What is Lesson Plan, आवश्यकता, रूपरेखा तथा फॉर्मेट हिंदी में
Lesson Plan भूगोल 10 कक्षा में आप सभी का स्वागत है। lesson plan अध्ययन-अध्यापन की एक महत्वपूर्ण कड़ी होती है। इसका प्रयोग कर बच्चों को बेहतर ढंग से पढ़ाया जा सकता है। इससे एक अध्यापक को अध्यापन में मदद भी मिलती है और वे स्टूडेंट्स को बेहतरीन तरीक से शिक्षा दे पाते हैं। इस पोस्ट में देखेंगें What is Lesson Plan, पाठ योजना की आवश्यकता क्यों है और पाठ योजना की रूपरेखा क्या है तथा पाठ योजना का फॉर्मेट क्या हो सकता है।
पाठ योजना क्या है
What is Lesson Plan
पाठ योजना अध्ययन-अध्यापन की एक प्रभावशाली तरीका है। अध्यापक कक्षा में एक पाठ पढ़ाने के लिए संबंधित विषय या उपविषय के पाठ को कई छोटी-छोटी इकाइयों में बांट लेता है। एक इकाई की विषय वस्तु जिसे प्रकरण अर्थात् टाॅपिक (Topic) भी कहा जाता है। इस प्रकरण की रूपरेखा तैयार की जाती है, जिसको पाठ योजना (Lesson Plan) कहते हैं।
पाठ योजना की आवश्यकता
Requirements of Lesson Plan
जब भी कहीं हम एक अध्यापक के तौर पर शिक्षा दे रहे हों या M.Ed, B.Ed, D.El.Ed, DPE इत्यादि शिक्षा संबंधी कोर्स कर रहे हो वहां पाठ योजना की आवश्यकता पड़ती है।
M.Ed, B.Ed, D.El.Ed, DPE की डिग्री या कोर्स के दौरान Lesson Plan की आवश्यकता
जब आप M.Ed, B.Ed, D.El.Ed, DPE की डिग्री या कोर्स कर रहे होते हैं, तो उसमें प्रशिक्षण के लिए विद्यालय में इंटर्नशिप करवाई जाती है। अर्थात् विद्यालय में जाकर कुछ दिनों तक क्लास लेनी होती है यानी बच्चों को पढ़ाना पड़ता है। M.Ed, B.Ed, D.El.Ed, DPE का कोर्स करने वाले स्टूडेंट्स को छात्र-अध्यापक (students-teacher) कहा जाता है। इस तरह इंटर्नशिप के दौरान छात्र-अध्यापक को कक्षा में टीचिंग का कार्य करना होता है। इस टीचिंग कार्य को अच्छे ढंग से करने के लिए छात्र-अध्यापक को सबसे पहले पाठ योजना बनानी होती है। और इसी पाठ योजना से विद्यालय के अध्यापक/प्रधानाध्यापक/प्राचार्य की निगरानी में छात्र-अध्यापक एक निर्धारित संख्या में कक्षा लेते हैं। इस कार्य से छात्र-अध्यापक को पढ़ाने का अनुभव मिलता है। इस Lesson Plan अर्थात् पाठ योजना के नाम से जाना जाता है।
एक अध्यापक को विद्यालय में अध्यापन के दौरान Lesson Plan की आवश्यकता
Lesson Plan (पाठ योजना) केवल M.Ed, B.Ed, D.El.Ed, DPE कोर्स के दौरान ही उपयोगी नहीं है बल्कि एक अध्यापक के लिए पाठ योजना का निर्माण उतना ही आवश्यक है जितना एक इंजीनियर को भवन या पुल निर्माण के लिए मानचित्र/माॅडल अथवा ब्लूप्रिंट की होती है। कक्षा में सफल और प्रभावशाली अध्यापन के लिए पाठ योजना अत्यंत आवश्यक है इसके निम्न कारण हैं।
1. इससे कक्षा नियंत्रित रहता है तथा बच्चों में रूची बनी रहती है।
2. बच्चों में इससे नवीन ज्ञान का संचार होता है।
3. पाठ योजना एक अध्यापक के लिए मार्गदर्शक की भूमिका निभाता है।
4. इससे विषय वस्तु से भटकाव नहीं होता है।
5. पाठ योजना से अनुशासन को बढ़ावा मिलता है।
6. पाठ योजना से अध्यापक निर्धारित समय में अध्यापन का कार्य संपन्न कर पाता है।
7. पाठ योजना से एक सत्र में समय से अध्ययन-अध्यापन का कार्य पूरा किया जा सकता है।
पाठ योजना की रूपरेखा
Structure of Lesson Plan
पाठ योजना अध्ययन-अध्यापन का एक बेहतरीन तरीका है। इसके माध्यम से बच्चों को निर्धारित समय में प्रभावी शिक्षा दी जाती है। कक्षा में अध्यापक या छात्र-अध्यापक द्वारा शिक्षण से पूर्व पाठ योजना तैयार किया जाता है। इसके लिए एक रूपरेखा बनाई जाती है। यहां पाठ योजना की रूपरेखा प्रस्तुत किया जा रहा है।
1. सामान्य सूचना:- पाठ योजना में सबसे पहले पाठ योजना संख्या, विद्यालय का नाम, अध्यापक या छात्र-अध्यापक का नाम, कक्षा, विषय, उपविषय, दिनांक, कलांश/घंटी/चक्र, अवधि इत्यादि शामिल किया जाता है।
2. प्रकरण (Topic):- उपरोक्त सूचनाओं के बाद प्रकरण शामिल किया जाता है। जिससे संबंधित कक्षा लेना होता है उसे प्रकरण या टॉपिक (Topic) कहा जाता है। जैसे- संसाधन तथा संसाधनों के प्रकार।
3. सामान्य उद्देश्य:- जिस विषय या उपविषय की कक्षा ली जा रही है, उससे संबंधित उद्देश्य को सामान्य उद्देश्य कहते हैं। एक पाठ योजना में 8 से 10 तक सामान्य उद्देश्य लिख सकते हैं। ये सामान्य उद्देश्य एक विषय/उपविषय के लिए सभी पाठ योजनाओं में एक ही हो सकता है। अर्थात् सभी पाठ योजनाओं में इन सामान्य उद्देश्यों को रिपीट कर सकते हैं। जैसे भूगोल विषय के लिए भूगोल से संबंधित सामान्य उद्देश्यों को यहां रिपीट कर सकते हैं।
4. विशिष्ट उद्देश्य:- हरेक पाठ योजना में विशिष्ट उद्देश्य भिन्न-भिन्न होता है। ये विशिष्ट उद्देश्य प्रकरण अर्थात टॉपिक (topic) पर निर्भर करता है। जिस पाठ योजना का जो प्रकरण है अर्थात टॉपिक है उस पाठ योजना का विशिष्ट उद्देश्य उसी से संबंधित होगा। एक पाठ योजना में तीन से पांच तक विशिष्ट उद्देश्य लिख सकते हैं। जैसे प्रकरण यदि “संसाधन एवं संसाधनों के प्रकार” है तो इससे संबंधित तीन से पांच विशिष्ट उद्देश्य यहां लिख सकते हैं।
5. शिक्षण सहायक सामग्री:- कक्षा में पाठ अध्यापन के दौरान अधिगम सामग्री की आवश्यकता पड़ती है। जिसे शिक्षण सहायक सामग्री के रूप में भी जाना जाता है। जिसका उल्लेख पाठ योजना में भी करना आवश्यक होता है। जैसे:- चाक, डस्टर, मानचित्र, किताब, ग्लोब इत्यादि।
6. शिक्षण विधि (Methods):- कक्षा में अध्यापन के लिए कई तरह की विधियों का प्रयोग किया जाता है। जैसे कहानी के द्वारा कहानी विधि, उदाहरण के द्वारा आगमन विधि, प्रश्नों के माध्यम से प्रश्नोत्तर विधि, भाषण के द्वारा व्याख्यान विधि इत्यादि शिक्षण विधि का प्रयोग किया जाता है। इन विधियों को शिक्षण विधि कहते हैं।
7. पूर्व ज्ञान:- बच्चों को पढ़ाई जाने वाले पाठ से संबंधित ज्ञान, जो पहले से उन्हें मालूम है यहां उसका उल्लेख करना है। जैसे:- हमारा टॉपिक – “संसाधन एवं संसाधनों के प्रकार है” तो इस प्रकरण में पूर्व ज्ञान होगा “बच्चे संसाधन के बारे में सामान्य जानकारी रखते हैं”
8. प्रस्तावना के प्रश्न:- प्रस्तावना के प्रश्न पढ़ाए जाने वाले पाठ से संबंधित पूर्व ज्ञान पर आधारित होते हैं। इसमें आसान से आसान प्रश्न पूछे जाते हैं। ताकि बच्चों को विषय वस्तु (Topic) पर लाया जा सके।
इसमें तीन से पांच प्रश्न दे सकते हैं, अंतिम प्रश्न समस्यात्मक होता है। वैसे प्रश्न जिसे बच्चे उत्तर नहीं दे पाते हैं उसे समस्यात्मक प्रश्न कहा जाता है। इसी से पाठ अर्थात प्रकरण (topic) की शुरुआत की जाती है।
9. प्रस्तुतीकरण:- पाठ योजना के इस भाग में बच्चों के समक्ष नवीन ज्ञान प्रस्तुत किया जाता है। अर्थात जो पाठ पढ़ाना है उसे इसी भाग में अध्यापक/छात्र-अध्यापक प्रस्तुत करते हैं। इसे शिक्षण बिंदु, अध्यापक क्रियाकलाप, छात्र-छात्रा क्रियाकलाप तथा श्यामपट्ट कार्य के रूप में चार भागों में विभक्त किया जा सकता है। इसके अंतर्गत प्रस्तुतीकरण के बीच में बोध प्रश्न तथा सबसे अंतिम में पुनरावृति, मूल्यांकन तथा गृह कार्य से संबंधित क्रियाकलाप शामिल है।
10. श्यामपट्ट कार्य:- अध्यापक या छात्र-अध्यापक प्रस्तुतीकरण के बीच में श्यामपट्ट (Black Board) पर कुछ महत्वपूर्ण बातों को लिखते हैं, या चित्र बनाते हैं। जिसे विद्यार्थी अपने नोटबुक में नोट भी करते हैं। इसे श्यामपट्ट क्रियाकलाप कहते हैं। श्यामपट्ट कार्य से विद्यार्थी सक्रिय (Active) रहते हैं।
11. बोध प्रश्न:- प्रस्तुतीकरण के बीच में ही पढ़ाए जा रहे पाठ से बच्चों के ज्ञान परखने के लिए दो या तीन प्रश्न पूछे जाते हैं, उसे बौद्ध प्रश्न करते हैं। यह प्रश्न अति लघु उत्तरीय होते हैं।
12. पुनरावृति:- पाठ समाप्ति के उपरांत पाठ को संक्षिप्त में दोहराया जाता है, उसे पाठ का पुनरावृति कहते हैं।
13. मूल्यांकन:- अध्यापक द्वारा पढ़ाए गए पाठ से अध्यापक बच्चों से प्रश्न पूछते हैं। जिससे बच्चों की स्मरण शक्ति का भी ज्ञात होता है। साथ ही यह भी पता चलता है कि बच्चों ने कहां तक नवीनतम ज्ञान सीखा है। उसे मूल्यांकन कहते हैं। इसमें तीन से पांच प्रश्न पूछे जा सकते हैं। तीन प्रश्नों में दो प्रश्न अति लघु उत्तरीय तथा एक प्रश्न लघु उत्तरीय हो सकता है।
14. गृह कार्य:- सबसे अंत में पढ़ाए गए पाठ से कुछ प्रश्न के रूप में गृह कार्य के लिए दिया जाता है। जिसे श्यामपट्ट भी पर भी लिखा जाता है। इसे स्टूडेंट्स अपने नोटबुक में नोट कर लेते हैं और अगले दिन उसे घर से बना कर लाते हैं। जिसे अध्यापक अगले दिन नोटबुक को चेक करते हैं। गृह कार्य के रूप में दो से तीन प्रश्न दिए जा सकते हैं जो लघु उत्तरीय और दीर्घ उत्तरीय हो सकते हैं।
पाठ योजना बनाते समय ध्यान रखने योग्य बातें
एक शिक्षक की कुशलता और सफलता बहुत कुछ पाठ योजना (Lesson Plan) पर निर्भर करता है। इस कारण पाठ योजना बनाते समय निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखना चाहिए।
1. बच्चों की शारीरिक एवं मानसिक योग्यता का पता लगाना चाहिए।
2. पाठ योजना निर्माण से पूर्व विषय वस्तु (Topic) का गहन अध्ययन करना आवश्यक है।
3. पाठ योजना में समान उद्देश्यों और विशिष्ट उद्देश्यों को सावधानीपूर्वक और स्पष्ट रूप से लिखना चाहिए।
4. पाठ योजना निर्माण करने के समय अध्यापक को घंटी/अवधि का पूरा ध्यान रखना चाहिए।
5. शिक्षण विधियों को सावधानीपूर्वक पाठ योजना में सम्मिलित किया जाना चाहिए।
6. पाठ योजना में शिक्षण बिंदुओं को सही तरीके से शामिल करना चाहिए।
7. पाठ योजना लिखित रूप से होना चाहिए।
पाठ योजना का फॉर्मेट
Formate of Lesson Plan
यहां दिया गया फॉर्मेट कक्षा 10th. भूगोल विषय से संबंधित है. आप यही फॉर्मेट अन्य विषयों में भी उपयोग कर सकते हैं. केवल उसका सामान्य उद्देश्य बदल जाएगा.
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Next…….
Lesson Plan:- 01
Subject:- Geography
Topic:- Resources and types of resources
(संसाधन तथा संसाधनों के प्रकार)
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संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी
शिक्षक