झारखंड में पेंशन जयघोष महासम्मेलन की वर्ष गांठ
झारखंड में पेंशन जयघोष महासम्मेलन की पहली वर्ष गांठ पर सभी कर्मचारियों को बधाइयाँ। 26 जून का दिन, 2004 के बाद नियुक्त होने वाले झारखंड के सभी सरकारी कर्मचारियों के लिए ऐतिहासिक दिन है। 26 जून 2022 का वह दिन जब रांची स्थित मोरहाबादी के बिरसा स्टेडियम में झारखण्ड के विभिन्न जिलों से भारी संख्या में पेंशन महाजय घोष का आह्वान किया गया था, और इस अह्वान के साक्षी बने थे झारखण्ड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन। कर्मचारियों की भारी भीड़ ने उन्हें इस तरह मोहित किया कि उन्होंने दो माह बाद ही अगस्त 2022 में झारखण्ड में पुरानी पेंशन की बहाली घोषणा कर दी। आज कर्मचारी सुकून से जी रहे तो पुरानी पेंशन की ही देन है।
जैसा कि विदित हो वर्ष 2004 के बाद नियुक्त होने वाले कर्मचारियों को देश में एक, दो राज्य छोड़ कर पुरानी पेंशन को अटल विहारी वाजपेयी की केंन्द्र की सरकार ने बंद कर दिया गया था।
इस अवसर पर सभी पेंशन पुरूषों को दिल से बधाई।
आइए जानते हैं झारखंड में पुरानी पेंशन प्राप्त करने की कहानी:-
वर्ष 2017 में तेलंगाना से राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु और श्री स्थित प्रज्ञा के नेतृत्व में पुरानी पेंशन के लिए आंदोलन की शुरुआत हुई। जिसका नाम रखा गया NMOPS (नेशनल मूवमेंट ऑफ ओल्ड पेंशन स्कीम- National Movement of old Pension Scheme)। जून 2018 में विक्रांत कुमार सिंह के नेतृत्व में झारखंड ‘एनएमओपीएस’ की नींव डाली गई। झारखंड में अन्य जिलों की तरह गिरिडीह में भी 2018 में इंमत्याज अहमद और विजय कुमार महतो ने NMOPS की बागडोर संभाली। बाद में मुन्ना प्रसाद कुशवाहा के नेतृत्व में गिरिडीह NMOPS आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाया गया।
झारखंड में NMOPS का क्रमबद्ध कार्यक्रम:-
- विक्रांत कुमार सिंह के नेत्तृत्व में 24 जून 2018 को झारखंड राज्य में NMOPS की पहली बैठक हुई। जिसमें कुछ 50-60 लोग शामिल हुए। इसमें तय किया गया कि अब हमें भी अपनी लड़ाई खुद लड़नी है।
- 15 जुलाई 2018 को आंदोलन की पहली औपचारिक बैठक हुई। जिसमें तय किया गया कि पुरे झारखंड को आठ जोन में बाटा जाएगा। जिसका एक जोनल प्रभारी होगा जो जिला समिति का गठन करेगा। हजारीबाग जोन के प्रभारी रविन्द्र कुमार चौधरी ने सबसे पहले जिला टीम का गठन कर आंदोलन की शुरुआत कर दी।
- गिरिडीह जिला धनबाद जोन के अंतर्गत आता था। गिरिडीह में जिला टीम का गठन किया गया। इमत्याज अहमद को जिला संयोजक और विजय कुमार महतो को गिरिडीह जिला का कोषाध्यक्ष बनाया गया। मुठ्ठी भर लोगों को लेकर गिरिडीह में आंदोलन की शुरुआत की। शुरुआत में NMOPS की बैठक में पांच से दस लोग ही पहुंचते थे। धीरे – धीरे लोग जुड़ते गये। कोरोना का में गिरिडीह जिला में जिला संयोजक की बागडोर मुन्ना प्रसाद कुशवाहा ने संभाली। इस आंदोलन को अंजाम तक पहुंचाने में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- विक्रांत कुमार सिंह के नेतृत्व में 18 नवंबर 2018 को NMOPS झारखंड टीम दिल्ली स्थित रामलीला मैदान पहुंचकर पुरानी पेंशन की मांग को मजबूत किया। लाखों की संख्या में पहुंची कर्मचारियों की भीड़ ने आंदोलन को और हवा दी। दिल्ली विधानसभा सभा से पुरानी पेंशन विधेयक पास हुआ, पर तकनिकी कारणों से लंबित पड़ा है। इसी आंदोलन के बाद केन्द्र सरकार ने CPF में अपना योगदान 10% से बढ़ाकर 14% कर दिया।
- 13 जनवरी 2019 को रांची स्थित संत पाॅल मैदान में राज्य भर से हजारों की संख्या में सरकारी कर्मचारी उपस्थित होकर “पेंशन अधिकार रैली” को सफल बनाया।
- अगस्त 2019 में ही प्रखण्ड स्तर पर “पेंशन पर चिंतन” कार्यक्रम के जरिये BDO को ज्ञापन सोपा गया।
- 1 सितंबर 2019 को जिला मुख्यालयों में “पेंशन पर सर्मथन” जैसे कार्यक्रम चलाये गये। जिससे पुरानी पेंशन बहाली आंदोलन को और मजबूत किया गया।
- 29 सितम्बर 2019 रांची स्थित मोरादाबाद में रैली ने इस आंदोलन में मील का पत्थर साबित किया जब घनघोर वर्षा के बीच छतरी ताने हुए सरकारी कर्मचारियों के मंच पर विपक्ष के नेता हेमंत सोरेन पहुंचे। वहां उपस्थित कर्मचारियों को उन्होंने आश्वास्त किया कि “यदि मैं सत्ता में आऊंगा तो पुरानी पेंशन बहाल करूंगा।”
- झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) अपने वादे के अनुसार 2019 में हो रहे विधानसभा चुनाव घोषणापत्र (मेनिफेस्टो) में पुरानी पेंशन को शामिल किया।
- 2019 में चुनाव हुए। चुनाव परीणाम के बाद हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री बने। मुख्यमंत्री बनने के बाद NMOPS झारखंड टीम ने उन्हें मेनिफेस्टो की याद दिलाई। मुख्यमंत्री पुरानी पेंशन देने की बात तो करते थे पर जल्दबाजी में नहीं थे। ऐसी स्थिति में NMOPS अपने तरीके से बात को मुख्यमंत्री तक लगातार पहुंचा रही थी।
- इसी बीच वैश्विक महामारी कोरोना ने पुरे देश को अपने शिकंजे में ले लिया। NMOPS आंदोलन शिथिल पड़ा पर रूका नहीं, जब भी मौका मिला आंदोलन आगे बढ़ता गया।
- कोरोना का प्रभाव जैसे ही समाप्त हुआ NMOPS Jharkhand की टीम ने 26 जून 2022 को “पेंशन जयघोष महासम्मेलन” की घोषणा की।
- 26 जून को हुए इस “पेंशन जयघोष महासम्मेलन” में राज्य भर से सरकारी कर्मचारी “रांची जाना है पेंशन लेकर आना है” के नारे के साथ मोरादाबाद स्थित बिरसा मुण्डा स्टेडियम में भारी संख्या में पहुंचे।
- स्टेडियम खचाखच भरा था। मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 40 हजार से अधिक संख्या में पहुंचे कर्मचारियों की संख्या देख गदगद हो गये। हालांकि उस दिन उन्होंने पुरानी पेंशन की घोषणा तो नहीं की, लेकर उस भीड़ ने मुख्यमंत्री को पुरानी पेंशन जल्द देने के लिए प्रेरित किया।
- इसी 26 जून की भीड़ का असर था कि दो महिने बाद ही 1 अगस्त 2022 को झारखंड में पुरानी पेंशन बहाल करने की अधिसूचना जारी की गयी।
- कर्मचारियों के लिए जो एक सपना था आज हकीकत बन चुका था। कई दिनों तक यकीन नहीं हुआ कि वाकई में पेंशन मिल गया या फिर कोई सपना देख रहे हैं। बुढ़ापे का असली सहारा मिल चुका था। लोग हेमंत सोरेन सरकार को दुवायें दे रहे थे। उसने ऐसा काम किया जो शायद बेटा भी नहीं कर पाता।
- तत्पश्चात 1 सितम्बर 2022 से संपूर्ण झारखंड में पुरानी पेंशन बहाल कर दी गयी।
- पेंशन तो मिल गया पर इस पुरानी पेंशन को बचाये रखना और NSDL से पैसा लाना और भी चुनौतीपूर्ण कार्य है। जो सभी कर्मचारियों की एकजुटता पर निर्भर है।
आलेख:- स्मृति पर आधारित है
लेखक:-
महेन्द्र प्रसाद दांगी
मिडिया प्रभारी
NMOPS गिरिडीह
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