गिरिडीह जिले के विकास में सूक्ष्म और लघु उद्योग की भूमिका का वर्णन
किसी भी जिले के विकास में सूक्ष्म और लघु उद्योग की भूमिका महत्वपूर्ण होती है। प्रकृति की गोद में बसा गिरिडीह में भी सूक्ष्म और लघु उद्योगों ने विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चाहे बांस से टोकरी और चटाई बनाने का काम हो या महिला स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा सेनेटरी नैपकिन या फिर मोहनपुर के पास स्थित छड़ के कारखाने ये सभी सूक्ष्म और लघु उद्योग गिरिडीह को उन्नति और विकास के पथ पर ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। गिरिडीह जिले के विकास में सूक्ष्म और लघु उद्योग की भूमिका का वर्णन
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● सूक्ष्म और लघु उद्योग किसे कहते हैं
☆ सुक्ष्म उद्योग:-
स्थानीय संसाधनों का उपयोग करके परिवार के सदस्यों द्वारा उत्पादन कार्य किया जाता है। मुख्यतः इस उद्योग के मालिक और मजदूर परिवार के सदस्य ही होते हैं। उसे सूक्ष्म उद्योग की श्रेणी में रखा जाता है। जैसे:-
• बांस से कई प्रकार के उत्पादों जैसे- टोकरी, चटाई और पंखा इत्यादि बनाना
• सखुवा/साल के पत्तों से पत्तल या दोना बनाना
• कागज से ठोंगा, लिफाफा बनाना
• लकड़ी से फर्नीचर बनाना
• स्वयंसेवी संगठनों द्वारा महिलाओं के लिए सेनेटरी नैपकिन बनाना
• आटा मील, चूड़ा मिल, तेल निकालने वाले मील एवं मसाला बनाने वाले मील
• अगरबत्ती उद्योग
• सामान्य ईटा भट्ठा उद्योग
• मिट्टी बर्तन उद्योग
• मोमबत्ती उद्योग इत्यादि।
☆ लघु उद्योग
यह उद्योग सूक्ष्म उद्योगों से बड़े होते हैं तथा इसमें पूंजी अधिक लगती है एवं मजदूर परिवार से बाहर के लोग होते हैं। इस प्रकार के उद्योग में मालिक एक या एक से अधिक हो सकते हैं। वैसे उद्योग को लघु उद्योग की श्रेणी में रखा जाता है। जैसे:-
• गिरिडीह टुंडी रोड में मोहनपुर के पास स्थित छड़ बनाने के कारखाने
• गिरिडीह के कई क्षेत्रों में अभ्रक साफ करने के कारखाने
• होटल उद्योग
• चिमनी भट्ठा उद्योग
• पानी बोतल उद्योग इत्यादि।
☆ गिरिडीह के विकास में सूक्ष्म और लघु उद्योग का योगदान
गिरिडीह जिले के विकास में सूक्ष्म और लघु उद्योगों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अगरबत्ती उद्योग की बात हो या बांस के सामानों का उद्योग या फिर छड़ से जुड़े उद्योग में काम करने वाले मजदूरों की बात करें तो इन मजदूरों के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती है। यदि इन परिवारों के लोग इन सुक्ष्म और लघु उद्योगों में काम करते हैं तो उन्हें रोजगार मिलता है या उत्पादन कर पैसे की प्राप्ति होती है। इससे इनके परिवारों की आय में वृद्धि होती है। जिससे गिरिडीह के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में भी वृद्धि होती है। इन सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों से जितना ही अधिक उत्पादन होगा उतना ही गिरिडीह के शिक्षा स्वास्थ्य और जीवन स्तर में बेहतर होगा।
गिरिडीह जिले के विकास में सूक्ष्म और लघु उद्योग की भूमिका का वर्णन
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महेंद्र प्रसाद दांगी
शिक्षक
प्रस्तुतकर्ता
www.gyantarang.com
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