Parasnath hills giridih jharkhand, पारसनाथ की पहाड़ी कैसे पहुंचे

Parasnath hills giridih jharkhand, पारसनाथ की पहाड़ी कैसे पहुंचे

Parasnath hills भारत में झारखण्ड राज्य के गिरिडीह जिले में स्थित है। यह झारखण्ड की सबसे ऊंची चोटी है। इसकी ऊंचाई 1365 मीटर है। पारसनाथ जैन धर्मावलम्बियों के लिए विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। जैन धर्म ग्रंथों के अनुसार 24 तीर्थंकरों में से 20 ने इस पावन स्थली पर मोक्ष प्राप्त किया है। इन सभी बीसों तीर्थंकरों के मंदिर मधुबन तलैटी में अवस्थित है। यहां हर साल लाखों की संख्या में सैलानी पहुंचते हैं।

झारखंड का सबसे ऊंचा पहाड़

पारसनाथ की पहाड़ी झारखंड के सबसे ऊंचा पहाड़ है। यह हजारीबाग पठार से संबंधित गिरिडीह के पठार में स्थित है। यह 1365 मीटर (4478फीट) ऊंचा है। यह अत्यंत कठोर पाइरोक्सी ग्रेनाइट से निर्मित है। गिरिडीह पठार से बराकर नदी निकलती है जो दामोदर की सबसे बड़ी सहायक नदी है।

जैन धर्मावलम्बियों से संबंधित तीर्थ स्थल

पारसनाथ पहाड़ जैन धर्मावलम्बियों के लिए विश्व में प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है। यहां हर साल लाखों की संख्या में देश-विदेश से सैलानी आते है। तलैटी से शिखर तक तकरीबन 10 किलोमीटर की यात्रा करनी पड़ती है। ये यात्रा पैदल करना होता है। क्योंकि दुर्गम पहाड़ी पर वाहन जाने का साधन नहीं है। खड़ी ढ़ाल पर खड़ी सीढ़ी के माध्यम से पहाड़ी पर चढ़ना होता है। जो हमारे साहस और धैर्य की भी परीक्षा लेता है। कठिन राहों से गुजरने के कारण यह यात्रा काफी मनोरंजक भी लगता है। जो यात्री पैदल चलने में असमर्थ होते हैं वे डोली का सहारा लेते हैं। डोली दो व्यक्ति या चार व्यक्ति मिलकर उठाते हैं। इसके लिए उन्हें पांच से आठ हजार तक प्रति व्यक्ति शुल्क देना होता है। व्यक्ति के वजन के आधार पर डोली के प्रकार और दाम तय किए जाते हैं।

मधुबन तलैटी में 20 जैन तीर्थंकरों के मंदिर

यहां जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से 20 तीर्थंकरों के मंदिर अवस्थित है। पारसनाथ की पहाड़ी पर 20 तीर्थंकरों सहित कई साधु संतों ने मोक्ष प्राप्त किया है। जैन धर्म शास्त्रों में वर्णन है कि जैन धर्म के 24 तीर्थंकरों में से प्रथम तीर्थंकर भगवान आदिनाथ अर्थात भगवान ऋषभदेव ने कैलाश पर्वत पर, 12 वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य ने चंपापुरी में, 22वें तीर्थंकर भगवान नेमिनाथ ने गिरनार पर्वत और 24 वें तीर्थंकर तथा अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर ने बिहार स्थित पावापुरी में मोक्ष प्राप्त किया। बाकी अन्य सभी 20 तीर्थंकरों ने इसी पूण्य पावन स्थली पारसनाथ की धरती पर ही मोक्ष प्राप्त किया है। उन्ही 20 तीर्थंकरों से संबंधित यहां मंदिरों का एक समूह है।

तीर्थंकर का अर्थ

तीर्थंकर का अर्थ सर्वोच्च जैन गुरु होता है। ऐसे दिव्य पुरुष जिसने अपने कठिन साधना, तप और ध्यान के बल पर इंद्रियों पर विजय पाई और लोगों को सही मार्ग पर चलने की नसीहत दी। उन्हें जैन धर्म में तीर्थंकर के रूप में जाना जाता है। इस तरह जैन धर्म में भगवान आदिनाथ से लेकर भगवान महावीर तक 24वें तीर्थंकर हुए हैं।

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पारसनाथ नाम क्यों

जैन धर्म के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ ने भी इसी पहाड़ी शिखर पर कठोर साधना, तप और ध्यान द्वारा मोक्ष प्राप्त किया था। अतः भगवान पार्श्वनाथ की टोंक इस पहाड़ पर स्थित है। इस कारण इस पहाड़ी का नाम पार्श्वनाथ पड़ा, जो कालांतर में अपभ्रंश होकर पारसनाथ में परिवर्तित हो गया।

यात्रा करने का सबसे उपयुक्त समय

जैन धर्मावलंबी पारसनाथ की पहाड़ी पर सालों भर यात्रा करते हैं। परन्तु फिर भी यात्रा करने का सबसे अच्छा समय नवंबर से फरवरी के बीच में होता है। क्योंकि पहाड़ों पर चढ़ने में शीत ऋतु में मदद मिलती है। शीत ऋतु में यहां सैलानियों की भीड़ लगी रहती है।

पारसनाथ कैसे पहुंचे

पारसनाथ की पहाड़ी झारखंड के गिरिडीह जिले में स्थित है। यह झारखंड की सबसे ऊंची पहाड़ी है। यहां सड़क और रेल मार्ग से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

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Parasnath hills

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पारसनाथ पहाड़ी गिरिडीह पहुंचने का मार्ग

सड़क मार्ग से:-

रांची से पारसनाथ – 209 km
गिरिडीह से पारसनाथ – 31 km
गिरिडीह से मधुबन – 25 km
मधुबन से पारसनाथ – 6 km
पटना से पारसनाथ – 261 km
कोलकाता से पारसनाथ – 340 km
दिल्ली से पारसनाथ – 1216 km

रांची से

• रांची से पारसनाथ की दूरी 209 km है। रांची से रांची- हजारीबाग राष्ट्रीय राजमार्ग 33 से 105 km दूर हजारीबाग पहुंचे। इसके बाद हजारीबाग-बगोदर सड़क मार्ग से 58 km दूर बगोदर पहुंचे। पुनः बगोदर से GT रोड (NH-2) पकड़कर 20 km दूर डुमरी पहुंचे। तत्पश्चात डूमरी-गिरिडीह सड़क मार्ग से 20 km दूर मधुबन मोड़ पहुंचे। इसके बाद मधुबन मोड़ से तकरीबन 6 km चलकर मधुबन पहुंचे। मधुबन से पैदल या डोली का सहारा लेकर पारसनाथ अर्थात पार्श्वनाथ चोटी जिन्हें “सम्मेद शिखर जी” भी कहा जाता है पहुंचे।

गिरिडीह से

• गिरिडीह से गिरिडीह-डुमरी पथ से मधुबन मोड होते हुए तकरीबन 30 km दूर मधुबन पहुंचे।

धनबाद से

• धनबाद से पारसनाथ 73 km दूरी पर स्थित है। धनबाद से चलकर बरवडा पहुंचकर GT (NH-2) रोड से होते हुए तकरीबन 45 km दूर डूमरी पहुंचे। डूमरी से डूमरी- गिरिडीह सड़क मार्ग से 20 km दूर मधुबन मोड़ पहुंचे। तत्पश्चात मधुबन मोड़ से चलकर 6 km मधुबन पहुंचे। इसके बाद मधुबन से 10 km पैदल चलकर पार्श्वनाथ शिखर अर्थात सम्मेद शिखर पहुंचे।

कोलकाता

• कोलकाता से पारसनाथ 340 km की दूरी पर स्थित है। कोलकाता से GT (NH-2) रोड होते हुए 315 km दूर डुमरी पहुंचे। इसके बाद डुमरी-गिरिडीह सड़क मार्ग से मधुबन मोड़ पहुंचे। तत्पश्चात मधुबन मोड़ से मधुबन पहुंचे। मधुबन से पैदल या डोली के सहारे पार्श्वनाथ चोटी पहुंचे।

दिल्ली

दिल्ली से पारसनाथ की दूरी 1216 किलोमीटर है। राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या दो ग्रैंड ट्रंक रोड के सहारे औरंगाबाद, डोभी,  चौपारण, बरही, बगोदर होते हुए डुमरी पहुंचे। डुमरी से 20 किलोमीटर चलकर मधुबन मोड़ पहुंचे और मधुबन मोड से 6 km अंदर मधुबन गांव पहुंचे। मधुबन गांव से पैदल या डोली के सहारे पार्श्वनाथ की चोटी पर पहुंचे।

रेलमार्ग से:-

रेलमार्ग से पारसनाथ की पहाड़ी आसानी से पहुंचा जा सकता है। पारसनाथ की पहाड़ी से सबसे निकटतम रेलवे स्टेशन पारसनाथ जंक्शन है जो महज 31 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

पारसनाथ

• 31 Km. 

गिरिडीह से

• 39 Km. 

रांची से
• 148 km.

धनबाद से
• 56 km.

गया से
• 185 km.

पटना से
• 272 km.

कोलकाता से
• 317 km.

दिल्ली से
• 1215 km.

मुम्बई से
• 1972 km.

चेन्नई से
• 1782 km.

वायुमार्ग से:-

पारसनाथ की पहाड़ी से सबसे निकटतम वायु पतन  देवघर अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट है। जो संडक मार्ग के माध्यम से 103 कि.मी. दूर है। दूसरा रांची स्थित बिरसा मुंडा एयरपोर्ट है। जो रेलमार्ग से 157 किलोमीटर और सड़क मार्ग से 209 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। तीसरा महत्वपूर्ण एयरपोर्ट कोलकाता का नेताजी सुभाष चंद्र बोस एयरपोर्ट है। जो रेलमार्ग से 317 किलोमीटर और सड़क मार्ग से 340 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
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Parasnath hills

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Parasnath hills

प्रस्तुति
www.gyantarang.com
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संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी
शिक्षक
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