खोरठा पत्र पत्रिका का इतिहास | History of khortha paper and magazines
खोरठा झारखंड का एक समृद्ध स्थानीय भाषा के रूप में जानी जाती है. झारखंड के तकरीबन 15 से 16 जिलों में यह मातृभाषा (मायकोरवा भासा) के रूप में बोली जाती है. पत्र-पत्रिकाएं किसी भी भाषा साहित्य के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं. परंतु दुर्भाग्य की बात है कि इतनी समृद्ध खोरठा भाषा में पत्र एवं पत्रिकाओं का अभाव रहा है. खोरठा भाषा में पहली पत्रिका 1957 में “मातृभाषा” के रूप में छपी थी. जिसके संपादक-प्रकाशक खोरठा के भीष्म पितामह श्रीनिवास पानुरी थे.
विषय सूची
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- मातृभाषा खोरठा पत्रिका
- तितकी खोरठा पत्रिका
- इंजोर खोरठा पत्रिका
- लुआठी खोरठा पत्रिका
- खोरठा बाल पत्रिका “दुलरोउति बहिन”
- फुनगी (खोरठा बाल पत्रिका)
- परासफूल खोरठा पत्रिका
- सहिदान खोरठा – हिंदी पत्रिका
- खांटी मांटी खोरठा पत्रिका
- प्रभात खबर “माय माटी अंक”
- झारखंडी भाषाओं को समर्पित पत्रिका ‘अखड़ा‘
- आवाज 7 डेज अखबार
- खोरठा पत्र-पत्रिका, प्रकाशन वर्ष और संपादक
- खोरठा पत्र-पत्रिका से 20 MCQs
• मातृभाषा खोरठा पत्रिका
खोरठा भाषा में छपने वाली “मातृभाषा” पहली पत्रिका थी. श्रीनिवास पानुरी के संपादन में इस पत्रिका ने खोरठा भाषा के विकास में उल्लेखनीय योगदान दिया. तब खोरठा भाषा में पत्रिका छपना कोई चमत्कार से कम न था. इस पत्रिका में कहानी, एकांकी, कविता, लेख इत्यादि छपा करता था. लेकिन दुख की बात तब हुई जब 16 अंकों के बाद यह पत्रिका निकलना बंद हो गया. इस पत्रिका के 12 वर्षों बाद 1970 में श्रीनिवास पानुरी ने अपने संपादन में ही बोरवाअड्डा, धनबाद में “खोरठा” नामक एक और पत्रिका का प्रकाशन शुरू किया. जिसके सह संपादक नरेश नीलकमल और प्रकाशक नारायण महतो थे.
• तितकी खोरठा पत्रिका
तितकी पत्रिका भी बीच-बीच में छपते रही है. यह पत्रिका पहली बार 1977 में कतरास, धनबाद से छपी थी. जिसके संपादक विश्वनाथ दसोंधी ‘राज’ थे. श्रीनिवास पानुरी जी के मार्गदर्शन में छपने वाली यह पत्रिका खोरठा साहित्य का सबसे बड़ा मंच था. इस पत्र का पेज एक दम समाचार पत्र के जैसा था. खोरठा भाषा आंदोलन में कतरास से निकलने वाली इस पत्रिका का बड़ा योगदान रहा है. उस समय इस पत्रिका में खोरठा की विभिन्न विधाओं में रचनाएं छपती थी. एक दर्जन से अधिक लेखक इस पत्र से जुड़े हुए थे. उनमें से प्रधान संपादक विश्वनाथ दसोंधी ‘राज’ के अलावा प्रोफेसर नरेश नीलकमल, गौरी शंकर लाल, प्रभाष चंद्र महथा, असद अली खां, विनोद कुमार तिवारी, काशीनाथ सिंह मणि, परीक्षित सिंह चौधरी, नारायण महतो इत्यादि शामिल थे.
कुछ अंकों के बाद कतरास से निकलने वाली तितकी पत्रिका का प्रकाशन बंद हो गया. उसके बाद तितकी पत्रिका 1983 में डाॅ ए के झा के संपादन में कोठार, रामगढ़ से प्रकाशित होना प्रारंभ हुआ. रामगढ़ से निकलने वाली पत्रिका ने रामगढ़ और हजारीबाग के आस-पास के क्षेत्रों में खोरठा आंदोलन को गति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. उस समय दर्जनों लेखकों ने अपनी लेखनी से खोरठा आंदोलन को आगे बढ़ाने में अपना सहयोग दिया. डाॅ. ए के झा के अलावा, गोविंद महतो ‘जंगली’, जीतू महतो, प्रोफेसर शिवदयाल सिंह ‘शिवदीप’, फुतेश्वर करमाली, डाॅ बी एन ओहदार जैसे साहित्यकारों की रचनाएं तितकी पत्रिका में छपी है.

कोठार रामगढ़ से तितकी का प्रकाशन बंद होने के पश्चात 1997 में बोकारो से शांति भारत और दिनेश दिनमणि संपादन में तितकी पत्रिका निकलना प्रारंभ हुआ. लेकिन दुर्भाग्यवश चार अंक छपने के बाद बंद हो गया. पुन: वर्ष 2017 और 2018 में तितकी पत्रिका का कुछ अंक प्रकाशित हुआ. वर्ष 2022 में भी तितकी पत्रिका का एक और अंक निकलने की तैयारी में है.
• इंजोर खोरठा पत्रिका
खोरठा और हिंदी भाषा में छपने वाली त्रिमासिक पत्रिका “इंजोर” मधुपुर, देवघर से 1995 से लगातार निकल रही है. इसके संपादक घनंजय प्रसाद हैं. डाॅ ए के झा और मनमोहन पाठक इस पत्रिका के संरक्षक रहे है. वर्तमान में डाॅ बी एन ओहदार इसके संरक्षक हैं. नोबल पुरस्कृत किताब “गीतांजलि” और “भगवत गीता” का “खोरठा अनुवाद” पहली बार ‘इंजोर‘ पत्रिका पर ही छपी थी. यह पत्रिका गीत, लघुकथा, कहानी, नाटक, गजल, व्यंग्य, आलेख, सांस्कृति, स्मृति, बाल साहित्य, कविता इत्यादि विशेषांक के रूप में छपी है. शिवनाथ प्रमाणिक, डॉ एके झा, डॉ बीएन ओहदार, पंचम महतो, सुकुमार, आकाश खूंटी, मनमोहन पाठक, बहादुर पाण्डेय ‘झिंगफुलिया’, शिवनंदन पाण्डेय ‘गरीब’ जैसे खोरठा के बड़े रचनाकार की रचनाएं इस पत्रिका में छपते रही है.

• लुआठी खोरठा पत्रिका
वर्तमान समय में बोकारो से छपने वाली “लुआठी” की झीलमिल करती लौ में खोरठा भाषा का विकास आगे बढ़ रहा है. गिरधारी गोस्वामी (आकाश खूंटी) के संपादन में इस पत्रिका ने खोरठा भाषा की शान बचाकर रखी है. अक्टूबर 1999 से अबतक लगातार “लुआठी पत्रिका” प्रकाशित हो रही है. प्रारंभ में यह पत्रिका त्रेमासिक छपती थी. परन्तु वर्ष 2009 में पंजीकरण के बाद ‘लुआठी पत्रिका‘ मासिक रूप में निकलने लगी. जो अब तक अनवरत जारी है.

खोरठा भाषा के विकास और आंदोलन में “लुआठी” ने अहम भूमिका निभाई है. इस पत्रिका ने नये और पुराने खोरठा रचनाकारों को एक मंच पर खडा किया. आज खोरठा को झारखंड की एक प्रमुख स्थानीय भाषा के रूप में पहचान मिली है तो इसमें खोरठा पत्रिका “लुआठी” और इसके संपादक गिरधारी गोस्वामी (आकाश खूंटी) तथा उनके सहयोगियों का रहा है. पंचम महतो, जनार्दन गोस्वामी ‘व्यथित’, महेंद्र नाथ गोस्वामी ‘सुधाकर’, मनपुरन गोस्वामी, मो. सिराजुद्दीन अंसारी ‘सिराज’, विनय तिवारी जैसे प्रसिद्ध खोरठा साहित्यकारों ने “लुआठी” के जरिये खोरठा की लौ जलाकर रखी है.

• खोरठा बाल पत्रिका “दुलरोउति बहिन“
“दुलरोउति बहिन” नामक बाल खोरठा पत्रिका का प्रकाशन 2007 में हुआ. इसके संपादक गिरधारी गोस्वामी (आकाश खूंटी) थे. यह पत्रिका भारत सरकार के आर. एन. आई. से पंजीकृत खोरठा की पहली पत्रिका थी. इस पत्रिका को शुरूआत करने का श्रेय ओडिशा के “पत्रिका पागल” के नाम से प्रसिद्ध ‘विजय कुमार महापात्रा’ को जाता है. वर्ष 2012 में विजय कुमार महापात्रा के निधन के साथ ही यह खोरठा बाल पत्रिका “दुलरोउति बहिन” भी बंद हो गयी.
• फुनगी (खोरठा बाल पत्रिका):-
फुनगी बाल पत्रिका का प्रकाशन जनवरी 2023 से प्रत्येक तीन माह पर हो रहा है। यह पत्रिका बालीडीह खोरठा कमेटी, बोकारो द्वारा प्रकाशित किया जा रहा है। जिसके संपादन श्यामसुंदर केवट ‘रवि’ है। जबकि संरक्षक मंडल में पंचम महतो, गिरधारी गोस्वामी “आकाश खुंटी”, शंकर गोस्वामी है। वहीं इस पत्रिका के सलाहकार समिति में मणिलाल ‘मणि’ राजु पंडित, श्याम केवट ‘चित्रकार’ हैं। फुनगी पत्रिका के प्रतिनिधिमंडल में डाॅ रितू घासी, संदीप कुमार महतो, ओहदार अनाम अजनबी, डॉ सुजाता कुमारी शामिल हैं। जनवरी 2023 से लगातार यह पत्रिका तीन महीनों में छप रही है।

• परासफूल खोरठा पत्रिका
हालांकि धनबाद से “परासफूल” नामक वार्षिक खोरठा पत्रिका भी 2008 से लगातार छप रही है. जिसके संपादक महेंद्र प्रबुद्ध है. इन्होंने भी पत्रिका ‘परासफूल‘ के जरीये खोरठा भाषा के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं. खोरठा गीतकार के रूप में प्रसिद्ध विनय तिवारी और डाॅ मुकुंद रविदास परासफूल पत्रिका के संपादकीय सलाहकार हैं. परासफूल खोरठा पत्रिका को बहुत सारे खोरठा रचनाकारों ने अपनी लेखनी से आगे बढ़ाया है. उनमें सुकुमार, विनय तिवारी, श्यामसुंदर महतो, महेंद्र नाथ गोस्वामी ‘सुधाकर’, बहादुर पाण्डेय झिंगफुलिया’, पुनीत साव, अनिता महतो, डाॅ मुकुंद रविदास, हुबलाल राम ‘अलकाहा’, श्यामसुंदर केवट ‘रवि’ प्रमुख हैं.

- सहिदान खोरठा – हिंदी पत्रिका
खोरठा और हिंदी की इस पत्रिका का पहला अंक देवघर से जनवरी 2000 में निकली। इसके संपादक “फाल्गुन मरीक कुशवाहा” थे। कुछ अंक निकलने के बाद यह पत्रिका बंद हो गयी और इसके जगह पर खांटी मांटी नामक खोरठा पत्रिका दिसंबर 2023 से फाल्गुनी मरीक कुशवाहा जी के संपादन में निकाला जाने लगा।

• खांटी मांटी खोरठा पत्रिका:-
खांटी मांटी खोरठा पत्रिका का प्रकाशन दिसंबर 2023 से बाबा नगरी देवघर से हो रहा है। इस पत्रिका के संपादक फाल्गुन मरीक कुशवाहा है। यह पत्रिका फिलहाल वर्ष में एक बार खोरठा के धुरंधर विद्वान श्रीनिवास पानुरी जी के जन्म दिन 25 दिसंबर को निकलती है। खांटी मांटी खोरठा पत्रिका का प्रकाशक “खोरठा भाषा सृजन मंच, देवघर” द्वारा किया जा रहा है। जबकि मुद्रण “भारती प्रिंटर्स, देवघर” द्वारा किया जाता है। इस पत्रिका में संध्या रानी, अनीता चौधरी, प्रो. रामानंद सिंह, वीरेश वर्मा, धीरेन्द्र छतहारवाला, रविशंकर साह जैसे रचनाकारों की रचनाएं प्रकाशित हुई है।

• प्रभात खबर “माय माटी अंक”
झारखंड में छपने वाली प्रतिष्ठित हिंदी पत्रिका “प्रभात खबर” भी अन्य क्षेत्रीय भाषाओं के साथ-साथ खोरठा भाषा को बढ़ावा देने के लिए “मांय माटी” पेज पर खोरठा भाषा में कविता, लेख इत्यादि रचना छापती रही है. शुक्रवार को इस पेज पर दिनेश कुमार ‘दिनमणि’, सुकुमार, दीपक सवाल, विनय तिवारी, डाॅ. मुकुंद रविदास, श्याम देव मंडल जैसे कई खोरठा रचनाकारों की रचनाएं छपते रही है.
• झारखंडी भाषाओं को समर्पित पत्रिका ‘अखड़ा’
झारखंडी भाषाओं की एकमात्र प्रतिनिधि पत्रिका “अखड़ा” भी खोरठा भाषा को बढ़ावा दे रहा है. यह पत्रिका रांची से प्रकाशित होती है. इसके संपादक वंदना टेटे है। जबकि खोरठा भाषा के संपादक मंडल में गिरधारी गोस्वामी (आकाश खूंटी) शामिल हैं. इस पत्रिका में खोरठा के प्रमुख साहित्यकार, कवि, गीतकार, लेखक श्याम सुंदर महतो, गिरिधारी गोस्वामी (आकास खुंटी), महेंद्र नाथ गोस्वामी ‘सुधाकर’, दिनेश कुमार ‘दिनमणि’, विनय तिवारी ‘खोरठा गीतकार’, गुलांचो कुमारी इत्यादि की रचनाएं प्रमुख रूप से शामिल होती रही है।

• आवाज 7 डेज अखबार
धनबाद से प्रकाशित चर्चित डिजिटल अखबार एवं यूट्यूब चैनल “आवाज 7 डेज” शुरू से झारखंड के लोकप्रिय जनसंपर्क भाषा खोरठा के विभिन्न विषयों पर समय-समय पर कविता, कहानी, आलेख, गीत, साक्षात्कार इत्यादि प्रकाशित करते रहती है. इस अखबार के संपादक उत्तम मुखर्जी है. जबकि खोरठा भाषा पेज के संपादक खोरठा के नामचीन साहित्यकार दिनेश दिनमणि एवं खोरठा के मशहूर गीतकार विनय तिवारी है.
इस अखबार में दिनेश दिनमणि , खोरठा गीतकार विनय तिवारी, महेन्द्रनाथ गोश्वामी ‘सुधाकर’, कृष्णा गोप , गुलाञ्चो कुमारी, डॉ मुकुंद रविदास, अमन राठौर, पुनीत साव, डॉ आनंद किशोर दांगी, संदीप कुमार महतो की रचनाएं छपती रहती है.

भाषा आंदोलन को आगे बढ़ाने में आवाज 7 डेज का अहम भूमिका है. आवाज 7 डेज अखबार के माध्यम से भाषा आंदोलन को आगे बढ़ाने में इनके संपादक उत्तम मुखर्जी, खोरठा के साहित्यकार दिनेश दिनमणि चर्चित खोरठा गीतकार विनय तिवारी का अहम योगदान है.
इन सब के अलावा सहीदान, सहिया, धरतीथान, करील जैसे खोरठा पत्रिकाएं समय-समय पर प्रकाशित हुई है. पर ये सब नियमित रूप से छप नहीं सकी. रांची से प्रकाशित झारखंड सरकार की सप्ताहिक पत्रिका ‘आदिवासी‘ में खोरठा भाषा जुड़े आलेख और रचनाएं समय-समय पर प्रकाशित होती रही है.

इनमें से खोरठा पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन, प्रकाशन वर्ष और संपादक का विवरण यहां पर दिया जा रहा है.
पत्र-पत्रिकाएं — स्थान — प्रकाशन वर्ष — संपादक का नाम
1. मातृभाषा — बोरवाअड्डा, धनबाद — जनवरी, 1957 — श्रीनिवास पानुरी
2. खोरठा (पखवारी) — बोरवाअड्डा, धनबाद — 1970 — श्रीनिवास पानुरी सह संपादक नरेश नील कमल
3. तितकी (मासिक) — कतरास — 1977 — विश्वनाथ दसौंधी ‘राज’
4. तितकी (त्रैमासिक) — कोठार, रामगढ़ — 1983 — डा. अजीत कुमार झा ( Dr. A K Jha) सहयोगी संपादक डा. बी एन ओहदार
5. तितकी (अनियमित) — बोकारो — 1997 — शांति भारत और दिनेश दिनमणि
6. इंजोर (अनियमित) — देवघर — 1995 — धनंजय प्रसाद
7. लुआठी — बालीडीह, बोकारो — अक्टूबर, 1999 — गिरधारी गोस्वामी (अकाश खूंटी)
8. सहीदान — देवघर — 2000 — फाल्गुनी मरीक कुशवाहा
9. सहिया (द्विमासिक) — 2000 — अनिल कुमार गोस्वामी
10. धरतीथान — गिरिडीह — 2000 — शिवनन्दन पाण्डेय “गरीब”
11. दुलरोउति बहिन (बाल खोरठा पत्रिका) — 2007 — गिरधारी गोस्वामी (आकाश खुंटी) संरक्षक विजय कुमार महापात्र
12. परासफूल — धनबाद — 2008 — महेंद्र प्रबुद्ध
13. करील — ओरमांझी, रांची — डाॅ बी एन ओहदार, सहायक संपादक पी एन महतो एवं दिनेश दिनमणि
14. फुनगी (बाल पत्रिका) – बालीडीह खोरठा कमेटी, बोकारो – 2023 – श्यामसुंदर केवट ‘रवि’
15. खांटी मांटी — देवघर – दिसंबर, 2023 – फल्गुनी मरिक कुशवाहा
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स्रोत:-
• खोरठा भासा-साहितेक विकासें ‘पत्र-पत्रिकाक’ जोगदान – दिनेश कुमार (दिनमणि)
• खोरठा पत्रिका “लुआठी” फेसबुक पेज
• तितकी खोरठा पत्रिका
• इंजोर खोरठा-हिंदी पत्रिका
• प्रभात खबर “मांय माटी” अंक
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• खोरठा पत्र पत्रिकाएं एवं उनके संपादक से 20 mcqs
पत्र-पत्रिकाओं से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण MCQs जो प्रतियोगी परीक्षा में लगे स्टुडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है.
खोरठा पत्र पत्रिकाएं से 20 MCQs के लिए Start Quiz पर click करें. Quiz बनाने के बाद submit करें और स्कोर देखें. ?????
Results
#1. सहीदान खोरठा पतरिका के संपादक कउन हे?
उत्तर:- फाल्गुनी मरीक कुशवाहा
#2. बोकारो से कउन पत्रिका परकासित हवो हे?
उत्तर:- तितकी
#3. तितकी पतरिका के संपादक एकरें कउन नाञ हथ?
उत्तर:- आकाश खूंटी
#4. मातृभाषा के संपादक के लागथ?
उत्तर:- श्रीनिवास पानुरी
#5. रामगढ़ से परकासित तितकी पत्रिका का संपादक कउन लागे?
उत्तर:- डाॅ अजीत कुमार झा (A K Jha)
#6. कउन पतरिका खोरठा के बाल पत्रिका लागे?
उत्तर:- दुलरोउति बहिन
#7. पुरा के पुरा खोरठा भाषा में छपेवाला कउन पत्रिका हे?
उत्तर:- लुआठी
#8. लुआठी पतरिका कहां से बहरा हे?
उत्तर:- बालीडीह, बोकारो
#9. लुआठी पतरिका के पहिल परकासन कब भेल हले?
उत्तर:- 1999
#10. खोरठा के सबले पहिल पतरिका कउन हे?
उत्तर:- मातृभाषा
#11. लुआठी पतरिका के संपादक कउन लागे?
उत्तर:- आकाश खुंटी
#12. धरतीथान खोरठा पतरिका कहां से बहरा हले?
उत्तर:- गिरिडीह
#13. परासफूल पतरिका के संपादक के लागे?
उत्तर:- महेंद्र प्रबुद्ध
#14. गीतांजलि आर गीताक खोरठा अनुवाद के करले हल?
उत्तर:- मनमोहन पाठक
#15. भारत सरकार के आर. एन. आई. से ‘रजिस्टर्ड’ हवे वाला कउन पहिल खोरठा पतरिका हे?
उत्तर:- दुलरोउति बहिन
#16. देवधर से परकासित पतरिका इंजोर के संपादक के लागथ?
उत्तर:- धनंजय प्रसाद
#17. तितकी पतरिका के सबले पहिल संपादक हला?
उत्तर:- विश्वनाथ दसोंधी ‘राज’
#18. कउन पत्रिकाञ पहिल बेरा गीतांजलि आर गीताक खोरठा अनुवाद परकासित भेल हले?
उत्तर:- इंजोर
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शोध एवं संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी