विश्व के प्रमुख मरुस्थल, Desert in the World in hindi
विश्व के प्रमुख मरुस्थल दोनों गोलार्धों में महादेशों के पश्चिमी भाग में 15° से 30° अक्षांश के बीच स्थित हैं। यहां जीवन अत्यंत ही कठिनमय होता है, क्योंकि वर्षा नगण्य होती है। जिस कारण सालों भर यह क्षेत्र शुष्क बना रहता है। वर्षा की कमी के कारण पेड़-पौधों की संख्या कम पायी जाती है। इस विकट क्षेत्र में जीव-जंतुओं की संख्या भी कम पायी जाती है एवं मानव बसाव भी विरल है। परेशानियों से भरा इस मरूस्थलीय क्षेत्र बनने के पीछे भी कई प्राकृतिक कारण जिम्मेवार हैं। इस पोस्ट में विश्व के प्रमुख मरुस्थलों तथा वहां स्थित जीवन एवं अन्य जानकारियों के बारे में जानेंगे।
इस पोस्ट के मुख्य बिंदु
☆ विश्व के प्रमुख मरुस्थल
• अफ्रीका में सहारा, कालाहारी और नामीब मरुस्थल
• एशिया में अरब, ईरान, थार मरुस्थल, गोबी और तकला मकान
• उत्तरी अमेरिका में सोनोरन और मोजावे मरुस्थल
• दक्षिण अमेरिका में अटाकामा और पेटागोनिया और
• ऑस्ट्रेलिया का पश्चिमी मध्य मरुस्थल
☆ मरुस्थल बनने के कारण
☆ मरुस्थलों के प्रमुख विशेषता
☆ विश्व के प्रमुख मरुस्थलों की सूची
☆ विश्व के प्रमुख मरूस्थल
मरुस्थल (Deserts) स्थलखंड के शुष्क और अर्ध शुष्क भाग होते हैं। इनकी स्थिति पृथ्वी पर मुख्यतः उपोष्ण उच्च वायुदाब पेटी क्षेत्र में है। जिनका मुख्य विस्तार दोनों गोलार्ध में 30° से 35° के बीच है। हालांकि पृथ्वी पर मरुस्थलों की सामान्य विस्तार 15° से 35° के बीच में दोनों गोलार्धों में महाद्वीपों के पश्चिमी किनारों पर पाया जाता है। कर्क रेखा और मकर रेखा के आस-पास के क्षेत्रों में अधिकतर उष्ण मरुस्थलों का विकास हुआ है।
• अफ्रीका में सहारा, कालाहारी और नामिब मरुस्थल
अफ्रीका में विश्व के प्रमुख मरुस्थल सहारा कालाहारी और नामीब मरुस्थल स्थित है।
सहारा मरूस्थल (Sahara Desert)
सहारा विश्व का सबसे बड़ा उष्ण मरुस्थल है। जो अफ्रीका के उत्तरी भाग में अटलांटिक महासागर से लेकर लाल सागर तक 5600 km. की लंबाई तथा भूमध्यसागर से नाइजर, चाड़, सूडान तक 1300 km. की चौड़ाई में फैला हुआ है। जो लगभग 84,00,000 क्षेत्रफल में विस्तृत है। यह मरुस्थल अरब को पार कर ईरान, बलूचिस्तान तक चला जाता है और अंत में भारतीय मरुस्थल “थार” राजस्थान में समाप्त होता है। सहारा नाम अरबी शब्द “सहरा” से लिया गया है जिसका अर्थ है ‘मरुस्थल‘! इसी नाम पर इस तरह के प्राकृतिक प्रदेश को “सहारा प्रदेश” (Sahara Region) भी कहा जाता है। सहारा मरुस्थल का मुख्य फैलाव मोरक्को, माॅरिटानिया, माली, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र, चार्ड एवं सूडान देशों में है।
सहारा मरुस्थल की जलवायु शुष्क एवं विषम है। यहां दैनिक तापांतर तथा वार्षिक तापांतर दोनों अधिक होते हैं। यहां गर्मी में दिन का तापमान बढ़कर 58°C तक पहुंच जाता है। जबकि शीत ऋतु में रात का तापमान गिरकर ‘हिमांक बिंदु‘ से नीचे चला जाता है। सहारा रेगिस्तान में उत्तर-पूर्वी दिशा से “हरमट्टन” नामक हवाएं चलती है। यह हवा गर्म एवं शुष्क होती हैं। ‘गिनी तट’ पर इस हवा को “डॉक्टर” के नाम से जाना जाता है। क्योंकि यह वायु क्षेत्र के निवासियों को आर्द्र मौसम से राहत दिलाती है।
मई और सितंबर के महीने में उत्तरी एवं उत्तर-पूर्वी सूडान विशेषकर राजधानी खार्तूम के समीप चलने वाली एक प्रकार की धूल भरी आंधी को “हबूब” (Haboob) नाम से जाना जाता है। इस पवन के कारण दृश्यता कम हो जाती है। कभी-कभी तड़ित-झंझावतों के साथ वर्षा भी होती है।
सहारा मरूस्थल निम्न मरुस्थल से मिलकर बना है- चेच मरुस्थल, इगूइदि मरुस्थल, लीबियाई मरुस्थल, नुबियन मरुस्थल इत्यादि।
कालाहारी मरुस्थल (Kalahari Desert)
कालाहारी एक उष्ण कटिबंधीय मरुस्थल है। यह लगभग 5,20,000 वर्ग km. क्षेत्र में विस्तृत है। यह मरुस्थल उत्तर में जांबेजी नदी तथा दक्षिण में ऑरेंज नदी से के बीच स्थित है। हालांकि भौगोलिक दृष्टि से कालाहारी 9 देशों में फैला हुआ है। लेकिन कालाहारी का सबसे बड़ा क्षेत्र “बोत्सवाना” में है। इसके पश्चिम में ‘नामीब‘ मरुस्थल स्थित है। कालाहारी शब्द “कीर” से बना है, जिसका अर्थ “बेहद प्यासा” होता है। यह भी कहा जाता है कि यह “कालागारे” से उत्पन्न हुआ है। जिसका अर्थ ‘जल विहीन स्थान‘ होता है।
हालांकि कुछ लोग कालाहारी को मरुस्थल नहीं मानते, क्योंकि यहां पर्याप्त वर्षा होती है। जिस कारण इस क्षेत्र में तकरीबन 400 प्रकार की वनस्पतियां भी पाई जाती है। यहां शेर, लकड़बग्घा, हिरण तथा अनेक प्रकार के जीव जंतु भी पाए जाते हैं। इस रेगिस्तान में पाए जाने वाले रेत भी भिन्न प्रकार के रंग के होते हैं। इस मरुस्थल में हीरा, निकल, यूरेनियम, तांबा, कोयले के भंडार पाया जाता है।
कालाहारी मरुस्थल में निवास करने वाले अधिकतर लोग ‘खानाबदोश‘ अर्थात ‘यायावर प्रवृत्ति‘ यानी ‘घुमंतू‘ होते हैं। जो प्रायः अपना निवास स्थान बदलते रहते हैं। यहां के निवासियों को “बुशमैन” कहा जाता है। यह जनजाति इस क्षेत्र में तकरीबन 20 हजार वर्ष से रह रहे हैं। ये दुनिया के सबसे पुराने जातीय समूहों में से एक हैं। इनका जीविका का प्रमुख साधन शिकार करना है। उनका शिकार का प्रमुख हथियार धनुष है। वे जहर वाले तीर से जंगली जानवरों का शिकार करते हैं। मरुस्थलीय जमीन से उगने वाले पौधों की जड़ों और खरबूज से आवश्यक जल की प्राप्ति करते हैं। शुतुरमुर्ग के अंडे में पेयजल को संचित कर रखते हैं। ये जनजातियां लंबी घास तथा पेड़ों की शाखाओं से बनी झोपड़ी में रहते हैं।
नामिब मरुस्थल (Namib Desert)
नामिब उष्ण मरुस्थल का मुख्य विस्तार अफ्रीका महादेश के नामीबिया में है। यह मरुस्थल 135000 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में स्थित है। इस मरुस्थल का दक्षिणी हिस्सा कालाहारी मरुस्थल से मिलता है। जबकि पश्चिमी हिस्सा अटलांटिक महासागर से! यह मरुस्थल अंगोला, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका के तट पर तकरीबन 2000 किलोमीटर की लंबाई में फैला हुआ है। यह संसार का सबसे पुराना मरूस्थल है। इस मरूस्थल में विभिन्न प्रकार के रंग-बिरंगे शैवाल उगते हैं। यहां गर्मियों में तापमान 45°c के पार पहुंच जाता है। जबकि वर्षा 2 मिली से 200 मिली होता है।
नामिब मरुस्थल में बने गोलाकार आकृति एक रहस्य बना हुआ है। कुछ लोग इसे देवताओं के पैरों के निशान मानते हैं। तो कुछ लोग रातों में नाचने वाले परियों के निशान! तो वहीं कुछ लोग इसे यूएफओ के चिन्ह मानते हैं। वीरान पड़े इस मरुस्थल में चीता, लकड़बग्घा, शुतुरमुर्ग, जेब्रा तथा ओरिक्स और स्प्रिन्गबाॅल (दोनों हिरण की प्रजाति) पाए जाते हैं। यहां एक दुर्लभ वनस्पति “वेलविटचिअ मिरेबिलिस” उगती है। जो झाड़ी के प्रकार के पौधे होते हैं और काफी लंबाई तक बढ़ते हैं।
नामिब रेगिस्तान नर्क का दरवाजा के नाम से भी जाना जाता है। यहां 300 मीटर ऊंचे रेतीले टीले और टूटे हुए जहाजों के जंग खाए पतवारों के जखीरा मौजूद है। अटलांटिक तट पर 2000 किलोमीटर लंबी क्षेत्र में फैला यह इलाका “कंकाल तट” के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि यहां व्हेल के अनगिनत कंकाल है।साथ ही यह तट पर लगभग 1000 पानी के जहाजों के मलबों से यह क्षेत्र पड़ा है। यह कंकाल तट अटलांटिक के ठंडी बेंगुएला की समुद्री धारा और नामिब रेगिस्तान की गर्म हवा के मिश्रण के कारण घने कोहरे में तब्दील हो जाता है। जिससे समुद्री जहाजों के लिए इस कोहरे को पार कर पाना मुश्किल होता है। शायद इसीलिए स्थानीय लोग इसे नर्क का दरवाजा मानते है। इस कारण इसे “कोहरा मरुस्थल” के रूप में भी जाना जाता है।
• एशिया में अरब, ईरान, थार और गोबी मरुस्थल
एशिया में विश्व के प्रमुख मरुस्थल अरब, ईरान और थार अवस्थित है।
अरब मरुस्थल (Arabian Desert)
अरब मरुस्थल पश्चिम एशिया में स्थित एक विशाल उष्ण मरुस्थल है। इसका विस्तार उत्तर में जार्डन और इराक से लेकर दक्षिण में यमन और ओमान तक तथा पूर्व में फारस की खाड़ी तक है। इसका मुख्य विस्तार सऊदी अरब में है। इस कारण इसे “अरब मरुस्थल” के नाम से भी जाना जाता है। यह मरुस्थल 23.3 लाख वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। जो लगभग 2100 किलोमीटर लंबाई तथा1100 किलोमीटर की चौड़ाई में विस्तृत है। अरब मरुस्थल कई मरूस्थलों से मिलकर बना है। ये हैं- अद दहना, अन नाफूद और रब अल खाली!
अरब मरुस्थल का वातावरण काफी कठोर है। दिन में यहां अत्यंत गर्मी पड़ती है, तथा रातें ठंड हो जाती है। शीत ऋतु में यहां रात का तापमान 0°c से नीचे चला जाता है। जबकि ग्रीष्म ऋतु में दिन का तापमान 40° सेल्सियस से भी ऊपर रहता है। यहां जैवविविधता काफी कम है। फिर भी इस क्षेत्र में गजेल, ओरिक्स, हिरण, रेतीली बिल्ली, कांटेदार दुम वाली गिरगिट, धारीदार वाले लकड़बग्घा, सियार, बीज्जू जैसे जानवर पाए जाते हैं। इस क्षेत्र में रेतीले टीले, लावा की फैली चट्टानें शुष्क पहाड़ियां तथा सुखी घाटियां स्थित है।
अरब मरुस्थल में निवास करने वाले अधिकांश लोग इस्लाम धर्म के अनुयाई हैं। इसके अतिरिक्त कुछ लोग ईसाई धर्म मानते हैं। इस क्षेत्र में खानाबदोश जीवन व्यतीत करने वाले लोगों को “बद्दू” (बद्ईन) के नाम से जाना जाता है। ये कबिलों में बैठे हुए होते हैं।
ईरानी मरुस्थल (Iran Desert)
“दास्त-ए-कावीर” और “दास्त-ए-लूट” ईरान में स्थित मरूस्थलों के नाम हैं। दास्त ए कावीर (Dusht-e-Kavir) मध्य ईरान में स्थित नमक का बड़ा पठार एवं उष्ण मरुस्थल है। यह कैस्पियन सागर के दक्षिण, दक्षिण-पूर्व तथा एलबुर्ज पर्वत के दक्षिण-पूर्व में अवस्थित है। 800 km. लम्बे और 500km. चौड़ाई में विस्तृत है। इस मरुस्थल का सम्पूर्ण क्षेत्रफल 77 हजार वर्ग किमी. है। यहां वर्षा बहुत ही कम एवं वाष्पीकरण बहुत ही अधिक होती है। इस भाग में नमक के दलदल पाए जाते हैं, जिसमें भार वाले जीव धंस जाते हैं।
दास्त-ए-लूट (Dusht-e-Lut) पूर्व ईरान में स्थित मुख्य रूप से बालुका स्तूप, नमक एवं बड़ी चट्टानों वाला मरूस्थल है। यहां नमक के कई दलदली झील है। 480 km. लम्बाई तथा 320 km. चौड़ाई में विस्तृत है। इस मरुस्थल का सम्पूर्ण क्षेत्रफल 51 हजार वर्ग किमी. है।
थार मरुस्थल (Thar Desert)
थार मरुस्थल की स्थिति भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमोत्तरी भाग है। थार मरुस्थल का 85% भाग भारत में तथा 15% भाग पाकिस्तान में है। पाकिस्तान में स्थित थार के भाग को चोलिस्तान के नाम से जाना जाता है। थार मरुस्थल बालू के टीबों से ढका एक तरंगित मैदान है। यह मरुस्थल भारत में अरावली पहाड़ी के पश्चिमी किनारे से पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चौलिस्तान तक विस्तृत है। भारत में थार मरुस्थल का अधिकांश भाग राजस्थान में स्थित है। हालांकि यह गुजरात, पंजाब और हरियाणा के कुछ हिस्सों तक फैला है। थार का पश्चिमी भाग मरुस्थलीय कहलाता है तथा बहुत ही शुष्क है। जबकि पूर्वी भाग कभी-कभी हल्की वर्षा प्राप्त करता है और कम रेतीला है।
थार मरुस्थल की जलवायु विषम है। इस क्षेत्र में वनस्पति की कमी के कारण दैनिक और वार्षिक तापांतर काफी अधिक होता है। यहां गर्मियों में दिन में रेत अधिक गर्म हो जाती है। जिससे तापमान बढ़कर 50 डिग्री सेल्सियस को पार कर जाता है। जबकि सर्दियों में तापमान घटकर शून्य के नीचे चला जाता है। थार मरुस्थल का पश्चिमी भाग अधिक मरुस्थलीय है। यहां वर्षा 15 सेंटीमीटर से भी कम होती है। वर्षा की कमी के कारण वनस्पतियों का आवरण कम है। जिस कारण वन्य जीव और मानव बसा भी कम पाए जाते हैं।
वर्षा ऋतु में ही यहां कुछ नदियां दिखाई पड़ती है। उसके बाद वह बालू में ही विलीन हो जाती है। पर्याप्त जल नहीं मिलने से वे समुद्र तक भी नहीं पहुंच पाती है। भारतीय क्षेत्र में केवल “लूनी” ही सबसे बड़ी नदी है और वह भी गुजरात के कच्छ के रण में विलीन हो जाती है। बरकान (अर्धचंद्राकार बालू का टीला) का विस्तार यहां पाया जाता है। जैसलमेर में ये बरकान टीले बहुतायत में देखे जा सकते हैं।
थार मरुस्थल के लोग वीर और साहसी होते हैं। यहां का मुख्य व्यवसाय पशुपालन है। ऊंट थार का प्रमुख पशु है। इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहते हैं। इसके अलावा यहां बकरी, गाय, बैल, भैंस और घोड़े भी देखे जा सकते हैं।
गोबी मरुस्थल (Gobi Desert)
गोबी मरुस्थल मंगोलिया और चीन में स्थित है। हालांकि इसका मुख्य विस्तार मंगोलिया में है। यह विश्व के सबसे बड़े रेगिस्तान में से एक है। गोबी एक मंगोलियन शब्द है जिसका अर्थ होता है “जल रहित स्थान“! गोबी आज जिस अवस्था में है उस अवस्था में पहले नहीं था। प्राचीन समय में यहां समृद्ध बस्तियां बसी हुई थी। पर भौगोलिक कारणों की वजह से यह आज मरुस्थल में तब्दील हो गया।
गोबी एक ठंडी मरुस्थल है। इस मरुस्थल में तापमान शून्य से 40 डिग्री से भी नीचे चला जाता है। यहां न केवल साल भर तापमान बदलता है, बल्कि 24 घंटे में तापमान में व्यापक परिवर्तन हो जाता है। इस क्षेत्र में वर्षा 50 मिलीमीटर से 100 मिलीमीटर के बीच होती है। जो अधिकतर वर्षा गर्मियों के मौसम में होती है।
गोबी मरुस्थल का संबंध ‘भारतीय संस्कृति‘ से जुड़ा है। यहां पुरातात्विक खुदाई से बौद्ध स्तूपों, विहारों, बौद्ध एवं हिंदू देवताओं की मूर्तियां, बहुत सी पांडुलिपियों तथा भारतीय वर्णाक्षरों से संबंधित आलेख प्राप्त हुए हैं। 7वीं शताब्दी में चीनी यात्री ‘ह्वेनसांग‘ इसी गोबी रेगिस्तान के रास्ते भारत आया और फिर चीन वापस गया। ज्यों-ज्यों यहां रेगिस्तान का दायरा बढ़ता गया, त्यों-त्यों यहां भारतीय संस्कृति के साक्ष्य विलुप्त होते गए। गोबी मरुस्थल प्राचीन में मंगोल साम्राज्य का हिस्सा रहा है। यह मरुस्थल “रेशम मार्ग” से भी जुड़ा हुआ था।
तकला मकान (Takla makan Desert)
तकला मकान मरुस्थल मुख्यतः पश्चिमी चीन में स्थित है। यह मरुस्थल उत्तर में तारीम बेसिन, दक्षिण में कुनलून पर्वत, पश्चिम में पामीर के पठार तथा पूर्व में गोभी मरुस्थल के मध्य में अवस्थित है। तकला मकान रेगिस्तान 1000 किलोमीटर लंबा और 400 किलोमीटर की चौड़ाई में विस्तृत है। इस मरुस्थल को उत्तरी और दक्षिणी किनारों पर रेशम मार्ग की दो शाखाओं से इसे पार किया जा सकता है।
तकला मकान हिमालय के वृष्टि छाया क्षेत्र में स्थित है। जिस कारण यह एक ठंडी रेगिस्तान है। साइबेरिया से आने वाली वायु की ठंडी लहरें इस क्षेत्र को अधिक ठंड कर देती है। जिससे सर्दियों में तापमान गिरकर यहां 20°C के नीचे चला जाता है। वहीं गर्मियों में तापमान बढ़कर 40°C के ऊपर पहुंच जाता है। इस प्रकार इस मरुभूमि में वार्षिक तापांतर काफी अधिक रहता है। साथ ही यहां दैनिक तापांतर में भी बहुत अंतर देखने को मिलता है।
• उत्तरी अमेरिका में सोनोरन तथा मोजावे मरुस्थल
उत्तरी अमेरिका में विश्व के प्रमुख मरुस्थल सोनोरन तथा मोजावे स्थित है।
सोनोरन मरुस्थल (Sonoran Desert)
सोनोरन मरुस्थल उत्तरी अमेरिका में स्थित उष्ण मरुस्थल है। यह मरुस्थल संयुक्त राज्य अमेरिका के एरिजोना और कैलिफोर्निया तथा उत्तर-पश्चिम मेक्सिको में अवस्थित है। इस मरूस्थल का क्षेत्रफल 2,60,000 वर्ग किलोमीटर है।
सोनोरन मरुस्थल आस-पास के रेगिस्तानों ( ग्रेट बेसिन, मोजावे और चिहुआहुआन रेगिस्तान) से स्पष्ट रूप से अलग है। क्योंकि यह सर्दियों में उपोष्णकटिबंधीय गर्मी और वर्षा के दो मौसम प्रदान करता है।
सोनोरन मरुस्थल कई उप मरूस्थल से बना है।
• Colorado Desert
• Gran Desierto de Altar
• Lechuguilla Desert
• Tonopah Desert
• Yuha Desert
• Yuma Desert
मोजावे मरुस्थल (Mojave Desert)
मोजावे मरुस्थल उत्तरी अमेरिका का एक उष्ण मरुस्थल है। यह रेगिस्तान संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित दक्षिण तथा मध्य कैलिफोर्निया प्रांत, दक्षिण नेवाडा, दक्षिण यूटाह और एरिजोना प्रांत तक फैला हुआ है। मोजावे मरुस्थल के दक्षिण-पूर्व में सोनोरन मरुस्थल अवस्थित है।
कोलोरेडो मरूस्थल (Colorado Desert)
कैलिफ़ोर्निया का कोलोराडो रेगिस्तान बड़े सोनोरन रेगिस्तान का हिस्सा है। इसमें लगभग 7 मिलियन एकड़ (2,800,000 हेक्टेयर; 28,000 किमी 2) शामिल है, जिसमें भारी सिंचित कोचेला और शाही घाटियां स्थित हैं। ये कई अद्वितीय वनस्पतियों और जीवों का घर भी है।
• दक्षिण अमेरिका में अटाकामा और पेटागोनिया
दक्षिण अफ्रीका में विश्व के प्रमुख मरुस्थल अटाकामा और पेटागोनिया अवस्थित है।
अटाकामा मरुस्थल
अटाकामा मरुस्थल दक्षिण अमेरिका में स्थित एक उष्ण मरुस्थल है। इसका मुख्य विस्तार एंडीज पर्वतमाला के पश्चिम में प्रशांत तट के सहारे लगभग 1000 किलोमीटर तक फैला हुआ है। इसकी चौड़ाई 160 किलोमीटर है। यह मरुस्थल मुख्य रूप से चिली अवस्थित है। इसके अलावा इसका कुछ विस्तार पेरू में भी है। अटाकामा मरुस्थल का कुल क्षेत्रफल 1,05,000 वर्ग किलोमीटर है। इसका अधिकांश भाग नमक बेसिनों, बालू के ढेरों और बहते लावा से बना है। यह दुनिया का सबसे शुष्क मरुस्थल है। इस प्रकार यह विश्व की सबसे सुखी जगह है। अटाकामा मरुस्थल एक कोहरा मरुस्थल के रूप में भी जाना जाता है। कोहरा आने से मरुभूमि, पेड़-पौधों, कीटों और जानवरों पर व्यापक प्रभाव पड़ता है। इसी से वे जल ग्रहण करते हैं।
पेटागोनिया का मरुस्थल
पेटागोनिया मरुस्थल दक्षिण अमेरिका में स्थित एक ठंडा मरुस्थल है। यह मुख्य रूप से अर्जेंटीना में स्थित है। हालांकि इसका कुछ भाग दक्षिण-पूर्वी चिली तथा फॉकलैण्ड में भी है। इस रेगिस्तान के पश्चिम में एंडीज पर्वत तथा पूर्व में अटलांटिक महासागर है। कठोर मरुस्थली वातावरण के बावजूद पेटागोनिया में कई प्रकार के जीव जंतु निवास करते हैं। उल्लू, कम रिया, गुआनको, टयूको-टयूको, मारा, प्यूमा, ग्रे लोमड़ी, रेगिस्तानी गोधा (गिरगिट), नेवला इत्यादि।
• ऑस्ट्रेलिया का पश्चिमी मध्य मरुस्थल
आस्ट्रेलियाई मरुस्थल ऑस्ट्रेलिया के पश्चिमी और मध्य भाग में स्थित है। यह कई मरुस्थल से मिलकर बना है। ये मरुस्थल हैं- वृहत विक्टोरिया मरुस्थल, गिब्सन मरुस्थल, ग्रेट सैंडी मरुस्थल, तनामी मरुस्थल, सिम्पसन मरुस्थल तथा स्टुअर्ट स्टोनी मरुस्थल!
ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा मरुस्थल “वृहत विक्टोरिया मरुस्थल” (The Great Victoria Desert) है, जो पश्चिमी आस्ट्रेलिया और दक्षिण आस्ट्रेलिया में एक दुर्लभ आबादी वाला रेगिस्तान है। यह मरुस्थल दक्षिण में नल्लारबोर का मैदान, उत्तर में गिब्सन मरुस्थल, पूर्व में आयर झील तथा पश्चिम में हशेल पर्वत श्रेणी और विक्टोरिया पर्वत श्रेणी के बीच स्थित है।
• ग्रेट विक्टोरिया मरुस्थल के उत्तर में तथा ग्रेट सैंडी मरुस्थल के दक्षिण में स्थित है गिब्सन मरुस्थल!
• ग्रेट सैंडी मरुस्थल गिब्सन मरुस्थल के उत्तर में स्थित है।
☆ मरूस्थल बनने के कारण
विश्व मरुस्थल बनने का प्रमुख कारण वर्षा की कमी है। इन क्षेत्रों में 25 सेंटीमीटर से भी कम वर्षा होती है। जिसके कुछ प्रमुख कारण है-
• मध्य अक्षांशों के चक्रवात यहां तक नहीं पहुंच पाते हैं।
• इस पूरे क्षेत्र में विषुवत वृत और आर्कटिक वृत से आये हवा यहां नीचे उतरती है जिस कारण इस क्षेत्र में उच्च दाब का केंद्र बन जाता है।
• यह प्रदेश विषुवत रेखा से इतना दूर है यहां ITCZ (अंतः उष्णकटिबंधीय अभिसरण क्षेत्र) का प्रभाव यहां तक नहीं पहुंच पाता।
• अधिकांश मरुस्थल महाद्वीपों के पश्चिमी तट के किनारे पर स्थित हैं। इसका प्रमुख कारण यहां ठंडी समुद्र जलधारा का विकास होना है। ठंढ़ी जलधारा के विकास के कारण वर्षा नहीं हो पाती।
• पूर्वी तट से दूरी के कारण हवाएं यहां तक पहुंचने से पहले ही अपनी नमी को रास्ते में ही वर्षा के रूप में छोड़ देती है। जिस कारण यहां वर्षा वाले बादल नहीं पहुंच पाते।
• प्रति चक्रवाती दशाओं के कारण यहां वायु नीचे बैठ जाती है, जो वर्षा के लिए प्रतिकूल स्थिति पैदा करती है।
☆ मरूस्थलों से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
• मरुस्थल से अभिप्राय उस क्षेत्र से है जहां 25 सेंटीमीटर से कम वर्षा होती है। जिस कारण वनस्पति एवं जीव जंतु नगण्य पाए जाते हैं।
• उत्तरी गोलार्ध में चौड़े स्थल भाग मिलने के कारण ये मरूस्थल विस्तृत हैं।
• विश्व का सबसे बड़ा मरुस्थल सहारा है।
• थार मरुस्थल दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा मरुस्थल है। यह भारत और पाकिस्तान में स्थित है।
• यदि इनमें शीत मरुस्थल को भी शामिल किया जाए तो क्षेत्रफल की दृष्टि से अंटार्कटिक मरुस्थल सबसे बड़ा है। जबकि आर्कटिक मरुस्थल दूसरा सबसे बड़ा तथा सहारा तीसरा बड़ा मरुस्थल होगा।
• युरोप एक ऐसा महाद्वीप है जहां एक भी मरुस्थल नहीं है।
• विश्व के मरुस्थलों में सर्वाधिक जनसंख्या का घनत्व ‘थार मरुस्थल‘ में पाया जाता है।
• कालाहारी मरुस्थल का प्रमुख जीव शुतुरमुर्ग है।
• अटाकामा मरुस्थल “दुनिया का सबसे शुष्क” मरुस्थल है।
• अरब मरुस्थल विश्व का ‘सबसे बड़ा प्रायद्वीपय‘ मरुस्थल है।
☆ विश्व के प्रमुख मरुस्थल की सूची
एशिया
• गोबी – मंगोलिया और चीन
• थार – भारत
• चोलिस्तान (थार) – पाकिस्तान
• अरब – सउदी अरब (अरब प्रायद्वीप)
• अद दहना – अरब प्रायद्वीप
• अन नाफूद – अरब प्रायद्वीप
• रब अल खाली – अरब प्रायद्वीप ( सउदी अरब, यमन)
• दास्त-ए-कावीर – ईरान
• दास्त-ए-लूट – ईरान
• टकला मकान – चीन
• किजिल कुम – मध्य एशिया (कजाखस्तान और उजबेकिस्तान)
• कारा कुम – मध्य एशिया (तुर्कमेनिस्तान)
अफ्रीका
• सहारा – मोरक्को, माॅरिटानिया, माली, अल्जीरिया, ट्यूनीशिया, लीबिया, मिस्र, चार्ड एवं सूडान
• कालाहारी – बोत्सवाना, नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका
• नामिब – नामीबिया, अंगोला और दक्षिण अफ्रीका
• नूबियन– सूडान और मिश्र
उत्तरी अमेरिका
• सोनोरन – संयुक्त राज्य अमेरिका के एरिजोना और कैलिफोर्निया तथा उत्तर-पश्चिम मेक्सिको
• मोजावे – संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित दक्षिण तथा मध्य कैलिफोर्निया प्रांत, दक्षिण नेवाडा, दक्षिण यूटाह और एरिजोना प्रांत
दक्षिण अमेरिका
• अटाकामा – चिली और पेरू
• पेटागोनिया – अर्जेंटाइना,दक्षिण-पूर्वी चिली तथा फॉकलैण्ड
आस्ट्रेलिया
• सभी आस्ट्रेलिया में स्थित हैं जिन्हें पश्चिमी आस्ट्रेलियाई मरुस्थल के नाम से जाना जाता है। ये निम्न से मिलकर बना हैं।
• ग्रेट विक्टोरिया
• गिब्सन
• सिम्पसन
• ग्रेट सैंडी
• तनामी मरुस्थल
• स्टुअर्ट स्टोनी
• युरोप
यूरोप मरुस्थल नहीं है।
• अंटार्कटिक
• यहां शीत मरुस्थल स्थित है।
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