विद्यार्थियों को सफलता चाहिये तो न कहने की कला विकसित करनी होगी- देव कुमार

……………………………………………………

लोगों की पसंद बनने की इच्छा मनुष्य की एक सामान्य प्रवृति है। हम सभी चाहते हैं कि लोग हमें पसंद करें, हमारा सम्मान करें और हमारे साथ समय बिताकर सुखद अनुभव करें। यह इच्छा हमारे मनोविज्ञान में गहराई से जड़ी हुई है और हम अक्सर अपने संबंधों को बनाने और मजबूत करने के लिए इसका उपयोग करते हैं।

हालांकि, इस इच्छा का एक नकारात्मक पक्ष भी है। जब हम लोगों की पसंद बनने के लिए अत्यधिक प्रयास करते हैं, तो हम अक्सर अपनी खुद की जरूरतों और सीमाओं को नजरअंदाज कर देते हैं। हम ‘हाँ’ कहने के लिए मजबूर हो जाते हैं, जब हमें वास्तव में ‘नहीं’ कहना चाहिए।

मेरे अपने अनुभव से, मैं जानता हूँ कि यह कितना मुश्किल हो सकता है। जब मैं एक छात्र था, तो मैं अपने बड़े लोगों द्वारा पसंद किया जाना चाहता था। मैं हमेशा ही दोस्तों को खुश करने में लगा रहता था और मैं ‘नहीं’ कहने में असमर्थ था। फिर, इसके बाद एक दशक इंजीनियर, मैनेजर एवं सलाहकार जैसे महत्वपूर्ण पदों के कार्यानुभव में भी हमने पाया कि अपने पदाधिकारियों को खुश करने के चक्कर में हमेशा हाँ कहने की कला विकसित करता गया। शायद वह सभी कार्य उतने भी महत्वपूर्ण नहीं थे या वैसे कार्यों के लिये बेहतर सुझाव देकर समय एवं ऊर्जा दोनों बचायी जा सकती थी या किसी अन्य के द्वारा संबंधित कार्य कराये जा सकते थे। हमेशा हाँ कहने के क्षणिक तो लाभ मिले लेकिन दूरगामी लाभ नहीं मिले। दुनिया के लिये मेरे पास समय थे लेकिन अपनी बेहतरी के लिये समय का अभाव था। अब जैसे-जैसे मैं बड़ा हो रहा हूँ, मुझे समझ में आ रहा कि मेरे लिए यह सही नहीं था। मैंने सीखा कि ‘नहीं’ कहना भी एक महत्वपूर्ण कौशल है और यह मुझे अपनी सीमाओं को निर्धारित करने और अपने समय और ऊर्जा का प्रबंधन करने में मदद करता है।

आज, मैं ‘नहीं’ कहने में अधिक सहज महसूस करता हूँ। मैं जानता हूँ कि यह मुझे अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगा और मुझे अपने जीवन को अधिक संतुलित और संतुष्ट बनाने में मदद करेगा।

आपके घरवालों ने आपको नाम दे दिया, अब पहचान आपको अपने दम पर बनानी है। इसके लिये सभी छात्रों को न कहने की कला विकसित कर पूरी ऊर्जा लक्ष्य प्राप्ति में ही लगानी होगी। आप छात्र जीवन में जीतना हाँ कहकर लोगों को खुश करते रहेंगे उतने ही आप अपने लक्ष्य से दूर होते चले जायेंगे। न कहने की कला एक महत्वपूर्ण कौशल है जो हमें अपने समय और ऊर्जा का प्रबंधन करने, अपनी सीमाओं को निर्धारित करने और आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान बनाने में मदद करती है। यह कला हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद कर सकती है और हमारे जीवन को बेहतर बना सकती है।

न कहने की कला के फायदे कई हैं। यह हमें अपने समय का सही उपयोग करने में मदद करती है, अनावश्यक कार्यों से दूर रहने में मदद करती है और हमें अपने लक्ष्यों पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करती है। इसके अलावा, न कहने की कला हमें सफलता प्राप्त करने में मदद करती है।

न कहने की कला को अपनाने के लिए कुछ सुझाव हैं। सबसे पहले, अपने लक्ष्यों को निर्धारित करें और उन पर ध्यान केंद्रित करें। दूसरा, अनावश्यक कार्यों से दूर रहें और अपने समय का सही उपयोग करें। तीसरा, प्राथमिकताएं निर्धारित करें और अपने कार्यों को उसी के अनुसार पूरा करें। अंत में, नियमित रूप से अभ्यास करें और अपने ज्ञान को बढ़ाएं।

न कहने की कला का महत्व बहुत अधिक है। यह हमें अपने समय और ऊर्जा का प्रबंधन करने में मदद करती है, अपनी सीमाओं को निर्धारित करने में मदद करती है, और आत्मविश्वास और आत्म-सम्मान बनाने में मदद करती है। इसके अलावा, न कहने की कला हमें सफलता प्राप्त करने में मदद करती है।
………………………………………………..

यह आलेख चर्चित लेखक देव कुमार की पुस्तक “समय आपकी मुट्ठी में : विद्यार्थियों की सफलता का सारथी” पर आधारित है। इसके पूर्व लेखक देव कुमार द्वारा “मैं हूँ झारखण्ड” पुस्तक की रचना की जा चुकी है जो लाखों छात्र-छात्राओं के लिये मील का पत्थर साबित हो रही है।

इसे भी जानें

ज्वालामुखी क्या है, प्रकार एवं वितरण
विश्व की प्रमुख जलधारा पुरी जानकारी चित्र सहित
विश्व के मरुस्थल चित्रों सहित पूर्ण जानकारी
विश्व में मैदान के प्रकार
? विश्व में पठार के प्रकार
ग्रहण क्या होता है सूर्य और चंद्रग्रहण
? देशांतर रेखा क्या है जाने पुरा डिटेल्स
?  प्रथम मून मिशन की पुरी कहानी
शहीद निर्मल महतो की जीवनी
फांसी पर चढने वाले सबसे युवा खुदी राम बोस की story
विश्व प्रसिद्ध चित्रकार पाब्लो पिकासो का जीवन परिचय
पपीते के लाभकारी गुण
राष्ट्रीय हाथकरघा दिवस
महत्वपूर्ण अंतराष्ट्रीय दिवस प्रश्नोत्तरी
? खोरठा भाषा के प्रमुख रचना एवं उनके रचनाकार
jharkhand history question answer
10th geography
9th economics

इसे भी देखें

हमारा ब्रह्मांड कितना बड़ा है देखें विडियो
10, 20, 50, 100, 200, 500 और 2000 के एक नोट छापने में कितना रूपया लगता है
बोधगया जाने भगवान बुद्ध की तपोभूमि
hundru water fall ormanjhi, Ranchi
class 10 geography

Leave a Comment