हिंदी के महान् उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

हिंदी के महान् उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद का नाम भारत के महान कथा सम्राट के रूप में जाना जाता है। वे लेखक के साथ-साथ अध्यापक और पत्रकार के रूप में भी जाने जाते हैं। निर्मला, गोदान जैसे कालजयी उपन्यास और पंच परमेश्वर, पूस की रात, कफन जैसे ह्रदय को आंदोलित करने वाले रचनाकार है प्रेमचंद। गांधी जी के आह्वान पर वे असहयोग आंदोलन में सरकारी नौकरी छोड़कर कूद पड़े।

मुंशी प्रेमचंद का पारिवारिक जीवन 

• इनका जन्म 31 जुलाई 1880 ई• को वाराणसी के पास “लमही” गांव में हुआ था।
• वे कायस्थ परिवार से संबंधित थे।
• उनका बचपन का नाम “धनपत राय” था।
• 7 वर्ष की आयु में है ही उनकी मां “आनंदी देवी” का निधन हो गया।
• उनके पिता “अजायब राय” ने दूसरी विवाह कर ली।
• जब वे 15 वर्ष के हुए तब उनकी शादी कर दी गई।
• 16 वर्ष की आयु होते होते उनके पिता की मृत्यु हो गई।
• सौतेली मां का व्यवहार, बचपन में शादी, सामाजिक कर्मकांड इत्यादि का अनुभव उन्होंने 16 वर्ष की आयु में ही कर ली थी।
• वे एक वकील के यहां ट्यूशन पढ़ा कर अपना गुजारा करने लगे।

• इस कारण उनका प्रारंभिक जीवन “संघर्ष” में बीता।
• उन्होंने 1906 में दूसरा विवाह बाल विधवा “शिवरानी देवी” से किया।
• प्रेमचंद की मृत्यु के बाद “शिवरानी देवी” ने उन पर एक किताब “प्रेमचंद घर में” लिखी थी।
• श्रीपत राय, अमृत राय और कमला देवी उनकी तीन संताने है।
• माया नगरी मुंबई में प्रेमचंद फिल्मों की “पटकथा” लिखने गए । परंतु दो-तीन वर्षों में ही उन्हें बनारस लौटना पड़ा।
• 1934 ई• में प्रदर्शित की गई फिल्म “मजदूर” की कहानी उन्होंने ही लिखी थी।
• 1921 ई• में असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी के आह्वान पर उन्होंने स्कूल इंस्पेक्टर की सरकारी नौकरी छोड़ दी।
• साथ ही उन्होंने जनता में देशभक्ति की भावना पैदा करने का काम किया।
• स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान वे जेल भी गए।


 

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मुंशी प्रेमचंद की शिक्षा

• उनकी प्रारंभिक शिक्षा मदरसे में एक मौलवी की देखरेख में हुई थी, जहां से उन्होंने उर्दू की शिक्षा ग्रहण की।
• कड़ी मेहनत से उन्होंने 1898 ई• में मैट्रिक की परीक्षा पास की।
• मैट्रिक की परीक्षा पास करने के बाद वे गांव के एक विद्यालय में ही शिक्षक नियुक्त हुए।
• 1910 ई• में अंग्रेजी, दर्शन, फारसी और इतिहास लेकर इंटर किया।
• 1919 में उन्होंने अंग्रेजी, फारसी, इतिहास लेकर B.A. की डिग्री हासिल की।
• बीए की परीक्षा पास करने के बाद वे शिक्षा विभाग के इंस्पेक्टर पद पर नियुक्त हुए।

मुंशी प्रेमचंद की साहित्य रचना

• वर्ष 1901ई• से ही प्रेमचंद लिखना शुरू कर दिए थे, तब वे उर्दू में लिखा करते थे।
• उनका पहला उर्दू में लिखा गया उपन्यास “असरारे मआबिद” है।
• 1908 ई• में देशभक्ति से ओतप्रोत “सोज-ए-वतन” कहानी संग्रह प्रकाशित हुआ था।
• 1910 ई• में उनकी रचना “सोज-ए-वतन” को देशद्रोही कहकर प्रतिबंधित कर दिया गया।
• शुरू में प्रेमचंद “नवाब राय” के नाम से लिखा करते थे।
• अंग्रेजों द्वारा प्रतिबंधित किए जाने के बाद वे “प्रेमचंद” के छद्म नाम से अपनी रचना लिखना शुरू किया।

• आगे चलकर इतिहास में यही नाम अमर हो गया।
• प्रेमचंद के नाम से उनकी पहली कहानी बड़े घर की बेटी प्रकाशित हुई।
• 1918 ई• में उनका पहला हिंदी उपन्यास “सेवासदन” प्रकाशित हुआ।
• कफन अंतिम कहानी, गोदान अंतिम पूर्ण उपन्यास तथा मंगलसूत्र अंतिम अपूर्ण उपन्यास माना जाता है।
• इनकी अधिकतर कहानियों में निम्न एवं मध्यम वर्ग का चित्रण किया गया है।
• उन्होंने तीन सो से अधिक कहानियां एक दर्जन से अधिक उपन्यास और दो नाटक लिखें।
• उनकी सभी कहानियां मानसरोवर के नाम से आठ भागों में प्रकाशित हुई।
• उनकी प्रसिद्ध कहानियों में पंच परमेश्वर, ईदगाह, शतरंज के खिलाड़ी, पूस की रात, बड़े घर की बेटी, कफन, नमक का दरोगा है।
• जबकि गबन, गोदान, रंगभूमि,प्रेमाश्रय, कर्मभूमि और निर्मला उनकी प्रसिद्ध उपन्यास है।


 

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मुंशी प्रेमचंद द्वारा पत्र-पत्रिकाओं का संपादन

• सरकारी नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने लेखन को अपना व्यवसाय बनाया।
• मर्यादा, माधुरी जैसे पत्रिकाओं में वे संपादक के तौर पर कार्य किया।
• उन्होंने एक सहयोगी के साथ मिलकर सरस्वती प्रेस खरीदी जहां से उन्होंने हंस और जागरण का प्रकाशन किया।
• प्रेमचंद के रचनाओं का सभी भारतीय भाषाओं और अनेक विदेशी भाषाओं में अनुवाद किया गया है।
• 8 अक्टूबर 1936 ई• को अमर कथानक मुंशी प्रेमचंद दुनिया से सदा के लिए विदा हो गए।

मुंशी प्रेमचंद की रचना पर आधारित फिल्में

मुंशी प्रेमचंद की रचना पर कई फिल्में एवं धारावाहिक का निर्माण किया गया है।

• शतरंज के खिलाड़ी, सद्गति, सेवा सदन, गोदान, गबन पर फिल्में बनाई गई।
• उनकी कहानी “कफन” पर आधारित तेलुगु में “ओका ऊरी कथा” नामक फिल्म बनाया गया है। जिसे तेलुगु का सर्वश्रेष्ठ राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार दिया गया।
• 1980 ई• में उनके उपन्यास “निर्मला” पर टीवी धारावाहिक का निर्माण हुआ था। जो बहुत ही लोकप्रिय हुआ।


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