आधुनिक भारत के 30 महान् वैज्ञानिक एक संक्षिप्त परिचय भाग -1
भारत की महान धरती ने कई ऐसे वैज्ञानिकों को जन्म दिया है। जिनके अविष्कारक और शोध ने मानव विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जगदीश चंद्र बसु का प्रयोग पेड़-पौधों की संवेदनशीलता से संबंधित हो या परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में डॉ• भाभा की खोज हो या फिर स्वामीनाथन के कृषि के क्षेत्र में किये गए चमत्कारी खोज! सबने विज्ञान के क्षेत्र में एक क्रांति ला दी। आइए आज के इस कड़ी में आधुनिक भारत के 30 महान् वैज्ञानिक एक संक्षिप्त परिचय भाग -1 देखने जा रहे हैं।
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आधुनिक भारत के 30 महान् वैज्ञानिक एक संक्षिप्त परिचय भाग -1
1• डॉ• होमी जहांगीर भाभा
2• सर सी वी रमन
3• सर जगदीश चंद्र बसु
4• एपीजे अब्दुल कलाम
5• सुब्रमण्यन चंद्रशेखर
6• श्रीनिवास रामानुजन
7• डॉ हरगोविंद खुराना
8• सत्येन्द्र नाथ बोस
9• सी एन आर राव
10• एमएस स्वामीनाथन
आधुनिक भारत के 30 महान् वैज्ञानिक एक संक्षिप्त परिचय भाग -1
● 1. डाॅ• होमी जहाँगीर भाभा
• जन्म:- 30 अक्टूबर 1909 ई• मुम्बई, भारत
• मृत्यु:- 24 जनवरी 1966 ई• माउंट ब्लांक, फ्रांस
☆ जीवन परिचय:-
आज भारत परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में जिस मुकाम पर है उसका सारा श्रेय डॉ• होमी जहांगीर भाभा को जाता है। इनका जन्म 30 अक्टूबर 1909 ई• को तत्कालीन मुंबई में एक धनी पारसी परिवार में हुआ था। मुंबई के एलपिस्टन कॉलेज रॉयल इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण की। तत्पश्चात 1930 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की। 1934 में उन्होंने पीएचडी की उपाधि ग्रहण किया।
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☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि
भारत आज विश्व में परमाणु शक्ति के रूप में उभरा है तो इसका सारा श्रेय डॉ भाभा को जाता है।
• वर्ष 1937 में डॉ• भाभा और जर्मनी के प्रसिद्ध वैज्ञानिक डब्ल्यू हिटलर ने मिलकर कॉस्मिक किरणों (Cosmic Rays) की गुत्थी को सुलझाया। कॉस्मिक किरणों के क्षेत्र में अपनी उपलब्धि के कारण ही डॉ भाभा विश्व में प्रसिद्ध हो गए।
• डॉ• भाभा ने 1945 में टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च की स्थापना की।
• वर्ष 1948 में भारत में परमाणु ऊर्जा आयोग के गठन के बाद डॉ• भाभा को चेयरमैन नियुक्त किया गया।
• डॉ• भाभा के निर्देशन में ही 1956 में परमाणु भट्टी अप्सरा (Apsara) ट्रांबे, मुंबई में प्रारंभ किया गया।
• 1954 में भारत में परमाणु ऊर्जा विभाग की स्थापना हुई जिसमें डाॅ• भाभा सचिव बनाए गए।
• 1955 में जेनेवा में हुए प्रथम परमाणु ऊर्जा सम्मेलन में डाॅ• भाभा परमाणु ऊर्जा के शांतिपूर्ण उपयोग के प्रथम अंतरराष्ट्रीय प्रमुख चुने गए।
• डॉ• भाभा के निर्देशन में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान का निर्माण हुआ तथा तिरुवंतपुरम के निकट भूमध्य राकेट प्रक्षेपण केंद्र की स्थापना की।
● 2. सर सी• वी• रमन
• जन्म:- 7 नवम्बर 1888 ई• तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु
• मृत्यु:- 21 नवम्बर 1970 ई• बेंगलूर
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☆ जीवन परिचय
रमन प्रभाव से विश्वविख्यात चंद्रशेखर वेंकट रमन का जन्म तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली नामक स्थान पर हुआ था। इनके पिता कॉलेज में भौतिकी के अध्यापक थे। इन्होंने प्रेसीडेंसी कॉलेज मद्रास से भौतिक विषय में 1904 में स्नातक तथा 1907 में स्नातकोत्तर की डिग्री हासिल की है।
☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि
• 1907 में प्रकाश विवर्तन पर उनका पहला शोध प्रकाशित हुआ।
• सीवी रमन 1907 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा पास कर तत्कालीन कलकाता के डिप्टी अकाउंटेंट जनरल नियुक्त हुए।
• विज्ञान में रुचि के कारण सी वी रमन ने नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।
• तत्पश्चात उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय में भौतिकी के प्रोफेसर बन गए।
• 1924 में सीवी रमन लंदन की रॉयल सोसाइटी के सदस्य नियुक्ति किये गये। 1928 में सीवी रमन ने बेंगलुरु में एक वैज्ञानिक संगोष्ठी में रमन प्रभाव की घोषणा की। इसी प्रभाव पर सन् 1930 में उन्होंने भौतिकी का नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
• 1943 में उन्होंने बेंगलुरु के पास रमन रिसर्च इंस्टिट्यूट की स्थापना की।
• 1954 में उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
• रमन प्रभाव पर विश्व के वैज्ञानिकों ने अनेक प्रयोग किए हैं।
• यह प्रभाव अणु की संरचना समझने में बहुत ही महत्वपूर्ण सिद्ध हुआ है।
• जहां आज रमन प्रभाव का अध्ययन करने के लिए लाखों रुपए के यंत्र प्रयोग में लाए जाते हैं। वहीं इन्होंने जिस यंत्र से प्रयोग किया था उसकी कीमत मात्र 200 रू• थी।
● 3. जगदीश चंद्र बसु
• जन्म:- 30 नवम्बर 1858 ई• मुंशीगंज, बांग्लादेश
• मृत्यु:- 23 नवम्बर 1937 ई• गिरिडीह, झारखण्ड
☆ जीवन परिचय
जगदीश चंद्र बसु भारत के प्रसिद्ध वैज्ञानिक है उन्हें भौतिकी, जीव विज्ञान, वनस्पति विज्ञान तथा पुरातत्व का गहरा ज्ञान था। उनका जन्म बंगाल के फरीदपुर के मेमनसिंह का (अब बांग्लादेश) में हुआ था। उनके पिता ब्रह्म समाज के नेता थे। जगदीश चंद्र बसु को बचपन में रामायण और महाभारत पढ़ने का शौक था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा सेंट जेवियर स्कूल कलकाता में एवं कलकाता विश्वविद्यालय से हुई थी। 1884 में कैंब्रिज विश्वविद्यालय से वे स्नातक की डिग्री हासिल कर भारत वापस आए।
☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि
• जगदीश चंद्र बसु भारत के प्रथम वैज्ञानिक थे। जिन्होंने शोध के जरिये यह दिखाया कि पेड़-पौधे भी दूसरे जीवधारियों की भांति संवेदनशील होते हैं। उन्हें भी सुख-दुख:, प्रकाश, शोर और उत्तेजनाओं का हमारी भांति ही अनुभव होता है।
• उन्होंने बाहरी कारकों के प्रति पौधों की संवेदनशीलता को रिकॉर्ड करने के लिए क्रेस्कोग्राफ नामक यंत्र बनाया।
• क्रेस्कोग्राफ यंत्र पेड़-पौधों की अत्यंत सूक्ष्म से सूक्ष्म गतिविधियों को भी 10 हजार गुना अधिक करके प्रदर्शित करता था।
• हालांकि जगदीश बसु एक वनस्पति शास्त्री के रूप में अधिक प्रसिद्ध थे। लेकिन वे मूलतः भौतिक शास्त्र थे।
• उन्होंने वायरलेस टेलीग्राफ का आविष्कार किया था।
• मारकोनी के पेटेंट के एक वर्ष पहले ही उन्होंने जनता के समक्ष इसका प्रदर्शन किया था। पर पेटेंट न करा पाने के कारण इसका श्रेय मारकोनी ले गया।
• झारखंड राज्य के गिरिडीह में 23 नवंबर 1937 को इनका निधन हो गया।
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क्रेस्कोग्राफ (Crescograph) :-
पौधों की वृद्धि को मापने वाला एक यन्त्र है। इसका विकास 1928 ई• में जगदीश चन्द्र बसु ने किया था।
● 4. ए• पी• जे• अब्दुल कलाम (अबुल पाकिर जैनुल अब्दीन अब्दुल कलाम)
• जन्म:- 15 अक्टूबर 1931 ई• रामेश्वरम, तमिलनाडु
• मृत्यु:- 27 जुलाई 2015 ई• शिलांग, मेघालय
☆ जीवन परिचय
मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम भारत के एक ऐसे वैज्ञानिक थे। जिन्होंने आजीवन अपना सर्वस्व आम जनों के लिए निछावर कर दिया। उनका जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम के निकट धनुषकोड़ी नामक ग्राम में हुआ था। डॉ• कलाम को आकाश में पक्षियों की उड़ान बहुत ही अच्छी लगती थी। 1950 में उन्होंने रामनाथपुरम के शवाटर्ज हाई स्कूल से मैट्रिक परीक्षा पास की। इसके बाद तिरुचिरापल्ली से उन्होंने सेंट जोसेफ कॉलेज से इंटर मीडिएट तथा स्नातक की डिग्री प्राप्त की। वर्ष 1958 में उन्होंने बेंगलुरु से इंजीनियरिंग में स्नातक की डिग्री हासिल की।
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☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि
• एपीजे अब्दुल कलाम की अर्जी पर वायु सेना और रक्षा मंत्रालय के तकनीकी विकास एवं उत्पाद निदेशालय में नियुक्ति किया गया।
• तत्पश्चात उनकी नियुक्ति भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति में रॉकेट इंजीनियर के रूप में हुई।
• 1962 में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति तिरुवंतपुरम के निकट थुम्बा गांव में राकेट प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना हुई। जहां कलाम ने रॉकेट का डिजाइन तैयार करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया।
• 1962 में चीन के साथ और 1965 में पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान भारत में मिसाइल की कमी महसूस की गई।
• तत्पश्चात डॉ• कलाम के मार्गदर्शन में 1967 में रोहनी राॅकेट, 1979 में SLV-3 का भी सफल उड़ान संपन्न हुई।
• इनके ही मार्गदर्शन में 1985 में त्रिशूल, 1988 में पृथ्वी, 2002 में अग्नि मिसाइल का सफल परीक्षण किया गया।
• डॉ एपीजे अब्दुल कलाम के नेतृत्व में भारत ने 1998 में परमाणु बम का सफल परीक्षण किया।
• इस परीक्षण के बाद भारत विश्व में परमाणु महाशक्ति के रूप में स्थापित हो गया।
• वर्ष 1997 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से इन्हें सम्मानित किया गया।
• 25 मई 2002 को डॉ कलाम भारत के ग्यारहवें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली।
● 5. सुब्रमण्यन चंद्रशेखर
• जन्म:- 19 अक्टूबर 1910 ई• लाहौर, (अब पाकिस्तान)
• मृत्यु:- 21 अगस्त 1995 ई• शिकागो, अमेरिका
☆ जीवन परिचय
भारत ही नहीं विश्व के एक प्रसिद्ध खगोलशास्त्री सुब्रमण्यन चंद्रशेखर का जन्म लाहौर (अब पाकिस्तान) में हुआ था। उनका परिवार दक्षिण ब्राह्मण भारतीय परिवार से संबंधित था। चंद्रशेखर के प्रारंभिक शिक्षा लाहौर में हुई। 1925 में उन्होंने हाईस्कूल की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। पिता के मद्रास (अब चेन्नई) आने के बाद उन्होंने 1930 में मद्रास के प्रेसिडेंसी कॉलेज से भौतिक विज्ञान में डिग्री हासिल की।
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☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि
• 1930 में सुब्रमण्यन चंद्रशेखर ने इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में शोध कार्य प्रारंभ किया।
• मात्र 17 वर्ष की आयु में ही चंद्रशेखर का विज्ञान लेख पत्रिका में प्रकाशित हुआ।
• उनके महत्वपूर्ण कृति एन इंट्रोडक्शन टू द स्टडी ऑफ स्टेलर स्ट्रक्चर 1939 में प्रकाशित हुआ।
• 1942 में उनकी दूसरी कृति प्रिंसिपल ऑफ स्टेलर डायनामिक्स प्रकाशित हुई।
• जबकि 1943 में रिव्यूज ऑन मॉडर्न फिजिक्स नामक पुस्तक प्रकाशित हुई है।
• उनकी महत्वपूर्ण खोज चंद्रशेखर लिमिट 1935 में हुई थी। परंतु एक लंबे समय के बाद उनकी इस महान खोज के कारण 1983 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
● 6. श्रीनिवास रामानुजन
• जन्म:- 22 दिसम्बर 1887 ई• इरोड, तमिलनाडु
• मृत्यु:- 26 अप्रैल 1920 ई• चेटपट (चेन्नई), तमिलनाडु
☆ जीवन परिचय
• भारत ही नहीं विश्व के महान गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन का जन्म तमिलनाडु के इरोड में हुआ था। उनके पिता एक कपड़े के दुकान में छोटे क्लर्क के रूप में कार्य करते थे। वर्ष 1903 में दसवीं की परीक्षा पास की प्रथम आने पर उन्हें सुब्रमण्यन छात्रवृत्ति प्रदान की गई थी। कॉलेज में आर्ट्स प्रथम वर्ष में ही वे दो बार फेल हो गये। क्योंकि उन्हें इतिहास, अंग्रेजी एवं शरीर विज्ञान विषयों पर ध्यान नहीं दिया था। वे बस गणित में ही रूचि लेते रहे। प्रतिभा के बल पर उन्हें 1918 में रॉयल सोसायटी का सदस्य चुना गया।
☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि
• बालक रामानुजन ने 13 वर्ष की आयु में ही “लोनी” द्वारा बनाया गया विश्व प्रसिद्ध “ट्रिग्नोमिट्री” को हल कर दिया था। जब मात्र 15 वर्ष के थे तब उन्हें जार्ज शूब्रिज कार (George Shoobridge Car) द्वारा रचित गणित की एक प्रसिद्ध पुस्तक Synopsis of Elementary Results in Pure and Applied Mathematics प्राप्त हुई। इनमें लगभग 6 हजार प्रमेय था। इन सभी को सिद्ध किया तथा कुछ नई प्रमेय भी विकसित की।
• 1911 में रामानुजन ने गणित पर एक लेख प्रकाशित करवाया जिसे गणितज्ञों ने काफी सराहा।
• रामानुजन ने कैंब्रिज के प्रसिद्ध गणितज्ञ “जी एच हार्डी” को पत्र लिखा था जिसमें उन्होंने 120 प्रमेय और फार्मूले भेजे थे। उन्हीं में वह भी फार्मूला था जिसे “रेमान श्रृंखला” के नाम से जाना जाता है। यह विषय “डैफिनेट इंटीग्रल कैलकुलस” से संबंधित है। लेकिन उन्हें पता नहीं था कि जर्मन गणितज्ञ “जार्ज एफ रेमान” पहले ही यह श्रृंखला बना चुके थे। रामानुजन के लिए यह एक दुर्लभ उपलब्धि थी।
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● 7. डॉ• हरगोविंद खुराना
• जन्म:- 09 जनवरी 1922 ई• रायपुर पंजाब ( अब पाकिस्तान )
• मृत्यु:- 9 नवम्बर 2011 ई• मैसाचूसिट्स, अमेरिका
☆ जीवन परिचय
हरगोविंद खुराना नोबेल पुरस्कार से सम्मानित भारतीय वैज्ञानिक थे। जिनका जन्म पंजाब प्रांत के मुल्तान के रायपुर जो अब पाकिस्तान में है हुआ था। इनके पिता गणपतराय खुराना कर विभाग में क्लर्क के पद पर कार्यरत है। हरगोविंद अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटे थे। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के स्कूल में ही प्रारंभ हुई। हरगोविंद खुराना ने पंजाब विश्वविद्यालय लाहौर से बीएससी और एमएससी पास की। वे 1945 में उच्च शिक्षा हेतु मैनचेस्टर विश्वविद्यालय लिवरपूल इंग्लैंड चले गए। वहां उन्होंने प्रोफेसर राॅबर्टसन की देखरेख में कार्बनिक रसायन के क्षेत्र में 1948 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। 1952 में उन्होंने स्विट्जरलैंड के सांसद सदस्य की पुत्री से विवाह कर लिया।
☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि
• सन 1959 में एक रसायन “कोएंजाइम ए” यह का उत्पादन करके विश्व में प्रसिद्ध हो गये। यह रसायन मनुष्य के शरीर की कुछ प्रक्रियाओं के लिए अनिवार्य होता है।
• डॉ• हरगोविंद 1970 में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में जीव विज्ञान एवं रसायन के अल्फ्रेड स्लोन प्रोफेसर बने।
• डॉ• खुराना 1976 में अपने सहयोगियों के साथ प्रयोगशाला में कृत्रिम जीन का निर्माण कर विश्व में तहलका मचा दिया।
• विश्व में कृत्रिम जीन निर्माण करने की यह पहली घटना थी।
• इसी जेनेटिक खोज के कारण उन्हें वर्ष 1968 में नोबेल पुरस्कार प्रदान किया गया।
● 8. सत्येन्द्र नाथ बोस
• जन्म:- 01 जनवरी 1894 ई• कोलकाता
• मृत्यु:- 04 फरवरी 1974 ई• कोलकाता
☆ जीवन परिचय
भारत के महान वैज्ञानिकों में से एक सत्येंद्र नाथ बोस का जन्म कोलकाता में हुआ था। बचपन से ही संगीत, साहित्य और विज्ञान में उनकी गहरी रुचि थी। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि के सत्येन्द्र की प्रारंभिक शिक्षा कोलकाता में हुई। 21 वर्ष की अवस्था में इन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से मास्टर ऑफ साइंस में डिग्री हासिल की।
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☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि
• 1920 में उन्होंने आइंस्टाइन के सापेक्षता सिद्धांत से संबंधित शोध पत्रों को जर्मन भाषा से अंग्रेजी भाषा में अनुवाद किया।
• 1924 में यूरोप जाकर मैडम क्यूरी अनुसंधानशाला में सहायक पद पर कार्य किया।
• सत्येंद्र आइंस्टीन के सापेक्षता सिद्धांत से काफी प्रभावित थे।
• भौतिक विज्ञान में दो प्रकार के अणु माने जाते हैं। बोसान और फर्मियान इनमे से “बोसान” सत्येंद्र नाथ बोस के नाम पर ही रखा गया है।
• बर्लिन से ढाका आने पर उन्हें भौतिक विभाग के अध्यक्ष तथा प्रोफेसर नियुक्त किया गया।
• 1945 में कोलकाता विश्वविद्यालय के साइंस कॉलेज में प्रोफेसर बनाए गए।
● 9. सी एन आर राव
(चिंतामणि नागेश रामचंद्र राव)
• जन्म :- 30 जून 1934 ई• बैंगलोर, कर्नाटक
☆ जीवन परिचय
सी एन आर राव का नाम भारत के प्रमुख वैज्ञानिकों में लिया जाता है। इनका जन्म बेंगलुरु में 30 जून 1934 को हुआ था। इनके पिता ने इन्हें बचपन में विज्ञान पढ़ने के लिए प्रेरित किया। इनकी आरंभिक शिक्षा बेंगलुरु में हुई। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनके अध्यापक ने उन्हें नोबेल पुरस्कार विजेता भारतीय वैज्ञानिक सीवी रमन के पास ले गए। इसके बाद उन्होंने भौतिक विज्ञान को ही अपना मुख्य विषय बना लिया। सी एन आर राव ने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एमएससी की डिग्री हासिल की। इसके बाद वे पीएचडी करने अमेरिका चले गए। वहां उन्होंने पुरड्यू विश्वविद्यालय से पीएचडी की।
☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि
• अमेरिका में सीएनआर राव ने नोबेल पुरस्कार विजेता एचसी ब्राउन के संपर्क में स्पेक्ट्रोस्कोपी के विविध पहलुओं पर शोध कार्य किया।
• उन्होंने स्पेक्ट्रम विज्ञान के विकसित उपकरणों से ठोस पदार्थों की आंतरिक संरचना का पता लगाया। इस प्रयोग से उन्होंने बताया कि नया ठोस पदार्थ विकसित किए जा सकते हैं।
• उन्हें रसायन शास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए कई पुरस्कार और सम्मान भी मिले।
• वह सन 1982 में रॉयल सोसाइटी के सदस्य भी बने।
• उन्होंने लगभग 1500 शौद्ध पत्र और 45 वैज्ञानिक पुस्तके लिखें।
• भारत सरकार ने 2013 में उन्हें भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया।
● 10.एम एस स्वामीनाथन
(मोनकोम्बू साम्बशिवन स्वामीनाथन)
• जन्म:- 07 अगस्त 1925 कुंभकोणम, तमिलनाडु
☆ जीवन परिचय
भारत में हरित क्रांति के जनक एमएस स्वामीनाथन का जन्म 1925 में तमिलनाडु के कुंभकोणम शहर में हुआ था। उनकी प्रारंभिक शिक्षा स्थानीय शहर से ही हुआ। जबकि उच्च शिक्षा के लिए ब्रिटेन चले गए। जहां 1952 में उन्होंने कैंब्रिज से “स्कूल ऑफ एग्रीकल्चर” में पीएचडी की डिग्री हासिल की।
☆ विज्ञान के क्षेत्र में योगदान एवं उपलब्धि
• एमएस स्वामीनाथन ने 1966 में मेक्सिको के बीजों को पंजाब की घरेलू किस्मों के साथ मिश्रित करके उत्पादकता वाले (HYV बीज) गेहूं के संकर बीज विकसित किए।
• उनके इस प्रयास के कारण भारत में गेहूं की उत्पादकता में काफी वृद्धि हुई।
• स्वामीनाथन ने गेहूं के अलावा चावल आलू और अन्य चीजों पर भी अपना शोध किया जो सफल रहा।
• उनके इसी सफलतम प्रयास के कारण भारत सरकार द्वारा 1967 में पद्मश्री, 1972 में पद्म भूषण और 1989 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
• इसके अलावा उन्हें देश और विदेश कई पुरस्कार प्राप्त हुए।
• इसके अलावा 1971 में रेमन मैग्सेसे, 1986 में अल्बर्ट आइंस्टीन वर्ल्ड सांइस,1987 में विश्व खाद्य, 1999 में युनेस्को गांधी स्वर्ण पदक जैसे कई पुरस्कार और सम्मान इन्हें प्राप्त हुआ।
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