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खोरठा 10th सिलेबस इन हिन्दी | Jac 10th khortha Syllabus in hindi

On: November 13, 2021 7:47 AM
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खोरठा 10th सिलेबस इन हिन्दी | Jac 10th khortha Syllabus in hindi

Jac 10th khortha Syllabus के अंतर्गत आप सभी यहां पाठ सामग्री देखे जा रहे हैं। इसके अंतर्गत “दु डाहर जिरहुल फूल” जो खोरठा गद्य और पद्य संग्रह है। यहां इसके रचनाकारों को विस्तार से जानेंगे। भाषा मनुष्य जाति का सबसे बड़ा अविष्कार अर्थात खोज है। आज मनुष्य सभ्यता के जिस उच्चतम शिखर पर बैठा है उसका सारा श्रय सिर्फ भाषा को ही जाता है। उन्ही भाषा में खोरठा भी एक भाषा है। खोरठा को झारखंड का सबसे बड़ा क्षेत्रीय भाषा के रूप में मान्यता प्राप्त है। यह झारखंड के 16 जिलों में मातृभाषा के रूप में बोला और बचका जाता है। रामगढ़, बोकारो, हजारीबाग, गिरिडीह, कोडरमा, गढ़वा, पलामू, धनबाद और चतरा जिलों में खोरठा भाषा को प्रमुख क्षेत्रीय भाषा के रूप में जाना जाता है।

Jac 10th khortha Syllabus

भाग- (क) गद्य  = कुल अंक :- 25

दु डाहर जिरहुल फूल

क्रम• स•    पाठ — रचनाकार
1. खोरठा साहितेक धरती (भाषा निबंध) — श्रीनिवासपुरी
2. खोरठा भाषाक परिचय आर ओकर समसिया (निबंध) — डाॅ• चतुर्भुज साहु
3. खोरठा पत्र (साहित्य) — डाॅ• ए के झा
4. हामें खड़ा हों (व्यंग्य रचना) — बी एन ओहदार
5. करम परब — गीता रानी
6. भीमा (कहानी) — मनपूरन गोस्वामी
7. रइसका (कहानी) — बंशीलाल बंशी
8. फुल (एकांकी) — शांति भारत
9. चितरा रानी — शिवनाथ परमाणिक
10. रामनारायण सिंह (जीवनी) — जयवीर साहु
11. बिनोद बिहारी महतो (जीवनी) — श्याम सुन्दर महतो ‘श्याम’
12. शेख भिखारी (जीवनी) — पारसनाथ महतो
13. दामोदर पारसनाथ बइठकी डहर जतरा (यात्रा वर्णन) — बंशीलाल बंशी
14. मुड़ फुचका (लघुकथा) — गिरधारी गोस्वामी
15. हरियरे हरियर (कहानी) — डाॅ• गजाधर महतो ‘प्रभाकर’

भाग- (ख) पद्य  =  अंक :- 25

दु डाहर जिरहुल फूल

क्रम• स•    पाठ — रचनाकार
1. बावां हाथ — शिवनाथ प्रमाणिक
2. ककर आंखी पानी — श्रीनिवास पानुरी
3. जाड़ – 1,2,3 — डाॅ• बी एन ओहदार
4. स्वागत — ए के झा
5. आफइत — डाॅ• बिनोद कुमार
6. दोतइन पतइ — प्रो• कुमार शशि
7. माटीक सोंध बास — प्रो• भुनेश्वर साहु
8. कोन टा बेल जुग — डाॅ• ए के झा
9. ऐ मानुस — दिनेश दिनमणि
10. सोराइज — जयवीर साहु
11. माटीक मइल धोवा रे — बंशीलाल बंशी
12. बेरा रहइथि बांरा बाती — परितोष कुमार प्रजापति
13. करिया पहाड़ — रमणिका गुप्ता
14. लउतन डहर — शांति भारत
15. भुतेक डर — रामशरण विश्वकर्मा
16. जय जवान जय किसान — महेश गोलवार
17. जिबें जोदि सइ देस — प्रह्लाद चन्द्र दास
18. छिन लेलक सोनाक थारी — प्रदीप कुमार दीपक
19. ढीठ — सुकुमार
20. संगे-संग — वासुदेव महतो
21. आब धरबो लुआठी — सिराजुद्दीन सिराज
22. के कहहो तोरा अबला — परितोष कुमार प्रजापति
23. हमर मनेक गुमाइर — अकलू राम महतो
24. भिंगमंगा — कृष्णचंद्र दास ‘आला’
25. कते सुंदर गांव आपन — महेन्द्रनाथ गोस्वामी सुधारक

भाग:- ग =  अंक: 12

द्रुत वाचन
पठित पाठ – बिनोद बिहारी महतो, शेख भिखारी

भाग:- घ = अंक: 08

संक्षेपण से एक प्रश्न

भाग:- ङ = अंक: 18

व्याकरण एवं रचना – संज्ञा, सर्वनाम, लिंग, वचन, वाक्य शोधन, बिशेसन, क्रिया, उल्टा (विपरीतार्थक) सब्द, समानार्थी (पर्यायवाची) सब्द, उपसर्ग (परतय), पटतइर (लोकोक्ति), आहना (मुहाबरा), बुझवल (पहेली), लोकगीत/लोककथा

( खोरठा साहित सदानीक व्याकरण- डॉ एके झा और खोरठा भाषा व्याकरण- डाॅ• गजाधर महतो प्रभाकर)

भाग:- च = अंक : 12

निबंध – सांस्कृतिक एवं सामाजिक विषय पर
_________________________________

कुल अंक = 100

Jac 10th khortha Syllabus

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प्रस्तुतीकरण
www.gyantarang.com
संकलन
महेन्द्र प्रसाद दांगी

Sindhu

अगर सही मार्ग पर चला जाए तो सफलता निश्चित है। अभ्यास सफलता की कुंजी मानी जाती है, और यह अभ्यास यदि सही दिशा में हो तो मंजिल मिलने में देर नहीं लगती। इस लिए कहा भी गया है:- " करत-करत अभ्यास के जड़मत होत सुजान। रसरी आवत जात ते सिल पर परत निशान।।"

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