खोरठा गीतकार विनय तिवारी का जीवन परिचय | Binay Tewary Life Story
खोरठा गीतकार विनय तिवारी एक ऐसा नाम जिसने अपने गीतों से खोरठा को नई ऊंचाई तक पहुंचाया। देश ही नहीं विदेशों में उनके गीतों ने धूम मचाई। खोरठा को गुमनामी से निकालकर जनमानस तक पहुंचाया। आज विश्व पटल पर खोरठा की एक छाप है तो इसमें बड़ा योगदान गीतकार विनय तिवारी का है। उनके द्वारा रचित गीतों को उदित नारायण, कुमार सानू, अनूप जलोटा, मनोज देहाती जैसे प्रसिद्ध गायकों ने अपने स्वर दिए हैं। उनकी रचनाएं झारखंड सरकार की पाठ्य पुस्तकों में शामिल हो रही है। उनके गीतों पर विश्वविद्यालय में शोध किए जा रहे हैं। वे केवल गीतकार ही नहीं, बल्कि पटकथा लेखक और फिल्म निर्देशक भी रह चुके हैं। इन्हीं अनुपम योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया। आज इस पोस्ट में खोरठा गीतकार विनय तिवारी का जीवन परिचय जानेंगे।
विषय वस्तु
☆ पारिवारिक जीवन
☆ शिक्षा
☆ खोरठा के क्षेत्र में योगदान
☆ सम्मान/पुरस्कार
☆ पारिवारिक जीवन
जन्म:- 05 अक्टूबर 1974 ई.
जिला:- धनबाद, राज्य:- झारखण्ड
पुरा नाम:- विनय कुमार तिवारी (Binay Kumar Tewary)
खोरठा गीतकार विनय तिवारी (BINAY TEWARY) का जन्म एक मध्यम किसान परिवार में 5 अक्टूबर 1974 ई. को धनबाद जिला के तोपचांची प्रखंड के रोआम (रोवाम) गांव में हुआ था। इनका पुरा नाम विनय कुमार तिवारी है। खोरठा गीतकार के रुप में उल्लेखनीय कार्य के लिए इन्हें “खोरठा गीतकार” के उपनाम से भी जाना जाता है। उनके पिता का नाम हरि प्रसाद तिवारी एवं माता का नाम बेला रानी है। उनकी पत्नी स्वाति तिवारी एक गृहणी है। उनके दो पुत्र राज और भोलू हैं। बचपन से ही विनय तिवारी संगीत के क्षेत्र में रूची लेते थे। वे अपने पिता के मामा से हामोनियम पर संगीत की धुन का रियाज करते थे। इन्ही सब से उनकी रूची संगीत और गीत लेखन में हुआ।
☆ शिक्षा
खोरठा गीतकार विनय तिवारी की शिक्षा सरकारी विद्यालय से हुई। मध्य विद्यालय बाघमारा, रोआम से उन्होंने प्राथमिक और मध्य विद्यालय की पढ़ाई की। इसके बाद उन्होंने श्री शंकर दयाल उच्च विद्यालय, रोआम से 1989ई. में मैट्रिक की परीक्षा पास की। तत्पश्चात आर एस मोर महाविद्यालय, गोविंदपुर से 1991 ई. में इंटर की डिग्री हासिल की। इसी महाविद्यालय से इन्होनें 1995ई. में अर्थशास्त्र विषय से स्नातक प्रतिष्ठा की परीक्षा पास की।
☆ खोरठा के क्षेत्र में योगदान
खोरठा गीतकार विनय तिवारी का योगदान खोरठा के विकास में अमूल्य रहा है। अपनी गीत, संगीत, एलबम के माध्यम से इन्होंने खोरठा भाषा को एक ब्रांड के रूप में तब्दील कर दिया। निश्चित तौर पर खोरठा की उपेक्षा रही है। लेकिन यह भाषा झारखंड के 31 हजार वर्ग किलोमीटर में विस्तृत तकरीबन 1.5 करोड़ लोगों की मातृभाषा है। झारखंड आंदोलन संचालित करने में भी खोरठा का अहम योगदान रहा है। झारखंड में हिंदी अगर आज प्रशासनिक भाषा है, तो खोरठा निश्चित रूप से इस पट्टी की सबसे बड़ी सहयोगी और संपर्क भाषा है।
▪︎ गीतकार के रूप में योगदान
• खोरठा, नागपुरी एवं भोजपुरी भाषाओं में लगातार 25 वर्षों से 1000 से अधिक गीतों की रचना की है। उनके द्वारा लिखे गये गीत पर देश की प्रतिष्ठित कंपनी टी सीरीज सहित अन्य द्वारा ऑडियो-वीडियो एवं फिल्म का प्रदर्शन किया गया है।
• उनके द्वारा रचित गीतों को उदित नारायण, कुमार सानू, अनूप जलोटा, सपना अवस्थी, मनोज देहाती, गौतम महतो, इंदु सोनाली, पायल मुखर्जी, पवन, पंकज, मिताली घोष, मोनिका मुंडू जैसे प्रसिद्ध गायकों ने अपने स्वर दिए हैं।
• खोरठा गीतकार विनय तिवारी द्वारा रचित गीतों का प्रसिद्ध एल्बम
1.कावंरियाँ झूम रे
2.शेरावाली के दरबार में
3.धुर्री उड़ाई के
4.ओ मितवा रे
5.तोरे प्यार चाही
6.गुलाबी चुनरी वाली
7.दिलवाली
8.बिजली
9.तोयं हामर दिल लागें
10.होली गर्दा उड़ाई के
11.दिल तोरे दीवाना
12.पागल बनाय देलें
13.झुमकावाली
14.दिल दीवाना
14.फुलमानियाँ गे
15.दिल आब तोरे नाम
16.रांगे दे गोरे गलवा
17.लव यू मोनिका
18.बिहा कराय दे
19.घूंघट वाली गोरिया
20.आयजो गौरी
21.ए बबली गे
22.चल गे गंगिया बाबा धाम
23.हाय रे मतवाली
24.कांटा लगाय दिया रे
25.तोयं कयर देलें दीवाना
26.वेवफा
27.कबूतर आय जो रे
28.प्यार कर रोग
29.मोहब्बत जिंदाबाद
30.प्यार में गिज़्ज़ा गीजा
31.कावंरियाँ लेके काँवर चला
32.जय जय भोले
33.माई के चरनवां
34.ऐ सइयाँ चला चला न हो बाबा के नगरिया
35.भौजी के बहिन लाले लाल
36.दिलवा मांगे झारखंड वाले
37.छौड़ी के फैशन
38.सासाराम के लिटी
39.पहली मुहब्बत
40.दिल तरसाय के
41.दिल हमरा दय दे
42.गोरे गालवाली
43.दिल देबें की नायं
44.प्रेम रोग
45.कजरा गे गजरा गे
46.चोराय लेलय दिलवा
47.पहली मुहब्बत
48.भैया जी के साली
49.पहली मुहब्बत पीपल के नीचे
50.चल गे गंगिया शेरावाली के धाम
इत्यादि ऑडियो एवं वीडियो एलबमों में उत्कृष्ट गीतों की रचना की है।
▪︎ खोरठा सिनेमा में योगदान
• खोरठा गीत, संगीत एवं सिनेमा को लोकप्रियता के शिखर तक पहुंचाने में खोरठा गीतकार विनय तिवारी ने अहम भूमिका निभाई है। उन्हें खोरठा भाषा में सिनेमा निर्माण की शुरुआत का श्रेय दिया जाता है।
• खोरठा फिल्म “हामर देहाती बाबु” में पटकथा लेखन का कार्य किया है। इस फिल्म को प्रथम झारखंड अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री श्री अर्जुन मुंडा के द्वारा बेस्ट खोरठा फिल्म का अवार्ड दिया गया था।
• खोरठा फिल्म “दय देवो जान गौरी” और “झारखण्डेक माटी” में गीत लेखन का कार्य किया। नागपुरी फिल्म “करम” में भी गीत लेखन का कार्य किया है।
• खोरठा लघु फिल्म “पिता का मान बेटिया” में इन्होंने निर्देशन, पटकथा और गीत लेखन का कार्य किया। इस खोरठा फिल्म को द्वितीय झारखंड राष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल में बेस्ट खोरठा फिल्म का सम्मान दिया गया था।
• खोरठा फिल्म “जोहार झारखंड” में पटकथा एवं गीत लेखन का कार्य किया है।
• यू ट्यूब पर प्रकाशित लघु फिल्म “माबलीचिंग” में सहनिर्देशन एवं गीत लेखन का कार्य किया है।
** गंगा जल ** लगान ** फेम बॉलीवुड के मशहूर कलाकार यशपाल शर्मा जी के साथ झारखंड सरकार से सम्मानित खोरठा के मशहूर गीतकार ,कवि,फ़िल्म लेखक एवं निर्देशक विनय तिवारी की एक फोटो.
• झारखंड इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल के दौरान अखिलेन्द्र मिश्रा जी के साथ। चंद्रकांता धारावाहिक के “यकु फेम” गंगाजल, सरफरोश, लगान समेत कई सुपर हिट हिंदी फिल्मों व धारावाहिक के महानायक।
खोरठा को संगीत नाटक एकेडमी से जोड़ने का प्रयास
भारत सरकार के सांस्कृतिक मंत्रालय के संगीत नाटक एकेडमी की अध्यक्ष डॉ संध्या पुरेचा पहली बार “मिट टू आर्टिस्ट” प्रोग्राम के तहत झारखंडी भाषा खोरठा के सुप्रसिद्ध लोककलाकार-गीतकार और निर्देशक विनय तिवारी के घर रोवाम गाँव पहुंची। इस “मिट टू आर्टिस्ट कार्यक्रम” में पद्मश्री उमाकांत गुंडेचा, छउ गुरु तपन पटनायक, संजय चौधरी, नंदलाल नायक व दर्जनों जानी-मानी हस्तियाँ भी शामिल हुई।
इस कार्यक्रम में अपने संबोधन में डॉ संध्या पुरेचा ने कहा कि खोरठा भाषा के विकास के लिए “संगीत नाटक एकेडमी” हर संभव प्रयास करेगी। विशेषकर खोरठा भाषा-भाषी कलाकारों के विकास के लिए अकादमी द्वारा आयोजित कार्यक्रमों में स्थान सुनिश्चित करवाने का आश्वासन भी दिया। खोरठा भाषा के लिए यह गौरवान्वित करने का पल था। इसका पुरा श्रेय खोरठा गीतकार के नाम से प्रसिद्ध विनय तिवारी को ही जाता है।
विनय तिवारी खोरठा विकास एवं शोध केन्द्र की स्थापना:-
खोरठा के मशहूर गीतकार विनय तिवारी ने अपने निवास स्थल धनबाद के रोआम गांव में “विनय तिवारी खोरठा विकास एवं शोध केन्द्र” की स्थापना की है। विनय तिवारी झारखंड के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने विलुप्त प्रायः भाषा “बिरहोर एवं खोरठा” के संरक्षण संवर्धन के लिए भित्तिचित्र के माध्यम से प्रचार प्रसार में लगे हुए है।
यहां दिवाल पर पशु, पंक्षी, फल, सब्जी इत्यादि के चित्र बनाकर उसके हिंदी, अंग्रेजी और खोरठा नाम लिखे गये हैं। इस प्रकार का प्रयास अद्वितीय है। उनके इस भागीरथ प्रयास के लिए खोरठा जगत हमेशा उनका ऋणी रहेगा।
▪︎ खोरठा कविता के रूप में योगदान
खोरठा गीतकार विनय तिवारी ने खोरठा भाषा में कई कविताओं की रचना की है। उनकी कुछ प्रमुख कविताओं को यहां देख सकते हैं। उनकी खोरठा कविताएँ अखड़ा, परास फूल, आवाज 7 डेज और प्रभात खबर के माय माटी पृष्ठ पर छपते रही है।
• एइ भात रे
• मायं माटी
• कि रकम ओझराइ के राखल हें
• तोर हामर परेमक कहनी
• मानुस आर बुझे नॉय रे भाय
• मानुसे मानुस के मारे लागल
• मिटे नायं दिहा माटिक मान
• हामर नुनियाइं सोब जाने
• फरक
• बेस दिन ककर
• भूखला भुखले रइह गेल
• एकक गो हिसाब हतय
• हामेँ तब तक नायं मोरब
• काट बइन के ख़रीस साँप
• तोर अँगे अँगे बिस भोरल
▪︎ प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल मीडिया में योगदान
• टेलिग्राफ, हिंदुस्तान, प्रभात खबर, दैनिक भास्कर, दैनिक जागरण, आज, अवाज इत्यादि जैसे समाचार पत्रों के माध्यम से उनकी रचनाओं का प्रकाशन हुआ।
• झारखंड सरकार की पत्रिका आदिवासी में प्रायः गीत, कविता एवं साक्षात्कार प्रकाशित। खोरठा पत्रिका ‘लुआठी’, ‘तितकी’, ‘परासफूल’ में कविता एवं गीत प्रकाशित।
• ETV धुन कार्यक्रम के द्वारा इनके गीतों का प्रसारण किया गया है।
• विनय तिवारी का आकाशवाणी रांची और दूरदर्शन रांची (अबुआ झारखंड कार्यक्रम) से वार्ता और गीतों प्रसारण हो चुका है।
▪︎ खोरठा समाज के विकास में योगदान
विभिन्न संस्थाओं सम्मेलनों एवं सेमिनार के माध्यम से खोरठा भाषा साहित्य संस्कृति गीत और संगीत के उत्थान के लिए खोरठा गीतकार विनय तिवारी हमेशा संघर्षरत रहे।
▪︎ झारखंड के पाठ्यपुस्तक में शामिल
JCERT की कक्षा सप्तम् की इतिहास की पाठ्य पुस्तक हमारी विरासत में विनय तिवारी द्वारा लिखित फिल्मों का जिक्र झारखण्ड की संस्कृति पाठ में शामिल है। आठवीं कक्षा की खोरठा किताब “दू डाइर करंज फूल” में भी विनय तिवारी की कविता “झारखंडके माटी” नाम से छपी है.
◇ खोरठा भाषा के एक बेहतरीन रचनाकार दिनेश दिनमणि द्वारा संपादित किताब “सोहान लागे रे” में विनय तिवारी जी की लिखी हुई तीन गीत शामिल किया गया है।
- हामर छोटानागपुर
- मांय – मांटी
- एइ भात रे
▪︎ किताब विमोचन में विनय तिवारी:-
खोरठा भाषा के बेजोड़ गीतकार विनय तिवारी जी झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और विभिन्न खोरठा विद्वानों के साथ लेखक देव कुमार की चर्चित पुस्तक की दुसरी संस्करण “मैं हूं झारखंड” का विमोचन करते हुए।
• विनय तिवारी जी के सुपुत्र में भी लेखन की प्रतिभा
खोरठा गीतकार विनय तिवारी के सुपुत्र रूद्रप्रताप तिवारी में भी लेखन के प्रति गहरी रूची है। पिता की भांति उनके रचना में गंभीरत दिखता है। किशोरावस्था में ही उन्होंने हिंदी में शानदार कविता लिखी है।
समय ,अगर मैं बीत गया तो!
समय रहते कुछ करना सीखो,
अगर बीत गया समय
तो फिर लौट न आए।
अगर बीत गया फागुन
तो फिर त्योहार न आए।
अगर बीत गया सावन
तो फिर बरसात न आए।
अगर बीत गया अगहन
तो फिर फसले न लहराए।
अगर बीत गया मुकाम
तो फिर मंजिल हाथ न आए।
अगर बीत गए लम्हे
तो फिर वह हँसी के पल न आए।
समय के संग चलना सीखो ।
त्योहारो में झूमना सीखो ।
लहरो से ज़िंदगी के तरंग सीखो।
हर लम्हो में अपना अस्तित्व क़ायम रखो।
सब रुक जाएंगे पर रुकूँगा न मैं!
सब झुक जाएंगे पर झुकूंगा न मैं।
अगर सिख गए तुम परस्पर साथ चलना,
तो चलाओगे तुम जग सारा।
अगर सिख गए तुम मेरी परवाह करना,
तो सारा जग लग जाएगा तुम्हारी परवाह करना।
कवि
रुद्रप्रताप तिवारी
ग्राम एवं पोस्ट : रोवाम।
वाया : कतराससगढ़।
जिला : धनबाद ।
राज्य : झारखण्ड।
▪︎ झारखंड आंदोलन में शामिल
विनय तिवारी खोरठा के गीतकार, कवि, लेखक, निर्देशक, खोरठा के प्रचारक, प्रसारक, संरक्षक, संवर्धक एवं भाषा आंदोलनकारी के साथ-साथ एक समाजसेवी भी हैं। जिन्होंने शोषित, पीड़ित एवं हक से बंचित लोगों के लिए भी काफी मुखर होकर आवाज उठाई है। वे झारखंड अलग राज्य के प्रबल समर्थक थे। जब नब्बे के दशक में झारखंड आंदोलन चरम पर था, तब वे खोरठा भाषा में नुक्कड नाटक, गीत, झूमर के जरिये लोगों को जागरूक करते थे। इस दौरान वे कई बार जेल भी गये। उनकी एक पहचान झारखंड आंदोलनकारी के रूप में भी है।
☆ सम्मान/पुरस्कार
जिस खोरठा को लोग देहाती या ठेठ कह कर बोलना शर्म महसूस करते थे। आज बच्चे और युवा शिक्षा के लिए खोरठा का चयन कर रहे हैं। शोधार्थी भी खोरठा की ओर आकर्षित हो रहे हैं। विश्वविद्यालयों में आज खोरठा भाषा की गूंज सुनाई पड़ रही है। लोग शिक्षा के साथ-साथ खोरठा गीतों की धुन पर थिरक भी रहे हैं। इन सब का श्रेय खोरठा गीतकार विनय तिवारी को जाता है। उनके इन्हीं सराहनीय कार्यों के लिए सरकार एवं संस्थाओं द्वारा उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा है। उनमें से कुछ प्रमुख सम्मान/पुरस्कार को यहां प्रस्तुत किया जा रहा है।
• खोरठा रत्न सम्मान:- नेट इंडिया सुविधा कार्ड्स लिमिटेड कंपनी द्वारा 25 फरवरी 2008 को इन्हें “खोरठा रत्न सम्मान” से सम्मानित किया गया।
• खोरठा गौरव अवार्ड:- नेट इंडिया सुविधा कार्ड्स लिमिटेड कंपनी द्वारा पूर्व मुख्यमंत्री श्री शिबु सोरेन, झारखण्ड सरकार के हाथों 28 नवंबर 2008 ई. को इन्हें “खोरठा गौरव अवार्ड” से सम्मानित किया गया।
• खोरठा सम्मान:-खोरठा गीत रचना क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य हेतु झारखण्ड सरकार के आपूर्ति एवं भू-राजस्व मंत्री मथुरा प्रसाद महतो द्वारा वर्ष 2011 में “खोरठा सम्मान” से सम्मानित किया गया।
• सांस्कृतिक सम्मान:-कला संस्कृति एवं खेलकूद विभाग सांस्कृतिक कार्य निदेशालय झारखंड सरकार की ओर से उन्हें 21 मार्च 2016 में “सांस्कृतिक सम्मान” से सम्मानित किया। झारखंड सरकार के माननीय मंत्री अमर बाउरी द्वारा यह सम्मान दिया गया।
• खोरठा गीतकार सम्मान:- ऋषिकेश स्मारक सेवा समिति द्वारा 23 सितंबर 2016 को “खोरठा गीतकार सम्मान” से सम्मानित किया।
• डाक टिकट जारी:- भारतीय डाक विभाग ने माई स्टाम्प पालिसी के तहत वर्ष 2016 में खोरठा गीतकार विनय तिवारी का फोटो छपा पांच रुपये का डाक टिकट छापा था।
• श्री निवास पानुरी खोरठा प्रबुद्ध सम्मान:-25 दिसंबर 2016 में इस सम्मान से सम्मानित किया गया।
• श्री निवास पानुरी स्मृति सम्मान:- 25 दिसंबर 2016 में इस सम्मान से भी सम्मानित किया गया।
• खोरठा श्री सम्मान:- ऋषिकेश स्मारक सेवा समिति द्वारा 21 फरवरी 2018 ई. को “खोरठा श्री सम्मान” से सम्मानित किया गया।
• श्री निवास पानुरी मेमोरियल अवार्ड फाॅर खोरठा लिटरेचर सम्मान:- प्रथम झारखंड अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में उन्हें 27 मई 2018 ई. को इस सम्मान से सम्मानित किया गया।
• झारखण्ड कला रत्न अवार्ड:-झारखंड फिल्म निर्माता संघ द्वारा 27 जून 2018 को इन्हें “झारखंड कला रत्ना अवार्ड” से सम्मानित किया गया।
• बेस्ट गीतकार ऑफ खोरठा सम्मान:- प्रथम झारखंड नेशनल फिल्म फेस्टिवल में इन्हें 28 अक्टूबर 2018 को इस सम्मान से सम्मानित किया गया।
• बेस्ट स्क्रिप्ट राईटर सम्मान:- द्वितीय झारखंड नेशनल फिल्म फेस्टिवल में 18 अक्टूबर 2019 ई. को उन्हें “बेस्ट स्क्रिप्ट राईटर सम्मान” से सम्मानित किया गया।
• खोरठा कला संस्कृति रत्न सम्मान:- खोरठा साहित्य संस्कृति परिषद द्वारा 25 दिसंबर 2020 को “खोरठा कला संस्कृति रत्न सम्मान” से सम्मानित किया गया।
• अखड़ा सम्मान:- आधुनिक गीत, संगीत और सिनेमा में विशेष योगदान के लिए ‘जागो और जगाओ सांस्कृतिक कला मंच’ द्वारा 16 नवंबर 2021 को इन्हें “अखड़ा सम्मान” से सम्मानित किया गया।
• नमन बिरसा मुंडा झारखंड रत्न सम्मान:- नमन इंटरनेशनल फाउंडेशन फॉर एजुकेशन एंड सोशल रिसर्च द्वारा सरकार के कैबिनेट मंत्री सत्यानंद भोक्ता के कर कमलों 14 नवंबर 2021 इन्हें “नमन बिरसा मुंडा झारखंड रत्न सम्मान” से सम्मानित किया गया।
• जयशंकर प्रसाद स्मृति पुरस्कार:- जयशंकर प्रसाद विचार मंच रांची, झारखंड द्वारा झारखंड में ‘खोरठा कला संस्कृति के विकास‘ में महत्वपूर्ण योगदान के लिए खोरठा गीतकार के नाम से विख्यात “विनय तिवारी” को “जयशंकर प्रसाद स्मृति सम्मान, 2022-23” से सम्मानित किया गया। यह सम्मान उन्हें एक कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ रमेश कुमार पाण्डेय, पूर्व कुलपति रांची विश्वविद्यालय, रांची के कर – कमलों द्वारा प्रदान किया गया।
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• इसी तरह और भी कई सम्मान/पुरस्कार से इन्हें सम्मानित किया गया है।
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संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी
शिक्षक
एम. ए. भूगोल
एम. ए. खोरठा