Class 10th history chapter 2 question answer in hindi
Class:- 10th
Subject:- History
Chapter:- 02
Nationalism in India
भारत में राष्ट्रवाद का उदय
Topic:- Class 10th history Question Answer
अभ्यास के प्रश्नों का उत्तर
अभ्यास के प्रश्न:-
1. व्याख्या करें-
(क) उपनिवेशों में राष्ट्रवाद के उदय की प्रक्रिया उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन से जुड़ी हुई क्यों थी?
उत्तर:- दूसरे उपनिवेशों की तरह भारत में भी आधुनिक राष्ट्रवाद के उदय की परिघटना उपनिवेशवाद विरोधी आंदोलन के साथ गहरे तौर पर जुड़ी हुई थी।औपनिवेशिक शासकों के विरुद्ध संघर्ष के समय लोग आपसी एकता को पहचानने लगे थे। उत्पीड़न और दमन के साझा भाव ने विभिन्न समूहों को एक दूसरे से बांध दिया था। हर वर्ग और समूह पर उपनिवेशवाद का असर एक जैसा नहीं था। उसके अनुभव और स्वतंत्रता का अर्थ अलग-अलग था। महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने इन समूहों को इकट्ठा करके एक विशाल आंदोलन खड़ा किया।
(ख) पहले विश्वयुद्ध ने भारत में राष्ट्रीय आंदोलन के विकास में किस प्रकार योगदान दिया?
उत्तर:- प्रथम विश्व युद्ध ने एक नई आर्थिक और राजनीतिक स्थिति पैदा कर दी थी। इसके कारण रक्षा व्यय में भारी वृद्धि हुई। इस खर्च की भरपाई करने के लिए युद्ध के नाम पर कर्जे लिए गए और करों में वृद्धि की गई। सीमा शुल्क बढ़ा दिया गया और आयकर शुरू किया गया। युद्ध के दौरान कीमतें तेजी से बढ़ रही थी जिसके कारण आम लोगों की मुश्किलें बढ़ गई थी। गांव में सिपाहियों को जबरन भर्ती किया गया जिसके कारण ग्रामीण इलाकों में व्यापक गुस्सा था। 1918-19 ई॰ और 1920-21 ई॰ में देश के बहुत सारे हिस्सों में फसल खराब होने और फ्लू महामारी फैलने से 1921 ई॰ की जनगणना के अनुसार 120-130 लाख लोग मारे गए।
(ग) भारत के लोग राॅलट एक्ट के विरोध में क्यों थे?
उत्तर:- राॅलट एक्ट कानून के द्वारा सरकार को राजनीतिक गतिविधियों को कुचलने और राजनैतिक कैदियों को 2 साल तक बिना मुकदमा चलाए जेल में बंद रखने का अधिकार मिल गया था। इस कानून को इंपीरियल लेजिस्लेटिव कौंसिल ( शाही विधानसभा) ने बहुत जल्दी में भारतीय सदस्यों के भारी विरोध के बावजूद पारित कर दिया। महात्मा गांधी ऐसे अन्यायपूर्ण कानून के विरूद्घ थे।
(घ) गांधी जी ने असहयोग आंदोलन को वापस लेने का फैसला क्यों लिया?
उत्तर:- 5 फरवरी 1922 ई॰ को चौरी-चौरा (देवरिया जिला, उत्तर प्रदेश) नामक स्थान पर पुलिस ने जबरन एक जुलूस को रोकना चाहा। फलतः जनता ने क्रोध में आकर थाने में आग लगा दी। जिसमें एक थानेदार एवं 21 सिपाहियों की मृत्यु हो गई। इस घटना से गांधीजी स्तब्ध रह गए। 12 फरवरी 1922 ई॰ को उन्होंने असहयोग आंदोलन स्थगित कर दिया।
2. सत्याग्रह के विचार का क्या मतलब है?
उत्तर:- सत्याग्रह के विचार में सत्य की शक्ति पर आग्रह और सत्य की खोज पर जोर दिया जाता था। इसका अर्थ यह था कि अगर आपका उद्देश्य सच्चा है। यदि आपका संघर्ष अन्याय के खिलाफ है तो उत्पीडक से मुकाबला करने के लिए आपको किसी शारीरिक बल की आवश्यकता नहीं है। प्रतिशोध की भावना या हिंसा का सहारा लिए बिना सत्याग्रही केवल अहिंसा के सहारे भी अपने संघर्ष में सफल हो सकता है। इसके लिए दमनकारी शत्रु की चेतना को झिझोड़ना चाहिए। उत्पीड़क शत्रु को ही नहीं, बल्कि सभी लोगों को हिंसा के द्वारा सत्य को स्वीकार करने पर विवश करने की बजाय सच्चाई को देखने और सहज भाव से स्वीकार करने के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए। इस संघर्ष में अततः सत्य की ही जीत होती है। गांधी जी का विश्वास था कि अहिंसा का यह धर्म सभी भारतीयों को एकता के सूत्र में बांधती है।
3. निम्नलिखित पर अखबार के लिए रिपोर्ट लिखें-
(क) जलियांवाला बाग हत्याकांड:-
उत्तर:- गांधी जी तथा अन्य नेताओं के दिल्ली, पंजाब प्रवेश पर प्रतिबंध लगने से वहां की जनता में बड़ा आक्रोश व्याप्त था। यह आक्रोश उस समय अधिक बढ़ गया, जब पंजाब के दो लोकप्रिय नेता डॉ॰ सतपाल एवं डॉ॰ सैफुद्दीन किचलू को अमृतसर के डिप्टी कमिश्नर ने बिना किसी कारण गिरफ्तार कर लिया जिसके विरोध में जनता ने जुलूस निकाला जिस पर पुलिस ने गोली चला दी जिसमें कई लोग मारे गए। जुलूस ने उग्र रूप धारण कर लिया। सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई और इसके साथ ही पांच अंग्रेजों को जान से मार दिया। अमृतसर की स्थिति से बौखला कर सरकार ने 10 अप्रैल 1919 को शहर का प्रशासन सैन्य अधिकारी ब्रिगेडियर जनरल डायर को सौंप दिया। 13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के दिन जब अनेक गांव के लोग अमृतसर के मेले में शामिल होने के लिए जलियांवाला बाग में इकट्ठा हुए थे। जनरल डायर ने इस इलाके में मार्शल लॉ लागू कर दिया था। सभा ने गांधी जी एवं डॉ॰ किचलू एवं डॉ॰ सतपाल की रिहाई एवं विरोध में भाषण हो रहे थे। ऐसे में डायर ने 3 मिनट के अंदर भीड़ को हटाने का आदेश देकर मशीनगनों से लैस जनरल डायर फौजी टुकडी लेकर बाहर आने जाने के एकमात्र रास्ता पर मोर्चाबंदी की। इसके बाद उसके सिपाहियों ने निहत्थी भीड़ पर अंधाधुंध गोलियां चला दी। जिसमें 1000 लोग मारे गए एवं 300 लोग घायल हुए। वैसे सरकारी रिपोर्ट के अनुसार 379 व्यक्ति मारे गए और 1200 घायल हुए। इस हत्याकांड में हंसराज नामक भारतीय ने जनरल डायर की सहायता की थी।
(ख) साइमन कमीशन:-
उत्तर:- (i) ब्रिटेन की नई टोरी सरकार ने सर जॉन साइमन के नेतृत्व में एक वैधानिक आयोग का गठन किया। यह दो बार भारत में आया था।
(ii) राष्ट्रवादी आंदोलन के जवाब में गठित किए गए इस आयोग को भारत में संवैधानिक व्यवस्था की कार्यशैली का अध्ययन करना था। और उसके बारे में सुझाव देने थे।
(iii) इस वर्ग में कुल 7 सदस्य थे, जिनमें कोई भी भारतीय न था।
(iv) अत: 1928 में जब साइमन कमीशन भारत पहुंचा तो उसका स्वागत ‘साइमन कमीशन वापस जाओ’ के नारों से किया गया।
(v) भारत में प्रत्येक वर्ग तथा प्रत्येक पार्टी ने इस आयोग का काले झंडे से स्वागत किया।
4. इस अध्याय में दी गई भारत माता की छवि और अध्ययन 1 में दी गई जर्मेनिया की छवि की तुलना कीजिए।
उत्तर:- (i) जर्मेनिया की छवि जर्मन राष्ट्र की प्रतीक थी, जबकि भारत माता की छवि भारत राष्ट्र की छवि थी।
(ii) दोनों ही छवियों ने राष्ट्रवादियों को प्रेरित किया, जिन्होंने अपने-अपने देशों को एक करने और उदारवादी राष्ट्र का उद्देश्य प्राप्त करने के लिए कार्य किया।
(iii) भारत में निर्मित भारत माता की छवि में धार्मिक तत्वों की महत्त्वता अधिक थी। परंतु जर्मनिया की छवि में मानवतावादी तत्व अधिक थे।
(iv) भारत माता एक हिंदू देवी के रूप में त्रिशूल (हथियार) और ध्वज लिए खड़ी है। यह धार्मिक गुण एक राष्ट्र की अवधारणा को प्रकट करता है जिसमें हिंदुओं को अपने दूसरी जाति और धर्म जैसे मुसलमान, ईसाई, आदि भाइयों के साथ हिल-मिलकर रहने को कहा गया है।
भारत माता की छवि को संकीर्ण सोच के लोगों ने सांप्रदायिक रूप देना शुरू कर दिया, जिसके कारण ये छवि विवादित हो गई। इसके विपरीत जर्मनिया की छवि ने ऐसे किसी विवाद को जन्म नहीं दिया।
***चर्चा करें ***
1. 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सभी सामाजिक समूहों की सूची बनाएं। इसके बाद उनमें से किन्ही तीन को चुनकर उनकी आशाओं और संघर्ष के बारे में लिखते हुए या दर्शाइए कि वे आंदोलन में शामिल क्यों हुए?
उत्तर:- 1921 में असहयोग आंदोलन में शामिल होने वाले सामाजिक समूह निम्नलिखित थे:
(i) मध्य वर्गों के लोग (विद्यार्थी, हेड मास्टर, शिक्षक, वकील आदि)
(ii) मद्रास की गैर ब्राह्मण पार्टी ‘जस्टिस पार्टी’ को छोड़कर अन्य राजनीतिक दल।
(iii) व्यापारी और व्यवसायी।
(iv) बाबा रामचंद्र के नेतृत्व में अवध के किसान।
(v) अल्लूरी सीताराम राजू के नेतृत्व में आंध्र प्रदेश के आदिवासी।
(vi) असम के बागानी मजदूर।
आइए अब देखें कि वह असहयोग आंदोलन में क्यों शामिल हुए थे।
(क) अवध के किसान:-
(i) अवध के गरीब किसानों के लिए यह समय बड़ा मुसीबत भरा था। उनके पास जमीने नहीं थी अतः उन्हें जमींदारों की जमीन पर खेती करनी पड़ती थी।
(ii) इन जमीनों का किराया समय पर न देने पर किराए की जमीन और फसल दोनों छीन ली जाती थी। इससे गरीब किसान और गरीब होकर कर्ज में डूब जाते थे।
(iii) इसके बाद उन्हें बेगार करनी पड़ती थी। जिसके बदले उन्हें कुछ नहीं मिलता था।
(iv) लेकिन एक सन्यासी बाबा रामचंद्र ने गरीब किसानों का नेतृत्व करते हुए। इसके विरोध आंदोलन छेड़ा और जवाहरलाल नेहरू की सहायता से 1920 में ‘अवध किसान सभा’ का गठन किया।
(v) यह आंदोलन बाद में 1921 में असहयोग- खिलाफत आंदोलनों में मिल गया था।
(ख) आंध्र प्रदेश के आदिवासी:-
(i) आंध्र प्रदेश के आदिवासी बहुत चिंता में थे। वह जंगलों में नहीं जा सकते थे। क्योंकि औपनिवेशिक सरकार ने उन्हें आरक्षित घोषित कर दिया था।
(ii) आदिवासी जंगलों से जलावन के लिए लकड़ी नहीं चुन सकते थे। आदिवासी मवेशियों पर आश्रित है जो जंगल में चरते थे। लेकिन जंगलों को आरक्षित कर देने के कारण मवेशियों के चारे को लेकर उनकी परेशानी बढ़ गई थी। इस प्रकार आदिवासियों का जीवन संकट में था। (iii) उनके नेता “अल्लूरी सीताराम राजू” ने उनका नेतृत्व किया जो गांधी जी का प्रशंसक था, लेकिन अहिंसा के स्थान पर वह हिंसा का समर्थक था। उसके नेतृत्व में आदिवासियों ने हिंसक रूप से अंग्रेज सरकार का विरोध किया। उन्होंने असहयोग-खिलाफत आंदोलनों के साथ काम किया लेकिन हिंसा के साथ।
(ग) बागानी मजदूर:-
(i) स्वराज की अवधारणा के बारे में मजदूरों की अपनी समझ थी। असम के बागानी मजदूरों के लिए आजादी का मतलब यह था कि वे उन चारदीवारों से जब चाहे आ-जा सकते हैं। जिनमें उनको बंद करके रखा गया था। उनके लिए आजादी का मतलब था। कि वह अपने गांवों से संपर्क रख पाएंगे।
(ii) जब उन्होंने असहयोग आंदोलन के बारे में सुना तो हजारों मजदूर अपने अधिकारियों की अवहेलना करने लगे। उन्होंने बागान छोड़ दिए और अपने घर को चल दिए।
(iii) उनको लगता था कि अब गांधी राज आ रहा है इसीलिए अब तो हर एक को गांव में जमीन मिल जाएगी।(iv) लेकिन मैं अपनी मंजिल पर नहीं पहुंच पाए रेलवे और स्टीमरों की हड़ताल के कारण वे रास्ते में ही फंसे रह गए। उन्हें पुलिस ने पकड़ लिया उनको बुरी तरह पिटाई हुई।
2. नमक यात्रा की चर्चा करते हुए स्पष्ट करें कि उपनिवेशवाद के खिलाफ प्रतिरोध का एक असरदार प्रतीक था।
उत्तर:- महात्मा गांधी को देश को एकजुट करने के लिए नमक एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में दिखाई दिया। 31 जनवरी 1930 ई॰ को उन्होंने वायसराय इरविन को एक पत्र लिखा। जिसमें 11 मांगों का उल्लेख था। इनमें सबसे महत्वपूर्ण मांगना “नमक कर” को खत्म करने के बारे में थे। नमक का अमीर गरीब सभी इस्तेमाल करते थे। यह भोजन का एक अभिन्न हिस्सा था। इसलिए “नमक पर कर” ब्रिटिश शासन का सबसे दमनकारी पहलु बताया था।
महात्मा गांधी का यह पत्र एक अल्टीमेटम (चेतावनी) की तरह था। उन्होंने लिखा था अगर 11 मार्च तक उनकी मांग नहीं मानी गई तो कांग्रेस सविनय अवज्ञा आंदोलन शुरू कर देगी। इरविन झुकने को तैयार नहीं थे। फलस्वरूप महात्मा गांधी ने अपने 78 विश्वस्त वालेंटियरों (स्वयंसेवकों) के साथ नमक यात्रा शुरू कर दी। यह यात्रा साबरमती में गांधीजी आश्रम से 240 किलोमीटर दूर “दांडी” नामा गुजराती तटीय कस्बे में जाकर खत्म होनी थी। गांधी जी की टोली ने 24 दिन तक हर रोज लगभग 10 मील का सफर तय किया। 6 अप्रैल 1930 ई॰ को वह दांडी पहुंचे। और उन्होंने समुद्र का पानी उबालकर नमक बनाना शुरू कर दिया। यह सरकार के कानून का उल्लंघन था।
4. राजनीतिक नेता पृथक चुनाव क्षेत्रों के सवाल पर क्यों बैठे हुए थे?
उत्तर:- भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में कई राजनीतिक नेता समाज के अलग-अलग वर्गों का नेतृत्व कर रहे थे। डॉ॰ वी आर अंबेडकर जो दलितों के नेता थे। वे अपने समुदाय की समस्याओं का अलग राजनीतिक हल ढूंढना चाहते थे। उन्होंने शिक्षा संस्थानों में आरक्षण एवं अलग निर्वाचन क्षेत्र की बाद कहीं। इस बात को लेकर अंबेडकर एवं महात्मा गांधी के बीच गोलमेज में सम्मेलन में काफी विवाद हुआ था।
मोहम्मद अली जिन्ना मुसलमानों का प्रतिनिधित्व करते थे। उनका मानना था कि मुसलमानों को केंद्रीय सभा में आरक्षित सीटें दी जाए और मुस्लिम बाहुल्य प्रांत बंगाल और पंजाब में आबादी के अनुपात में प्रतिनिधित्व दिया जाए।
अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस इस तरह के मांगों के विरुद्ध थी तथा हिंदू महासभा के ने एम जयकर ने भी इसका विरोध किया था। क्योंकि इससे राष्ट्रीय एकता पर विपरीत प्रभाव पड़ता। इसीलिए गांधीजी ने एक बार आमरण अनशन भी किया।
**अन्य महत्वपूर्ण प्रश्नोत्तर**
1. सविनय अवज्ञा आंदोलन में विभिन्न वर्गों और समूह ने क्यों हिस्सा लिया?
उत्तर:- अपने सीमित हितों के चलते अनेक वर्गों और समूह के भारतीय लोगों ने सविनय अवज्ञ आंदोलन में हिस्सा लिया। उनके लिए स्वराज के मायने अलग-अलग थे। जैसे कि:
(i) ज्यादातर व्यवसायी स्वराज को एक ऐसे युग के रूप में देखते थे जहां कारोबार पर औपनिवेशिक पाबंदियाँ नहीं होंगी और व्यापार व उद्योग निर्बाध ढंग से फल-फूल सकेंगे।
(ii) इसी प्रकार धनी किसानों के लिए स्वराज्य का अर्थ था, भारी लगान के खिलाफ लड़ाई।
(iii) महिलाओं के लिए स्वराज का अर्थ था, भारतीय समाज में पुरुषों के साथ बराबरी और स्तरीय जीवन की प्राप्ति।
(iv)गरीब किसान स्वराज को ऐसे समय के रूप में रहते थे जब उनके पास स्वयं की जमीन होगी, उन्हें जमीन का किराया नहीं देना होगा और बेगार नहीं करनी पड़ेगी।
(v) औद्योगिक श्रमिक इसे उच्च वेतन और अच्छी कार्य स्थितियों के रूप में देखते थे।
इस प्रकार स्वराज का अर्थ भारत के विभिन्न वर्गों और समूह के लिए भी भिन्न- भिन्न था।
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