है। मरुस्थलीय क्षेत्रों में हवाओं के प्रभाव के कारण धरातल कभी बालू के कणों से ढक जाता है, तो कभी नग्न नजर आता है। जिस पर मरुस्थलीय क्षेत्र में पहाड़ी टीले इंसेलबर्ग (Inselberge) देखे जा सकते हैं। भारत में अरावली पर्वत के पश्चिम में जैसलमेर के निकट ऐसे शुष्क मैदान पाए जाते हैं। सहारा और अरब में मरुस्थलीय मैदान का विस्तार बड़े क्षेत्र में देखा जाता है।
(D) कार्स्ट मैदान (Karst plains):-
जिन क्षेत्रों में चुना पत्थर पाया जाता है, वहां वर्षा जल या भूमिगत जल की विलय क्रिया के कारण बड़ी-बड़ी कार्स्ट गुफाएं बनती हैं, जो कालांतर में घंस कर गिर कर समतल मैदान का रूप ले लेती हैं। यूरोप के युगोस्लाविया तथा मेक्सिको की खाड़ी के किनारे इसी प्रकार के कार्स्ट मैदान देखे जा सकते हैं। इन मैदानों में भी अपशिष्ट टीले हम्स (Hums) के नाम से जाने जाते हैं।
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(iii) निक्षेपात्मक मैदान (Depositional Plains):-
जिस प्रकार नदी, हिमनदी और पवन के बाह्य शक्तियों के अपरदन से विभिन्न प्रकार के अपरदनात्मक मैदानों का निर्माण होता है। उसी तरह नदी, हिमनदी और पवन के बाह्य शक्तियों के निक्षेपण से विभिन्न प्रकार के मैदानों का सृजन हुआ है। ऐसे मैदानों को निम्न वर्ग में बांटा जाता है।
(A) जलोढ़ मैदान (Alluvial plains):-
नदियां अपने साथ बहाकर ले जाने वाले कंकड़, पत्थर, बालू और पंक (मिट्टी के महीन कण) को जमा कर देती है। जिससे जलोढ़ मैदान का निर्माण होता है। जलोढ़ मैदान को कई उप भागों में बांटा जा सकता है।
(i) पर्वतपदीय मैदान (Piedmont plain):-
पर्वतपदीय भाग में जब नदियां अपने साथ बहाकर ले जाने वाले कंकड़, पत्थर, बालू और पंक को जमा कर देती है। तब वहां जलोढ़ पंख (alluvial fan) का निर्माण होता है। कई जलोढ़ पंखों के आपस में मिलने पर वहां पर्वतपदीय मैदान का निर्माण होता है। इन भागों में खेती करना मुश्किल होता है। हिमालय के भावर का क्षेत्र पर्वतपदीय मैदान का सबसे अच्छा उदाहरण है। संयुक्त राज्य अमेरिका में सेक्रामैंटो की घाटी में, उज्बेकिस्तान के समरकंद क्षेत्र में, चिली की घाटी में इस प्रकार के मैदान देखने को मिलते हैं।
(ii) बाढ़ मैदान (Flood plain):-
अपवाह द्रोणी के नीचले भागों में जहां प्रति वर्ष बाढ़ के पानी आने से मिट्टी का महीन आवरण बिछता जाता है। इस तरह लगातार मिट्टी के महीन आवरण बिछते रहने से उपजाऊ मैदान का निर्माण होता है। गंगा, ब्रह्मपुत्र, सिंधु, नील, आमेजन, मिसीसिपी, यांग्जी इत्यादि नदियों के नीचले अपवाह क्षेत्रों में बाढ़ के मैदानों का निर्माण हुआ है।
(iii) डेल्टा मैदान (Delta plain):-
डेल्टा
नदियां समुद्र में मिलने से पहले अपने साथ बहाकर लाये गये मलवों को जमाकर देती है। जिससे डेल्टा का निर्माण होता है। डेल्टा प्राय: त्रिभुजाकार होता है। डेल्टा के विस्तार से वहां डेल्टा मैदान का निर्माण होता है। डेल्टा का निम्न भाग दलदली होता है। गंगा नदी द्वारा बनाया गया डेल्टा “सुंदरवन डेल्टा” विश्व का सबसे बड़ा डेल्टा है।
नील नदी, आमेजन नदी, राइन नदी, वोल्गा नदी, मीकांग नदी, नाइजर नदी इत्यादि का डेल्टा का मैदान देखे जा सकते हैं।
(iv) तटीय मैदान (Coastal plain):-
कभी-कभी एक साथ कई डेल्टाओं के मिल जाने से तटीय मैदान का निर्माण होता है। जैसे :- भारत के पूर्वी तटीय भाग में गंगा, महानदी, गोदावरी, कृष्णा, कावेरी इत्यादि नदियों के डेल्टा मिलकर पूर्वी तटीय मैदान का निर्माण किया है।
(B) हिमनदीय मैदान (Glacial plains):-
हिमनद जब पिघलकर विलुप्त होने लगते हैं तब अपने साथ बहाकर लाये हिमोढ़ो का निक्षेपण करती है, जिससे विभिन्न प्रकार के मैदान का निर्माण होता है। जैसे:- टिल मैदान, आउटवाश या हिमजलोढ़ मैदान
• टिल मैदान (Till plain):- हिमनदियां जहां बड़े-बड़े बोल्डरों तथा मिट्टी का निक्षेप करती है उसे टिल का मैदान कहते है।
• आउटवाश या हिमजलोढ़ मैदान (Outwash plain):- वैसे क्षेत्र जहां हिमनदियां मिट्टी के महीन कणों का निक्षेप करती है उसे आउटवाश या हिमजलोढ़ का मैदान कहते है। इस प्रकार के मैदान का निर्माण उत्तरी जर्मनी, उत्तर- पश्चिम रूस, मध्य कनाडा, उत्तर-पूर्व संयुक्त राज्य अमेरिका में देखा जाता है।
(C) पवनोढ़ या लोएस मैदान (Loess plains):-
इस प्रकार के मैदान का निर्माण पवन द्वारा होता है। पवनों द्वारा मरुस्थल से उड़ाए गए बालू काणों को किसी दुसरे स्थान में जमा करने (निक्षेप) से रेतीले मैदान (Sand plain) का निर्माण होता है। उस रेतीले मैदान को लोएस का मैदान (Loess plains) के नाम से भी जाना जाता है। अर्जेंटीना का पंपास क्षेत्र तथा चीन का लोएस का मैदान इसका सबसे बेहतरीन उदाहरण है।
(D) सरोवरीय मैदान (Lacustrine plains):-
पर्वतीय क्षेत्रों में जहां कई प्रकार की झीलें पाई जाती हैं वहां नदियों द्वारा लाई गई मिट्टी से ये झीलें भर जाती है। जो कालांतर में सरोवरीय मैदान का निर्माण होता है। हिमालय में कश्मीर की घाटी इसी तरह बनी है। 150 किलोमीटर लंबा और 80 किलोमीटर चौड़ा यहा सरोवरीय मैदान 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। जो चारों और पर्वतों से घिरा है। इस मैदान से झेलम नदी बहती है। मणिपुर में पहाड़ियों से घिरा इंफाल नदी घाटी सरोवर मैदान का एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करता है। यह देसी 50 किलोमीटर लंबा 38 किलोमीटर चौड़ा है यह पुरानी झील के भरने से बना है। यूरोप में हंगरी का मैदान और उत्तर अमेरिका में ग्रेट लेक्स के तटीय मैदानी इसी तरह बनें है।
? स्थिति के आधार पर मैदान के प्रकार
(1) तटीय मैदान (Coastal Plains):- सागर तटों के किनारे के मैदान को तटीय मैदान कहते हैं। जैसे- फ्लोरिडा का मैदान, भारत के पूर्वी एवं पश्चिमी समुद्र तटीय मैदान।
(2) अन्त: स्थलीय मैदान (Interior Plains):- महाद्वीपों के आंतरिक भाग में पाए जाने वाले मैदान आंतरिक मैदान कहे जाते हैं। जैसे- उत्तरी अमेरिका एवं यूरोप के विशाल मैदान भारत में गंगा का मैदान।
• विश्व के प्रमुख मैदान
पृथ्वी पर हर महाद्वीप में मैदान का विस्तार है। मैदान मानव बसाव के लिए एक महत्वपूर्ण भू-भाग रहा है।
मैदान का नाम स्थित
• मध्यवर्ती बड़ा मैदान या ग्रेट प्लेन कनाडा तथा सं. रा. अमेरिका
• अमेजन का मैदान दक्षिण अमेरिका
• पेंटागोनिया का मैदान दक्षिण अमेरिका
• पंपास का मैदान दक्षिणी अमेरिका
• फ्रांस का मैदान फ्रांस (यूरोप)
• यूरोप का बड़ा मैदान यूरोप
• दक्षिण साइबेरिया का मैदान यूरोप एवं एशिया
• सहारा का मैदान अफ्रीका
• नील नदी का मैदान मिश्र (अफ्रीका)
• अफ्रीका का पूर्वी तटीय मैदान अफ्रीका
• अफ्रीका का पश्चिमी तटीय मैदान अफ्रीका
• मालासी का मैदान मलागासी
• गंगा-जमुना का मैदान भारत
• सिंधु का मैदान भारत-पाकिस्तान
• ब्रह्मपुत्र का मैदान भारत-बांग्लादेश
• अरब का बड़ा मैदान सऊदी अरब
• चीन का मैदान चीन
• ऑस्ट्रेलिया का पूर्वी मैदान ऑस्ट्रेलिया
विश्व और भारत में स्थलाकृतियों का प्रतिशत
विश्व में
मैदान- 41%
पर्वत- 26%
पठार- 33%
भारत में
मैदान- 43%
पर्वत- 30%
पठार- 27%
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प्रस्तुतीकरण
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संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी