कुंभ मेला कहाँ-कहाँ लगता है क्या है कुंभ से जुड़ी रोचक तथ्य

कुंभ मेला कहाँ-कहाँ लगता है क्या है कुंभ से जुड़ी रोचक तथ्य

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Kumbh Mela, India

कुंभ मेला सनातन धर्म के अनुसार भारत में मनाया जाने वाला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है। कुंभ मेला हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व मेला है। भारत में 4 स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में 12 वर्षों के अंतराल पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। खगोल गणनाओं के अनुसार यह मेला मकर संक्रांति के दिन प्रारंभ होता है। मकर संक्रांति के दिन होने वाले इस योग को कुंभ स्नान योग कहा जाता है। इस दिन को विशेषकर मंगलकारी माना जाता है। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन पृथ्वी से स्वर्ग लोक के द्वार खुलते हैं।

कुंभ मेला इन्हीं चार स्थानों पर क्यों  होता है:-

कुंभ मेले के आयोजन को लेकर 2, 3 पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। जिनमें से सर्वाधिक मान्य कथा देव-दानवों के बीच अमृत मंथन से जुड़ी कथा है। इस कथा के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश समुद्र से निकला तो देवताओं के इशारे पर इंद्र के पुत्र जयंत ने अमृत कलश को लेकर भाग गए। तत्पश्चात दैत्य गुरु शुक्राचार्य के आदेशाअनुसार दैत्यों ने अमृत वापस लेने के लिए जयंत का पीछा किया।

आखिरकार जयंत पकड़ा गया। अमृत कलश लेने के लिए देवता और दानवों के बीच 12 दिनों तक लगातार युद्ध होता रहा। इस अभिराम युद्ध के दौरान पृथ्वी के चार स्थानों (प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक) में कलश से अमृत की कुछ बूंदे गिरी थी। कलह समाप्त करने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण कर देवताओं को अमृत पान करवा कर अमर कर दिया। इस प्रकार देवताओं और दानवों के बीच युद्ध की समाप्ति हुई।

अमृत प्राप्ति के लिए देवताओं और दानवों के बीच निरंतर 12 दिनों तक युद्ध चला था। देवताओं के 12 दिन मनुष्यों के 12 वर्षों के बराबर होते हैं। 12 वर्षों पर 12 स्थान पर होता है. इन 12 स्थानों में 4 स्थान पृथ्वी पर है। जबकि आठ स्थान देवलोक में माने गए हैं .जहां मनुष्य की पहुंच नहीं है।

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कुंभ मेले के प्रकार:-

• पूर्ण कुंभ मेला:-

यह मेला प्रत्येक 12 वर्षों के अंतराल पर भारत के चार स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन में आयोजित किया जाता है।

• महाकुंभ मेला:-

यह महाकुंभ का मेला केवल प्रयागराज में आयोजित किया जाता है। जो प्रत्येक 144 वर्षों में या 12 पूर्ण कुंभ मेले के बाद आयोजित की जाती है।

• अर्धकुंभ मेला:-

दो पूर्ण कुंभ मेले के बीच 6 वर्षों के अंतराल पर होने वाले मेले को अर्ध कुंभ मेला के नाम से जाना जाता है। अर्ध कुंभ मेला भारत के केवल दो स्थानों प्रयागराज और हरिद्वार में आयोजित की जाती है।

• माघ कुंभ मेला:-

इसे लघु कुंभ मेले के रूप में भी जाना जाता है। जो प्रतिवर्ष केवल प्रयागराज में आयोजित की जाती है। इस मेले का आयोजन हिंदू पंचांग के अनुसार माघ के महीने में होती है।

कुंभ मेले से संबंधित कुछ रोचक तथ्य:-

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Kumbh mela के दौरान डुबकी

• कुंभ मेले का पहला लिखित प्रमाण भागवत पुराण से मिलता है।
• चीनी यात्री ह्वेनसांग ने हर्षवर्धन के शासनकाल के दौरान कुंभ मेले के आयोजन का उल्लेख किया है।
• कुंभ का अर्थ होता है अमृत कलश।

• कुंभ मेला सनातन धर्म के अनुसार भारत में मनाया जाने वाला विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक मेला है।
• यह हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है
• भारत में 4 स्थानों पर प्रयागराज ,हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में आयोजित किया जाता है।
• पौराणिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के दौरान अमृत के लिए देवता और असुरों के बीच झीना-झपटी के दौरान अमृत की कुछ बुंद इन्हीं चार स्थानों पर गिरे थे।

• इन चारों स्थानों में 12 वर्षों में यहां कुंभ मेला का आयोजन किया जाता है।
• इन चार स्थानों में केवल प्रयागराज और हरिद्वार में दो कुंभ के बीच 6 वर्षों के अंतराल पर अर्ध कुंभ का आयोजन किया जाता है।
• देश-विदेश से करोड़ों की संख्या में इन कुंभ मेला में श्रद्धालु पहुंचते हैं।

• कुंभ का प्रमुख आकर्षण साधु-संतों के 13 अखाड़े होते हैं।
• हालांकि इसमें और दो अखाड़े शामिल हो गए हैं, किन्नर अखाड़ा और महिला नागा साधु का अखाड़ा।
• इन अखाड़ों के साधु संत कुंभ की प्रमुख तिथियों के दिन पूरी शानो शौकत के साथ शाही स्नान करने निकलते हैं।

• दिसंबर 2017 में हिंदुओं की सबसे बड़ी तीर्थ में शामिल कुंभ मेले को यूनेस्को ने “मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत” की सूची में शामिल किया.

हाल के वर्षों में कुंभ का आयोजन:-

भारत के चार स्थानों में प्रयागराज, हरिद्वार, नाशिक और उज्जैन में ही कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। आइए देखते हैं हाल के वर्षों में इन चार स्थानों पर कब-कब मेले के आयोजन किए गए हैं! और आगे कब किए जानें हैं।

☆ प्रयाग राज (उत्तर प्रदेश):-

गंगा, जमुना और प्राचीन नदी सरस्वती के संगम पर अवस्थित प्रयागराज में कुंभ के सभी प्रकार के मेले आयोजित किए जाते हैं। यहां पर कुंभ का आयोजन तब होता है जब बृहस्पति वृश्चिक राशि और सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।

आइए देखते हैं कि हाल के वर्षों में प्रयागराज में पूर्ण कुंभ और अर्ध कुंभ मेले कब आयोजित किए गए हैं और कब किए जानें हैं।

• 1989 में कुंभ
• 1995 में अर्धकुंभ
• 2001 में कुंभ
• 2007 में अर्धकुंभ
• 2013 में कुंभ
• 2019 में अर्धकुंभ
• 2025 में कुंभ (संभावित)

☆ हरिद्धार (उतराखण्ड):-

हिमालय पर्वत से नीचे उतरकर गंगा नदी हरिद्वार में मैदानी भाग में प्रवेश करती है। इसी पवित्र स्थल पर कुंभ और अर्ध कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। इस पवित्र स्थल पर दो कुंभ मेलों के बीच 6 वर्षों के अंतराल पर अर्ध कुंभ मेले का भी आयोजन किया जाता है। यह आयोजन जब सूर्य मेष राशि और बृहस्पति कुंभ राशि में प्रवेश करते हैं तब होता है।

आइए देखते हैं हाल के वर्षों में इस पवित्र स्थल पर कब-कब कुंभ और अर्ध कुंभ मेले का आयोजन किया गया।

• 1998 में कुंभ
• 2004 में अर्धकुंभ
• 2010 में कुंभ
• 2016 में अर्धकुंभ
• 2021 में कुंभ ( मेले के आयोजन की तिथियां घोषित हो चुकी है)

☆ नासिक (महाराष्ट्र):-

यह पवित्र स्थल गोदावरी नदी के तट पर अवस्थित है। सूर्य और बृहस्पति सिंह राशि में जब प्रवेश करते हैं, तब यहां कुंभ का आयोजन होता है। इस कारण इसे सिंहस्त कुंभ कहा जाता है। हाल के वर्षों में आयोजित कुंभ मेला-

• 2003 में
• 2015 में
• 2027 में (संभावित)

☆ उज्जैन (मध्यप्रदेश):-

शिप्रा नदी के तट पर अवस्थित उज्जैन में 12 वर्षों के अंतराल पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है। यह पर्व तब मनाया जाता है जब वृहस्पति सिंह राशि पर स्थित रहता है। यहां पुण्य स्नान की विधियां चैत्र मास की पूर्णिमा से प्रारंभ होती है।

आइए देखते हैं उज्जैन में हाल के वर्षों में कब कुंभ मेले का आयोजन हुआ और कब होने हैं-

• 2004 में
• 2016 में
• 2028 में (संभावित)

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प्रस्तुति
www.gyantarang.com

संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी
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धन्यवाद!

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