Class 10th geography quiz chapter 1st संसाधन एवं विकास
• Class:- 10th.
• Subject:- Geography
• Chapter:- 01. Resources and development (संसाधन एवं विकास)
• 20 क्वीज प्रश्न व्याख्या सहित
हमारे पर्यावरण में उपलब्ध प्रत्येक वस्तु जो मानव की आवश्यकता को पूरी करता है. और जिसको बनाने के लिए प्रौद्योगिकी उपलब्ध है, जो आर्थिक रूप से संभाव्य और सांस्कृतिक रूप से मान्य है, उसे संसाधन करते हैं. आसान भाषा में कहे तो जो हमारी, आपकी आवश्यकता को जो पुरी करता है उसे संसाधन कहते हैं. जैसे:- सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, जल, वन, खनिज, मोटरगाड़ी इत्यादि.
संसाधन को कई आधारों पर बांटा जा सकता है.
• उत्पत्ति के आधार पर जैव और अजैव संसाधन
• समाप्यता के आधार पर नवीकरण योग्य और अनवीकरण योग्य
• स्वामित्व के आधार पर व्यक्तिगत, सामुदायिक, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय
• विकास के स्तर के आधार पर संभावी, विकसित, भंडार और संचित कोष
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20 प्रश्नों का Quiz व्याख्या सहित आगे है ?
आवश्यकता को अविष्कार की जननी माना जाता है. जैसे-जैसे आवश्यकताएं पड़ी वैसे-वैसे तकनीके विकसित कर मानव ने संसाधनों का दोहन किया. मानव द्वारा संसाधनों के अति दोहन से विश्व स्तर पर पर्यावरण संकट उत्पन्न हुआ. जैसे भूमंडलीय तापन, ओजोन परत का ह्रास होना, पर्यावरण प्रदूषण, भू निम्नीकरण बाढ़, सुखा इत्यादि.
पारिस्थितिक असंतुलन उत्पन्न होने के कारण ही वैश्विक स्तर पर पर्यावरण संरक्षण हेतु सतत् पोषणीय विकास की अवधारणा सामने आई है.
” सतत पोषणीय आर्थिक विकास का अर्थ है कि विकास पर्यावरण को बिना नुकसान पहुंचाए हो और वर्तमान विकास की प्रक्रिया भविष्य की पीढ़ियों की आवश्यकता की अवहेलना न करें”
सतत् पोषणीय विकास हेतु 1992 में ब्राजील के शहर रियो डी जेनरो में 100 से अधिक वैश्विक नेताओं का सम्मेलन हुआ. इस पहले पृथ्वी सम्मेलन में एजेंडा 21 पर सहमति जताई गई.
सतत् पोषणीय विकास के क्रियान्वयन अथवा संसाधनों के विवेकपूर्ण उपयोग हेतु संसाधन नियोजन एक महत्वपूर्ण कार्यनीति है. यह मुख्यतः तीन चरणों में संपन्न होती है.
• पहले चरण के अंतर्गत संसाधनों की खोज करना, मानचित्र तैयार करना है, उनकी मात्रा एवं गुणों की जांच करना होता है.
• दूसरे चरण के तहत संबंधित कल-कारखानों की स्थापना करना होता है.
• तीसरे चरण के अंतर्गत संसाधन विकास योजना व राष्ट्रीय विकास योजनाओं में समन्वय स्थापित करना होता है.
20 प्रश्नों का Quiz व्याख्या सहित आगे है ?
भारत में संसाधनों का वितरण असमान रूप से है तथा सीमित मात्रा में है. उत्तर के मैदानी इलाकों में जहां भूमि और जल संसाधन है तो वहां खनिज संसाधनों का अभाव है. वहीं भारत के पठारी इलाकों में जहां खनिज संसाधन पाए जाते हैं तो वहां भूमि और जल संसाधन की कमी देखी गई है. उसी तरह से भारत के राजस्थान में जहां सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा पर्याप्त है वही जल संसाधन की कमी है. अत: इस कारण संसाधनों का संरक्षण आवश्यक है.
भूमि संसाधन एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक नवीकरणीय संसाधन है. हर एक जीव के अस्तित्व के लिए भूमि संसाधन आवश्यक है. क्योंकि खाने के लिए अन्न, पीने के लिए जल, और रहने के लिए आवास इसी भूमि से प्राप्त होता है. भारत की 43% भूभाग पर मैदान 30% भूभाग पर पर्वत और 27% भूभाग पर पठार अवस्थित है.
भू उपयोग भारत के किसी भी क्षेत्र में मानव द्वारा भूमि के उपयोग को इंगित करता है. किसी भी क्षेत्र के पर्यावरण संतुलन में उपयोग की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. भारत में उपयोग प्रारूप मुख्यतः पांच उद्देश्यों को लेकर किया जा रहा है.
पह्
1• वन क्षेत्र
2• कृषि के लिए अनुपलब्ध भूमि
3• परती भूमि के अतिरिक्त अन्य कृषि अयोग्य भूमि
4• परती भूमि और
5• शुद्ध बोया (निवल) गया क्षेत्र
संसाधन एवं विकास चैपटर से 20 प्रश्नों का Quiz व्याख्या सहित आगे है ?
मिट्टी अर्थात मृदा पेड़ पौधों तथा फसलों के विकास के लिए आवश्यक है. मृदा के प्रकृति पर पेड़ पौधों और फसलों का जीवन निर्भर करता है. जो मानव सहित अन्य जीवो के अस्तित्व के लिए आवश्यक है. भारत में मुख्यतः छह प्रकार की मिट्टी पाई जाती है.
1• जलोढ़ मृदा
2• काली मृदा
3• लाल एवं पीली मृदा
4• लेटराइट मृदा
5• मरुस्थलीय मृदा और
6• पर्वतीय मृदा
कई प्रकार के मानवीय क्रियाकलाप जैसे पेड़ों की कटाई, खनन, गलत तरीके से कृषि, निर्माण कार्य आदि के कारण मृदा का अपरदन हुआ है. मृदा संरक्षण करना है तो हमें वृक्षारोपण, सीढ़ीनुमा कृषि, समोच रखिये जुताई, चना गांव का उचित प्रबंधन आदि तरीके अपनाना होगा.
? • विकास क्या है अर्थशास्त्र कक्षा 10
Class 10th geography quiz chapter 1st
⭐ 20 प्रश्न के लिए 10 मिनट का समय दिया गया है
Results
#1. इनमें से किस मिट्टी को “रेगर” या “रेगुर” मृदा भी कहा जाता है?
उत्तर:- (C) काली मिट्टी
व्याख्या:-
• काली मिट्टी को रेगर या रेगुर मृदा के नाम से भी जाना जाता है.
• काली मिट्टी भारत की उपजाऊ मिट्टी है.
• इस मिट्टी का विस्तार दक्कन के पठार में पाया जाता है.
• काली मृदा का निर्माण ज्वालामुखी के विस्फोट से निकले बैसाल्ट चट्टान के अपक्षय से हुआ है.
#2. काजू की फसल के लिए सबसे उपयुक्त मृदा कौन सी मानी जाती है?
उत्तर:- (D) लेटराइट मिट्टी
व्याख्या:-
• काजू के लिए सबसे उपयुक्त लेटराइट मिट्टी है.
• केरल में लेटराइट मिट्टी का विस्तार सबसे अधिक पाया जाता है.
• इसी मृृदा में केरल के पहाड़ी ढ़लानों पर काजू की फसल बहुतायत में की जाती है.
#3. इनमें से कौन सा संसाधन राष्ट्रीय संसाधन नहीं है?
उत्तर:- (A) तालाब
व्याख्या:-
• तालाब राष्ट्रीय संसाधन के अंतर्गत नहीं आता.
• यह सामुदायिक संसाधन के अंतर्गत आता है.
• तालाब किसी खास व्यक्ति का होने से इसे व्यक्तिगत संसाधन के रूप में भी रखा जाता है.
#4. पवन ऊर्जा निम्न में से किस प्रकार का संसाधन है?
उत्तर:- (A) पुन: पूर्ति योग्य
व्याख्या:-
• पवन ऊर्जा पुनः पूर्ति योग्य ऊर्जा कहलाता है इसे नवीकरणीय ऊर्जा भी कहते हैं.
• पवन ऊर्जा कभी न समाप्त होने वाला ऊर्जा स्रोत है.
#5. मिट्टी की परिपक्वता इनमें से किस कारण से प्रभावित होती है.
उत्तर:- (B) समय
व्याख्या:-
• मिट्टी की परिपक्वता समय पर निर्भर करता है. जिस क्षेत्र में मिट्टी की निर्माण जितना पूर्व में प्रारंभ हुआ है वह मिट्टी उतने ही परिपक्व होगी.
• क्योंकि कुछ सेंटीमीटर मिट्टी के निर्माण में लाखों साल लग जाते हैं.
#6. खनिजों से बने वैसे वस्तुएं जिन्हें टूटने-फूटने के बाद पुन: उपयोग के लायक बनाया जा सकता है उसे क्या कहा जाता है?
उत्तर:- (C) चक्रीय
व्याख्या:-
• खनिजों से बनी वस्तुएं टूटने-फूटने के बाद कारखानों के द्वारा पुन: दूसरी वस्तु उत्पादित की जा सकती है. उसे चक्रीय कहते हैं. जैसे लोहा, तांबा, टिन, एल्यूमिनियम इत्यादि.
• हरा के खनिज संसाधन अनवीकरणीय संसाधन होते हैं जिसे जमीन के नीचे बनने में लाखों-करोड़ों साल लग जाते हैं.
• जबकि नवीकरणीय या पुनः पूर्ति योग्य वे संसाधन होते हैं जो हमेशा या एक समय अंतराल पर प्राप्त होते रहते हैं.
#7. इनमें से किस राज्य में सीढ़ीनुमा (सोपानी) कृषि की जाती है?
उत्तर:- (C) उतराखंड
व्याख्या:-
• उत्तराखंड में सीढ़ीनुमा (सोपानी) कृषि की जाती है.
• उत्तराखंड हिमालय पर्वत से घिरा भारत का एक प्रदेश है.
• पर्वतीय या पठारी ढाल वाले भूभाग में सीढ़ीनुमा कृषि की जाती है.
#8. पहाड़ी या पर्वतीय क्षेत्रों में मृदा अपरदन रोकने के लिए इनमें से कौन से कारक महत्वपूर्ण नहीं है?
उत्तर:- (B) वृक्षों की रक्षक मेखला
व्याख्या:-
• पर्वतीय या पहाड़ी क्षेत्रों में मृदा अपरदन रोकने के लिए समोच्च रेखीय जुताई, सीढ़ीनुमा कृषि, घास की पेटी महत्वपूर्ण कारक है.
• जबकि वृक्षों की रक्षक मेखला मरुस्थलीय क्षेत्रों में मृदा अपरदन रोकने में सहायक है.
⭐ वृक्षों की रक्षक मेखला:- वृक्षों को कतार में लगाने को रक्षक मेखला कहा जाता है.
• इससे हवा की गति कम हो जाती है और वायु अपरदन कम होता है.
#9. भारत के कितने प्रतिशत भू धरातल पर मैदान का विस्तार है?
उत्तर:- (D) 43 %
व्याख्या:-
• भारत के कुल भू धरातल का लगभग 45% भूभाग पर मैदान पाए जाता है.
• जबकि 27% भूभाग पर पठार और 30% भूभाग पर पर्वत का विस्तार है.
#10. इनमें से सबसे नवीन जलोढ़ मृदा कौन सी है?
उत्तर:- (B) खादर
व्याख्या:-
• सबसे नवीन जलोढ़ मृदा खादर को कहा जाता है.
• जहां प्रतिवर्ष बाढ़ का पानी पहुंचता है वहां नवीन जलोढ़ मृदा पाया जाता है.
• यह मिट्टी खादर की तुलना में महीन एवं अधिक उपजाऊ होती है.
#11. प्रथम पृथ्वी सम्मेलन रियो डी जेनेरो में कब हुआ?
उत्तर:- (A) वर्ष 1992 ई•
व्याख्या:-
• पर्यावरण संरक्षण हेतु ब्राजील के शहर रियो डी जेनरों में पहली बार पृथ्वी सम्मेलन 1992 में आयोजित हुआ.
• इस सम्मेलन में विश्व के 100 से अधिक राष्ट्राध्यक्षों ने भाग लिया.
• इसी सम्मेलन में 21वीं शताब्दी में सतत् पोषणीय विकास के लिए एजेंडा 21 को स्वीकृति प्रदान की गई.
#12. इनमें से किन राज्यों में जलोढ़ मृदा पाई जाती है?
उतर:- (D) उत्तर प्रदेश और बिहार
व्याख्या:-
• उत्तर प्रदेश और बिहार में जलोढ़ मृदा पाई जाती है.
• भारत में मुख्य दो प्रकार की मिट्टी पाई जाती है. उनमें से जलोढ़ मिट्टी उपजाऊ मिट्टी में से एक है.
• जलोढ़ मृदा का निर्माण नदियों द्वारा बहाकर जलोढ़ीय पदार्थों से हुआ है.
• उत्तर भारत का मैदान जलोढ़ मैदान के रूप में जाना जाता है.
#13. इनमें से कपास के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी कौन सी है?
उत्तर:- (B) काली मिट्टी
व्याख्या:-
• काली मिट्टी कपास के लिए सर्वोत्तम मानी जाती.
• काली मिट्टी का विस्तार दक्षिण भारत में ढक्कन पठार क्षेत्र में है.
• इस मिट्टी में नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है.
#14. इनमें से कौन सा संसाधन राजस्थान में संभावी संसाधन के रूप में विद्यमान है?
उत्तर:- (C) सौर ऊर्जा
व्याख्या:-
• राजस्थान में सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा संभावी ऊर्जा है.
• क्योंकि इस प्रदेश में पवन और सौर ऊर्जा की अपार संभावनाएं हैं! पर उस अनुपात में इसका विकास नहीं हो पाया.
#15. इनमें से किस मिट्टी का निर्माण अत्यधिक वर्षा से निक्षालन (Leaching) के कारण होता है?
उत्तर:- (B) लेटराइट मिट्टी
व्याख्या:-
• अत्यधिक वर्षा से निक्षालन (Leaching) के कारण लेटेराइट मृदा का निर्माण होता है.
• निक्षालन (Leaching):- निक्षालन व प्रक्रिया है जिससे अत्यधिक वर्षा के कारण मिट्टी में पाए जाने वाले चिपचिपा पोषक पदार्थ धूल कर मिट्टी से बाहर निकल जाता है. और मिट्टी कठोर हो जाती है.
• इस प्रक्रिया को निक्षालन कहा जाता है.
• इसलिए लैटेराइट मृदा में पोषक तत्वों की बड़ी कमी रहती है.
#16. लौह अयस्क किस प्रकार का संसाधन है?
उत्तर (D) अनवीकरण योग्य
व्याख्या
• अनवीकरण योग्य संसाधन वे होते हैं जिसे बनने में लाखों-करोड़ों वर्ष लग जाते है समय ही जो एक न एक दिन समाप्त हो जाएगा.
• लोहा अयस्क भी अनवीकरण योग्य संसाधन है जिसे जमीन के अंदर बनने में लाखों साल लग जाते हैं.
#17. भारत के पूर्वी समुद्र तटीय क्षेत्रों में किस प्रकार के मृदा पाई जाती है?
उत्तर:- (A) जलोढ़ मृदा
व्याख्या:-
• भारत के पूर्वी समुद्र तटीय क्षेत्रों में मुख्य रूप से जलोढ़ मृदा पाई जाती है.
#18. भारत के लगभग सभी प्रकार की मिट्टियों में इनमें से कौन सा पोषक तत्व की कमी पाई जाती है?
उत्तर:- (B) नाइट्रोजन
व्याख्या:-
• भारत के लगभग हरेक मिट्टी में नाइट्रोजन की कमी पाई जाती है.
• भारत की सबसे अधिक उपजाऊ मिट्टी काली और जलोढ़ मृदा में भी नाइट्रोजन की कमी पाई जाती है.
#19. इनमें से सबसे उपजाऊ मृदा कौन सी है?
उत्तर:- (D) काली मिट्टी
व्याख्या:-
• उपरोक्त में से काली मिट्टी सबसे उपजाऊ मिट्टी के रूप में जानी जाती है.
• भारत में काली मिट्टी का विस्तार मुख्य रूप से कर्क रेखा के दक्षिण में दक्कन के पठार में पाया जाता है.
• काली मिट्टी कपास के लिए प्रसिद्ध है.
#20. संसाधन नियोजन की किस प्रक्रिया के तहत देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उसकी तालिका बनाए जाती हैं?
उत्तर:- (A) पहली प्रक्रिया
व्याख्या:-
• संसाधन नियोजन की तीन प्रक्रिया है.
• संसाधन नियोजन की पहली प्रक्रिया के तहत देश के विभिन्न प्रदेशों में संसाधनों की पहचान कर उसकी तालिका बनाए जाती है.
• साथ ही पहले प्रक्रिया के तहत मानचित्र बनाना एवं संसाधनों का गुणात्मक एवं मात्रात्मक अनुमान लगाया जाता है.
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