Matric Science Practical Model Question Answer
जैक द्वारा ली जा रही मैट्रिक परीक्षा में विगत दो वर्षों से सभी विषयों में प्रायोगिक परीक्षा ली जाती है। प्रैक्टिकल के लिए प्रत्येक विषय में अधिकतम अंक 20 निर्धारित किया गया है। विज्ञान विषय को छोड़ कर अन्य विषयों की प्रायोगिक परीक्षा मुख्यतः आंतरिक मूल्यांकन पर आधारित होता है। जबकि विज्ञान विषय में निर्धारित तिथि को विद्यालय स्तर पर प्रायोगिक परीक्षा ली जाती है। विद्यालय अपनी सुविधानुसार jac board द्वारा निर्धारित तिथियों के बीच प्रायोगिक परीक्षा का आयोजन करती है।
Matric Science Practical Model Question Answer
☆ विज्ञान प्रायोगिक परीक्षा
क्रियाशील-भौतिक-रसायन-जीव विज्ञान- कुल
• अभिलेख- 02 – 02 – 02 – 06
• प्रयोग- 04 – 04 – 03 – 11
• मौखिक प्रश्नोत्तर- 01- 01 – 01 – 03
कुल – 07 – 07 – 06 – 20
☆ भौतिक विज्ञान
• अभिलेख- 02
• प्रयोग- 04
• मौखिक प्रश्नोत्तर- 01
—————————-
• कुल- 07
☆ रसायन विज्ञान
• अभिलेख- 02
• प्रयोग- 04
• मौखिक प्रश्नोत्तर- 01
—————————-
• कुल- 07
☆ जीव विज्ञान
• अभिलेख- 02
• प्रयोग- 03
• मौखिक प्रश्नोत्तर- 01
—————————-
• कुल- 06
Matric Science Practical Model Question Answer
भौतिक विज्ञान Physics Science
Q. 1. प्रतिरोधक के सिरों के बीच के विभांतर पर धारा की निर्भरता का अध्ययन करना और उसके प्रतिरोध को ज्ञात करना?
☆ आवश्यक उपकरण :-
वोल्टमीटर, अज्ञात प्रतिरोध, परिवर्ती प्रतिरोध, एमीटर, संयोजक कुंजी, सुखा सेल, सैंडपेपर इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG_20200204_070235-1024x731.jpg)
1• आकृति के अनुसार उपकरणों का संयोजन करना।
2• एमीटर तथा वोल्टमीटर की शुन्य रोटी को नोट करें।
3• एमीटर तथा वोल्टमीटर के रीडिंग को नोट किया जाता है।
4• रियोस्टेट मैं प्रतिरोध का मान बढ़ाने पर धारा और विभवांतर के रीड़िंग में परिवर्तन होता है। इनको नोट करते रहना पड़ता है।
5• इस प्रकार 5 बार रीड़िंग लेना है।
☆ निरीक्षण एवं गणना
ऐमीटर का रेंज = 0-5 A
ऐमीटर शून्यक त्रुटि = 0.0 A
वोल्टमीटर का रेंज = 0- 20 V
वोल्टमीटर शून्यक त्रुटि = 0.0 V
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG_20200204_070551-1024x414.jpg)
☆ विभांतर और धारा के बीच ग्राफ आरेख:-
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG_20200204_070837-1024x507.jpg)
☆ परिणाम
• प्रतिरोध के सिरों के मध्य विभांतर बढ़ने पर धारा का मान बढ़ता है।
• धारा और विभवांतर के बीच का आलेख सरल रेखा के रूप में प्राप्त होता है।
☆ सावधानियां:-
1• संयोजन तार के सिरे को सैंडपेपर से रगड़ कर उपयोग करना चाहिए।
2• ऐमीटर तथा वोल्ट मीटर के शून्य त्रुटि को नोट करके ही संशोधित रीडिंग लेना चाहिए।
3• कम प्रतिरोध का रियोस्टेट उपयोग में लाना चाहिए।
4• ऐमीटर तथा वोल्ट मीटर के धन तथा ऋण सिरो को क्रमश सेल के धन तथा ऋण सिरो से जोड़ना चाहिए।
5• उच्च प्रतिरोध का वोल्ट मीटर उपयोग में लाना चाहिए।
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Q. 2. दो प्रतिरोधक को पार्श्वबद्ध संयोजित कर परिणामी प्रतिरोध ज्ञात करें?
☆ आवश्यक उपकरण:-
दो अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक, ऐमीटर, परिवर्ती प्रतिरोधक, संयोजकता, सेल कुंजी, वोल्टमीटर इत्यादि।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG_20200204_072522-1024x472.jpg)
☆ प्रयोग विधि:-
1• चित्र अनुसार उपकरणों का संयोजन किया जाता है।
2• प्रतिरोध R-1 को जोड़ा जाता है।
3• धारा को प्रवाहित करके पूर्व प्रयोग की तरह प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जाता है।
4• इसी प्रकार प्रतिरोधक R-2 का प्रतिरोध ज्ञात किया जाता है।
5• अब R-1 और R-2 को पार्श्वबद्ध रूप से जोड़कर तुल्य प्रतिरोध का मान ज्ञात किया जाता है।
6• कम से कम 3 बार परिवर्ती प्रतिरोध का मान अदल-बदल कर लिया जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG_20200204_072730-1024x605.jpg)
☆ निरीक्षण एवं गणना
ऐमीटर का परास = 0- 1.5 A
ऐमीटर शून्यांक त्रुटि = 0.0 A
वोल्टमीटर का परास = 0-3 V
वोल्टमीटर शून्यांक त्रुटि = 0.0 V
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG_20200204_073024-1024x648.jpg)
☆ सावधानियां
1• संयोजन तार के सिरे को सैंडपेपर से रगड़ कर उपयोग करना चाहिए।
2• ऐमीटर तथा वोल्ट मीटर के शून्य त्रुटि को नोट करके ही संशोधित रीडिंग लेना चाहिए।
3• कम प्रतिरोध का रियोस्टेट उपयोग में लाना चाहिए।
4• ऐमीटर तथा वोल्ट मीटर के धन तथा ऋण सिरो को क्रमश सेल के धन तथा ऋण सिरो से जोड़ना चाहिए।
5• उच्च प्रतिरोध का वोल्ट मीटर उपयोग में लाना चाहिए।
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Q. 3. दो प्रतिरोधक को श्रेणीबद्ध संयोजित कर परिणामी प्रतिरोध ज्ञात करें?
☆ आवश्यक उपकरण:-
दो अज्ञात प्रतिरोध के प्रतिरोधक, ऐमीटर, परिवर्ती प्रतिरोधक, संयोजकता, सेल कुंजी, वोल्टमीटर इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG_20200204_122538-1024x867.jpg)
1• चित्र के अनुसार उपकरणों को जोड़ना चाहिए।
2• ऐमीटर तथा वोल्टमीटर की शून्यांक त्रुटि नोट करना चाहिए।
3• शुरुआत में R-1 प्रतिरोधक के समानांतर वोल्ट मीटर को परिपथ में जोड़ा जाता है।
4• रियोस्टेट का कुछ मान देकर कुंजी को बंद कर देने पर परिपथ में धारा प्रवाहित होती है।
5• अब ऐमीटर तथा वोल्ट मीटर का रीडिंग नोट करते हैं, इसी प्रयोग को तीन बार दोहराया जाता है।
6• अब R-1 और R-2 को श्रेणीबद्ध करके अंतिम सिरों के बीच वोल्ट मीटर को जोड़कर परिणामी प्रतिरोध ज्ञात किया जाता है।
☆ निरीक्षण एवं गणना:-
ऐमीटर का परास = 0- 1.5 A
ऐमीटर शून्यांक त्रुटि = 0.0 A
वोल्टमीटर का परास = 0-3 V
वोल्टमीटर शून्यांक त्रुटि = 0.0 V
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG_20200204_122237-1024x473.jpg)
☆ परिणाम
• श्रेणीबद्ध संयोजन में तुल्य प्रतिरोध का मान विभिन्न प्रतिरोधों के योगफल के बराबर होता है।
☆ सावधानियां:-
1• संयोजन तार के सिरे को सैंडपेपर से रगड़ कर उपयोग करना चाहिए।
2• ऐमीटर तथा वोल्ट मीटर के शून्य त्रुटि को नोट करके ही संशोधित रीडिंग लेना चाहिए।
3• कम प्रतिरोध का रियोस्टेट उपयोग में लाना चाहिए।
4• ऐमीटर तथा वोल्ट मीटर के धन तथा ऋण सिरो को क्रमश सेल के धन तथा ऋण सिरो से जोड़ना चाहिए।
5• उच्च प्रतिरोध का वोल्ट मीटर उपयोग में लाना चाहिए।
6• परिपथ में धारा प्रवाहित करने के पूर्व इसकी जांच अवश्य शिक्षक से करवाना चाहिए।
7• रीडिंग लेते समय केवल कुंजी को लगाना चाहिए।
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Matric Science Practical Model Question Answer
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Q. 4. अवतल दर्पण द्वारा प्राप्त प्रतिबिंब द्वारा दर्पण की फोकस दूरी ज्ञात करें?
☆ आवश्यक उपकरण:-
अवतल दर्पण, मापक, स्केल, सफेद पर्दा या सफेद दीवार, स्टैंड इत्यादि।
☆ सिद्धांत:-
अवतल दर्पण में दूर स्थित वस्तु का प्रतिबिंब दर्पण की फोकस पर बनता है।
☆ प्रयोग विधि:-
1• अवतल दर्पण को स्टैंड पर लगाकर मेज पर रखा जाता है।
2• दर्पण के मुंह को खिड़की या दरवाजे की ओर रखाना चाहिए, ताकि दूर स्थित वस्तु से प्रकाश उस पर आ सके।
3• दर्पण के सामने दीवार या पर्दा रखा जाता है।
4• अब पर्दा को आगे-पीछे ऊपर-नीचे किया जाता है। जब तक की वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिंब पर्दा पर ना बन जाए।
5• इसके बाद मापक स्केल की सहायता से पर्दा एवं अवतल दर्पण के बीच की दूरी मापा जाता है।
6• यह प्रयोग तीन चार बार दोहराया जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0040-1024x466.jpg)
☆ निरीक्षण एवं गणना:-
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0039-1024x360.jpg)
☆ परिणाम
• अवतल दर्पण की फोकस दूरी =27.7 cm है।
☆ सावधानियां:-
1• दर्पण को स्टैंड पर सीधा लगाना चाहिए।
2• पर्दे पर प्रतिबिंब स्पष्ट दिखाई देने पर पूरा मापन करना चाहिए।
3• पर्दा को सीधा रखना चाहिए।
4• मापक स्केल से दूरी मापते समय स्केल को क्षैतिज रखना चाहिए।
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? खोरठा में नाटक हास्यास्पद नाटक
Q. 5. एक आयताकार कांच की सिल्ली से होकर प्रकाश किरण का विभिन्न आपतन कोण के लिए मार्ग दर्शना तथा आपतन कोण, अपवर्तन कोण एवं निर्गत को माप करें?
☆ आवश्यक उपकरण:-
आयताकार कांच की सिल्ली, ड्राइंग बोर्ड, कागज, पिन, कोण और मापक इत्यादि।
☆ सिद्धान्त:-
ABCD कांच का एक स्लैब (सिल्ली) है। जिसकी मोटाई AD = BC है। आपतित किरण PO स्लैब के पहले पृष्ठ पर तिरछे रूप से पड़ती है और कांच में प्रवेश करने पर अभिलम्ब की ओर मुड़ जाती है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0042-1024x420.jpg)
फिर जब किरण स्लैब के दूसरे पृष्ठ से बाहर निकलती है। तो वह अभिलम्ब से दूर O’ R दिशा में मुड़ जाती है। O’ R निर्गत किरण कहलाता है। यह किरण अभिलम्ब से जो कोण बनाता है वह निर्गत कोण (e) कहलाता है। प्रयोग से पता चलता है कि:-
☆ प्रयोग विधि
1• ड्राइंग बोर्ड पर ड्राइंग पिन की सहायता से सफेद कागज लगाया गया है।
2• कागज के बीच में स्लैब रखकर इसकी वाह्य सीमा को ABCD पेंसिल से अंकित किया गया है।
3• अब AB पार्श्व पर रेखा PQE खींचा गया।
4• रेखा PE पर दो पिन P और Q इस प्रकार लगाया कि दोनों के बीच की दूरी लगभग 10 सेंटीमीटर हो।
5• अब CD पार्श्व की ओर से P और Q को देखते हैं, अपनी एक आंख बंद करके P और Q के प्रतिबिम्ब एक सीध में देखते हैं। तथा दो पिन R और S इस प्रकार लगाते हैं। कि P और Q के प्रतिबिंब तथा R और S एक सरल रेखा में हो जाए।
6• अब स्लैब तथा चारों पिन हटाकर P, Q, R तथा S बिंदु को छोटा वृत्त से घेरते हैं।
7• अब RS को मिलाते हुए आगे बढ़ाने पर यह CD को F पर मिलती है। EF को मिलाते हैं। रेखा PQE आपतित किरण और FRS निर्गत किरण को प्रकट करती है।
8•आयतन कोण (i) अपवर्तन कोण (r) तथा निर्गत कोण (e) को मापा जाता है।
9• इसी प्रयोग को तीन बार दोहराया जाता है?
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0044-1024x576.jpg)
☆ निरीक्षण एवं गणना
![☆ प्रयोग विधि](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0043-1024x298.jpg)
☆ परिणाम
• इस प्रयोग से स्पष्ट होता है कि आपतन कोण बराबर निर्गत कौन है।
☆ सावधानियां:-
1• दोनों पिन के बीच की दूरी 10 सेंटीमीटर से कम नहीं होना चाहिए।
2• पिनों को खड़ा लगाना चाहिए।
3• स्लैब की सीमा नुकीले पेंसिल से खींचना चाहिए।
4• पिन तीखी नोक वाले होने चाहिए।
5• किरण पथ को तीर के निशान से दिखाना चाहिए।
Matric Science Practical Model Question Answer
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? 12th. Geography Practical Question Bank
Q. 6. दूर अवस्थित बिम्ब के प्रतिबिंब को प्राप्त कर उत्तल लेंस का फोकस का अंतर ज्ञात करें?
☆ आवश्यक उपकरण:-
उत्तल लेंस, मापक स्केल, सफेद पर्दा, स्टैंड, साहुल, सूत्र इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0045-1024x458.jpg)
1• उत्तल लेंस को स्टैंड की सहायता से मेज पर रखा जाता है।
2• लेंस को खिड़की या दरवाजे की ओर रखा जाता है। ताकि दूर स्थित बिम्ब से किरण उस पर पड़ सके।
3• उत्तल लेंस के पीछे पर्दा रखा जाता है।
4• अब पर्दा को आगे-पीछे, बाय-दायें, ऊपर-नीचे किया जाता है। जबतक बिम्ब का स्पष्ट प्रतिबिंब पर्दा पर ना बन जाए।
5• इसके बाद मापक स्केल की सहायता से पर्दा तथा उत्तल लेंस के बीच की दूरी मापा जाता है।
6• इस प्रयोग को कम से कम 3 बार दोहराया जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0046-1024x323.jpg)
☆ सावधानियां:-
1• लेंस को स्टैंड पर सीधा लगाना चाहिए।
2• पर्दा को सीधा खड़ा रखना चाहिए।
3• पर्दे पर प्रतिबिंब स्पष्ट रूप से दिखाई देने पर दूरी मापी जानी चाहिए।
4• मापक स्केल हमेशा क्षैतिज रखना चाहिए।
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Matric Science Practical Model Question Answer
रसायन विज्ञान Chemistry
Q. 1. pH पेपर की सहायता से निम्नलिखित नमूने का पीएच मान ज्ञात कीजिए?
1• तनु हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
2• तनु सोडियम हाइड्रोक्साइड घोल
3• तनु एसिटिक अम्ल का घोल
4• नींबू का रस
5• शुद्ध जल
6• तनु सोडियम बाइकार्बोनेट
☆ आवश्यक उपकरण
pH पेपर, pH पेपर चार्ट, परखनलियां, कांच की नली, तनु HCL, तनु CH3COOH, नींबू का रस, जल, ड्राॅपर इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
दिए गए घोल के नमूने को अलग-अलग परखनली में लिया जाता है। उसके बाद इन घोलों पर 1,2,3,4,5 तथा 6 के रूप में लेबल लगाए जाते हैं। तत्पश्चात pH पेपर के टुकड़े लेकर जांच के घोल की एक या दो बूंद ड्रॉप की सहायता से डालते हैं। फिर pH पेपर के रंगों में हुए परिवर्तन की तुलना पेपर चार्ट से करके सारणी पूरा किया जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0047-1024x390.jpg)
☆ सावधानियां:-
1• विभिन्न नमूनों के लिए अलग-अलग ड्रॉपर या कांच की नली का प्रयोग करने से पहले आसुत जल से अच्छी तरह धो लेना चाहिए।
2• pH मान के लिए रंगों की तुलना पेपर चार्ट से करना चाहिए।
3• pH पेपर के टुकड़ों को साफ-सुथरे स्थानों या पेपर पर रखना चाहिए।
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Q. 2. सल्फर डाइऑक्साइड गैस तैयार कर तथा निम्न गुणों की जांच करें?
A• गंध
B• जल में घुलनशीलता
C• लिटमस पर प्रभाव
D• पोटैशियम डाइक्रोमेट के अम्लीय विलयन के साथ क्रिया
☆ आवश्यक उपकरण एवं रासायनिक पदार्थ
फ़्लास्क, निकास नली, थिस्लकीप, गैस घट, ढक्कन, बूंसेन बर्नर (ज्वालक) 2 छिद्र वाला कार्क, स्टैंड, तार की जाली, त्रिपाद बैठकी, तांबे की छीलन, सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल, लिटमस पत्र, पोटेशियम डाई क्रोमेट घोल इत्यादि।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0049-1024x478.jpg)
☆ प्रयोग एवं निरीक्षण
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0048-1024x576.jpg)
☆ परिणाम
• सल्फर डाइऑक्साइड गैस तीव्र गंध वाली गैस है।
• सल्फर डाइऑक्साइड गैस अम्लीय होती है।
• सल्फर डाइऑक्साइड गैस जल में घुलनशील है।
• सल्फर डाइऑक्साइड गैस का कार्य करती है।
☆ सावधानियां
1• सान्द्र सल्फ़्यूरिक अम्ल को हाथ से नहीं छूना चाहिए।
2• फ्लास्क को धीरे-धीरे गर्म करना चाहिए।
3• सल्फर डाइऑक्साइड गैस को सावधानीपूर्वक सूंधना चाहिए।
4• सान्द्र सल्फ़्यूरिक अम्ल इतना डाले ताकि ताम्र छीलन अम्ल में डूब जाए।
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Matric Science Practical Model Question Answer
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Q. 3. जिंक सल्फेट के जलीय विलयन के साथ Zn, Fe, Cu और Al धातुओं के अभिक्रिया का अध्ययन करना।
☆ आवश्यक उपकरण एवं रसायनिक पदार्थ
चार परखनली, काॅपर सल्फेट विलयन, जस्ता, लोहा, तांबा और ऐलुमिनियम के टुकड़े आदि।
☆ प्रयोग विधि:-
1• चार स्वच्छ परखनली लिया जाता है।
2• इन परखनली के ऊपर क्रमशः 1, 2, 3, 4, लिखकर लेवल चिपकाया जाता है।
3• प्रत्येक परखनली में कॉपर सल्फेट बिलियन लिया जाता है।
4• अब परखनली एक के विलियन में जस्ते का एक स्वच्छ टुकड़ा डाला जाता है।
5• उसके बाद परखनली दो के विलियन में लोहे का एक स्वच्छ कील डुबाया जाता है।
6• अब परखनली 3 के विलियन में तांबे का एक साफ किया गया था डुबाया जाता है।
7• परखनली 4 के विलियन में एलुमिनियम का साफ किया हुआ तार डुबाया जाता है।
8• इसके बाद निरीक्षण करके सारणी को पूरा किया जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/20200204_143837-1024x481.jpg)
☆ सावधानियां
1• किसी भी रासायनिक पदार्थ को नहीं छूना चाहिए।
2• प्रयोग में लाई गई धातु के टुकड़े को सेंड पेपर से रगड़ कर साफ करना चाहिए।
3• तांबा और अलमुनियम का तार पूर्ण रूप से विलियन में डूबना चाहिए।
4• अभिक्रिया धीमी गति से होती है अतः निरीक्षण सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
5• प्रयोग के बाद हाथ साबुन से अच्छी प्रकार धोना चाहिए।
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Q. 4. HCL अम्ल की निम्न के साथ क्या अभिक्रिया होगी?
1• लिटमस का विलयन
2• जस्ता धातु तथा
3• ठोस सोडियम कार्बोनेट
☆ आवश्यक उपकरण
1• परखनली, होल्डर, जवालक, आसुत जल, लिटमस का विलयन (नीला एवं लाल), जस्ता का टुकड़ा, सोडियम कार्बोनेट इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
• एक परखनली में नीले लिटमस का विलियन तथा दूसरे परखनली में लाल लिटमस का विलियन लेते हैं।
• इसके बाद इसमें तनु HCL के कुछ बूंद डालते हैं। अब परखनली को हिलाकर रंग के परिवर्तन को नोट करते हैं।
• एक परखनली में जस्ता का टुकड़ा लेकर तनु HCL डाल डालते हैं, ताकि टुकड़ा पूर्ण रूप से डूब जाए।
• चित्र के अनुसार मुंह पर बारीक छिद्र का जेड फिट करते हैं।
• अब परखनली को गर्म किया जाता है, जलती हुई संटी जेट के मुंह पर लाते हैं और प्रेक्षण करते हैं।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0053-1024x717.jpg)
• अब एक फ्लास्क में सोडियम कार्बोनेट लेते हैं इसमें आसुत जल मिलाकर हिलाते हैं।
• चित्र के अनुसार फ्लास्क के मुंह पर दो छिद्र वाला काग लगाकर एक में थिस्लकीप तथा दूसरे में निकास नली लगाते हैं।
• थिस्लकीप की सहायता से HCL डालते हैं निकलने वाली गैस को चुना जल में प्रवाहित करते हैं। तथा होने वाले परिवर्तन का परीक्षण करते हैं।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0054-1024x847.jpg)
☆ परिणाम
• HCL नीले लिटमस को लाल कर देता है। जस्ता धातु के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है। और सोडियम बाई कार्बोनेट के साथ अभिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड मुक्त करता है।
☆ सावधानियां
1• हाइड्रोजन जलाने के लिए बारिक जेट का प्रयोग करना चाहिए।
2• रसायनों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
3• हाइड्रोजन गैस के पास जलती हुई सेंटी ले जाने से सावधानी बरतनी चाहिए।
4• प्रत्येक प्रयोग के पूर्व परखनली को आसुत जल से धो लेना चाहिए।
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Matric Science Practical Model Question Answer
? 10 रू, 20रू, 50रू, 100रू, 200रू, 500रू, 2000रू, के एक नोट छापने में कितना खर्च आता है।
Q. 5. क्षार सोडियम हाइड्रोक्साइड (NaOH) की निम्न पर क्या अभिक्रिया होगी?
1• लिटमस का विलयन (नीला और लाल)
2• जस्ता धातु और
3• हाइड्रोक्लोरिक अम्ल
☆ आवश्यक उपकरण एवं रसायनिक पदार्थ
परखनली, होल्डर, ज्वालक, आसुत जल, लिटमस का विलयन (नीला एवं लाल), Zn का चूर्ण, HCL अम्ल, NaOH का विलयन, फिनोलफथलीन इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
• दो परखनलियों में अलग-अलग NaOH का 1 मिलीलीटर विलयन लेते हैं।
• एक में नीला लिटमस विलियन का दो बूंद और दूसरे में लाल लिटमस विलियन का दो बूंद डालते हैं और इसके बाद निरीक्षण को नोट करते हैं।
• एक परखनली में Zn का चूर्ण अल्प मात्रा में लेकर 2 मिलीलीटर NaOH का विलयन डालते हैं।
• मिश्रण को गर्म करते हैं और निकलने वाली गैस का परीक्षण जलती हुई संटी से करके निरीक्षण को नोट करते हैं।
• एक परखनली में NaOH विलयन लेकर फिनोलफथलीन की दो-चार बूंद डालने पर विलियन का रंग गुलाबी हो जाता है।
• इसके बाद विलयन में HCL के बूंद तब तक डालते हैं जब तक कि वह रंगहीन ना हो जाए।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0056-1024x721.jpg)
☆ परिणाम
• NaOH लाल लिटमस को नीला कर देता है। Zn के साथ अभिक्रिया कर हाइड्रोजन गैस मुक्त करता है। तथा HCL को उदासीन कर देता है।
☆ सावधानियां
1• हाइड्रोजन जलाने के लिए बारिक जेट का प्रयोग करना चाहिए।
2• रसायनों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
3• हाइड्रोजन गैस के पास जलती हुई सेंटी ले जाने से सावधानी बरतनी चाहिए।
4• प्रत्येक प्रयोग के पूर्व परखनली को आसुत जल से धो लेना चाहिए।
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Matric Science Practical Model Question Answer
Q. 6. जिंक सल्फेट के जलीय विलयन के साथ Zn, Fe, Cu और Al धातुओं के अभिक्रिया का अध्ययन करें?
☆ आवश्यक उपकरण एवं रसायन पदार्थ:-
चार परखनली, कॉपर सल्फेट विलयन, जस्ता, लोहा, तांबा और एल्यूमीनियम के टुकड़े इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
• चार स्वच्छ परखनली लिया जाता है।
• इन पर क्रमशः 1,2,3,4 लिखकर लेबल चिपकाया जाता है।
• प्रत्येक परखनली में कॉपर सल्फेट विलयन लिया जाता है।
• परखनली एक के विलयन में जस्ते का एक स्वच्छ टुकड़ा डाला जाता है।
• परखनली दो के विलयन में लोहे का एक स्वच्छ कील डुबाया जाता है।
• परखनली तीन के विलयन में तांबे का एक साफ किया गया तार डुबाया जाता है।
• परखनली चार के विलयन में एलुमिनियम का साफ किया गया था तार डुबाया जाता है।
• अब निरीक्षण करके सारणी को पूरा किया जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0056-1-1024x721.jpg)
☆ परिणाम
• जस्ता की तुलना में लोहा कम अभिक्रियाशील है।
• जस्ता की तुलना में तांबा कम अभिक्रियाशील है।
• जस्ता की तुलना में एलुमिनियम अधिक अभिक्रियाशील है।
☆ सावधानियां
1• किसी भी रसायनिक पदार्थ को नहीं छूना चाहिए।
2• अभिक्रिया धीमी गति से होती है अतः निरीक्षण सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
3• उपयोग में लाई गई धातु के टुकड़े को सैंडपेपर से रगड़ कर साफ करना चाहिए।
• तांबा और ऐलुमिनियम का तार पूर्ण रूप से विलियन में डूबना चाहिए प्रयोग के बाद हाथ साबुन से अच्छी तरह धोना चाहिए।
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Matric Science Practical Model Question Answer
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Q. 7. फेरस सल्फेट के जलीय विलयन के साथ Zn, Fe, Cu, और Al धातुओं के अभिक्रिया का अध्ययन करें?
☆ आवश्यक उपकरण एवं रासायनिक पदार्थ:-
चार परखनली, फेरस सल्फेट का जलीय विलयन, जस्ता, तांबा, लोहा और ऐलुमिनियम के टुकड़े इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
• चार स्वच्छ परखनली लिया जाता है।
• इन पर क्रमशः 1,2,3,4 लिखकर लेबल चिपकाया जाता है।
• प्रत्येक परखनली में कॉपर सल्फेट विलयन लिया जाता है।
• परखनली एक के विलयन में जस्ते का एक स्वच्छ टुकड़ा डाला जाता है।
• परखनली दो के विलयन में लोहे का एक स्वच्छ कील डुबाया जाता है।
• परखनली तीन के विलयन में तांबे का एक साफ किया गया तार डुबाया जाता है।
• परखनली चार के विलयन में एलुमिनियम का साफ किया गया था तार डुबाया जाता है।
• अब निरीक्षण करके सारणी को पूरा किया जाता है।
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☆ परिणाम
• लोहा की तुलना में जस्ता अधिक अभिक्रियाशील है।
• लोहा की तुलना में तांबा अधिक अभिक्रियाशील है।
• लोहा की तुलना में एलुमिनियम अधिक अभिक्रियाशील है।
☆ सावधानियां
1• हाइड्रोजन जलाने के लिए बारिक जेट का प्रयोग करना चाहिए।
2• रसायनों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
3• हाइड्रोजन गैस के पास जलती हुई सेंटी ले जाने से सावधानी बरतनी चाहिए।
4• प्रत्येक प्रयोग के पूर्व परखनली को आसुत जल से धो लेना चाहिए।
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Q. 8. कॉपर सल्फेट के जलीय विलयन के साथ Zn, Fe, Cu और Al धातुओं के अभिक्रिया का अध्ययन करें?
☆ आवश्यक उपकरण एवं रासायनिक पदार्थ:–
चार परखनली, फेरस सल्फेट का जलीय विलयन, जस्ता, तांबा, लोहा और ऐलुमिनियम के टुकड़े इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
• चार स्वच्छ परखनली लिया जाता है।
• इन पर क्रमशः 1,2,3,4 लिखकर लेबल चिपकाया जाता है।
• प्रत्येक परखनली में कॉपर सल्फेट विलयन लिया जाता है।
• परखनली एक के विलयन में जस्ते का एक स्वच्छ टुकड़ा डाला जाता है।
• परखनली दो के विलयन में लोहे का एक स्वच्छ कील डुबाया जाता है।
• परखनली तीन के विलयन में तांबे का एक साफ किया गया तार डुबाया जाता है।
• परखनली चार के विलयन में एलुमिनियम का साफ किया गया था तार डुबाया जाता है।
• अब निरीक्षण करके सारणी को पूरा किया जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/20200204_165927-1024x492.jpg)
☆ परिणाम
• तांबा की तुलना में जस्ता अधिक अभिक्रियाशील है।
• तांबा की तुलना में लोहा अधिक क्रियाशील है।
• तांबा की तुलना में एलुमिनियम अधिक क्रियाशील है।
☆ सावधानियां
1• हाइड्रोजन जलाने के लिए बारिक जेट का प्रयोग करना चाहिए।
2• रसायनों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
3• हाइड्रोजन गैस के पास जलती हुई सेंटी ले जाने से सावधानी बरतनी चाहिए।
4• प्रत्येक प्रयोग के पूर्व परखनली को आसुत जल से धो लेना चाहिए।
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Q. 9. ऐलुमिनियम सल्फेट के जलीय विलयन के साथ Zn, Fe, Cu और Al धातुओं के अभिक्रिया का अध्ययन करें?
☆ आवश्यक उपकरण एवं रासायनिक पदार्थ:–
चार परखनली, फेरस सल्फेट का जलीय विलयन, जस्ता, तांबा, लोहा और ऐलुमिनियम के टुकड़े इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
• चार स्वच्छ परखनली लिया जाता है।
• इन पर क्रमशः 1,2,3,4 लिखकर लेबल चिपकाया जाता है।
• प्रत्येक परखनली में कॉपर सल्फेट विलयन लिया जाता है।
• परखनली एक के विलयन में जस्ते का एक स्वच्छ टुकड़ा डाला जाता है।
• परखनली दो के विलयन में लोहे का एक स्वच्छ कील डुबाया जाता है।
• परखनली तीन के विलयन में तांबे का एक साफ किया गया तार डुबाया जाता है।
• परखनली चार के विलयन में एलुमिनियम का साफ किया गया था तार डुबाया जाता है।
• अब निरीक्षण करके सारणी को पूरा किया जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/20200204_170914-1024x415.jpg)
☆ परिणाम
• एलुमिनियम सल्फेट के विलयन में एलुमिनियम के स्थान पर जस्ता, लोहा, तांबा की धातुओं में प्रतिस्थापित नहीं हो सकती है। अतः यह धातु एलुमिनियम की तुलना में कम अभिक्रियाशील है।
• जस्ते के आईनों द्वारा फेरस सल्फेट के विलयन से लोहे के आयनों को और कॉपर सल्फेट के जलीय विलियन से तांबे के आयनों को विस्थापित कर दिया जाता है। अतः लोहे और तांबे की तुलना में जस्ता अधिक क्रियाशील है।
• लोहे के आयनों द्वारा कॉपर सल्फेट के जलीय विलियन से तांबे के आईनों को विस्थापित कर दिया जाता है। इस प्रकार तांबे की तुलना में लोहा अधिक क्रियाशील है।
• एलुमिनियम के आयनों द्वारा जिंक सल्फेट के जलीय विलियन से जस्ते के आएनों फेरस सल्फेट बिलियन से लोहे के आयनों और कॉपर सल्फेट बिलियन से तांबे के आयनों को विस्थापित कर दिया जाता है। अतः जस्ता, लोहा और तांबा की तुलना में अल्मुनियम अधिक अभिक्रियाशील है।
☆ सावधानियां
1• हाइड्रोजन जलाने के लिए बारिक जेट का प्रयोग करना चाहिए।
2• रसायनों का उपयोग सावधानीपूर्वक करना चाहिए।
3• हाइड्रोजन गैस के पास जलती हुई सेंटी ले जाने से सावधानी बरतनी चाहिए।
4• प्रत्येक प्रयोग के पूर्व परखनली को आसुत जल से धो लेना चाहिए।
Matric Science Practical Model Question Answer
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Q. 10. ऐसेटिक अम्ल (CH3COOH) के निम्नलिखित गुणों का अध्ययन करें?
1• गंध
2• जल में घुलनशीलता
3• लिटमस पत्र पर प्रभाव
4• सोडियम बाइकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया
5• धातुओं के साथ अभिक्रिया
☆ आवश्यक उपकरण एवं रासायनिक पदार्थ:-
परखनलियां, परखनली होल्डर, लिटमस पत्र, एसीटिक अम्ल, सोडियम बाइकार्बोनेट, ड्राॅपर, चुने का पानी इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
अलग-अलग परखनली में एसिटिक अम्ल को लेकर निम्नलिखित गुणों का अध्ययन किया जाता हैं।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0062-1024x1024.jpg)
☆ परिणाम :-
• ऐसेटिक अम्ल में सिरके के समान गंध होती है।
• ऐसेटिक अम्ल जल में अत्यधिक घुलनशील है।
• ऐसेटिक अम्ल नीले लिटमस पत्र को लाल कर देता है।
• ऐसेटिक अम्ल सोडियम बाईकार्बोनेट के साथ अभिक्रिया करके कार्बन डाइऑक्साइड गैस मुक्त करती है।
☆ सावधानियां
• ऐसेटिक अम्ल को सावधानीपूर्वक उपयोग में लाना चाहिए।
• एसिटिक अम्ल को सीधी कभी नहीं सुंधना चाहिए।
• जब प्रयोग कर रहे हो तब परखनली का मुंह दूर रखना चाहिए।
• सांद्र सल्फ्यूरिक अम्ल हाथ से कभी नहीं छूना चाहिए।
• स्वच्छ और शुष्क परखनली व्यवहार में लाना चाहिए।
• रसायनों को सावधानीपूर्वक निकालना चाहिए।
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Matric Science Practical Model Question Answer
जीव विज्ञान Biology
Q. 1. तैयार स्लाइडों की सहायता से अमीबा में द्वि- विभाजन तथा यीस्ट और हाइड्रा में मुकुलन का अध्ययन करें?
☆ आवश्यक उपकरण:-
सूक्ष्मदर्शी अमीबा में द्वि- विभाजन और यीस्ट में मुकुलन को दर्शाने वाले तैयार स्लाइड इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि:-
• स्लाइड को सूक्ष्मदर्शी की सहायता से पहले कम शक्ति और फिर बाद में अधिक शक्ति का लेंस लगाकर देखा जाता है।
• लेंस द्वारा देखी गई विशेषताओं को प्रैक्टिकल बुक में लिखा जाता है।
• चित्र अनुसार उपकरण को सजाया जाता है। तथा नली के दूसरे सिरे को जल से भरे बीकर में रखा जाता है।
• जल के स्तर पर निशान लगा दिया जाता है।
• उपकरण को लगभग 1 घंटे तक इसी प्रकार रखकर प्रयोग किया जाता है।
☆ निरीक्षण
● अमीबा का द्वि- विभाजन (Binary Fission)
• यह एक अलौकिक जनन है। जिसमें एक जनन कोशिका में दो संतति कोशिकाएं बनती है। और जनन कोशिका का अस्तित्व समाप्त हो जाता है।
• इसमें केंद्रक दो भागों में विभाजित हो जाता है।
• कोशिका द्रव्य भी दो भागों में विभाजित हो जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0065-1024x389.jpg)
☆ निरीक्षण
● यीस्ट का मुकुलन (Budding)
• यह एक लैंगिक प्रजनन है। जिसमें एक जनक के शरीर से एक बल्ब रुपी संरचना बाहर निकलती है जिसे मुकुलन कहते हैं।
• केंद्र का सूत्री विभाजन होता है और इनमें से एक संतति केंद्रक कलिका में चला जाता है।
• कलिका विकसित होकर पूरा आकार ले लेती है और इस प्रकार एक नया जीव बनता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0063-1024x447.jpg)
● हाइड्रा में मुकुलन
• हाइड्रा जैसे कुछ प्राणी पुनर्जनन की क्षमता वाली कोशिकाओं का उपयोग मुकुलन के लिए करते हैं।
• हाइड्रा में कोशिकाओं के नियमित विभाजन के कारण एक स्थान पर उभार विकसित हो जाता है।
• यह उभार (मुकुल) वृद्धि करता हुआ नन्हीं जीव में बदलता है तथा पूर्ण विकसित होकर जनक से अलग होकर स्वतंत्र जीवन जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/IMG-20200204-WA0064-1024x486.jpg)
☆ परीणाम
• स्लाइडो से अमीबा में द्वि- विभाजन और यीस्ट में मुकुलन का पता चलता है।
☆ सावधानियां
• स्लाइडों को पहले कम शक्ति और फिर बाद में अधिक शक्ति का लेंस लगाकर देखना चाहिए।
• स्लाइडों को सूक्ष्मदर्शी से देखकर नामांकित रेखाचित्र बनाना चाहिए।
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Q. 2. प्रयोग द्वारा दर्शाए की श्वसन की क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है?
☆ आवश्यक उपकरण
चना के कुछ अंकुरित बीज, तिकोनी फ्लास्क, एक छिद्रवाला कार्क, दो समकोण पर मुड़ी एक परखनली, पानी, स्टैंड, छोटी परखनली, पोटैशियम हाइड्रोक्साइड का घोल, धागा इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि
• लगभग 100 दाने अंकुरित चना लेकर तिकोनी फ्लास्क में रख दिया जाता है।
• एक छोटी परखनली में थोड़ी सी मात्रा में पोटैशियम हाइड्रोक्साइड का घोल लिया जाता है। और धागे की सहायता से लटका दिया जाता है।
• चित्र के अनुसार उपकरण सजाया जाता है।
• इसके बाद नली के दूसरे सिरे को जल्द से भरे बीकर में रखा जाता है।
• जल के स्तर पर निशान लगा दिया जाता है।
• उपकरण को लगभग एक घंटा तक इसी प्रकार रखकर प्रयोग किया जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/20200204_173151-1024x488.jpg)
☆ निरीक्षण
• प्रयोग के बाद हम देखते हैं कि शीशे की नली में जल स्तर ऊपर की ओर उठा जाता है।
• ऐसा इस लिए होता है कि जब बीज श्वसन करते हैं तब कार्बन डाइऑक्साइड गैस छोड़ते हैं।
• कार्बन डाइऑक्साइड को पोटाशियम हाइड्रोक्साइड द्वारा सोख लिया जाता है। जिससे वहां दबाव कम हो जाता है।
• परिणाम स्वरूप परखनली में पानी ऊपर चढ़ जाता है।
☆ परिणाम
इस प्रयोग से सिद्ध होता है कि श्वसन क्रिया में कार्बन डाइऑक्साइड गैस निकलती है।
☆ सावधानियां
• संपूर्ण उपकरण वायु रूद्ध होना चाहिए।
• स्वस्थ अंकुरित बीज का प्रयोग करना चाहिए।
• पोटेशियम हाइड्रोक्साइड के घोल को फ्लास्क में सावधानीपूर्वक लटकाना चाहिए।
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Q. 3. प्रयोग द्वारा दर्शाए की प्रकाश संश्लेषण के लिए सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति अनिवार्य है।
☆ आवश्यक उपकरण
गमले में लगा पौधा, काला कागज, दो बीकर, माचिस, स्प्रिटलैम्प, पानी, त्रिपाद बैठकों, स्टैंड, तार की जाली, अल्कोहल, आयोडीन इत्यादि।
☆ प्रयोग विधि
• गमले में लगा एक सबलित पत्ती वाला पौधा लिया जाता है। जैसे मनी प्लांट या क्रोटन का पौधा।
• पौधे को 3 दिन अंधेरे कमरे में रखा जाता है ताकि उसका संपूर्ण मंड प्रयुक्त हो जाए।
• अब पौधे की एक पत्ती के मध्य भाग को काले कागज से ढक कर क्लिप से अच्छी तरह दिया जाता है
• इसके बाद पौधे को लगभग 6 घंटे के लिए सूर्य के प्रकाश में रखा जाता है।
• तत्पश्चात पौधे से एक पत्ती तोड़ ली जाती है। इसमें हरे भाग को अंकित किया जाता है तथा उन्हें एक कागज पर ट्रेस कर लिया जाता है।
• अब कुछ मिनट के लिए इस पत्ती को उबलते पानी में डाला जाता है।
• इसके बाद इसे 60°c वाले अल्कोहल से भरे बीकर में डुबो दिया जाता है।
• पति जब रंगीन हो जाता है तो उसे निकाल लिया जाता है।
• पत्ती को पानी से धोकर आयोडीन के घोल में डूबाया जाता है। इसके बाद पत्ती को निकाल कर धो लिया जाता है।
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/20200204_173510-1024x666.jpg)
![Matric Science Practical Model Question Answer](http://gyantarang.com/wp-content/uploads/2020/02/20200204_173848-768x1024.jpg)
☆ निरीक्षण
• पत्ती का बिना ढाका भाग नीले काले रंग का हो जाता है। जबकि ढाका भाग भूरा हो जाता है।
☆ परिणाम
• इस प्रयोग से स्पष्ट है कि प्रकाश संश्लेषण के लिए सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति अनिवार्य है।
☆ सावधानियां
• गमले में लगे पौधे के साथ अनावश्यक छेड़छाड़ ना करें।
• प्रयोग के लिए गमले को कागज से ढकते समय सावधानी बरतनी चाहिए।
• पत्ती को काले कागज से डरते समय सावधानी बरतें।
• पत्ती को सीधे अल्कोहल में डालकर गर्म ना करें।
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