गिरिडीह जिला कब बना, जानें इतिहास और वर्तमान, Giridih district

गिरिडीह जिला कब बना, जानें इतिहास और वर्तमान, Giridih district

गिरिडीह जिला 1972 में हजारीबाग से अलग होकर जिला बना था। यह जिला अभ्रक, कोयला, बांस, कटहल और पलास के लिए प्रसिद्ध है। झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी पारसनाथ, इसी जिला में अवस्थित है। जो जैनियों का प्रसिद्ध तीर्थ स्थल भी है। झारखंड धाम, हरिहर धाम, दुखहरण धाम, खंडोली डैम, सूर्य मंदिर, कबीर ज्ञान मंदिर, साई मंदिर, उसरी जलप्रपात जैसे पर्यटक स्थल गिरिडीह जिले में ही स्थित है। गिरिडीह विश्व प्रसिद्ध भारतीय वैज्ञानिक जगदीश चंद्र बोस की कर्मभूमि भी रही है।

☆ स्थापना

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Giridih Town

गिरिडीह जिले का मुख्यालय गिरिडीह के रूप में शहर है। गिरिडीह जिला 4 दिसंबर 1972 को हजारीबाग से अलग होकर बना था।

☆ स्थिति और विस्तार

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गिरिडीह का मानचित्र

यह जिला उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के मध्य में स्थित है। इसके उत्तर में बिहार के जमुई और नवादा जिले हैं। पूर्व में देवघर और जामताड़ा जिला स्थित है। जबकि पश्चिम में हजारीबाग और कोडरमा जिला से यह सटा हुआ है। वहीं दक्षिण में धनबाद और बोकारो जिला स्थित है। शेरशाह सूरी मार्ग (NH-2) इस जिले से होकर गुजरती है। यह जिला 24°11′ उत्तरी अक्षांश से 24°18′ उत्तरी अक्षांश तक तथा 86°11′ पूर्वी देशांतर से 86°30′ पूर्वी देशांतर तक विस्तृत है। गिरिडीह का क्षेत्रफल 4854 वर्ग किलोमीटर (1874 वर्ग मील) है।

गिरिडीह का अर्थ

गिरि का अर्थ पहाड़ और डीह का अर्थ भूमि अथवा क्षेत्र से है। इस प्रकार गिरिडीह का अर्थ “पहाड़ों की भूमि” हुआ। पूरे गिरिडीह जिले में सैकड़ों पहाड़ है और अधिकतर पहाड़ डुमरी और पीरटांड़ के क्षेत्रों में दिखाई पड़ता है।

☆ भौगोलिक परिदृश्य

भौगोलिक दृष्टिकोण से गिरिडीह जिला जंगल झाड़ और पहाड़ों के बीच में बसा हुआ है। यह क्षेत्र उत्तरी छोटानागपुर पठार के अंतर्गत शामिल किया जाता है। यहां पहाड़ ही पहाड़ दिखाई पड़ते हैं। यहां स्थित पठारी भूभाग की औसत ऊंचाई समुद्र तल से 500 मीटर से भी अधिक है।

• नदियां

यहां दामोदर की बड़ी सहायक नदी बराकर बहती है। और बराकर की सहायक नदी उसरी नदी के किनारे गिरिडीह शहर बसा हुआ है। इसी नदी पर उसरी नामक आकर्षक जलप्रपात है। जिसे देखने के लिए हजारों पर्यटक प्रतिवर्ष पहुंचते हैं।

• वनस्पति

गिरीडीह जिला बांस, कटहल और पलाश के लिए जाना जाता है। इसके अतिरिक्त यहां सखुआ (साल), महुआ, आम, कुसुम, सेमल, केंन्दु, आसन, पियार, अकेसिया, यूकेलिप्टस, शीशम, भेलवा आदि विभिन्न प्रकार के वृक्ष पाए जाते हैं।

पलाश

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पलास का फूल

यहां बसंत ऋतु में पलाश के फूल से पूरे वन क्षेत्र महकने लगता है। जो पर्यटकों को बरबस ही अपनी और आकर्षित करता है पूरा जंगल पलाश के फूलों से ढक जाता है।

बांस

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बांस का पौधा

गिरिडीह पलाश के अतिरिक्त बांस के लिए भी जाना जाता है। बांस एक महत्वपूर्ण वनस्पति है जिसका इस्तेमाल घर बनाने, चटाई, टोकरी, सूप कई प्रकार के आवश्यक कार्यों में किया जाता है। बांस यहां बहुतायत में पाया जाता है। बांस के कोपले जिसे यहां करील के नाम से लोग जानते हैं।

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बांस का करील

इस करील का इस्तेमाल सब्जी, भुंजिया, अचार, मुरब्बा तथा दवा के रूप में प्रयोग में लाई जाती है।

कटहल

गिरिडीह जिला पृथ्वी के सबसे बड़े फल कटहल के लिए प्रसिद्ध है। यहां कटहल के पौधों को लगाया जाता है। कटहल को सब्जी और अचार आदि रूपों में प्रयोग में लाया जाता है।

• खनिज संसाधन

गिरिडीह अभ्रक और कोयले के लिए प्रसिद्ध है। यहां अभ्रक को चुना जाता है तथा इसे साफ कर बाहर भेजा जाता है। गिरिडीह में सेंट्रल कोलफील्ड लिमिटेड (CCL) की खानें हैं।

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☆ जनसंख्या आंकड़े 2011 जनगणना

जनसंख्या की दृष्टिकोण से गिरिडीह झारखंड का एक महत्वपूर्ण जिला है। जनसंख्या के रूप में झारखंड में गिरिडीह का स्थान रांची और धनबाद के बाद तीसरा है। जनसंख्या वृद्धि दर में भी गिरिडीह कोडरमा और चतरा के बाद तीसरा स्थान रखता है।

कुल जनसंख्या :- 24,45,474
पुरुष जनसंख्या:- 12,58,098
महिला जनसंख्या:- 11,87,376
जनसंख्या वृद्धि दर:- 28.41%
शिशु जनसंख्या:- 18.82%
लिंगानुपात:- 944
जनसंख्या घनत्व:- 493
साक्षरता दर:- 63.14%
पुरुष साक्षरता:- 76.76%
महिला साक्षरता:- 48.72%

धार्मिक जनगणना
हिंदू :- 18,56,202 (75.90%)
मुस्लिम:- 5,08,586 (20.80%)
क्रिश्चियन:- 14,645 (0.60%)
जैन:- 1,503 (0.06%)
सिख :- 937 (0.04%)
बौद्ध :- 650 (0.03%)

☆ इतिहास

गिरिडीह जिला का इतिहास बहुत ही पुराना है। यह छोटानागपुर पठार के अंतर्गत 1972 तक हजारीबाग जिला का एक भाग था। दुर्गम पहाड़ियों और जंगलों से घिरा गिरिडीह अपने आप में एक अनूठा है। विकिपीडिया के अनुसार 1556 ई• में जब मुग़ल गद्दी पर अकबर बैठा तब झारखंड को खुखरा के रूप में जाना जाता था। और गिरिडीह भी इसमें शामिल था। ब्रिटिश काल में 1931 में कोयले के उत्पादन में बढ़ोतरी के बाद गिरिडीह की प्रशासनिक संरचना बदल गई। और यह दक्षिण पश्चिम फ्रंटियर का हिस्सा बन गया। 1954 में दक्षिण-पश्चिम फ्रंटियर एजेंसी छोटानागपुर में बदल गया।

☆ गिरिडीह जिले के प्रखंड

 गिरिडीह जिले में 13 प्रखंड हैं।

1. जमुआ
2. गिरिडीह
3. गाण्डेय
4. बेंगाबाद
5. गांवा
6. तिसरी
7. देवरी
8. धनवार
9. बिरनी
10. सरिया
11. बगोदर
12. डुमरी
13. पीरटांड़

☆ पर्यटक स्थल

गिरीडीह जिला पर्यटन के दृष्टिकोण से झारखंड का एक बहुत ही महत्वपूर्ण जिला है। यहां झारखंड का सबसे ऊंचा पहाड़ पारसनाथ की पहाड़ी मौजूद है। हरिहर धाम, झारखंड धाम, सूर्य मंदिर, उसरी फॉल्स, खंडोली, दुखहरण धाम, शहीद सीताराम उपाध्याय पार्क, कबीर ज्ञान मंदिर और साई नाथ धाम जैसे महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल यहां स्थित है।

पारसनाथ की पहाड़ी

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पारसनाथ की पहाड़ी

जिला मुख्यालय से तकरीबन 30 किलोमीटर की दूरी पर गिरिडीह-डुमरी पथ पर मधुबन के पास पारसनाथ की पहाड़ी है। यह पहाड़ी झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी भी है। इसकी ऊंचाई 1365 मीटर (4478 फीट) है। यह पहाड़ी जैन तीर्थ स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है। यह पहाड़ी 20 जैन तीर्थंकरो की मोक्ष भूमि रही है। यहां हर साल लाखों पर्यटक पहुंचते हैं।

खंडोली

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खण्डोली पर्यटक स्थल

गिरिडीह शहर से महज 5 से 6 किलोमीटर की दूरी पर गिरिडीह-बेंगाबाद सड़क के निकट खंडोली पर्यटक स्थल है। यह मुख्यत: एक डैम है। जहां गिरिडीह शहर हेतु जल आपूर्ति की जाती है। यहां एक छोटी पहाड़ी भी है जो यहां की स्थिति को और भी मनोरम बनाती है। इस स्थल पर प्रशासन द्वारा एक पार्क बनाया गया है। जो खंडोली को चार चांद लगाते हैं। शीत ऋतु में यहां हजारों की संख्या में साइबेरियन पक्षी भी पहुंचते हैं। इन सब की खूबसूरती बरबस ही लोगों को यहां आकर्षित करती है। यह गिरिडीह का महत्वपूर्ण पिकनिक स्थल है।

उसरी जलप्रपात

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उसरी जलप्रपात

गिरिडीह शहर मुख्यालय से तकरीबन 12 किलोमीटर की दूरी पर गिरिडीह-टुंडी पथ के निकट उसरी नदी पर मनोरम जलप्रपात है। यहां पर यह नदी एक बड़े जलप्रपात के अलावा कई छोटे-छोटे जलप्रपात भी बनाती है। जो लोगों को आकर्षण पैदा करता है। यह गिरिडीह का महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है। यहां दूर-दूर से लोग पिकनिक मनाने के लिए आते हैं।

झारखंड धाम

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झारखण्ड धाम मंदिर

गिरिडीह राजधनवार मुख्य मार्ग पर गिरिडीह से तकरीबन 50 km. की दूरी पर झारखंड धाम स्थिति है। भोले शंकर से संबंधित यह चमत्कारिक स्थल अपने आप में अनूठी है। यहां मुख्य मंदिर के छत नहीं है। इस स्थल पर झारखंड सरकार द्वारा राज्यकीय उत्सव मनाया जाता है।

सूर्य मंदिर

यह सूर्य मंदिर गिरिडीह जमुआ देवघर पथ पर स्थित है। जमुआ के मिर्जागंज में तालाब के बीचो-बीच सूर्य मंदिर की स्थिति बहुत ही आकर्षक लगती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 60 फीट लंबे पुल से गुजरना पड़ता है। जो और भी आकर्षण पैदा करता है।

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सूर्य मंदिर ( Lotus Temple) जमुआ, गिरिडीह

यह सूर्य मंदिर गिरिडीह जमुआ देवघर पथ पर स्थित है। जमुआ के मिर्जागंज में तालाब के बीचो-बीच सूर्य मंदिर की स्थिति बहुत ही आकर्षक लगती है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 60 फीट लंबे पुल से गुजरना पड़ता है। जो और भी आकर्षण पैदा करता है। यह मंदिर दिल्ली के लोटस टेंपल पर आधारित है। 2 मई 1993 को इस मंदिर की आधारशिला रखी गई और 2003 में इस मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा स्थापित की गई।

हरिहर धाम

गिरिडीह से तकरीबन 60 किलोमीटर की दूरी पर बगोदर के पास बगोदर हजारीबाग सड़क मार्ग पर यह धाम स्थित है। यह धाम शिवलिंग के मंदिर आकार के लिए प्रसिद्ध है। यहां शादी विवाह के दिनों में खूब शादियां होती है।

दुखहरण धाम

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दुखहरण धाम मंदिर, उदनाबाद गिरिडीह

गिरिडीह-टुंडी सड़क से कुछ किलोमीटर अंदर जाकर दुखहरण धाम मंदिर अवस्थित है। उदनाबाद पंचायत में उसी नदी के तट पर स्थित है दुखों के हरने वाले दुखहरण धाम । यहां मन्नते पूरे होनेे पर मंदिर परिसर में स्थित बेल के गाछ में पत्थर बांधनेे का रिवाज है।

साईं धाम मंदिर

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साईं धाम मंदिर, गिरिडीह

गिरिडीह शहर में मकतपुर चौक के पास धाम मंदिर स्थित है। दक्षिण भारत की द्रविड़ शैली पर बना मंदिर का मुख्य द्वार बहुत ही आकर्षक लगता है। इस मंदिर परिसर में साईं बाबा की प्रतिमा के अलावा कई देवी-देवताओं की भी प्रतिमा है। यहां भगवान विष्णु के 10 अवतारों का वर्णन किया गया है। इस मंदिर परिसर के मुख्य द्वार के पास ही भगवान गणेश और भगवान हनुमान की विशाल प्रतिमा खुले आकाश में स्थापित की गई है। जो लोगों को बरबस ही अपनी और आकर्षित करता है। यही कारण है कि यहां हर रोज सैकड़ों की संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं।

कबीर ज्ञान मंदिर

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कबीर ज्ञान मंदिर, गिरिडीह

कबीर ज्ञान मंदिर का निर्माण 1985 में श्री विवेक प्रभु जी के शिष्य ज्ञान के द्वारा किया गया था। कबीर ज्ञान मंदिर को गुरु गोविंद धाम के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर का निर्माण श्री विवेक प्रभु जी की समाधि पर हुआ है। यह आश्रम महान कबीर की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।

सीताराम उपाध्याय पार्क

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शहीद सीताराम उपाध्याय पार्क

गिरिडीह शहर में शहीद सीताराम उपाध्याय के नाम पर एक खूबसूरत मनोरंजक पार्क अवस्थित है। इसे चिल्ड्रन पार्क के नाम से भी जाना जाता है। यहां बच्चों के मनोरंजन के ढेरों साधन उपलब्ध है। यह पार्क शहीद सीताराम उपाध्याय को श्रद्धांजलि स्वरूप स्थापित किया गया है। जो 18 मई 2018 को जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तानी गोली-बारी में शहीद हो गए थे।
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? लक्खी पूजा मेला महेशमुंडा
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