Class 10th History Chapter 3 Question Answer in hindi

Class 10th  History Chapter 3 Question Answer in hindi

Class:- 10th.

Subject:- History

Chapter- 03.

भूमंडलीकृत विश्व का बनना

Topic:- Class 10th History Question Answer

   ***अभ्यास के प्रश्न***

संक्षेप में लिखें

1. 17वीं सदी से पहले होने वाले आदान-प्रदान के दो उदाहरण दीजिए? एक उदाहरण एशिया से और एक उदाहरण अमेरिका महाद्वीपों के बारे में चुने? 

उत्तर:- 17वीं शताब्दी से पहले के काल में जो यात्री, व्यापारी और तीर्थयात्री आपसी मेलजोल के अग्रदूत बनकर एक देश से दूसरे देश गए। विशेष कर एशिया से दूसरे देशों की ओर गए वे अपने साथ अनेक चीजो, मूल्य मान्यताओं, विचारों, व्यवहारों, अनेक प्रकार की कलाओं को भी ले गए और उन्होंने दूसरों के जीवन को सुखमय बना दिया। ऐसा प्रायः एशिया के भारत और चीन जैसे देशों द्वारा ही हुआ।

17वीं शताब्दी से पूर्व के वैश्विक आदान-प्रदान कई बार लोगों के लिए विनाश का कारण भी बन गए। जैसे पुर्तगाल एवं स्पेन के लोग जब अमेरिका पहुंचे तो वे अपने साथ अनेक बीमारियां विशेषकर चेचक के कीटाणु भी ले गए जिन्होंने अमेरिका के मूल निवासियों के अनेक कबीलों का ही सफाया कर दिया।

2. बताएं कि पूर्व आधुनिक विश्व में बीमारियों के वैश्विक प्रसार में अमेरिकी भू-भागों के उपनिवेशीकरण में किस प्रकार मदद दी? 

उत्तर:- 16 वीं सदी के मध्य तक आते-आते पुर्तगाली और स्पेनिश सेनाओं की विजय अभियान शुरू हो चुका था तथा अमेरिका को उपनिवेश बनाना शुरू कर दिया था। यूरोपीय सेना केवल सैनिक शक्ति के दम पर नहीं जीती थी। वे चेचक जैसे कीटाणु जो स्पेनिश सैनिकों और अफसरों के साथ अमेरिका पहुंचे था। इन्हीं कारण अमेरिका पर विजय पाया। अमेरिकावासी सालों से अलग-थलग रहने के कारण इन बीमारियों के चपेट में आ गए। जिसका प्रतिरोधक क्षमता उनके शरीर में मौजूद नहीं था।  इस नए स्थान पर यह रोग काफी घातक सिद्ध हुआ और इसने पूरे समुदाय को खत्म कर डाला। इस तरह घुसपैठियों की जीत का रास्ता आसान होता चला गया।

3. निम्नलिखित के प्रभाव की व्याख्या करते हुए संक्षिप्त टिप्पणी लिखें:

(क) कार्न लाॅ के समाप्त करने के बारे में ब्रिटिश सरकार का फैसला।

उत्तर:- ब्रिटिश सरकार ने भूस्वामी के दबाव में आकर कार्न लाॅ नामक कानून लागू किया। इस कानूनों द्वारा विदेशों द्वारा खाद्य पदार्थ (मक्का) के आयात पर पाबंदी लगा दी। इससे ब्रिटेन में खाद्य पदार्थ की कीमतें तेजी से बढ़ने लगी। खाद्य पदार्थ की ऊंची कीमतों से परेशान उद्योगपतियों और शहर निवासियों ने सरकार को मजबूर कर दिया कि कार्न लाॅ को फौरन समाप्त कर दे। कार्न लाॅ समाप्त होने पर निम्नलिखित प्रभाव पड़े:-

(i) खाद्य पदार्थों का आयात कम कीमत पर होने लगी जिससे खाद्य सामग्री सस्ती हो गई। इससे गरीब जनता को खूब लाभ हुआ।

(ii) आयातित खाद्य पदार्थ की कीमत ब्रिटेन में पैदा होने वाले खाद्य पदार्थों से भी सस्ता था। फलस्वरूप ब्रिटिश किसानों की हालत बिगड़ने लगी।

(iii) विशाल भू-भागों पर खेती बंद हो गई हजारों लोग बेरोजगार हो गए। गांव छोड़कर वे या तो शहर या दूसरे  देश जाने लगे।

(ख) अफ्रीका में रिंडरपेस्ट का आना

उत्तर:- (i) मवेशी प्लेग या रिंडरपेस्ट की बीमारी एशियाई मवेशियों से अफ्रीकी मवेशियों में फैली थी, जिन्हें यूरोपीय उपनिवेश वहां ले गए थे।

(ii) बीमारी बड़ी तेजी से अफ्रीका मवेशियों में फैली और देखते ही देखते हजारों में मवेशी खत्म हो गए। इसने अफ्रीकी आर्थिक व्यवस्था को बर्बाद कर दिया जो मवेशियों और जमीन पर आधारित थी।

(iii) पशुओं में आई महामारी के कारण अफ्रीकी समुदाय के लगभग 90% पशु मारे गए। इसके कारण उन्हें मजदूरों के रूप में काम करने को बाध्य होना पड़ा।

(ग) विश्वयुद्ध के कारण यूरोप में कामकाजी उम्र के पुरुषों की मौतें।

उत्तर:- प्रथम महायुद्ध में यूरोप की ओर से लड़ने वाले लोग कामकाजी उम्र के थे। अतः इस युद्ध में मृतकों और घायलों में से ज्यादातर कामकाजी उम्र के लोग थे। इस महाविनाश के कारण यूरोप में कामकाज के लायक लोगों की संख्या बहुत कम रह गई। परिवार के सदस्य घट जाने से युद्ध के बाद परिवारों की आय भी गिर गई।

(घ) भारतीय अर्थव्यवस्था पर महामंदी का प्रभाव।

उत्तर:- आर्थिक महामंदी की शुरुआत 1929 ई॰ से शुरू हुई और यह संकट 1930 के दशक के मध्य तक बना रहा। भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी इसका प्रभाव पड़ा जो निम्नलिखित हैं:-

(i) औपनिवेशिक भारत कृषि वस्तुओं का निर्यातक और तैयार मार्लों का आयातक बन चुका था। महामंदी ने भारतीय व्यापार को प्रभावित कर 1928- 34 के बीच देश का आयात निर्यात घटकर आधा रह गया।

(ii) अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमत कम होने से भारत में गेहूं के भाव भी 50% कम हो गए।

(iii) कृषि उत्पादों की कीमत तेजी से गिरने के बावजूद किसानों और काश्तकारों को सरकार ने लगान वसूली में छूट देने देने से इनकार किया। इसका सबसे अधिक प्रभाव उन काश्तकारों पर पड़ा जो विश्व बाजार के लिए उपज पैदा करते थे।

(iv) बंगाल के जूट या पटसन उत्पादक कच्चे पटसन  की कीमतों में 60% गिरावट होने कारण उनकी हालत खराब थी।

(v) जिन काश्तकारों ने दिन फिरने की उम्मीद में या बेहतर आमदनी के लिए उपज बढाने के लिए कर्ज लिए उन्हें सही मूल्य न मिलने के कारण कर्ज में डूबे जा रहे थे।

(vi) काश्तकार पहले से ज्यादा कर्ज में डूब गए। उनकी बचत खत्म हो चुकी थी, जमीन सूदखोरों के पास गिरवी पड़ी थी तथा घर के सारे गहने जेवर बिक चुके थे।

(vii) मंदी के इन्हीं सालों में भारत कीमती धातुओं विशेषकर सोने का निर्यात करने लगा था।

(ङ) बहुराष्ट्रीय कंपनियों द्वारा अपने उत्पादन को एशियाई देशों में स्थानांतरित करने का फैसला? 

उत्तर:- विश्व का आर्थिक भूगोल फिर बदला जब बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने एशियाई देशों में उत्पादन प्रचालन पुनर्स्थापित करने का निर्णय लिया। चीन में अत्यधिक पूंजी निवेश का कारण उसकी विशाल जनसंख्या तथा सस्ती मजदूरी थी।

4. खाद्य उपलब्धता पर तकनीक के प्रभाव को दर्शाने के लिए इतिहास से दो उदाहरण दें? 

उत्तर:-

यातायात के साधनों जैसे:- अंडे, समुंद्री जहाज इत्यादि के कारण किसी भी खाद्य उत्पाद को सुरक्षित और जल्दी विभिन्न बाजारों में सस्ते दर पर पहुंचाया जा सकता था।

शीघ्र नश्वर खाद्य पदार्थ:- जैसे मांस, दूध, अंडे, मछली, फल, सब्जियां, मक्खन, खोया, पनीर आदि को बड़े-बड़े शीतला बनाए रखने वाले रेफ्रिजरेटर एवं कंटेनर आदि से विभिन्न स्थानों पर लाने-ले-जाने या उन्हें पहले की अपेक्षा काफी समय तक सुरक्षित रखना संभव हो गया।

5. ब्रिटेन वुड्स समझौते का क्या अर्थ है? 

उत्तर:-

(i) अर्थ:- ब्रिटेन वुड्स संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित माउंट वॉशिंगटन एक होटल है। यह वह स्थान है जहां द्वितीय विश्व युद्ध के बाद अंतरराष्ट्रीय राष्ट्रीय व्यवस्था संबंधी एक ऐतिहासिक सम्मेलन आयोजित किया गया था।

(ii) उद्देश्य:-  युद्धोत्तर अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह था कि औद्योगिक विश्व में आर्थिक स्थिरता एवं पूर्ण रोजगार बनाए रखा जाए। इस फ्रेमवर्क  पर जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित न्यू हैम्पशर के ब्रिटेन वुड्स नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन में सहमति बनी थी।

(iii) आई• एन• एम• एफ• की स्थापना:- अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना सदस्य देशों के विदेशी लाभ और घाटे से निपटने के लिए की गई थी। युद्धोंत्तर पुनर्निर्माण के लिए पैसे का इंतजाम करने के वास्ते अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक (जिसे आम बोलचाल में विश्व बैंक कहा जाता है) का गठन किया गया।

(iv) ट्विन्स या जुड़वा:- इसी वजह से विश्व बैंक और आई•एन•एम•एफ• को ब्रिटेन वुड्स संस्थान या ब्रिटेन  वुड्स ट्विन्स भी कहा जाता है। इसी आधार पर युद्धोंत्तर अंतरराष्ट्रीय अर्थिक व्यवस्था को अक्सर ब्रिटेन वुड्स व्यवस्था भी कहा जाता है।

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                  *** चर्चा करें  ***

1. कल्पना कीजिए कि आप कैरेबियाई क्षेत्र में काम करने वाले गिरमिटिया मजदूर हैं? इस अध्याय में दिए गए विवरणों के आधार पर अपने हालात और अपनी भावनाओं का वर्णन करते हुए अपने परिवार के नाम का एक पत्र लिखें? 

उत्तर:-

2. अंतरराष्ट्रीय आर्थिक विनियमों में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों की व्याख्या करें। तीनों प्रकार की गतियों के भारत और भारतीयों से संबंधित एक एक उदाहरण दें और उनके बारे में संक्षेप में लिखें?

उत्तर:- 19वीं सदी में सारे संसार में आर्थिक, राजनीतिक, सामाजिक, तकनीकी और अर्थशास्त्रियों ने अंतरराष्ट्रीय आर्थिक विनिमय में तीन तरह की गतियों या प्रवाहों का उल्लेख किया है।

(i) प्रथम प्रवाह व्यापार का होता है। जो 19वीं सदी में मुख्य रूप से कपड़ा, गेहूं इत्यादि की व्यापार तक सीमित था। व्यापार में आयात निर्यात से देश की अर्थव्यवस्था में सुधार के साथ-साथ रोजगार के अवसर भी मिलते थे। ब्रिटेन में कपड़ा उद्योग कच्चे माल के लिए भारतीय कपास निर्माता पर निर्भर थे।

(ii) दूसरा प्रवाह श्रम का होता है इसमें लोग काम या रोजगार की तलाश में एक जगह से दूसरी जगह जाते हैं। अमेरिका एवं अफ्रीका में उपनिवेश बनने के बाद भारतीय मजदूर को अनुबंध व्यवस्था (गिरमिटिया मजदूर) के आधार पर वहां के खेतों और उद्योगों में काम करने के लिए ले जाया गया।

(iii) तीसरा प्रवाह पूँजी का होता है जिसे अल्प या दीर्घ की अवधि के लिए दूर-दराज के इलाकों में निवेश कर दिया जाता है। भारतीय पूंजीपतियों ने न केवल भारत में बल्कि अफ्रीका और कई यूरोपीय देशों में भी पूंजी का निवेश किया था।

3. महामंदी के कारणों की व्याख्या करें? 

उत्तर:- आर्थिक महामंदी की शुरुआत 1929 से हुई और यह संकट तीस के दशक के मध्य तक बना रहा। इस अवधि में संसार के अधिकतर भागों में उत्पादन, रोजगार एवं आय और व्यापार में कमी आई। इस महामंदी के कई कारण थे :-

(i) पहला कारण था कृषि क्षेत्र में अति उत्पादन की समस्या। कृषि उत्पादों की कीमतें कम हो जाने से जब किसानों की आय कम होने लगी तो आमदनी बढ़ाने के लिए किसान उत्पादन बढ़ाने लगे ताकि कम कीमत पर ही सही ज्यादा माल पैदा करके वे अपना स्तर बनाए रखें। परिणाम स्वरुप बाजार में कृषि उत्पादों की आमद बढ़ गई और कीमतें नीचे चली गई। खरीददारों के अभाव में कृषि उपज पड़ी-पड़ी चढ़ने लगी।

(ii) 1920 ई° के दशक में मध्य में बहुत सारे देशों ने अमेरिका से कर्ज लिए और अपनी निवेश संबंधी जरूरतों को पूरा किया। जब हालात अच्छे थे तो कर्ज  जुटाना आसान था। लेकिन संकट का संकेत मिलते ही अमेरिकी उद्यमियों के होश उड़ गए। 1928 ई॰ से पहले छह माह तक विदेशों में अमेरिका का ॠण एक अरब डाॅलर था। साल भर बाद यह कर्जा घटकर केवल एक चौथाई रह गया था। जो देश अमेरिकी कर्ज पर ज्यादा आत्मनिर्भर थे। उनके सामने गहरा संकट आ खड़ा हो गया।

4. जी-77 देशों से आप क्या समझते हैं?जी-77 को किस आधार पर ब्रिटेन वुड्स की जुड़वा संतानों की प्रक्रिया कहा जा सकता है? व्याख्या करें? 

उत्तर:-(i) जी-77 विकासशील देशों का एक समूह है। जो नई अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था (NIEO) को प्राप्त करने के लिए सामूहिक रूप से काम करता है।

(ii) आई.एम.एफ. और विश्व बैंक (ब्रिटेन वुड्स के दोहरे समझौते) की संतोषजनक सेवाओं के कारण नए आजाद हुए मुल्कों ने जी-77 का संगठन किया।

(iii) इनकी आजादी के बाद ब्रिटेन वुड्स की संस्थाओं ने गरीब मुल्कों को वित्तीय सहायता का प्रस्ताव किया।

(iv) लेकिन इसके एवज में उनके प्राकृतिक संसाधनों को गारंटी के तौर पर इन संस्थानों ने अपने नियंत्रण में ले लिया।

(v) इस प्रकार विकासशील देश जो विकसित देशों की भांति औद्योगिक विकास की राह पर चलना चाहते थे। ब्रिटिश वुड्स की संस्थाओं ने उनका मार्ग अवरुद्ध कर दिया।

प्रतिक्रिया स्वरूप जी-77 या समूह 77 अस्तित्व में आ गया।

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               **** महत्वपूर्ण प्रश्न *****

1. जब हम कहते हैं कि 16वीं सदी में दुनिया ‘सिकुड़ने’ लगी थी तो इसका क्या मतलब है?

उत्तर:-

(i) सिकुड़ने का अर्थ है:- संसार के विभिन्न महाद्वीपों के लोगों के बीच पारस्परिक संबंधों में वृद्धि से है।

(ii) 1500 के दशक से पहले तक विभिन्न महाद्वीपों के लोगों के बीच अंतर्संबंध, व्यापार और व्यवसाय का अभाव था।

(iii) 1500 के दशक के बाद संसार के महाद्वीपों के बीच व्यापार, सांस्कृतिक विचारों का आदान-प्रदान और लोगों की आवाजाही बढ़ी जो अमेरिका से होकर यूरोप और अफ्रीका तक पहुंची।

2. राष्ट्रीय पहचान के निर्माण में भाषा और लोक परंपराओं के महत्व पर चर्चा करें।

उत्तर:-  किसी व्यक्ति की पहचान उसकी भाषा और पारंपरिक रीति-रिवाजों से होती है। क्योंकि वह जो भाषा बोलता है वह एक राष्ट्र, उसकी मातृभूमि से जुड़ी होती है। राष्ट्र ही है जो किसी व्यक्ति से अधिक महत्वपूर्ण होता है। साथ ही, किसी भूमि या प्रदेश की भाषा और पारंपरिक रीति-रिवाज लंबे समय में विकसित होकर मजबूती से स्थापित हो जाते हैं। लोग जन्म लेते हैं मरते हैं। लेकिन भाषा और परंपराएं शाश्वत होती हैं। वे नहीं मरती है। वे सदा जीवित रहती हैं। कर्मी जहां भी जाता है वे उसे पहचान देती है।

अतः भाषा और लोकप्रिय परंपराएं किसी कर्मी की राष्ट्रीय पहचान बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

3. पटसन (जूट) उगाने वालों के विलाप में पटसन की खेती से किस के मुनाफे का जिक्र आया है? स्पष्ट करें।

उत्तर:- पटसन उगाने वालों के विलाप में कवि काश्तकारों से कहते हैं कि चाहे तुम जितनी मेहनत कर लो, कर्जे पर जितने पैसे लेकर पटसन की खेती में लगाओ, जब फसल कटेगी तो इसकी कुछ भी कीमत नहीं रहेगी। बनिया लोग तुम्हें इसका पाँच रुपया मान देंगे तथा खुद सारा मुनाफा ले जाएंगे। अतः इस विलाप में उन बनियों के मुनाफे का जिक्र आया है। जो किसानों काश्तकारों से फसल खरीद कर अंग्रेजों को बेचा करते थे।

4. संक्षेप में बताएं कि दो महायुद्ध के बीच जो आर्थिक हालात पैदा हुए उनसे अर्थशास्त्रियों और राजनेताओं ने क्या सबक सीखे?

उत्तर:- दो महायुद्धों के बीच विश्व की आर्थिक स्थिति काफी खराब हो गई। काफी जनधन की हानि हुई। कई देश बर्बाद हो गए। ब्रिटेन जैसा कर्जदाता देश महायुद्ध की वजह से कर्जदार बन गया। रूस, जर्मनी पूरी तरह तबाह हो गए। कई शहर पूरी तरह नष्ट हो गए।

अर्थशास्त्रियों एवं राजनेताओं ने औद्योगिक देशों की आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करने पर जोर दिया। तथा इसी परिपेक्ष्य में अमेरिका के न्यू हैम्पशर शहर के ब्रिटेन वुड्स संस्थान में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आई.एम.एफ)

एवं अंतर्राष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक की स्थापना की जिसका लाभ पश्चिमी देशों की अर्थव्यवस्थाओं को हुआ। परन्तु ज्यादातर विकासशील देशों को पचास साठ के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्था की तेज प्रगति से कोई लाभ नहीं होने से उन्होंने एक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली (N.I.E.O) का गठन कर जी-77 के रूप में संगठित हो गए। जिससे परस्पर आर्थिक निर्भरता की समझ भी उत्पन्न हुई।

दोनों महायुद्धों  के बीच मिले आर्थिक अनुभावों से अर्थशास्त्रियों और राजनीतिज्ञों ने दो महत्वपूर्ण परिणाम निकाले पहला बृहद उत्पादन पर आधारित किसी औद्योगिक समाज को व्यापक उपभोग के बिना कायम नहीं रखा जा सकता। व्यापक उपभोग को बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि आमदनी ज्यादा और स्थिर हो। रोजगार स्थिर हो और पूर्ण हो। कीमत, उपज और रोजगार में उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए सरकार का दखल जरूरी है।

दूसरा परिणाम बाहरी दुनिया के साथ आर्थिक संबंध के बारे में था। पूर्ण रोजगार का लक्ष्य तभी हासिल किया जा सकता था। जब सरकार के पास वस्तुओं, पूंजी और श्रम की आवाजाही को नियंत्रित करने की ताकत उपलब्ध हो।

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              ****  अतिरिक्त प्रश्न  ****

1. आयात शुल्क:-

किसी दूसरे देश से आने वाली चीजों पर वसूल किया जाने वाला शूल्क। यह कर या शुल्क उस जगह लिया जाता है जहां से वह चीज देश में आती है। अर्थात सीमा पर बंदरगाह पर या हवाई अड्डे पर।

2. विनिमय दर:-  इस व्यवस्था के जरिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार की सुविधा के लिए विभिन्न देशों की राष्ट्रीय मुद्राओं को एक दूसरे से जोड़ा जाता है। मोटे तौर पर यह दो प्रकार के होते हैं:-

(i) स्थिर विनिमय दर:-

जब विनिमय दर स्थिर होती है और उनमें आने वाले उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने के लिए सरकारों को हस्तक्षेप करना पड़ता है। तो ऐसी विनिमय दर को स्थिर विनिमय दर कहा जाता है।

(ii) परिवर्तनशील विनिमय दर:- 

इस तरह की विनिमय दर विदेशी मुद्रा बाजारों में विभिन्न मुद्राओं की मांग या आपूर्ति के आधार पर और सिद्धांततः सरकारों के हस्तक्षेप के बिना घटती बढ़ती रहती है।

3. वीटो:-

इस अधिकार के सहारे एक ही सदस्य के असहमति किसी भी प्रस्ताव को खारिज करने का आधार बन जाती है। संयुक्त राष्ट्र संघ में 5 देशों को वीटो पावर दिया गया है। ये पांच देश है अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, रूस और चीन

4. N.I.E.O:- New International Economics Order. एन.आई.ई.ओ से उनका आशय एक ऐसी व्यवस्था से था जिनमें उन्हें अपने संसाधनों पर सही अर्थों में नियंत्रण मिल सके जिसमें उन्हें विकास के लिए अधिक सहायता मिले और अपने तैयार मालों को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर सुविधा मिले।

5. रिंडरपेस्ट क्या है? वर्णन करें।

उत्तर:- रिंडरपेस्ट पशुओं में फैलने वाला प्लेग रोग है। यह रोग अफ्रीका में 1880 के दशक के आखिरी वर्षों में फैला। उस समय पूर्वी अफ्रीका में एरिट्रिया पर हमला कर रहे इतालवी सैनिक का पेट भरने के लिए एशियाई देशों से जानवर लाए जाते थे। यह बीमारी ब्रिटिश औपनिवेशिक एशियाई देशों से आए उन्ही जानवरों के जरिए यहां पहुंची थी। अफ्रीका के पूर्वी हिस्से से महाद्वीप में दाखिल होने वाली यह बीमारी जंगल की आग की तरह पश्चिमी अफ्रीका की तरफ बढ़ने लगा।

1892 ई॰ में अफ्रीका के अटलांटिक तट तक जा पहुंची। 5 साल बाद यह केप (अफ्रीका का धुर दक्षिणी हिस्सा) तक भी पहुंच गई। इस रोग ने अपने रास्ते में आने वाले 90% में मवेशियों को मौत की नींद सुला दी। इस बीमारी से लोगों की आजीविका और स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा।

6. व्यापार अधिशेष क्या है?

उत्तर:- दो देशों के बीच होने वाले व्यापार में हमेशा एक देश को ही फायदा होना व्यापार अधिशेष कहलाता है। उदाहरण के लिए भारत के साथ व्यापार में ब्रिटेन हमेशा व्यापार अधिशेष की अवस्था में रहता था। इसका मतलब यह था कि आपसी व्यापार में ब्रिटेन को फायदा होता था।

7. विश्व बैंक (अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक) एवं अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष को ब्रिटेन संस्थान की जुड़वा संतान कहा जाता है। क्यों?

उत्तर:- दो महायुद्धों  के बीच अंतरराष्ट्रीय आर्थिक व्यवस्था ध्वस्त हो गया। जिसके बाद इसे पुनः पटरी पर लाने के लिए जुलाई 1944 में अमेरिका स्थित हेम् पशार के ब्रिटेन वुड्स संस्थान नामक स्थान पर संयुक्त राष्ट्र मौद्रिक एवं वित्तीय सम्मेलन का आयोजन किया गया। जिसमें सदस्य देशों ने विदेश व्यापार में लाभ एवं घाटे से निपटने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की स्थापना की तथा युद्धोत्तर पुनर्निर्माण के लिए पैसे के इंतजाम करने के वास्ते अंतरराष्ट्रीय पुनर्निर्माण एवं विकास बैंक की स्थापना की। इसी वजह से विश्व बैंक एवं आई.एम.एफ को ब्रिटिश वुड्स की जुड़वा संतान का जाता है।

8. जी-77 क्या है?

उत्तर:- विकासशील देशों को 1950-60 के दशक में पश्चिमी अर्थव्यवस्थाओं को तेज प्रगति से किसी भी प्रकार का लाभ नहीं हुआ। इस समस्या को देखते हुए उन्होंने एक नई अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक प्रणाली के लिए आवाज उठाई और समूह G-77 के रूप में संगठित हो गए। एन.आई.ई.ओ से उनका आशय एक ऐसी व्यवस्था से था। जिसमें उन्हें अपने संसाधन पर सही मायने में नियंत्रण मिले, विकास के लिए अधिक सहायता मिले, कच्चे माल का सही मूल्य मिले तथा अपने तैयार मालों को विकसित देशों के बाजारों में बेचने के लिए बेहतर पहुंच मिले।

9. नई तकनीक आने से यूरोप के मांस व्यापार में क्या परिवर्तन आया?

उत्तर:- पानी के जहाज में रेफ्रिजरेशन की तकनीक स्थापित कर दी गई जिससे जल्दी खराब होने वाली चीजों को भी लंबी यात्राओं पर ले जाया जा सकता था। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड सब जगह जानवरों के स्थान पर उनका मांस ही युरोप भेजा जाने लगा। इससे समुद्री यात्रा में आने वाला खर्च कम हो गया और यूरोप में मांस के दाम गिर गए। यूरोप के गरीबों को ज्यादा विविधता पूर्ण खुराक मिलने लगा पहले उनके पास सिर्फ आलू और ब्रेड होते थे। जिसमें अब मांसाहार भी शामिल हो गया। जीवन स्थिति सुधरी तो देश में शांति स्थापित होने लगी और दूसरे देशों में साम्राज्यवादी मंसूबों को समर्थन मिलने लगा।

10. सिल्क मार्ग का महत्व बताइए।

उत्तर:-  आधुनिक काल से पहले के युग में दुनिया के दूर दूर स्थित भागों के बीच व्यापारिक और सांस्कृतिक संपर्कों का सबसे अच्छा उदाहरण सिल्क मार्ग के रूप में दिखाई देता है। सिल्क मार्ग नाम से पता चलता है कि इस मार्ग से पश्चिम को भेजे जाने वाली चीनी रेशम का कितना महत्व था। जमीन या समुद्र से होकर गुजरने वाले थे रास्ते न केवल एशिया के विशाल क्षेत्रों को एक दूसरे से जोड़ते थे बल्कि एशिया को यूरोप और उत्तरी अफ्रीका से भी जोड़ते थे। ऐसे मार्ग ईसा पूर्व के समय ही में ही सामने आ चुके थे और लगभग 15 वीं शताब्दी तक अस्तित्व में थे। इसी रास्ते से चीनी पॉटरी जाती थी और इसी रास्ते से भारत व दक्षिण पूर्व एशिया के कपड़े व मसाले दुनिया के दूसरे भागों में पहुंचते थे। वापसी में सोने चांदी जैसी कीमती धातु यूरोप से एशिया पहुंचती थी।

व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान दोनों प्रक्रियाएं साथ साथ चलती थी। शुरुआती काल के ईसाई मशीनरी निश्चय ही इसी मार्ग से एशिया में आए। कुछ सदी बाद मुस्लिम धर्म उपदेशक भी इसी रास्ते से दुनिया में फैले। भारत में उपजा बौद्ध धर्म भी सिल्क मार्ग की विभिन्न शाखाओं से ही कई दशाओं में फैला।

11. अंतर्राष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था राष्ट्रीय मुद्राओं और मौद्रिक व्यवस्थाओं को एक दूसरे के साथ जोड़ने वाले व्यवस्था है। स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:- अंतरराष्ट्रीय मौद्रिक व्यवस्था राष्ट्रीय मुद्राओं और मौद्रिक व्यवस्थाओं को एक दूसरे से जोड़ने वाली व्यवस्था है। ब्रिटिश वुड्स व्यवस्था निश्चित विनिमय दरों पर आधारित होती है। इस व्यवस्था में राष्ट्रीय मुद्राएं जैसे भारतीय मुद्रा रुपया- डॉलर के साथ एक निश्चित विनिमय दर से जुड़ा हुआ था। 1डॅलर के बदले कितने रुपए देने होंगे यह स्थिर रहता था। डॉलर का मूल्य सोने से जुड़ा था। एक डॉलर की कीमत 35 औंस सोने के बराबर निर्धारित की गई थी। 1960 में सोने की तुलना में डॉलर की कीमत गिरने लगी तो अस्थिर विनिमय दर की व्यवस्था शुरू की गई।

12. लोग किस आधार पर एल डोरडो को सोने का शहर मानने लगे थे।

उत्तर:- आज के पेरू और मेक्सिको में मौजूद खानों से निकलने वाले कीमती धातुएं, विशेषकर चांदी ने भी युरोप की संपदा को बढ़ाया और पश्चिम देशों के साथ होने वाले उसके व्यापार को गति प्रदान की। 17वीं सदी के आते-आते पूरे यूरोप में दक्षिणी अमेरिका की धन संपदा के बारे में तरह-तरह के किस्से बनने लगे। इन्हीं किंवदंतियों की बदौलत वहां के लोग एल डोरडो को सोने का शहर मानने लगे और उसकी खोज में बहुत सारे खोजी अभियान शुरू किया गए।


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