Types of plateaus in the world | पठार के प्रकार | विश्व के प्रमुख पठार
पृथ्वी पर हर महाद्वीप में मौजूद उबर-खाबर भूभाग को पठार के रूप में जाना जाता है। पठार भूपटल पर द्वितीय क्रम के स्थल के रूप में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। यह संपूर्ण पृथ्वी का लगभग 33% भाग पर विस्तृत है। इन पठारों का आर्थिक महत्व भी है, क्योंकि विश्व के अधिकतर खनिज इन्हीं पठारों के गर्भ में छिपे हुए हैं। और ये खनिज मानव विकास के लिए बेहद जरूरी है। भारत में छोटानागपुर का पठार और दक्कन का पठार, अमेरिका में कोलंबिया का पठार, चीन में यूनान का पठार, ब्राजील में ब्राजील का पठार, मध्य एशिया में तिब्बत का पठार इत्यादि पठार के कुछ उदाहरण हैं। इन पठारों का निर्माण जल, वायु, हिमानी इत्यादि द्वारा हुआ है। अन्तरापर्वतीय, महाद्वीपीय, पर्वतपदीय जैसे विश्व में पठार के प्रकार विद्यमान है।
इस पोस्ट में आप देखने जा रहे हैं-
• पठार किसे कहते हैं
• पठारों का वर्गीकरण
• विश्व के कुछ प्रमुख पठार
• पठारों का आर्थिक महत्व और
• पठार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परीक्षोपयोगी तथ्य
पठार किसे कहते है
पठार वैसे उच्चभूमि (highland) को कहा जाता है जिसका शिखर वाला भाग काफी बड़ा और चपटा होता है। आसपास की भूमि से वह एकाएक उठा हुआ या गिरा हुआ प्रतीत होता है अर्थात उसके कगार पर खड़ी ढाल (steep slope) मिलती है। सामान्यता कहा जाए तो पठार अपने समीपवर्ती धरातल से पर्याप्त ऊंचे एवं सपाट तथा चौड़े शीर्ष वाले स्थल रूप के रूप में जाने जाते हैं। साधारणतः यह 300 मीटर से 1000 मीटर तक ऊंचे होते हैं, परंतु केवल ऊंचाई के आधार पर पठारों का निर्धारण नहीं किया जा सकता।
पठारों को प्रायः मेज के आकार की भू-आकृति भी कहा जाता है। परंतु यही एकमात्र आधार नहीं है, क्योंकि कभी-कभी तुलनात्मक रूप से पठार मैदानों से नीचे तथा पर्वतों से ऊंचे हो सकते हैं। जैसे- संयुक्त राज्य अमेरिका के पूर्वी भाग में स्थित पीडमाण्ट पठार जो मध्यवर्ती विशाल मैदान से नीचे है। तो वहीं तिब्बत का पठार अपने समीपवर्ती कई पर्वतों से भी ऊंचा है। पठार को परिभाषित करते हुए स्ट्रॉलर महोदय ने वर्णन किया है “कि पठार लगभग समतल उच्च प्रदेश है जो तलछटी चट्टानों या लाप प्रवाह पर आधारित है और जिनके किनारे भृगु के आकार के हैं।”
• पठारों का वर्गीकरण
निर्माण-विधि (mode of origin) के अनुसार पठार के तीन भागों में विभाजित किया गया हैं-
(i) पटल-विरूपणी पठार (Diastrophic plateau)
(ii) ज्वालामुखी का लावा पठार (Volcanic or Lava plateau)
(iii) अपरदित या घर्षित पठार (Erosional or Dissected plateau)
(i) पटल-विरूपणी पठार (Diastrophic plateau) :-
भू-संचलन द्वारा भू-पृष्ठ के कुछ भाग ऊपर उठकर जब पठारों का रूप धारण कर लेते हैं तो वे पटल-विरूपणी पठार कहलाते हैं। तिब्बत का पठार, दक्षिण भारत का पठार और पैटागोर्निया का पठार इसके उदाहरण हैं। ये काफी ऊँचे और सुदूर तक फैले हुए रहते हैं। इनके तीन उपवर्ग किए जाए जाते हैं-
(क) अन्तरापर्वतीय पठार (intermountane plateau)
(ख) महाद्वीपीय (continental plateau)
(ग) पर्वतपदीय (piedmont plateau)
(क) अन्तरापर्वतीय पठार (intermountane plateau):-
अन्तरापर्वतीय पठार उच्च पर्वत श्रेणियों से घिरे हुए होते हैं और इनका निर्माण आंतरिक भागों में हलचल से पर्वतों के साथ में भूपटल के ऊपर उठने से होता है। कुनलुन (क्यूनलुन) और हिमालय श्रेणियों के बीच “तिब्बत का पठार” इसका सर्वोत्तम उदाहरण है। जो लगभग 12,00,000 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है। साथ हीं कहीं-कहीं 6000 मीटर तक ऊंचे हैं। इसका अधिकतर भाग आंतरिक जलप्रवाह का क्षेत्र है, परन्तु इसके विभिन्न किनारों से पर्वतों को पार कर कई विशाल नदियां प्रवाहित होती हैं। जैसे- दक्षिण में सिंधु और ब्रह्मपुत्र, पूर्व में सालविन, मेकिंग, यांग्जी (यांग्तिक्यांग) तथा ह्वांगहो।
एंडीज पर्वत श्रेणियों से घिरा (दक्षिण अमेरिका में) “बोलीविया का पठार” संसार का दूसरा बड़ा अन्तरापर्वतीय पठार है। जो लगभग 5,00,000 वर्ग किलोमीटर में विस्तृत है और औसतन 4000 मीटर ऊंचा है। इसका निर्माण एंडीज पर्वतश्रेणियों के उत्थान-काल में हुआ था। विश्व में कुछ और महत्वपूर्ण अन्तरापर्वतीय पठार के उदाहरण हैं- एशिया में गोबी का पठार, ईरान का पठार और तारिम बेसिन, उत्तरी अमेरिका में मेक्सिको का पठार, कोलम्बिया का पठार और ग्रेट बेसिन।
(ख) महाद्वीपीय पठार (continental plateau) :-
महाद्वीपीय पठार वे हैं जो अतिप्राचीन हैं और पहले आपस में मिले हुए थे, एक महाद्वीप बनाते थे। परन्तु बाद में खंडित हो गये तथा विभिन्न दिशाओं में विस्थापित हो गए। प्रायः सभी महादेशों में इनका विस्तार देखा जा सकता है। ये “शील्ड” (Shield) कहलाते हैं।
(ग) पर्वतपदीय पठार (piedmont plateau):-
पर्वतपदीय पठार पर्वत से सेट लम्बी उच्च भूमि के रूप में मैदान या समुद्र तक विस्तृत होते हैं। जिनका निर्माण उनसे सटे पर्वतों के साथ-साथ (भूसंचलन द्वारा ऊपर उठने के कारण) होता है। दक्षिणी अमेरिका के दक्षिणी भाग में एंडीज पर्वत से सटे पूर्व की ओर “पैटागोनिया का पठार” इसका प्रसिद्ध उदाहरण है।
यह पठार पूर्व में अटलांटिक महासागर तक विस्तृत है। उत्तरी अमेरिका के पूर्वी भाग में भी ऐसा पठार मिलता है जो अपेलेशियन पर्वत और पूर्वतटीय मैदान के बीच में विस्तृत है। इसे “पीडमौंट पठार” के नाम से पुकारा जाता है। यह तटीय मैदान को अपलेशियन पर्वत से अलग करता है। इस प्रकार हम कह सके हैं कि पर्वतपदीय पठार का निर्माण एक ओर पर्वत और दूसरी ओर समुद्र या मैदान के बीच होता है। संसार में विस्तृत पर्वत-पदीय पठार कम मिलते हैं।
(ii) ज्वालामुखी का लावा पठार (Volcanic or Lava plateau) :-
दरारी उद्भेदन (fissure eruption) द्वारा पृथ्वी के अंदर से निकला लावा जब दूर तक फैल जाता है और जमकर, ठंडा होकर, पठार का रूप धारण कर लेता है। तो उसे ज्वालामुखी पठार या लावा पठार कहते हैं। लावा के लगातार बाहर निकलते रहने पर उसकी मोटाई और ऊंचाई बढ़ती जाती है। ये पठार बेसाल्ट चट्टानों से बने होते हैं, जिनका रंग काला होता है। अतः लावा के अपरदन से वहाँ काली मिट्टी का निर्माण होता है। जो बहुत ही उपजाऊ मिट्टी हुआ करती है। इस तरह के पठार का बेहतरीन उदाहरण दक्षिण भारत के उत्तर पश्चिम में स्थित “डेक्कन ट्रैप” (Deccan Trap) है। जो लगभग 5,00,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
दक्कन पठार में लावा (बैसाल्ट) की मोटाई 600 मीटर से लेकर 1500 मीटर और कहीं-कहीं पर 3000 मीटर तक विस्तृत है। इसका उत्पत्तिकाल आज से करोड़ों वर्ष पूर्व (लगभग 11 करोड वर्ष) बताया जाता है। यूरोप में आयरलैंड स्थित ‘ऐन्ट्रीम पठार‘ और उत्तरी अमेरिका में ‘कोलम्बिया का पठार’ भी लावा-निर्मित हैं। कोलम्बिया पठार में लावा की मोटाई कहीं-कहीं एक किलोमीटर से भी अधिक पायी गयी है।
(iii) अपरदित या घर्षित पठार (Erosion or Dissected plateau):-
कभी-कभी उच्च पर्वतीय भाग बाह्य शक्तियों द्वारा लगातार अपरदित होकर निम्नभूमि में बदल जाता है, और पठार का रूप धारण कर लेता है। कभी-कभी उच्च मैदानी भाग को नदियाँ अधिक गहराई तक काटकर घाटियों के बीच चौड़ा समतल निम्न पठार का रूप दे डालती हैं। कभी-कभी पठारी भाग में इतना अधिक अपरदन होता है कि वहाँ अन्तर्भेदी आग्नेय चट्टानें (जैसे- ग्रेनाइट) बाहर निकल आती है। यदि उस क्षेत्र का उत्थापन हुआ तो वहाँ पुनः पठार का सुस्पष्ट रूप दिखाई पड़ने लगता है।
दक्षिण भारत के मैसूर और रांची क्षेत्रों में इसी विधि से पठारों का निर्माण हुआ है। इन्हें क्रमशः ‘मैसूर का पठार‘ और ‘राँची का पठार‘ या ‘ग्रैनाइट पठार‘ कहां करते हैं।
कनाडा में ‘क्यूबेक का पठार‘ हिमनदों के घर्षण और U.S.A. में ‘कोलोरैडो का पठार‘ नदियों द्वारा गहरी घटियाँ बना लेने के कारण बने हैं। ये सभी ‘अपरदित या घर्षित पठार’ के उदाहरण हैं। ऐसे पठारों के अन्य उदाहरण हैं- विंध्य पठार (जो कितनी ही बार ऊपर उठा और अपरदित होता गया), पोटवार पठार और मेघालय पठार
आकृति भिन्नता के अनुसार पठार
(i) गुंबदाकार पठार:- छोटा नागपुर का पठार
(ii) विच्छेदित पठार:- प्रायद्वीपीय भारत का पत्थर
(iii) सीढ़ीनुमा पठार:- विंध्य एवं कैमूर का पठार
(iv) सपाट पठार:- तिब्बत का पठार
(v) पुनर्युवित पठार:- रांची का पठार, अमेरिका में स्थित मिसौरी का बताएं
जलवायु के आधार पर पठार
जलवायु के आधार पर पठार तीन प्रकार के हैं।
(1) शुष्क पठार:- पोतवार पठार
(2) आर्द्र पठार:- असम का पठार
(3) हिम पठार:- ग्रीनलैंड का पठार, अंटार्कटिका का पठार
अपरदन चक्र के आधार पर पठार
(1) तरुण पठार:- अमेरिका का इहादो का पठार, कोलोरेडो का पठार
(2) प्रौढ़ पठार:- आप्लेशियन का पठार
(3) जीर्ण पठार:- रांची का पठार
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विश्व के कुछ प्रमुख पठार
क्रम सं• – पठार – स्थिति –
1. तिब्बत का पठार मध्य एशिया
2. मंगोलिया का पठार उत्तर मध्य चीन तथा मंगोलिया
3. प्रायद्वीपीय भारत का पठार दक्षिण भारत
4. ईरान का पठार ईरान
5. अरब का पठार दक्षिण-पश्चिम एशिया
6. तुर्की या अनातोलिया का पठार तुर्की
7. यूनान या अनातोलिया का पठार म्यांमार, चीन और वियतनाम
8. ऑस्ट्रेलिया का पठार आस्ट्रेलिया
9. मेडागास्कर/मलागासी का पठार मेडागास्कर द्वीप
10. दक्षिण अफ्रीका का पठार दक्षिण अफ्रीका
11. अबीसीनिया या इथोपिया का पठार इथोपिया, सोमालिया
12. मेसेट्टा का पठार स्पेन
13. ब्राजील का पठार ब्राजील
14. बोलीबिया का पठार बोलीबिया
15. मेक्सिको का पठार मैक्सिको
16. अलास्का का पठार अलास्का, अमेरिका
17. कोलंबिया का पठार अमेरिका
18. कोलोरेडो का पठार अमेरिका
19. ग्रेट बेसिन का पठार अमेरिका
20. ग्रीनलैंड का पठार ग्रीनलैंड
पठारों का आर्थिक महत्व
पठार आर्थिक दृष्टिकोण से बहुत ही महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पठारों के गर्भ में ही विश्व भर में खनिज पदार्थों का भंडार छिपा हुआ है। सोना, तांबा, टीन, बॉक्साइट, कोयला, पेट्रोलियम जैसे खनिज पदार्थ पठारों की धरती से ही प्राप्त किए जाते हैं। भारत में भी पठारी भाग में हीं खनिजों के भंडार हैं। छोटा नागपुर का पठार खनिजों से भरा पड़ा है। यहां कोयला, तांबा, लोहा, बॉक्साइट, अभ्रख, चूना पत्थर जैसे खनिज पाए जाते हैं। प्रायद्वीपीय भारत भी खनिजों से भरे पड़े हैं। कोयला लोहा, सोना, अभ्रख जैसे खनिज पदार्थ यहां पाए जाते हैं।
पठार से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण परीक्षोपयोगी तथ्य
• संपूर्ण स्थल भाग का लगभग 33% भाग पर पठार पाया जाता है।
• तिब्बत का पठार विश्व का सबसे ऊंचा पठार है। यह सागर तल से लगभग 16 हजार फीट ऊंचाई पर स्थित है। जबकि इसका कुछ भाग 18000 फीट ऊंचा है।
• पामीर के पठार जिसकी ऊंचाई 4885 मीटर है, विश्व की छत (Roof of the World) के नाम से जाना जाता है।
• भारत में दक्कन का पठार और संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थित कोलंबिया का पठार लावा निर्मित पठार के सर्वोत्तम उदाहरण है।
• संयुक्त राज्य अमेरिका के पीडमांट पठार और दक्षिण अमेरिका के पेंटोगोनिया का पठार गिरिपद पठार के सर्वोत्तम उदाहरण है।
• यूनान का पठार चीन में तथा शान का पठार म्यांमार में स्थित है।
• झारखंड में स्थित रांची का पठार पुनर्युवनित पठार का उदाहरण है।
• रांची पठार के पश्चिम में ऊंचे पठारों का एक समूह है। जिनके समतल शीर्ष लेटराइट मिट्टी से ढके हैं। जिन्हें “पात” के नाम से जाना जाता है।
• रांची के पठार पर स्थित स्पष्ट रूप से शिखरीय एक लघु पहाड़ी जो अपरदन के बाद भी बची है बूटी के नाम से जानी जाती है।
• अमेरिका स्थित कोलोरेडो का पठार एक युवा पठार है, जबकि अपेलेशियन का पठार प्रौढ़ पठार के रूप में जाना जाता है।
• जीर्ण या वृती पठार की पहचान उसमें उपस्थित मेसा से होती है। मेसा वैसा कठोर चट्टानों से निर्मित सपाट संरचना होती है। जो पठार पर अवशेष के रूप में अपरदन के प्रभाव के बाद भी बची रहती है।
• भारत का विंध्यन पठार नवीन पठार का उदाहरण है।
• अमेरिका स्थित मिसौरी का पठार पुनर्युवनित पठार का सर्वोत्तम उदाहरण है।
• भारत के असम राज्य में स्थित चेरापूंजी का पठार एक आर्द्र पठार का उदाहरण है।
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पठार के प्रकार
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संकलन
महेंद्र प्रसाद दांगी